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हृदय घात के बाद पीपल का ये प्रयोग – दोबारा नहीं होने देगा हार्ट अटैक

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आयुर्वेद में प्रकृति के द्वारा हर समस्या का समाधान उपलब्ध है। हमारे आसपास ही प्रकृति में कई औषधियां छुपी हुई हैं, जिनके बारे में हम नहीं जानते। हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ काे देवतुल्य मानकर उसकी पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, पीपल हृदय रोग के लिए एक वरदान है।

   आयुर्वेद के अनुसार सुबह उठने का सही तरीका अपना लिया तो रोग आपसे कोषों दूर रहेंगे

दिल के आकार के इस पत्ते में आपके हृदय संबंधी समस्याओं का हल छुपा हुआ है। सबसे खास बात यह है, कि पीपल दिल के 99 प्रतिशत ब्लॉकेज को भी समाप्त कर देता है।

क्या आपके रक्त-शिराओ में हार्ट ब्लोकेज है तो आप सबसे पहले यह जान ले कि अदरक का सेवन ज्यादा करे क्योंकि अदरक आपके खून को पतला रखता है और पीपल का पत्ता आपको हार्ट ब्लाकेज से बचाता है।

हार्ट ब्लॉकेज के लिए पीपल के पत्ते

पीपल के पत्ते को कैसे लें

पीपल के 15 से 20 पत्ते लें जो कोमल गुलाबी कोंपलें न हों बल्कि पीपल के पत्ते हरे कोमल व भली प्रकार विकसित हों।अब प्रत्येक पीपल के पत्ते का ऊपर व नीचे का कुछ भाग कैंची से काटकर अलग कर दें तथा पीपल के पत्ते का बीच का भाग पानी से साफ कर लें। अब आप इन्हें एक गिलास पानी में धीमी आँच पर पकने दें और जब पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए तब ठंडा होने पर साफ कपड़े से छान लें और उसे ठंडे स्थान पर रख दें। अब ये दवा तैयार है।

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पीपल के पत्ते के काढ़े की तीन खुराकें बनाकर प्रत्येक तीन घंटे बाद प्रातः लें। हार्ट अटैक के बाद कुछ समय हो जाने के पश्चात लगातार पंद्रह दिन तक इसे लेने से हृदय पुनः स्वस्थ हो जाता है और फिर दिल का दौरा पड़ने की संभावना नहीं रहती है । दिल के रोगी इस नुस्खे का एक बार प्रयोग अवश्य करें। इसकी खुराक लेने से पहले पेट एक दम खाली नहीं होना चाहिए बल्कि सुपाच्य व हल्का नाश्ता करने के बाद ही लें।

परहेज क्या करे

पीपल के पत्ते के प्रयोग काल में तली चीजें, चावल आदि न लें तथा मांस, मछली, अंडे, शराब, धूम्रपान का प्रयोग बंद कर दें और नमक, चिकनाई का प्रयोग बंद कर दें।

अनार, पपीता, आंवला, बथुआ, लहसुन, मैथी दाना, सेब का मुरब्बा, मौसंबी, रात में भिगोए काले चने, किशमिश, गुग्गुल, दही, छाछ आदि लें ।

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आज हम आपको कुछ ऐसे फल बताने जा रहे हैं, जिसका सेवन मधुमेह के रोगी आराम से कर सकते हैं। दरअसल, मधुमेह के रोगियों को रेशेदार फल, जैसे तरबूज, खरबूजा, पपीता, सेब और स्ट्राबेरी आदि खाने चाहिए। इन फलों से रक्त शर्करा स्तर नियंत्रित होता है इसलिये इन्हें खाने से कोई नुकसान नहीं होता। मधुमेह रोगियों को फलो का रस नहीं पीना चाहिये क्योंकि एक तो इसमें चीनी डाली जाती है और दूसारा कि इसमें गूदा हटा दिया जाता है, जिससे शरीर को फाइबर नहीं मिल पाता। तो आइये जानते हैं कि मधुमेह रोगियों को कौन-कौन से फलों का सेवन करना चाहिये।

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आंवला

इस फल में विटामिन सी और फाइबर होता है जो कि मधुमेह रोगी के लिये अच्छा माना जाता है।

सेब और अनार

फलों में मधुमेह के मरीजों को सेब एवं अनार खाने की सलाह दी जाती है। सेब में पेक्टिन होता है जो आपके शरीर की इंसुलिन की जरुरत को कम करता है। यह शरीर के विषैले तत्व को भी बाहर निकालता है। अतः सेब को मधुमेह के मरीजों के लिए एक उपयुक्त फल माना जाता है।

अनार मध्य पूर्व के देशों में मधुमेह के मरीजों में बहुत लोकप्रिय हैं। इसका सबसे प्रमुख कारण यह है कि मीठा होते हुए भी यह मधुमेह के मरीजों के शरीर की रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित नहीं करता। शोधकर्ताओं ने पाया है कि अनार का रस पीने वाले मरीजों में अथेरोसेलोरोसिस होने का खतरा कम पाया जाता है।

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खरबूज

इसमें ग्लाइसिमिक इंडेक्स ज्यादा होने के बावजूद भी फाइबर की मात्रा अच्छी होती है इसलिये यदि इसे सही मात्रा में खाया जाए तो अच्छा होगा।

कीवी

कीवी कई रिसर्च के अनुसार यह बात सामने आई है कि कीवी खाने से ब्लड शुगर लेवल कम होता है।

अंगूर

अंगूर का सेवन मधुमेह के एक अहम कारक मेटाबोलिक सिंड्रोम के जोखिम से बचाता है। अंगूर शरीर में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है ।

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काली जामुन

काली जामुन मधुमेह रोगियो के लिये यह फल बहुत ही लाभकारी है। इसके बीजो़ को पीस कर खाने से मधुमेह कंट्रोल होता है।

