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ॐ है हर रोग का इलाज़, जानें ओम के उच्चारण से होने वाले स्वास्थ्य लाभ….

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ॐ om aum ke fayde aur labh in hindi

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मेडिटेशन से होने वाले फायदों के बारे में हम सभी जानते हैं, रोजाना मेडिटेशन से हमारे अंदर से नकारात्‍मकता दूर होती है और यह हमारे जीवन को सकारात्‍मकता की ओर ले जाता है। यानी मेडिटेशन से हमें मानसिक शांति का अनुभव होता है। लेकिन क्‍या आप ओम (ॐ) मेडिटेशन के बारे में जानते हैं। ॐ मेडिटेशन को मंत्र मेडिटेशन के रूप में जाना जाता है। ओम के उच्चारण से हमारे अन्दर सकारात्मकता आती है। यह हमारे अन्दर के सारे विषैले तत्वों को दूर करता है। आइए जानें ओम मेडिटेशन क्‍या है, इसे कैसे करना चाहिए और क्या हैं इसके फायदे।

■  सोते समय कान में प्याज़ रखने से होते ये अद्भुत फ़ायदे, आप भी जानिए
आइये जानें om shabd ka ucharan, om ka prayog, mantra jap ke labh, om mantra ke chamatkar, om ka rahasya, om namah shivaya mantra ke fayde hindi, omkar kya hai ।

ॐ ओम मेडिटेशन

जो लोग आर्ट ऑफ लिविंग को फॉलो करते हैं, वह ओम शब्‍द से अछूते नहीं हैं। कहते हैं ओम के बिना किसी घर की पूजा पूरी नहीं होती है, बिना ओम सृष्टि की कल्पना भी नहीं हो सकती है। माना जाता है कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड से हमेशा ॐ की ध्वनि निकलती है। ओउम् तीन अक्षरों से मिलकर बना है, अ, उ, म्।
“अ” का अर्थ है उत्पन्न होना।
“उ” का तात्पर्य है उठना, उडना अर्थात विकास।
“म्” का मतलब, मौन हो जाना अर्थात ब्रह्मलीन हो जाना।

परमात्‍मा से जुड़ने का सीधा रास्‍ता है ॐ ओम

ओम एक ध्‍वनि है, जब तपस्वियों ने ध्यान की गहरी अवस्था में सुना कि कोई ऐसी ध्वनि है जो लगातार शरीर के भीतर और बाहर भी सुनाई देती रहती है। हर कहीं, वही ध्वनि निरंतर जारी है और उसे सुनते रहने से मन और आत्मा शांति महसूस करती है तो उन्होंने उस ध्वनि को नाम दिया ओम। साधारण मनुष्य उस ध्वनि को सुन नहीं सकता, लेकिन ओम का उच्चारण करने वालों के आसपास सकारात्मक ऊर्जा का विकास होने लगता है। ॐ का उच्चारण करते रहना, परमात्मा से जुड़ने का साधारण तरीका है।

  इन वजहों से होता है कमर दर्द, इसको जड़ से ख़त्म करने का सबसे आसान घरेलु उपाय

ॐ ओम मेडिटेशन करने का तरीका

  • सुबह जल्‍दी उठकर जाप करना अच्‍छा रहता हैं।
  • ओम मेडिटेशन करने के लिए किसी शांत जगह का चुनाव करें।
  • पद्मासन में बैठकर, पेट से आवाज निकालते हुए जोर से ओम का उच्चारण करें।
  • ओम को जितना लंबा खींच सकें, खींचें। सांस भर जाने पर रुकें और फिर यही प्रक्रिया दोहराएं।
  • उच्चारण खत्म करने के बाद 2 मिनट के लिए ध्यान लगाएं और फिर उठ जाएं।

