चिंता से ग्रस्त रहने वाले लोगों के लिए अमृत है यह जड़ीबूटी, चिंता से मुक्ति दिलाकर दिमाग को करेगी शांत

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धीरे-धीरे हमारे देश में लोग डिप्रेशन को लेकर सजग हो रहे हैं और लोग इससे बचने के लिए आवश्यक कदम भी उठा रहे हैं। लेकिन फिर भी चिंता (बेचैनी) के प्रति लोगों को सचेत करने की ज़रूरत है। जहां हमारे देश में इस समस्या के पीड़ितों की संख्या का ठीक-ठीक अंदाजा नहीं लगाया जा सका है वहीं स्टडीज के मुताबिक अमेरिका में इस समस्या की संभावना 30 प्रतिशत से अधिक है।

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चिंता या बेचैनी की समस्या आपके दैनिक जीवन को भी प्रभावित करती है और इसका असर आपके कामकाज पर पड़ता है। इस डिसऑर्डर के कई प्रकार हैं जैसे-सामाजिक चिंता, सामान्य चिंता विकार और घबराहट। कई दिनों तक चिंता की समस्या आपकी सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।

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स्टडीज और रिसर्च में आयुर्वेदिक औषधी अश्वगंधा को इस समस्या में लोगों को राहत देने के लिहाज से बहुत उपयोगी पाया गया है। यह चिंता से मुक्ति दिलाकर दिमाग को शांत करता है। अश्वगंधा को इंडियन जिनसेंग भी कहा जाता है। आयुर्वेदिक तरीके से उपचार करने वाले सदियों से अश्वगंधा का इस्तेमाल बुखार और सूजन जैसी समस्याओं के निवारण के लिए करते रहे हैं। सिर्फ स्ट्रेस कम करने के लिए ही नहीं अश्वगंधा वेट लॉस में भी मदद करता है।

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अश्वगंधा का अर्थ है अश्व या घोड़े की गंध। यह संस्कृत भाषा का शब्द है और इसे यह नाम, अश्वगंधा का सेवन करनेवालों को घोड़े-सी शक्ति और स्फूर्ति प्रदान करने के कारण प्राप्त हुआ है। जर्नल ऑफ अल्टर्नेटिव एंड कॉम्प्लीमेंट्री मेडीसिन  में 2014 में छपी एक स्टडी के मुताबिक(जो पांच लोगों पर आधारित थी और इन सभी को बेचैनी और चिंता से मुक्ति दिलाने के लिए अश्वगंधा का सेवन करने के लिए कहा गया।) अश्वगंधा बिना किसी साइड-इफेक्ट के इन समस्याओं का निवारण कर रही थी।

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अश्वगंधा दिमाग में कॉर्टिसॉल हार्मोन्स के स्तर को सामान्य बनाती है जो तनाव बढ़ाते हैं। किसी तनावभरी स्थिति में ये हार्मान्स सक्रिय होकर थकान, कमज़ोरी बढ़ाते हैं और एकाग्रता भंग करते हैं। अगर आप भी चिंतित हैं तो किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से बात करें और अपने लिए अश्वगंधा की सही मात्रा का पता लगाएं। लेकिन अगर आप पहले से कोई दवा खा रहे हैं तो भी बिना डॉक्टर की सलाह के कोई नयी दवा न खाएं।

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