संतरा

संतरा यह फल रोज खाने से विटामिन सी की मात्रा बढेगी और मधुमेह सही होगा ।

अमरख

अमरख यदि आप को मधुमेह है तो आप यह फल आराम से खा सकते हैं। पर यदि रोगी को डायबिटीज अपवृक्कता है तो उसे अमरख खाने से पहले डॉक्टर से पूछना चाहिये।

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आड़ू

आड़ू इस फल में भी जीआई बहुत कम मात्रा में पाया जाता है और मधुमेह रोगियों के लिये अच्छा माना जाता है।

पपीता

पपीता इसमें विटामिन और अन्य तरह के मिनरल होते हैं।

अमरूद

अमरूद में विटामिन ए और विटामिन सी के अलावा फाइबर भी होता है।

अनानास

अनानास इसमें एंटी बैक्टीरियल तत्व होने के साथ ही शरीर की सूजन कम करने की क्षमता होती है। यह शरीर को पूरी तरह से फायदा पहुंचाता है।

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चैरी

चैरी इसमें जीआई मूल्य 20 होता है जो कि बहुत कम माना जाता है। यह मधुमेह रोगियों के लिये बहुत ही स्वास्थ्य वर्धक मानी जाती है।

इनके इलावा जो आप खा सकते हैं।

ओटमील यानि जई का आटा

जई का आटा मधुमेह के लिए मरीजों के लिए बहुत हीं उपयुक्त आहार माना जाता है। आप इसका सेवन सुबह शाम नाश्ते के रूप में किया करें तो आपको बहुत लाभ पहुंचेगा।

अलसी

गर्मियों में 1 चम्मच अलसी दही या छाछ के साथ और सर्दियों में ३ चम्मच तक अलसी खाए क्यूंकि इसमें ओमेगा 3 होता हैं। ओमेगा 3 फैटी एसिड आपकी धमनियों को साफ एवं स्वस्थ रखने में अहम् भूमिका निभाता है। मधुमेह के रोगियों को अक्सर उच्च ट्राइग्लिसराइड्स और एचडीएल के कम स्तर की शिकायत रहती है। एचडीएल ‘अच्छा कोलेस्ट्रॉल होता है जो ख़राब कोलेस्ट्रॉल के कुप्रभाव को कम करता है। ओमेगा -3 फैटी एसिड शुगर लेवल कम करने में विभिन्न तरीकों से मददगार सिद्ध होता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड्स दिल एवं दिमाग के लिए भी टोनिक का काम करता है।

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लहसुन

लहसुन भी ब्लड शुगर को कम करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अतः अगर आप मधुमेह के मरीज हैं तो रोज सुबह लहसुन की दो तीन कलियों को चबाया करें या कुतरकर निगला करें। इससे आपको हाई ब्लड प्रेशर एवं दिल की बीमारियों में भी बहुत लाभ मिलेगा। मधुमेह से कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है लेकिन लहसुन कैंसर को रोकने में बहुत हीं प्रभावशाली माना जाता है।

दालचीनी

दालचीनी घर घर में पाया जाने वाला एक मसाले के रूप में जाना जाता है। लेकिन यह न सिर्फ आपके खाने का जायका बढाता है बल्कि यह आपके शरीर में रक्त शर्करा को भी नियंत्रण में रखता है। जिन लोगों को मधुमेह नहीं है वे इसका सेवन करके मधुमेह से बच सकते हैं। और जो मधुमेह के मरीज हो चुके हैं वे इसके सेवन से ब्लड शुगर को कम कर सकते है। दालचीनी को पीसकर चाय में चुटकी भर मिलाकर दिन में दो तीन बार पीया करें। इसका ज्यादा सेवन करना उचित नहीं होता इसलिए रोजाना थोड़ा थोड़ा हीं सेवन करें।

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नाक में घी | नाक में देसी घी डालने के फायदे | गाय के घी के गुण | मस्तिष्क के लिए गाय का घी लाभ

गाय हिंदुओं में सबसे पूजनीय प्राणी मानी जाती है. माना जाता है कि एक गाय में कई देवी-देवताओं का वास होता है. इसीलिए गाय के गोबर से लेकर मूत्र तक सभी को पवित्र माना गया है. इसी संदर्भ में कहा गया है कि गाय का दूध और घी अमृत के समान है. आइये जानें नाक में घी डालने के क्या फायदे हैं।

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देशी घी का मतलब है गाय के दूध से बना शुद्ध घी, इसे एक प्रकार की दवा भी माना जाता है. गाय के घी में ऐसे औषधीय  गुण होते हैं जो और किसी चीज़ में नहीं मिलते। यहाँ तक की इसमें ऐसे माइक्रोन्यूट्रींस होते हैं जिनमें कैंसर युक्त तत्वों से लड़ने की क्षमता होती है। और तो और अगर आप धार्मिक नजरिये से देखते हैं तो घी से हवन करने पर लगभग 1 टन ताजे ऑक्सीजन का उत्पादन होता है। यही कारण है कि मंदिरों में गाय के घी का दीपक जलाने तथा धार्मिक समारोहों में यज्ञ करने कि प्रथा प्रचलित है।

नाक में घी डालना

नाक में घी डालने के फायदे और लाभ

 Naak Mein Ghee Dalne Ke Fayde Aur Labh In Hindi

गाय का घी नाक बूँदें

1 त्रिदोष (Ghee Benefits For Tridosh In Hindi)

अगर आप गाय के घी की कुछ बूँदें दिन में तीन बार, नाक में प्रयोग करेंगे तो यह त्रिदोष (वात पित्त और कफ) को संतुलित करता है।

2 खुश्की (Ghee Benefits For Khushki In Hindi)

नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाता है।

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3 उच्च कोलेस्ट्रॉल (Ghee Benefits For Cholesterol In Hindi)

गाय का घी एक अच्छा (LDL) कोलेस्ट्रॉल है। उच्च कोलेस्ट्रॉल के रोगियों को गाय का घी ही खाना चाहिए। यह एक बहुत अच्छा टॉनिक भी है।

