शरीर के अंदरूनी अंगो पर होती है,खुजली दाद/खाज, रात को लगाकर सो जाओ 1 चीज,infection |Daad khaj khujli

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जाँघों के नीचे रैश होना कोई बीमारी नहीं बल्कि एक साइड इफ़ेक्ट है। त्वचा के लाल होने तथा उसमें जलन या खुजली होने की समस्या को ही रैश कहते हैं। रैश कहीं भी हो सकते हैं पर यहां हम जाँघों के रैश की ही बात करेंगे।

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जाँघों के रैश किसी भी वजह से हो सकते हैं चाहे वो पसीना आने की वजह से हो या अन्य कोई संक्रमण। मोटे लोगों को उनके जांघें सटाकर चलने की वजह से वहाँ रैशेस हो सकते हैं। जैसे ही आपको यह समस्या हो, तुरंत किसी त्वचा विशेषज्ञ से संपर्क करें और उनसे बिना पूछे कोई क्रीम, दवाई या लोशन न लगाएं। सिंथेटिक कपडे पहनना छोड़कर सूती के कपडे पहनें।

रैशेस होने के प्रमुख कारण

Causes for inner thigh rashes

जांघ पर चकत्ते, ज़्यादा पसीना आना (Excess heat from sweat)

ज़्यादा गर्मी और पसीने की वजह से पसीने की ग्रन्थियां ब्लॉक हो जाती हैं। इसकी वजह से खुजली होती है जो जलन का कारण भी बन सकती है। इस समस्या के कारण भी रैशेस हो सकते हैं। क्योंकि ये ऐसे भाग पर होते हैं जो भाग मुड़ता है अतः इन रैशेस की अनदेखी भी नहीं की जा सकती। इन रैशेस के कई कारण होते हैं जैसे पसीना, गलत कपडे पहनना और खराब लोशन या क्रीम लगाना।

जॉगिंग और साइकिलिंग (Jogging and cycling)

कुछ शारीरिक क्रियाएँ ऐसी होती हैं जिनके बाद रैशेस का खतरा बना रहता है जैसे कि जॉगिंग और साइकिलिंग। इन क्रियाओं के दौरान आपकी जाँघों या कपड़ों के बीच घर्षण उत्पन्न होता रहता है जिससे कि रैशेस होते हैं। उमस और गर्मी भी रैशेस का मुख्य कारण हैं।घर्षण से आपकी त्वचा कट भी सकती है जिससे बाद में इन्फेक्शन का डर रहता है।

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जांघ पर चकत्ते डायपर से (Diaper se twacha par chatke)

सिर्फ बड़ों ही नहीं बल्कि बच्चों को भी जाँघों में रशेस की शिकायत रहती है जिसका मुख्य कारण डायपर का अत्याधिक इस्तेमाल है। नवजात शिशु या बिलकुल छोटे बच्चे को डायपर ना पहनाएं क्योंकि उनकी त्वचा काफी नाज़ुक होने की वजह से रैशेस की समस्या उत्पन्न हो सकती है। बच्चों के डायपर सही समय पर ना बदलने से उनकी जाँघों के लम्बे समय तक मल मूत्र के संपर्क में रहने के कारण जाँघों में रैशेस हो सकती है।

भीतरी जांघ पर चकत्ते फंगल इन्फेक्शन से (Fungal infection)

फंगस से संक्रमण की वजह से भी रैशेस का होना आम बात है। फंगस त्वचा में आने पर खुजली पैदा करते हैं और इस वजह से त्वचा में जलन और कटने छिलने की समस्या होती है और इन रैशेस से पस भी निकल सकता है। लाल रंग के रैशेस जो कि उभार लिए हुए होते हैं, काफी खतरनाक होते हैं।

अगर कभी किसी स्थिति में जाँघों का भाग किसी गम्भीर और संवेदनशील तत्व के संपर्क में आ जाए, तो इसके फलस्वरूप भी रैशेस हो सकते हैं। कांटेक्ट डर्मिटाइटिस (contact dermatitis) या त्वचा की जलन का मुख्य कारण ऐसी किसी चीज़ के संपर्क में आना होता है, जो आपकी त्वचा के लिए काफी संवेदनशील होता है। इनमें मुख्य है शावरिंग क्लींजर, शावर जेल या अंतर्वस्त्रों को धोने वाला क्लींजर (showering cleanser, shower gel or cleanser)। ऐसा तब भी हो सकता है, जब दोनों जांघें आपस में रगड़ खाती हैं। ऐसा तैलीय जाँघों वाले मनुष्य की स्थिति में काफी सामान्य होता है। जाँघों के अंदरूनी भाग के रगड़ खाने से जलन होती है, जिसे इंटरट्रिगो (intertrigo) कहते हैं। इसके अंतर्गत त्वचा लाल हो जाती है।