ॐ ओम मेडिटेशन के फायदे

Om Ke Fayde Aur Labh In Hindi

  • ॐ हमारे जीवन को स्वस्थ बनाने का सबसे उत्तम मार्ग है।
  • नियमित ओम मेडिटेशन करने से तनाव से पूरी तरह मुक्ति मिलती है और दिमाग शांत रहता है।
  • ओम से चेहरे पर कांति और आंखों में अनोखी चमक आती है।
  • थकान के बाद ॐ का मनन आपको नई एनर्जी से भर देता है।
■  काम के दौरान होने वाली थकान को दूर करेंगी ये चीज़ें, आज ही करें इन्हें अपनी डाइट में शामिल
  • ओम से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
  • ओम की गूंज आपको स्वयं को नियंत्रित करने में सक्षम बनाती है।
  • ॐ के उच्चारण से कंपन पैदा होता है जो रीढ़ की हड्डी को मजबूती प्रदान करता है।
  • ॐ की शक्ति आपके फेफड़ों और श्वसन तंत्र को सुदृढ़ बनाती है।
  • ॐ की शक्ति आपको दुनिया का सामना करने की शक्ति देती है।
  • ॐ मंत्र आपको सांसरिकता से अलग करके आपको स्वयं से जोड़ता है।
  • ओम का उच्‍चारण वह सीढ़ी है जो आपको स्‍वस्‍थ रख, समाधि और आध्यात्मिक ऊंचाइयों पर ले जाता है।
■  आँतों में जमी सारी गन्दगी को बाहर कर देगा यह असरदार नुस्खा

दोस्तों om mantra, om mantra hindi, om ucharan, om namah shivay jaap benefits, om word meaning का ये लेख कैसा लगा हमें जरूर बताएं और अगर आपके पास  omkar jap ki mahima, om naam ka matlab, om shabd ka mahatva, om ki mahima in hindi, om ke chamatkar, om ka dhyan के सुझाव है तो हमारे साथ शेयर करें।

बैंगनी पत्ता गोभी : कुदरत का ऐसा नायाब तोहफा जो दिखने में ही नहीं सेहत में भी है लाजवाब!

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ब्रेसिका परिवार की बैंगनी पत्‍ता गोभी व्‍यंजनों को विस्‍तृत विविधता और स्‍वाद देने के साथ आपकी सेहत के लिए भी अच्‍छी होती है। आइए बैंगनी पत्‍ता गोभी के अद्भुत लाभों की जानकारी लेते हैं।

■  सिर्फ़ 3 दिन तक ये चीज़ खाने से जीवन में कभी नहीं आएगा हार्ट अटैक

अद्भुत गुणों से भरपूर बैंगनी पत्‍ता गोभी

हमें सेहतमंद रहने के लिए विटामिन और पोषक तत्‍वों की जरूरत होती है और इन जरूरतों को पूरा करने के लिए कुदरत ने हमें विभिन्‍न स्रोत प्रदान किए हैं। बैंगनी पत्‍ता गोभी कुदरत का ऐसा ही एक नायाब तोहफा है। पौष्टिक और स्वादिष्ट सब्जी बैंगनी पत्‍ता गोभी अपने रंग और लाजवाब गुणों के कारण दुनिया भर में बहुत लोकप्रिय है। यह व्‍यंजनों को विस्‍तृत विविधता और स्‍वाद देने के साथ ही आपकी सेहत के लिए भी अच्‍छी होती है। बैंगनी पत्‍ता गोभी विटामिन ए, सी, आयरन, फाइबर और पोटैशियम का एक अच्छा स्रोत है। इसमें एंथोसायनिन पोलीफेनॉल्स उच्च मात्रा में होता है इसलिए इस गोभी का रंग गहरा बैंगनी होता है। एंथोसायनिन ऐसा पदार्थ है जिसमें कैंसर, दिल के रोग, और डायबिटीज को रोकने की अद्भुत क्षमता होती है। साथ ये हमारी त्वचा को साफ-सुथरी और कोमल बनाने में भी मददगार होती है।

कैंसर की रोकथाम

बैंगनी पत्‍ता गोभी में बहुत अधिक मात्रा में मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट के कारण यह कैंसर की रोकथाम में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है। एंटीऑक्‍सीडेंट एक ऐसा पदार्थ है जो मुक्‍त कणों को बेअसर करता है। यह मुक्‍त कण कैंसर और हृदय रोग सहित विभिन्न गंभीर रोगों के लिए जिम्‍मेदार होते हैं।

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वजन कम करने में मददगार

अगर आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं तो अपने आहार में बैंगनी पत्‍ता गोभी को शामिल करें। चूंकि बैंगनी पत्‍ता गोभी में कैलोरी बहुत कम, लेकिन आहार फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है। साथ ही यह महत्‍वपूर्ण विटामिन्स और मिनरल्स का खजाना है। इसलिए इसके सेवन से आपकी पोषण संबंधी जरूरतें पूरी होती हैं और अधिक खाये बिना आपको पूर्णता का अहसास होता है।

