इस एक प्रक्रिया से दूर होगी मोतियाबिंद की परेशानी, नहीं पड़ेगी सर्जरी की जरूरत

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वृद्धावस्था

वृद्धावस्था की विभिन्न समस्या में से एक है मोतियाबिंद की परेशानी। यह आंखों का वो रोग है जिसमें पीड़ित को दिखाई देने में समस्या आने लगती है, चीजें धुंधली दिखाई देने लगती हैं और साथ ही साथ उनका आकार भी समझ नहीं आता।

मोतियाबिंद का दर्द

यह समस्या अनुवांशिक भी हो सकती है और आसपास का वातावरण भी इसका कारण बन सकता है। मोतियाबिंद का दर्द वही समझ सकता है जो इससे जूझ रहा है। ऐसा माना जाता रहा है कि सर्जरी ही मोतियाबिंद का एकमात्र उपचार है। बिना सर्जरी के इसे ठीक नहीं किया जा सकता। लेकिन क्या यह पूरा सच है?

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सर्जरी

आज हम आपको सर्जरी के अलावा मोतियाबिंद की उस दवा के बारे में बताएंगे जो आप घर में भी बना सकते हैं।

दवा

खदान का फेरस सल्फेट (हरा तूतिया) 2 तोला लेकर उसे को बारीक पीस लें और उसको एक घंटा आक के 50 ग्राम दूध में दूध मे अच्छी तरह मिलाएं। इसके बाद इसे सुखाने के लिए रख दें। इसे सूखने के बाद फिर 50 ग्राम दूध मिलाएं। ऐसा प्रयोग 100 बार दोहराएं।

सुरमा

निश्चित तौर पर यह काम मेहनत भरा है लेकिन इसके फायदे आपको जीवनभर याद रहेंगे। सौ बार पूरा होने के बाद इसमें गाय का शुद्ध घी मिलाएं और फिर एक बार अच्छी तरह घोंटें। जब मरहम जैसा बन जाए तो रुई लेकर एक बत्ती बनाएं और उस मरहम को एक मिट्टी के दीये में डालकर जलाएं। इसे कुछ इस तरह ढक दें कि धुआं बाहर ना आने पाएं।

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धुआं

सारा धुआं उस मिट्टी के बर्तन में इकट्ठा हो जाएगा तब उस धुएं से जो सुरमा बना है उसे एक डिब्बी में भरकर रख दें। ये सुरमा ही समाप्त करेगा आपकी मोतियाबिंद की परेशानी।

प्रक्रिया

अब बात करते हैं इस सुरमे को लगाने की विधि की। इस दवा रूपी सुरमे की आधी रत्ती मोतियाबिंद के मरीज की आंख में डालें और फिर अरंड का पत्ता आंखों पर बांढ दें। अगर अरंड का ना मिले तो पान के पत्ते से भी काम चला सकते हैं। तीन घंटे तक पत्ता बंधा रहने दें, इसके बाद आंख खोलें। ऐसा आपको दिन में चार बार करना है और भी 2-3 घंटे के अंतराल के बाद।

ख़ास ध्यान

जब आप अगले दिन अपनी आंख खोलेंगे तो दुनिया आपको स्पष्ट और एकदम साफ नजर आएगी। लेकिन एक बात का ध्यान रखें, ये प्रक्रिया आपको बंद कमरे में ही करनी चाहिए, जहां कोई धूल, मिट्टी या तेज रोशनी ना मौजूद हो। जिस दिन यह प्रक्रिया पूर्ण हो उस दिन आपको सोना नहीं है।

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