4 आँखों की ज्योति (Ghee Benefits For Eyes In Hindi)

एक चम्मच गाय का शुद्ध घी में एक चम्मच बूरा और 1/4 चम्मच पिसी काली मिर्च इन तीनों को मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय चाट कर ऊपर से गर्म मीठा दूध पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है।

5 कोमा (Ghee Benefits For Coma In Hindi)

गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लौट आती है।

6 सोरायसिस (Ghee Benefits For Psoriasis In Hindi)

गाय के घी को ठन्डे जल में फेंट ले और फिर घी को पानी से अलग कर ले यह प्रक्रिया लगभग सौ बार करे और इसमें थोड़ा सा कपूर डालकर मिला दें। इस विधि द्वारा प्राप्त घी एक असर कारक औषधि में परिवर्तित हो जाता है जिसे त्वचा सम्बन्धी हर चर्म रोगों में चमत्कारिक कि तरह से इस्तेमाल कर सकते है। यह सोरायसिस के लिए भी कारगर है।

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7 बाल झडना (Ghee Benefits For Hair In Hindi)

गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।

8 याददाश्त तेज (Ghee Benefits For Brain In Hindi)

गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।

9 कॉलेस्ट्रॉल (Ghee Benefits For Cholesterol In Hindi)

यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन भी नही बढ़ता, बल्कि वजन को संतुलित करता है । यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।

10 जलन (Ghee Benefits For Jalan In Hindi)

हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ठीक होता है।

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11 सर दर्द (Ghee Benefits For Headache In Hindi)

सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक हो जायेगा।

12 हिचकी (Ghee Benefits For Hiccups In Hindi)

हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी।

13 माइग्रेन (Ghee Benefits For Migraine In Hindi)

दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ठीक होता है।

14 एसिडिटी व कब्ज (Ghee Benefits For Acidity In Hindi)

गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।

15 सांप के काटने पर (Ghee Benefits For Snake Bite In Hindi)

सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।

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16 कफ की शिकायत (Ghee Benefits For Kaf Balgam In Hindi)

गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।

17 शारीरिक व मानसिक ताकत (Ghee Benefits For Physical & Mental In Hindi)

गाय के घी से बलबढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है।

18 बलगम (Ghee Benefits For Balgam In Hindi)

गाय के घी की झाती पर मालिस करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायक होता है।

19 कमजोरी (Ghee Benefits For Weakness In Hindi)

अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।

20 हथेली और पांव के तलवो में जलन (Ghee Benefits For Jalan In Hindi)

हथेली और पांव के तलवो में जलन होने पर गाय के घी की मालिश करने से जलन में आराम आयेगा।

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21 फफोले (Ghee Benefits For Phaphole In Hindi)

फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।

22 कैंसर (Ghee Benefits For Cancer In Hindi)

गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक  से बचा जा सकता है।

23 हार्ट अटैक (Ghee Benefits For Heart In Hindi)

जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, ह्रदय मज़बूत होता है।

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उंगलियों की सूजन को दूर करेंगे ये सरल और अचूक उपाय, 3 दिन में मिलेगा निश्चित लाभ

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घर में काम करते वक्त सुई से कुछ सीने-पिरोने पर या फिर चाक़ू छुरी से कुछ काटने पर गलती से कट जाने पर वहां शोथ की विकृति होती है और शोथ पकने के बाद वहां से पस निकलने लगता है या फिर किसी विषैले जीव-जंतु के काट लेने व डंक मारने पर भी उक्त भाग में शोथ होने पर पस बनने लगता है। उँगलियों के बीच उत्पन्न सडन की विकृति को अंगुली बेस्टक भी कहते है।

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उँगलियों में सूजन (Swelling)

वर्षा ऋतु में गंदे जल से, कीचड़ के कारण पांवो की उँगलियों के बीच अंगुली वेष्टक की विकृति बहुत देखी जाती है। नाख़ून के मूल में चोट लग जाने पर शोथ के कारण अंगुली वेष्टक हो जाता है। इसमें बहुत दर्द होता है। रोगी रात को भी सो नहीं पाता है और एलोपैथी में चिकित्सक सिर्फ आपरेशन की ही सलाह देते है। लेकिन आयुर्वेद में इसका इलाज है।

अंगुली वेष्टक की आयुर्वेद चिकित्सा-

  • टंकणामृत मलहम अंगुली वेष्टक का निवारण करता है।
  • गंधक रसायन एक या दो ग्राम की मात्रा में मंजिष्ठा क्वाथ के साथ सुबह-शाम सेवन करने से उँगलियों का शोथ नष्ट होता है ।
  • जत्यादि तेल लगाने से भी बहुत लाभ होता है।
  • अमृतादि गुग्गल की एक या दो गोली सुबह-शाम जल से सेवन करने से अंगुली वेष्टक नष्ट हो जाता है।
  • रस माणिक्य 60-150 मिलीग्राम त्रिफला चूर्ण व मधु मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने से अंगुली वेष्टक की विकृति का निवारण होता है ।
  • दशांग लेप या स्वर्ण क्षीरी लेप करने से लाभ होता है।
  • यशद भस्म 125 ग्राम मात्रा में एक बार सुबह, एक बार शाम को मधु मिलाकर चाटने से अँगुलियों के शोथ में काफी लाभ होता है।
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7 चमत्कारी पौधे जो हैं औषधीय गुणों से भरपूर, जानें किस रोग में कौन से पौधे का प्रयोग करना होगा फायदेमंद

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प्रकृति द्वारा उपलब्ध बहुत से पौधे हमारे आस-पास गार्डेन में या आस-पास मौजूद होते है परन्तु जानकारी के अभाव में हम लोग इन पौधो का लाभ उठा पाने से वंचित हो जाते है। एक प्रस्तुति है आपको जानकारी देने की कि कौन सा पौधा किस औषीधीय गुणों से भरपूर है। आइये जाने इन पौधों के बारे में-