आंखों की सेहत के लिए अच्‍छा

विटामिन ‘ए’ त्‍वचा के साथ-साथ आंखों की सेहत के लिए भी बहुत अच्‍छा होता है। विटामिन ‘ए’ दृष्टि को स्‍वस्‍थ रखने और मोतियाबिंद के गठन को रोकता है। विटामिन ‘ए’ बीटा कैरोटीन में भी परिवर्तित किया जा सकता है, जो उम्र बढ़ने के साथ आंखों के स्‍वास्‍थ्‍य को बनाये रखने में महत्‍वपूर्ण होता है।

इम्‍यूनिटी बूस्टर

बैंगनी पत्‍ता गोभी विटामिन का खजाना है, और इसमें विटामिन सी भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। एस्कॉर्बिक एसिड एक महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट है और हमारी इम्‍यूनिटी प्रणाली के लिए एक महत्‍वपूर्ण तत्‍व है। यह सफेद रक्‍त कोशिकाओं की गतिविधि को उत्‍तेजित करता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली की रक्षा की पहली पंक्ति है। इसके अलावा, विटामिन ‘सी’ कोलेजन के गठन में महत्‍वपूर्ण होता है जो हमारे शरीर और कोशिकाओं को ठोस और जुड़ा हुआ रखता है।

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इन पेड़ों की छाल है बेमिसाल, औषधीय गुणों से है भरपूर, प्रयोग से कई रोग भाग जाएंगे दूर!

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सृष्टि के आदिकाल से मनुष्‍यों द्वारा वृक्षों को प्रयोग में लाया जा रहा है। वैज्ञानिक दृष्टि से वृक्ष और मनुष्‍य दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं। वूक्ष हमसे कार्बनडाई ऑक्‍साइड लेता है तो वहीं जीवन जीने के लिए हम वृक्षों से ऑक्‍सीजन लेते हैं। सबसे खास बात यह है कि वृक्ष हर तरह से जन उपयोगी होते हैं। तमाम वृक्ष ऐसे भी हैं जो अपने औषधीय गुणों को लेकर जाने जाते हैं, जिनकी पत्तियां, जड़ें और छालें भी काफी लाभदायक होती है। तो आइए ऐसे ही कुछ औषधीय गुणों वाले वृक्षों से हम आपका परिचय कराते हैं, जिनके प्रयोग से आप खुद को कई तरह की गंभीर बीमारियों से छुटकारा पा सकते है।

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वटवृक्ष की छाल

वटवृक्ष हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, यह पर्यावरण की दृष्टि से भी बहुत महत्‍वपूर्ण है। इसके पत्तों और जटाओं को पीसकर लेप लगाना त्वचा के लिए लाभकारी है। वटवृक्ष के छाल के काढ़े में गाय का घी और खांड मिला कर पीने से बादी बवासीर में लाभ मिलता है। इसकी छाल को छाया में सुखाकर, इसके चूर्ण का सेवन मिश्री और गाय के दूध के साथ करने से स्मरण शक्ति बढती है।

छाल और जटा का चुर्ण मधुमेह रोग को दूर करता है। इसके पत्तों की राख को अलसी के तेल में मिला कर लगाने से सर के बाल उग आते हैं, इसके कोमल पत्तों को तेल में पकाकर लगाने से सभी केश के विकार दूर होते है, दांत के दर्द में इसका दूध लगाने से दर्द दूर हो जाता है और दुर्गन्ध दूर हो कर दांत ठीक हो जाता है और कीड़े नष्ट हो जाते है।
मुंह में छाले, जलन, मसूढ़ों में जलन व सूजन में इसकी छाल के चूर्ण की 2-5 ग्राम की मात्रा रोजाना सुबह-शाम पानी से लें। एक माह तक ऐसा करें, लाभ होगा।

अर्जुन वृक्ष की छाल

अर्जुन वृक्ष भारत में होने वाला एक औषधीय वृक्ष है। इसे घवल, ककुभ तथा नदीसर्ज भी कहते हैं। अर्जुन के पेड़ की छाल को अलग-अलग तरह से प्रयोग में लाकर कई गंभीर बीमारियों को दूर किया जा सकता है। एक से डेढ चम्‍मच अर्जुन की छाल का पाउडर, 2 गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा ना हो जाए। फिर इसे छान कर ठंडा कर लें। प्रतिदिन सुबह शाम, 1 या 2 गिलास पियें। इससे ब्‍लॉक हुई धमनियां खुल जाएंगी और कोलेस्‍ट्रॉल कम होने लगेगा।