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त्वचा के चकत्ते (स्किन रैशेस) ठीक करने के घरेलू उपचार

जाँघों के अंदरूनी भाग में रैशेस कुछ जड़ीबूटियों जैसे टोक्सिन ओक या आइवी (toxin oak or ivy) में पाए जाने वाले विषैले तत्व की वजह से, या फिर कीड़े के काटने से भी हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर टिक (tick) के काटने से लाइम सिकनेस (lyme sickness) हो सकता है, जिसके अंतर्गत एक गोल सा घाव उभरता है और इसके बाद रैशेस में परिणत हो जाता है। रॉकी माउंटेन स्पॉटेड फीवर (rocky mountain spotted fever) जैसा रोग भी हाथों और जाँघों के अंदरूनी भाग में रैशेस उत्पन्न कर सकता है।

कुछ गम्भीर रूप से शंकाग्रस्त चीज़ों से भी जाँघों के अंदरूनी भाग में रैशेस उत्पन्न हो सकते हैं। वैसे तो इन शंकाग्रस्त चीज़ों के बारे में जानना काफी कठिनाई भरा काम है, ऐसी कुछ सामान्य चीज़ों में मुख्य हैं अवोकेडो, शेल्ड नट, शेलफिश, स्ट्रॉबेरी (avocado, shelled nut, shellfish, strawberry)। इनके सेवन से जाँघों के अंदरूनी भाग में रैशेस की समस्या उत्पन्न हो जाती है। ज़्यादातर मामलों में इन पदार्थों के प्रति शरीर की प्रक्रिया को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन कुछ गम्भीर मामलों में ये काफी खतरनाक हो सकता है और इससे प्रभावित व्यक्ति को त्वचा, किडनी (kidney), हाज़मे के अंग, जोड़ों और दिल की काफी गम्भीर बीमारियों से जूझना पड़ता है। ऐसी स्थिति में काफी मात्रा में पसीना निकलने, मतली होने और सांस लेने में समस्या जैसी परेशानियां हो जाती हैं।

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शंकाग्रस्त हानिकारक पदार्थों और रसायनों के अलावा ऐसी कई अन्य समस्याएं भी होती हैं, जिनकी वजह से जाँघों के भीतरी भाग में रैशेस की परेशानी सामने आती है। सोराइसिस, इम्पेटिगो (psoriasis, impetigo) और त्वचा की जलन आदि कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जिनके फलस्वरूप रैशेस और त्वचा की परेशानी पैदा होती है। सोराइसिस से ग्रस्त मरीजों में जाँघों के अंदरूनी भाग में रैशेस होने की समस्या सामने आती है।

जाँघों के रैशेस को ठीक करने के घरेलू नुस्खे

Home remedies for inner thigh rashes

तुलसी का प्रयोग (Basil for Skin Rashes in Hindi)

भीतरी जांघों में रैश की समस्या के उपचार में तुलसी का प्रयोग एक प्राकृतिक उपाय है. त्वचा सम्बन्धी रोगों के निवारण में तुलसी के विलक्षण गुण उभर कर सामने आते हैं जो लगभग हर प्रकार की स्किन समस्या में लाभ पहुंचाता है. तुलसी की ताजा पत्तियों को काले नमक के साथ पीसकर प्रभावित हिस्से में लेप की तरह लगा लें. इससे स्किन में रैश की समस्या ठीक हो जाती है.

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जांघों और स्किन रैश के घरेलू नुस्खे (Vitamin E oil for skin rashes in Hindi)

अक्सर गर्मियों में पसीने की वजह से भी शरीर के अंदरूनी हिस्सों में पसीना आता है और यह बाद में रैश का रूप ले लेता है. रैश की वजह से त्वचा में जलन और खुजलाहट भी होती है, पसीने की वजह से और त्वचा के बीच घर्षण होने के कारण रैश हो जाते हैं. इस जगह पर विटामिन ई ऑइल लगा कर रखें, इससे रैश में राहत मिलेगी.