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एलोवेरा

एलोवेरा का पौधा चित्र कुमारी, घृत कुमारी आदि नामों से भी जाना जाता है। यह गूदेदार और रसीला पौधा होता है ।एलोवेरा के रस को अमृत तुल्य बताया गया है। जानिए इसे आप अपनी किन शारीरिक समस्याओं के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

  • फोड़े-फुंसी पर भी यह गजब का असर करता है इसके अलावा मुहांसे, फटी एड़ियां, सन बर्न, आंखों के चारों ओर काले धब्बे को भी यह दूर करता है और इन सबके अलावा बवासीर, गठिया रोग, कब्ज और हृदय रोग तथा मोटापा आदि के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
  • Aloe vera इस्तेमाल आपको लंबे समय तक जवां बनाए रखता है इस पौधे का रस ही सबसे अहम हिस्सा है, जिसे एलो-जेल के नाम से जाना जाता है और इसे पीने से आप खुद को स्वस्थ और तरोजाता महसूस करेंगे।
  • सर्दी-खांसी में भी एलोवेरा रस औषधि का काम करता है इसके पत्ते को भूनकर रस निकाल लें और फिर इसका आधा चम्मच जूस एक कप गर्म पानी के साथ लेना फायदेमंद होता है।
  • वैसे तो Aloe vera रस बालों में लगाने से बाल काले,घने और नर्म रहते हैं लेकिन कहते हैं कि यह गंजेपन को भी दूर करने की ताकत रखता है।
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पत्थरचट्टा

यदि पेट में पथरी है तो ये पत्थरचट्टा का पौधा आपके काम आ सकता है। इसके दो पत्तों को अच्छी तरह से धोकर सुबह सवेरे खाली पेट गर्म पानी के साथ चबा के खाएं,एक हफ्ते के अन्दर पथरी को यह खत्म कर देता है। इसके बाद अल्ट्रासाउंड या सिटी स्कैन जरूर करा लें। पत्थरचट्टा के एक चम्मच रस में सौंठ का चूर्ण मिलाकर खिलाने से पेट दर्द से राहत मिलती है यह पथरी के अलावा सभी तरह के मूत्र रोग में भी लाभदायक होता है।

शंख-पुष्पी

पढ़ाई में कमजोर रहने वाले बच्चों के लिए शंखपुष्पी की पत्ती और तना का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लगातार इस्तेमाल से बच्चों की बुद्धि तीक्ष्ण और शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है। शंखपुष्पी को शक्तिशाली मस्तिष्क टॉनिक, प्राकृतिक स्मृति उत्तेजक और एक अच्छी दूर करने की औषधी माना गया है।

इसकी पत्तियों का इस्तेमाल अस्थमा के लिए किया जाता है। इसे अल्सर और दिल की बीमारी आदि के लिए भी बेहतरीन माना जाता है।

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अश्वगंधा

अश्वगंधा के पौधे में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो वजन घटाने, लकवा आदि से लड़ने में आपकी मदद करते हैं ये पौधे बुखार, संक्रमण और सूजन आदि शारीरिक समस्याओं के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। अश्वगंधा चाय पौधों की जड़ों और पत्तियों से बनी होती है। स्कूली बच्चों की याद्दाश्त को बढ़ाने में मदद करता है।

  • अश्वगंधा से शरीर मजबूत होता है तथा वजन कम करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है । प्लेग के लिए यह रामबाण औषधि है ।  इससे टूटी हड्डी को भी जोड़ा जाता है।
  • गर्भवती महिलाओं को भी इसके सेवन से फायदा होता है क्योंकि यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है । इसमें हार्ट अटैक के खतरे को कम करने की क्षमता मौजूद होती है । यह मधुमेह से ग्रसित लोगों में मोतियाबिंद जैसी समस्या पर भी लगाम लगाता है।
  • यहां तक कि अश्वगंधा के बारे में यहां तक कहा जाता है कि यह इसमें मौजूद ऐंटिऑक्सीडेंट कैंसर से लड़ने में भी मदद करता है। वैसे इसके इस्तेमाल के लिए पहले डॉक्टरी सलाह ले लेनी चाहिए। वैसे अश्वगंधा का प्रयोग किसी भी अन्य गंभीर बीमारी के उपचार से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
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चिरायता

चिरौता का रस जॉन्डिस जैसी बीमारियों से लड़ने की ताकत रखता है। इसकी पत्तियों और बीजों का काढ़ा बना लें। काढ़ा बनाने के लिए इसकी 50 ग्राम पत्ती को दो कप पानी में उबाल लें। जब यह पानी उबलकर आधी बचे तो इसका सेवन करें यह जॉन्डिस के असर को कम करता है। इसकी पत्तियां पीसकर यदि दाद-खाज, खुजली पर लगाया जाए तो काफी फायदा होता है।

नीम

नीम का पौधा काफी आक्सीजन उत्सर्जित करता है जिससे आस-पास की हवा शुद्ध रहती है। यदि देखा जाए तो नीम के फायदे अंतहीन हैं इसे ‘घर का डॉक्टर’ कहा जाए तो भी कुछ गलत नहीं होगा।

किसी तरह के त्वचा रोग से लड़ने में भी यह काफी मदद करता है।  यदि नहाते समय पानी में इसकी कुछ पत्तियों को मसलकर डाल दें और फिर इसी पानी से नहाएं तो आपको त्वचा का रोग जैसी बीमारियाँ नहीं होती।

यदि सर्दी-जुकाम हो तो इसकी पत्तियों को उबाल लें और इस पानी के भाप को सांस के जरिए अंदर लें आपको काफी आराम मिलेगा। नीम की पत्तियों को पीसकर चोट या मोच की जगह लगाने से काफी आराम मिलता है।

बुखार में भी इसकी पत्तियां काम आती हैं । एक कप पानी में नीम की 4-5 पत्तियां उबालकर पीना फायदेमंद होता है।

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तुलसी

औषधीय पौधों में तुलसी की सबसे ज्यादा अहमियत है इसमें रोग के कीटाणुओं को नष्ट करने की गजब की शक्ति पाई जाती है।