रोज सुबह शाम नियमित रूप से अर्जुन की छाल के चूर्ण से तैयार चाय बना कर पियें। अर्जुन की छाल को कपड़े से छान ले इस चूर्ण को जीभ पर रखकर चूसते ही हृदय की अधिक अनियमित धड़कनें नियमित होने लगती है। इसके अलावा सुबह अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से रक्तपित्त दूर हो जाता है। छाल के चूर्ण को मेहंदी में मिला कर बालों में लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।

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अशोक वृक्ष की छाल

मान्‍यता के अनुसार अशोक को शोक नाश करने वाला वृक्ष कहा जाता है। इसके नीचे बैठने से मन का शोक नष्‍ट होता है। इसका औषधीय गुण भी है। अशोक की छाल और पुष्‍प को बराबर मात्रा में सुबह पानी में भिगोकर रख दें। रात में रख दें, सुबह इस पानी को छानकर पी लें। इससे खूनी बवासीर दूर होता है। अशोक की छाल का 40 से 50 मिलीलीटर काढ़ा पीने से खूनी बवासीर में खून बहना बंद हो जाता है।

फोड़े-फुंसी को दूर करने के लिए इसकी छाल को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर लें, इसमें थोड़ा सरसों तेल मिलाकर लगाने से जल्दी असर होता है। इसके अलावा महिला संबंधी दिक्कतों में चूर्ण में मिश्री मिलाकर गाय के दूध से 1-1 चम्मच लें।

नीम वृक्ष की छाल

नीम के पेड़ की छाल त्‍वचा रोगों के लिए बहुत ही लाभप्रद है। त्वचा पर होने वाले फोड़े-फुंसी, दाद, खुजली आदि में इसकी छाल प्रयोग में लेते हैं। इसके लिए इसे पानी में घिसकर संक्रमित स्थान पर लगाएं। भोजन करने से पहले रोज 1-1 चम्मच चूर्ण लेने से मधुमेह नियंत्रण में रहता है।

इसके लिए पनीर के डोडे (एक प्रकार का फल), कुटकी, चिरायता, नीम की छाल व गिलोय के पत्तों को समान मात्रा में लेकर पाउडर बना लें। नीम की पत्तियां भी फायदेमंद होती है। इसे पानी में उबाल लें और पानी ठंडा होने के बाद नहा लें इससे आप चर्म रोग होने की संभावना खत्‍म हो जाती है।

■  चर्म रोग का रामबाण और अचूक इलाज, आजमाएं और कुछ ही दिनों में जड़ से छुटकारा पाएं

गजपीपली वृक्ष की छाल

गजपीपली को आम भाषा में मैदा लकड़ी कहा जाता है। इसकी छाल ग्राही (भारी) होती है। अतिसार के रोग में इसकी छाल बहुत ही उपयोगी होती है। छिले हुए जख्मों में इसके ताजा या सूखे तने को घिसकर लगाने से जख्म जल्दी भर जाता है।

इसके बारीक चूर्ण का लेप बनाकर लगाने से हड्डी टूटने वाला दर्द, चोट, मोच, सूजन, गठिया, सायटिका और कमर दर्द ठीक हो जाता है। मैदा लकड़ी व आमा हल्दी को समान मात्रा में लेकर चूर्ण को 1-1 चम्मच दूध के 10 दिन तक सेवन करने से भी चोट, मोच का दर्द दूर हो जाता है।

बबूल वृक्ष की छाल

बबूल का वृक्ष औषधीय गुणों से भरा है, यह मुंह के रोगों और गुप्‍त रोगों में बहुत ही लाभदायक होता है, यह स्त्रियों में बांझपन और पुरूषों में शुक्राणुओं की कमी को दूर करता है। 20 ग्राम बबूल की छाल को 400 मिलीलीटर पानी में उबालकर बचे हुए 100 मिलीलीटर काढ़े को दिन में तीन बार पिलाने से भी मासिक-धर्म में अधिक खून का आना बंद हो जाता है।

40 मिलीलीटर बबूल की छाल और नीम की छाल का काढ़ा रोजाना 2-3 बार पीने से प्रदर रोग में लाभ मिलता है। त्वचा के जलने पर छाल के बारीक पाउडर को थोड़े नारियल तेल में मिलाकर जले हुए स्थान पर लगाएं। इससे जलन दूर होने के साथ निशान भी नहीं पड़ेगा। छाल के पाउडर को पानी में उबालकर गरारे करने से मुंह के छाले ठीक हो जाता है।