भीतरी जांघ पर चकत्ते के लिए सफ़ेद सिरका (White vinegar)

4:1 के अनुपात में पानी और सिरके का मिश्रण तैयार करें। पानी को इतना गरम करें कि आपकी त्वचा पर प्रयोग किया जा सके। इस मिश्रण में कॉटन बॉल डुबोएं और रैशेस वाले स्थान पर लगाएं। इस प्रक्रिया को दिन में 2 से 3 बार करने से फंगस पूरी तरह साफ हो जाएगा।

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खुजली को ठीक करने के घरेलू नुस्खे

एलोवेरा (Aloe Vera to treat inner thigh rashes)

एलोवेरा में त्वचा को ठंडक देने के गुण हैं और इससे रैशेस पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। आप भांति भांति के साबुनों और क्रीम वगैरह में एलोवेरा का मिश्रण पा सकते हैं। एलोवेरा का पत्ता तोड़ें और उसमें से जेल जैसा तरल पदार्थ निकालें। इस जेल को रैशेस पर लगाने से काफी आराम मिलेगा।

जांघ पर चकत्ते के लिए नारियल का तेल (Coconut oil for thigh rashes)

नारियल तेल रैशेस दूर करने का एक और कुदरती एवं असरदार नुस्खा है। 1 चम्मच नारियल का तेल लें और उसे जाँघों पर हुए रैशेस पर लगाएं। इसको लगाने के बाद आपको शीघ्र आराम मिलेगा।

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भीतरी जांघ पर चकत्ते के लिए टी ट्री आयल (Tea tree oil se rashes ka ilaj)

◘  जॉक इतच् या जाँघों के पास खुजली होने पर टी ट्री आयल सबसे बेहतरीन विकल्प है। यह काफी सौम्य होता है अतः इसका त्वचा पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल तत्व हैं जो किसी भी संक्रमण से आपकी रक्षा करते हैं। रैशेस वाले भाग पर 4 से 5 बूँदें इस तेल की लगाइए और फर्क अपने आप पता चलेगा।

◘  एस्कॉर्बिक हर्ष करोसिव (ascorbic harsh corrosive) में घाव को जल्दी भरने के गुण होते हैं। यह जाँघों के दाग हटाने वाले अन्य तत्वों में मौजूद कैंसर के तत्वों की रोकथाम में काफी कारगर होता है। विटामिन सी की गोलियों (vitamin C pills) से भी प्रभावित जगह की जलन को आसानी से दूर किया जा सकता है।

◘  कैमोमाइल की चाय (chamomile tea) से जाँघों के अंदरूनी भाग को धोने से इनमें होने वाली जलन में काफी कमी आती है, और इससे रैशेस को ठीक करने में हमें काफी मदद मिलती है।

◘  ओट्स (oats) से स्नान करने से भी जाँघों के रैशेस से छुटकारा मिल जाता है। एक गिलास ओट्स (पकी हुई ना होना ज़्यादा लाभदायक) नहाने के गर्म पानी में डालें और इससे स्नान करें।

त्वचा की देखभाल के लिए बेकिंग सोडा के उपयोग

◘  फलों के अंश से प्राप्त सिरका शरीर की शंकाग्रस्त परेशानियों, खासकर जाँघों के निचले भाग में हुए रैशेस को ठीक करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक चम्मच फलों के सिरके और नेक्टर (nectar) का मिश्रण करें और इसका सेवन दिन में 3 बार करें।

◘  जाँघों के अंदरूनी भागों के रैशेस को ठीक करने की सबसे बेहतरीन युक्ति के रूप में विटामिन इ की क्रीम और कोड लिवर (vitamin E (as cream) and cod liver) का मिश्रण करें और इसका प्रयोग प्रभावित भागों पर करें।

◘  जैतून का तेल (olive oil) प्रभावित जगह का उपचार करता है और रैशेस के लालपन को काफी कम कर देता है।

◘  नीम, मुलैठी और तुलसी के मिश्रण का प्रभावित भागों पर प्रयोग करने से उस जगह का विष निकल जाता है। इससे जाँघों के अंदरूनी भागों के रैशेस काफी कम हो जाते हैं।

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