इसकी पत्तियों में अलग प्रकार का तेल मौजूद होता है । जो पत्तियों से निकलकर धीरे-धीरे हवा में फैलने लगता है।  इससे तुलसी के आस-पास की वायु हमेशा शुद्ध और कीटाणु मुक्त होती है और इस वायु के सम्पर्क में आने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है ।

तुलसी की पत्ती, तना और बीज गठिया, लकवा तथा वात दर्द में भी फायदेमंद होते हैं । हर सुबह खाली पेट तुलसी की पत्तियां खाने से रक्त विकार, वात, पित्त जैसी कई समस्याएं दूर होने लगती हैं ।  तुलसी का दांतों से नहीं चबाना चाहिए इसे निगल लेना चाहिए।

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2 मिनट का ये काम रख सकता है पेट के रोगों से आपको कोसों दूर, हफ्ते में 2 बार जरूर करें ये काम, पढ़ें और शेयर करें

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हमारे भारत-वर्ष में प्राचीन बहुत सी प्रथाए है लेकिन अज्ञानता वश हम उनके द्वारा होने वाले लाभों से आज भी उतने ही अनजान है नई पीढ़ी हमारे पुराने ज्ञान को अगर सही रूप से उसकी वैज्ञानिकता को समझ ले तो हम काफी रोगों से दूर रह सकते है हमारा एक छोटा सा प्रयास है कि हम कुछ इस प्रकार की चीजो से आपको अवगत कराये ।

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पेट की मालिश का प्रयोग हमारे यहां प्राचीन काल से चली आ रही है लेकिन इसके गुणों से आज भी बहुत लोग अनजान है पेट की मालिश हमें कई प्रकार के रोगों से मुक्त रखता है ये हमें पेट दर्द ,तनाव ,और होनेवाली पेट की खराबी से कोसो दूर रखता है यदि आप रोज न कर सके तो हफ्ते में दो बार अवश्य ही पेट की मालिश करे ।

पेट की मालिश या मसाज करने से पहले आप पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं तथा उसके बाद हाथों में तेल लगाएं और गोलाई में घुमाते हुए मसाज करें तीन से चार मिनट में 30 से 40 बार गोलाई में हाथो को घुमाते हुए मजाज करें दिमाग को पूरी तरह से शांत कर के अपना ध्‍यान मालिश में लगाएं हफ्ते भर में सिर्फ दो बार की जाने वाली यह 3-4 मिनटों की मसाज आपको कई पेट संबन्‍धित रोगों से छुटकारा दिलाएगी।

ये इसके फायदे है –

  • पेट पर मसाज करने से वहां की मासपेशियां टोन्‍ड हो जाती हैं तथा आपकी लटकती हुई कमर कुछ ही दिनों में शेप में आ जाती है इसके साथ टम्‍मी टाइट बन जाती है।
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  • पेट की मालिश करने से पेट चयापचय छमता बढ़ती है और पाचन शक्ति को बल मिलता है यह उन लोगों के लिये अच्‍छी हो सकती है जो लोग वेट कम करने की बहुत मेहनत करते हैं और उन्‍हें किसी भी चीज का कोई फायदा नहीं मिलता है।
  • ब्रोंकाइटिस में छाती और पीठ की, कब्ज में पेट की, सिरदर्द में सिर की और साइटिका में टांग की मालिश करने से रोगी को विशेष लाभ होता है।
  • जिन लोगो को खाना ठीक से हजम न होने की वजह से पेट फूलना और उसमें गैस बनने की समस्‍या मुख्य कारण होता है यकीन माने कि पेट की मालिश करने से पेट की गैस आराम से निकल जाती है और अपच भी नहीं होता है ।
  • पेट की मालिश करने से उस जगह का ब्‍लड सर्कुलेशन बढ़ जाता हैऔर इससे पेट की मासपेशियों को गर्माहट मिलती है जिससे आपको आराम मिलेगा तथा गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की सेहत में सुधार होगा नियमित रूप से पेट की मालिश करने पर आपको कभी भी पेट का कोई रोग नहीं होगा पेट फूलना, पेट में दर्द, गैस आदि सब ठीक हो जाएगी और पेट की मासपेशियां पूरी तरह से शक्ति शाली हो जाएंगी साथ ही अपच की समस्‍या भी दूर होगी।
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  • जिन लोगो को पेट कब्ज की शिकायत रहती है उनके लिए ये प्रयोग उनके जीवन में लाभदायक है धीरे-धीरे कुछ दिन बाद आप अनुभव करेगे कि आप कब्ज की बिमारी से मुक्त हो चुके है पेट का स्वस्थ रहना आपको अनेक रोगों से मुक्ति दिलाता है ।
  • यदि आप मालिश करते वक्‍त लौंग, लेवेंडर या दालचीनी का तेल प्रयोग करती है तो आपको पेडु के दर्द में अवश्य  अदभुत लाभ मिलेगा और आपका पीरियड भी नियमित रहेगा।

*नोट – अगर आप प्रेगनेंट हैं या किडनी स्‍टोन है या गॉलस्‍टोन या पेट में अल्‍सर तथा प्रजनन अंगों में सूजन या फिर आंतरिक रक्तस्राव हो रहा हो तो ध्यान रक्खे इस में मालिश न करें।

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दलिया : पौष्टिक भोजन होने के साथ साथ करता है रोगों से रक्षा, आज ही करें अपने नाश्ते में शामिल…

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दलिया एक पौष्टिक भोजन है। इसको अंग्रेज़ी में Oatmeal या ब्रोकन व्हीट कहते हैं। इसे गेंहू को दरदरा पीस कर बनाया जाता है। इसके सेवन से कई रोगों से बचे रहते हैं – जैसे मोटापा कंट्रोल रहता है, टाइप-2 डायबिटीज़ में लाभप्रद है, कॉर्डियोवैस्कुलर सिस्टम सही रखता है, ब्रेस्ट कैंसर से बचाता है, एनर्जी प्रदान करता है, पाचन में सहायक व हड्डियों को मज़बूती प्रदान करता है। दलिया खाने से पित्त की पथरी भी दूर होती है। इतने सारे रोगों से बचने के लिए आज से ही दलिया का सेवन करना शुरू कर दीजिए। आप चाहें तो दलिया को नमकीन या मीठी बनाकर खा सकते हैं।