■  बबूल का गोंद 3 बार लेने से कमर दर्द, 3 ग्राम में मधुमेह, लगाने से सिर दर्द, चूसने से खाँसी, पीने से बवासीर और 1 दिन में दस्त को ठीक करता है

कमर दर्द का कारण और इसका परमानेंट इलाज, पुराने से पुराने दर्द में भी लाभकारी, जरूर पढ़ें

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लोअर बैक यानि कमर में दर्द होने पर आप क्या करते हैं? हो सकता है आप गर्म पानी के बैग से सिकाई करते हों, बाम लगाते हों या पेनकिलर लेते होंगे। मशहूर आर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर समरजीत चक्रवर्ती के अनुसार, लोअर बैक में दर्द होना कई जटिलताओं का संकेत हो सकता है, इसलिए आपको इन बातों को जानना बहुत ज़रूरी है। लोग अक्सर पीठ के निचले हिस्से के दर्द को अनदेखा कर देते हैं। वास्तव में डॉक्टर को भी इसके कारण का पता लगाने में परेशानी हो सकती है। हालांकि मरीजों के चेहरे के भाव, दर्द की अवधि और रोजाना की गतिविधियों के द्वारा एक निश्चित सीमा तक इस दर्द की गंभीरता का आंकलन करने में मदद मिल सकती है। बैक पैन मांसपेशियों और हड्डियों की संरचना के कामकाज में विकार के कारण भी हो सकता है। इसके अलावा किडनी स्टोन, डिस्क प्रोलेप्स, हार्ट फेल या ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसे रोगों के कारण भी कमर में दर्द हो सकता है।

  हार्ट अटैक आने पर 1 मिनट में इस तरह करें इसका इलाज, जिससे रोगी की जान बच सकती ||

अवधि और तीव्रता के आधार पर कमर दर्द का आंकलन

पीठ में तेज दर्द

ये कम अवधि के लिए लेकिन तेज होने वाला दर्द होता है।

साइऐटिका

अगर दर्द बढ़ता हुआ पैरों में जा रहा है तो ये साइऐटिका का संकेत हो सकता है।

पीठ में लगातार दर्द

जब दर्द लंबी अवधि और तीव्रता में वृद्धि या कमी के साथ होता है।

कोक्सीडैनिया

अगर आप टेलबोन (कोक्सीक्स) में दर्द का अनुभव करते हैं, तो आप कोक्सीडैनिया से पीड़ित हो सकते हैं।

■  सुबह खाली पेट इसके सिर्फ़ 5 पत्तों को 1 गिलास गर्म पानी के साथ लेने से घिसे हुए घुटनो में चिकनाई आजाती है, गठिया और जोड़ों के दर्द को जड़-मूल से ख़त्म करता है

लोअर बैक पैन के कारण

मसल्स में खिचांव

ये लोअर बैक पैन के सबसे आम कारणों में से एक है। मसल्स में ऐंठन होना शुरुआत में पता चल सकता है लेकिन कुछ हफ्ते के भीतर ये पता नहीं चल पाता है।

ऑस्टियोपोरोसिस

यह आर्थोपेडिक समस्याओं का कारण बन सकता है। ऑस्टियोपोरोसिस से पीठ दर्द सबसे अधिक रीढ़ के जोड़ में फ्रैक्चर से संबंधित है।

डिस्कोजेनिक बैक पैन

इंटरवर्टिब्रल डिस्क का डैमेज होना पीठ दर्द का कारण बन सकता है। ज्यादातर मामलों में डिस्क रीढ़ के जोड़ से बाहर नहीं फैलती हैं। इसमें दर्द तेज होता है।

लंबर स्पाइन आर्थराइटिस

गठिया सबसे अधिक घुटनों और उंगलियों जैसे जोड़ों को प्रभावित करता है। स्पाइन में आर्थराइटिस दर्द का कारण बन सकता है।

स्पाइनल स्टेनोसिस

ये समस्या बुजुर्गों को ज्यादा होती है। उम्र बढ़ने पर स्पाइनल कैनाल गठिया या अन्य परिस्थितियों की वजह से संकरा हो जाता है और बदले में पीठदर्द का कारण बन सकता है।

■  पीठ दर्द होने पर करें ये रामबाण और अचूक उपाय, मिनटों में मिलेगा दर्द से छुटकारा

लोअर बैक पैन को ऐसे रोका जा सकता है

  • अगर आप मोटे हैं तो वजन घटाने का प्रयास करें।
  • बैक पैन होने पर आगे झुकने से बचें।
  • बैठते समय अच्छी मुद्रा बनाए रखें।
  • झटके वाली एक्सरसाइज़ से बचें।
  • भारी सामान ना उठाएं।
■  सिर्फ हस्त मुद्राओ द्वारा लगभग 100 रोगों का ईलाज संभव है वो भी आपके हाथो में, जानना चाहोगे कैसे?