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पोषक तत्व

दलिया में विटामिन, फ़ाइबर, प्रोटीन, मिनरल्स पोटैशियम, लोहा, फास्फोरस, कैल्शियम, आयोडीन और मैग्नीशियम आदि पोषक तत्व पाए जाते है। इसके सेवन से आप कई रोगों से बचे रहते हैं।

दलिया खाने के फ़ायदे

विषाक्त पदार्थों से रक्षा करें

दलिया में एंटी ऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो हानिकारक विषाक्त पदार्थों से शरीर की रक्षा करते हैं।

हीमोग्लोबिन की वृद्धि

दलिया आयरन का एक बहुत अच्छा स्रोत है। इसके नियमित सेवन से शरीर में हामोग्लोबिन की वृद्धि होती है।

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पाचन क्रिया में सहायक

1 कप दलिया में 2.5 ग्राम फ़ाइबर पाया जाता है, जो पाचन क्रिया को ठीक रखती है। दलिया में मौजूद अघुलनशील फ़ाइबर कब्ज़ से बचाता है और पाचन क्रिया को ठीक रखता है।

वज़न कम करें

दलिया को सबसे ज़्यादा लोग सुबह नाश्ते में खाना पसंद करते हैं, क्योंकि ये हल्का और सुपाच्य भोजन है जो वज़न कम करने के साथ साथ डायबिटीज़ के रोगियों की सेहत का भी ख़ास ख़याल रखता है। इसके थोड़ा सेवन से ही पेट भर जाता है जिससे आप ओवरइटिंग से बचे रहते हैं।

ब्रेस्ट कैंसर से बचाव

एक शोध के अनुसार गलत खान पान के कारण महिलाए सबसे ज़्यादा ब्रेस्ट कैंसर की समस्या से घिरने लगी हैं। साबुत अनाज जैसे दलिया में फ़ाइबर की पर्याप्त मात्रा होती है जिनके सेवन से ब्रेस्ट कैंसर जैसी समस्या से बच सकते हैं।

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टाइप-2 डायबिटीज़ में लाभप्रद

रोज़ाना दलिया खाने से टाइप-2 डायबिटीज़ रोग की संभावना को 30 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं।

एनर्जी प्रदान करें

दलिया में ज़रूरी पोषक तत्व जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फ़ाइबर विटामिन बी1, बी2, मिनरल्स, मैग्नीशियम, मैंगनीज़ आदि पाए जाता है। जो शरीर को ज़बरदस्त एनर्जी प्रदान करते हैं और कई सारे हानिकारक टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर बीमारियों से रक्षा करते हैं।

हड्डियों को मज़बूती प्रदान करें

कैल्शियम और मैग्नीशियम से भरपूर दलिया हड्डियों को मज़बूत बनाती है।

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जानें आहार और सेहत से जुड़ी गलत धारणाओं के पीछे के सच…..

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हमारे समाज में सदियों से खानपान से जुड़ी ग़लत धारणाएं चलन में बनी हुई हैं और यह धारणाएं पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती रहती हैं। लेकिन इन धारणाओं की तह में जाएं तो यह पता चलता है कि इनमें से तो कुछ सच और कुछ झूठ हैं। चूँकि कुछ बातें हमारे आहार और सेहत से जुड़ी हैं तो इनके पीछे का सच भी जानना ज़रूरी है ताकि हम सब स्वस्थ और हेल्दी बने रहें।

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खानपान से जुड़ी धारणाएँ-

फलों के छिलके

सेब, अमरुद और नाशपाती जैसे फलों के छिलके में पौष्टिक तत्वों का राज छिपा है, इसलिए इन फलों को बिना छीले अर्थात्‌ छिलके के साथ सेवन करना चाहिए। कुछ फलों के छिलकों में विटामिन और खनिज होता है तथा इसके साथ साथ इसमें सेलूलोज़ भी उपस्थित होता है। सेलूलोज़ हमारी पाचन प्रणाली और शारीरिक स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव डालता है। इससे कब्ज़ की शिक़ायत भी दूर रहती है। यह एक प्राकृतिक रेशा ब्लड कोलेस्ट्रॉल और ब्लड ग्लूकोज़ को नियंत्रित करने में सहायक है। इसलिए जब भी फलों का सेवन करे छिलके के साथ करें।

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चावल से माड़ निकालना

चावल बनाने से पहले उन्हें अधिक पानी से धोने से उनकी थायमिन और निकोटिनिक एसिड की मात्रा घट जाती है। ये दोनों तत्व विटामिन बी समूह से सम्बंधित हैं। जिनकी पूर्ति के लिए आप लोग कई महंगे कैप्सूल का उपयोग करते हैं। अगर चावल बनाते समय इनका माड़ न निकाला जाएं तो आपको इनके लिए महंगे कैप्सूल की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। अधिकांश महिलाएं चावल पकाने पर माड़ निकाल कर फेंक देती हैं। ताकि चवाल साफ़ और खिले हुए दिखें। ऐसा करने से चावल में पाएं जाने वाले विटामिन और खनिज तत्व नष्ट हो जाते हैं। इसलिए चावल धोते समय कम से कम पानी का इस्तेमाल करें।

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अत: चावल पकाते समय ये सावधानियाँ बरतें –

  • चावल के पौष्टिक गुण कम न हो इसके लिए माड़ निकालने की आदत छोड़ दें।
  • चावल धोते समय कम से कम पानी का प्रयोग करें।
  • चावल उबालते समय बरतन में उतना ही पानी डालें जितने पानी में चावल पककर समा जाए।

मीठा सोडा और गुड़

अक्सर दाल को जल्दी पकाने के लिए महिलाएं मीठे सोडे का इस्तेमाल करती हैं लेकिन इसका प्रयोग करना उचित नहीं क्योंकि इससे दाल की पौष्टिकता घट जाती है। मीठा सोडा दाल में उपस्थित विटामिनों से रासनायिक प्रतिक्रिया करके उन्हें नष्ट कर देता है। इसी तरह दूध में गुड़ डालकर देर तक उबालने से दूध के पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं और दूध में उपस्थित प्रोटीन की उपयोगी मात्रा घट जाती है। अत: खानपान से जुड़ी इस आदत को बदल डालिए।

सब्ज़ियां काटना और धोना

बहुत सी महिलाएं समय और सुविधा के कारण सब्ज़ियां पहले से काटकर रख लेती हैं। इससे सब्ज़ी में उपस्थित विटामिन सी का ऑक्सीकरण हो जाता है और यह नष्ट हो जाता है। इस स्थिति से बचने के लिए पहले तो सब्ज़ी के छोटे छोटे टुकड़े करने के बजाय बड़े बड़े टुकड़े काट लें। दूसरा उसे तब काटें जब उसे पकाना हो। तीसरा उसे पकाने के लिए उसमें कम से कम पानी डालें। चौथा उसे बहुत देर तक न पकाएं और पकाते ही आंच से उतार लें।

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आज से और अभी से खानपान से जुड़ी इन महत्वपूर्ण बातों का विशेष ध्यान रखें ताकि भोजन बनाते समय आपको सभी पौष्टिक तत्व प्राप्त हों। ताकि आप और आपका परिवार हेल्दी रहे।

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खानपान से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें जिन्हें नजरअंदाज करना हो सकता है आपके लिए हानिकारक

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अक्सर सही ज्ञान के अभाव में हम लोग उन चीज़ों का प्रयोग करने लगते हैं जो स्वास्थ्य और सेहत की दृष्टि से बिलकुल भी सही नहीं हैं। इसलिए ज़रूरी है कि दैनिक खानपान से जुड़ी इन महत्वपूर्ण बातों की जानकारी हो, ताकि हम और हमारे आस पास के लोग स्वस्थ और सेहतमंद रहें। इस जानकारी को आप ध्यान से पढ़िए और मन में बैठा लीजिए ताकि आप स्वास्थ्य के प्रति सदैव सजग रहे हैं और किसी प्रकार की कोई ग़लती न करें।

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दैनिक खानपान से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें-

ख़ालिस दूध और सप्रेटा

अक्सर लोग सोचते हैं कि ख़ालिस दूध सप्रेटा दूध से अधिक स्वास्थ्यवर्धक होता हैं। पर यह सच नहीं हैं क्योंकि सप्रेटा दूध में प्रोटीन और कैल्शियम की मात्रा शुद्ध दूध से ज़रा भी कम नहीं होती है। बस अंतर सिर्फ़ इतना सा है कि शुद्ध दूध में मलाई होती है और सप्रेटा में नहीं होती है। अगर स्वास्थ्य की दृष्टि से देखें तो सप्रेटा दूध ही वयस्क व्यक्तियों के लिए अधिक स्वास्थप्रद होता है। सप्रेटा दूध के सेवन से शरीर में चर्बी और कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता और प्रोटीन की पूर्ति भी हो जाती है। इसलिए दैनिक खानपान में सप्रेटा दूध का इस्तेमाल करें और स्वस्थ रहें।

कढ़ाही में बचा तेल

अक्सर महिलाएं खाना बनाने का तेल का इस्तेमाल करती हैं, उसके बच जाने पर वो उसका दोबारा इस्तेमाल करने लगती हैं, जो किसी के भी स्वास्थ्य के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं होता है। क्योंकि वनस्पति तेल को कढ़ाही में बार बार चढ़ाने से उस की रासायनिक संरचना में बदलाव आ जाता है और हाइड्रोजनीकरण होने से बहुअसंतृप्त वसीय अम्ल ट्रांस वसीय अम्लों में बदल जाता है। जिससे स्वास्थ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ट्रांस वसीय अम्ल एल डी एल कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं और धमनियों में चर्बी जमने की प्रक्रिया को बढ़ावा देते हैं।

यही संकट वनस्पति तेल में तले हुए पकवानों को बारबार गरम करने से भी होता है। यह बहुअसंतृप्त वसा को हाइड्रोजनीकरण हो जाता है जिससे यह हानिकारक संतृप्त वसा और फ्री रेडिकल में तबदील हो जाता है। इनसे हृदय और धमनियों पर तो बुरा असर पड़ता ही है। स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता है। इसलिए दैनिक खानपान में भोजन को तलने के बजाय उन्हें पकाकर या उबाल कर इस्तेमाल करें, ताकि आप स्वस्थ और हेल्दी रहें।

  सुबह पेट साफ करने और कब्ज़ को जड़ से ख़त्म करने के सबसे असरदार उपाय 

भोज्य पदार्थों के पौष्टिक गुण

कुछ खाद्य पदार्थ जैसे कि दाल को अंकुरित करना, व्यंजन बनाने से पहले खमीर उठाना इन तरीकों का प्रयोग करने से भोजन में पौष्टिक तत्व और विटामिन की मात्रा कई गुना अधिक बढ़ जाती है। ठीक इसी प्रकार दाल सब्ज़ी चढ़ाने से पहले अमचूर और दूसरे अम्लीय पदार्थ डालने से पदार्थ के विटामिन नष्ट होने से बच जाते हैं। इसलिए दैनिक खानपान के लिए भोजन बनाते समय इन तरीकों का इस्तेमाल ज़रूर करें, ताकि आप एक हेल्दी और स्वास्थप्रद आहार ले सकें।

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स्वास्थ्य से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों से आप ख़ुद भी लाभान्वित हो और दूसरों को भी लाभान्वित करें। जिससे पूरा समाज सदैव स्वस्थ और सेहतमंद रहे।

■  रोजना दूध में इसे डालकर पीने से कब्ज खत्म, पेट की चर्बी गलाएँ, गैस मिटाएँ, आँखों की रोशनी बढ़ाएँ

थायराइड असंतुलित होने पर दिखने लगते हैं ये लक्षण, इन लक्षणों को पहचाने और समय पर कराएं अपना इलाज

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थायरॉइड असंतुलन एक गम्भीर बीमारी है जिसके लक्षण धीरे-धीरे नज़र आते हैं। हम भोजन के रूप में जो भी ग्रहण करते हैं थायरॉइड ग्रंथि उसे शरीर के लिए उपयोगी ऊर्जा में बदल देती है और इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका थायरॉइड हार्मोन की होती है। थायरॉइड ग्रंथि से दो प्रकार के हार्मोन निकलते हैं। थायरॉक्सिन टी-4 में चार आयोडीन और ट्राईआयोडोथाइरीन टी-3 में तीन आयोडीन होते हैं। टी-4 ज़रूरत के अनुसार, टी-3 में बदल जाते हैं। यहाँ तक तो सब ठीक है लेकिन समस्या तब होती हैं जब यह ग्रंथि ठीक ढंग से काम नहीं करती। थायरॉइड असंतुलित होने पर व्यक्ति को थकान, कमज़ोरी, त्वचा का रुखा होना, बाल झड़ना, हाथ-पांव का ठंडे रहना, वज़न का बढ़ना, डिप्रेशन का शिकार होना, कब्ज़, अनिद्रा, याददाश्त का कमज़ोर आदि समस्‍याएं होती हैं और इन समस्याओं के कारण मानव का स्वाभाव भी चिड़चिड़ा हो जाता है।

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  कब्ज का है ये अद्भुत उपाय पहले ही प्रयोग में दिखेगा फर्क, जरूर अपनाएँ और शेयर करे

थायरॉइड असंतुलित होने के लक्षण

आज हम आपको थायरॉइड रोग के ऐसे लक्षण बताने जा रहे हैं। जिनकी जानकारी से आप यह जान सकेंगे कि आपका थायरॉइड ठीक से काम कर रहा या नहीं।

मांसपेशियों और जोड़ो में दर्द होना

थायरॉइड रोग होने पर मांसपेशियों व जोड़ो में दर्द बना रहता है और इस कारण से शरीर को अधिक थकान व कमज़ोरी भी लगने लगती हैं।

बाल झड़ना

थायरॉइड असंतुलित होने पर बाल अधिक झड़ने लगते हैं और व्यक्ति गंजेपन का शिकार होने लगता हैं।

याद्दाश्त का कमज़ोर होना

थायरॉइड रोग के कारण व्‍यक्ति की याद्दाश्‍त कमज़ोर होने लगती है जो उसके सोचने समझने की शक्ति को भी क्षीण कर देती है, क्योंकि इसका असर व्यक्ति के सीधे दिमाग़ पर पड़ता है।

■  थायरॉइड का पक्का इलाज जिसे बताया है महर्षि चरक ने चरक संहिता में, एक बार जरूर पढ़ें

हाथ – पांव ठंडे बने रहना

थायरॉइड रोग होने पर हाथ पांव ठंडे बने रहते हैं। जबकि मानव शरीर का तापमान सामान्य रहता हैं फिर भी हाथ पांव ठंडे बने रहते हैं।

कब्ज़ की शिक़ायत होना

थायरॉइड रोग के कारण कब्ज़ की शिक़ायत बनी रहती है। जिससे खाना पचाने में दिक्कत होती हैं, जिससे शरीर के वज़न पर भी असर पड़ता है।

थकान का एहसास होना

थायरॉइड असंतुलित होने पर व्‍यक्ति बहुत जल्दी थक जाता है और शरीर थकान का अनुभव करता है। शरीर आलसी व सुस्त बना रहता हैं।

त्वचा का शुष्क व रुखा होना

थाइराइड असंतुलन के कारण मानव शरीर की त्वचा रूखी सूखी व बेजान होने लगती है क्योंकि त्वचा के ऊपरी हिस्से के सेल्स की क्षति होने लगती है। जिस कारण से त्वचा रूखी-सूखी व शुष्क सी हो जाती है।

■  रोज सुबह इसके सेवन से शारीरिक कमज़ोरी ख़त्म, खून बढ़ेगा, हाथ-पैरों की जलन, झुर्रियों को मिटा त्वचा..

शरीर में ऊर्जा का असमान्य स्‍तर

थायरॉइड की समस्‍या होने पर शरीर में ऊर्जा का असामान्य स्‍तर रहता है। जिस कारण से कभी कभी शरीर बेहद एक्टिव रहता है, परन्तु कुछ ही पल में शरीर बेहद सुस्त भी हो जाता है। कभी कभी शरीर बेहद थकान को महसूस करता है। थकान तथा नींद न पूरी होने के कारण मानव स्वाभाव बेहद चिड़चिड़ा हो जाता है।

डिप्रेशन के शिकार होना

जब थायरॉइड ग्रंथि शरीर में ज़रूरत से ज़्यादा मात्रा में होने लगती है तो यह थायरॉइड हार्मोन का निर्माण करती है जिसके कारण व्यक्ति तनाव या डिप्रेशन का शिकार होने लगता हैं।

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वज़न में बदलाव

थायरॉइड असंतुलित होने पर वजन या तो तेज़ी से बढ़ता है या तेज़ी से घटने लगता है। जिससे वज़न अनियंत्रित रहता है।

“तो थायरॉइड असंतुलन के लक्षणों को जानकर इस जानकारी को अपने परिवारजनों और मित्रों को शेयर करें ताकि इस जानकारी के द्वारा लोग इस रोग के लक्षणों को पहचान सकें और सही समय पर इसका उपचार करा कर, स्वस्थ रह सकें।”

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