इस तरह आपको बीमार बना रहे हैं आपके किचन के बर्तन।

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इससे पहले कि आप होटल और रेस्टोरेंट में साफ-सफाई न होने की दुहाई दें, ज़रा अपने किचन के बर्तनों पर भी एक नज़र ज़रूर दौड़ाएं। आपके किचन में इस्तेमाल होने वाले पैन और केतली से लेकर कॉफी मग और कॉफी मेकर, ये सब आपको बीमार बना रहे हैं। कैसे? हम बताते हैं।

  सभी बीमारियों का काल है यह चूर्ण, खा लिया तो हो जाएगा कायाकल्प, जीवनभर निरोग रहने का सबसे आसान उपाय

मेलनीन बर्तन मज़बूत जरूर होते हैं लेकिन बहुत अधिक तापमान पर यह कट-फट ज़रूर सकते हैं। जब आप खाना रखने या खाना गर्म करने के लिए मेलनीन का इस्तेमाल करते हैं तो मेलनीन आपके खाने में घुल सकता है। अत्यधिक मात्रा में मेलनीन का भोजन में मौजूद होने से किडनी स्टोन और गुर्दे के फेल होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि अगर आप मेलनीन में रखकर खाना गर्म नहीं करते तो खतरा थोड़ा कम है। मेलनीन की बजाय कीजिए तांबे का प्रयोग कर सकते हैं।

इस्तेमाल किया गया चॉपिंग बोर्ड

क्या आप एक ही चॉपिंग बोर्ड पर कच्चे चिकन के बाद सब्जियां भी काटते हैं? अगर हां, तो ऐसा न करें। इस तरह आप कच्चे मीट के कीटाणुओं को चॉपिंग बोर्ड और फिर सब्जियों में पहुंचने का रास्ता दे रहे हैं। दरअसल आपके चॉपिंग बोर्ड पर केवल 10 मिनट में बैक्टेरिया की संख्या दोगुनी हो सकती है, इसलिए कभी भी एक चीज काटने के बाद बिना साफ किए दूसरी चीज न काटें।

■  आयुर्वेद के अनुसार यदि विरुद्ध आहार बहुत सी बिमारियों का कारण है : श्री राजीव दीक्षित

नॉन-स्टिक बर्तनों की उधड़ी हुई कोटिंग

बहुत से लोगों को लगता है कि नॉन-स्टिक बर्तनों में खाना बनाने से वो खाने में तेल का प्रयोग कम कर रहे हैं। लेकिन जहां यह कुछ हद तक सही भी है, वहीं नॉन-स्टिक बर्तनों का बहुत अधिक उपयोग सेहत के लिए नुकसानदायक है। लगातार इस्तेमाल से इन बर्तनों की कोटिंग भोजन में घुल सकती है जो लीवर से संबंधित समस्याएं उत्पन्न कर सकती है। तो अगर आपको आपके बर्तनों में खरोंच दिखती है तो बेहतर है कि उन्हें फेंक दें।

कॉफी मेकर

क्या आप जानते हैं कि आपके दरवाजों की कुंडी से कहीं अधिक कीटाणु आपके कॉफी मेकर पर होते हैं। जी हां, कॉफी मेकर में यीस्ट और फंफूद होती है जो धीरे-धीरे बढ़ती ही जाती है। रिसर्च में पाया गया है कि अमेरिकी घरों में इस्तेमाल होनेवाली 10 में से 1 मशीन पर कॉलीफॉर्म बैक्टेरिया होता है। जो सेहत को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।

■  इन तीनो को एक साथ लेने से क़ब्ज़ ऐसी जड़ से ख़त्म होगी की बैठते ही पूरा पेट साफ़

लाल-पीले बर्तन

पुराने बर्तनों में आप जो दाग-धब्बे देखते हैं दरअसल वो बचा हुआ खाना ही है जो साफ नहीं हुआ। खासकर अल्युमिनियम के बर्तनों पर दिखने वाले इन दाग-धब्बों का कारण यही है कि ये बर्तन आसानी से साफ नहीं होते। 12 घंटों से अधिक समय के लिए बर्तनों में पड़ा खाना आसानी से साफ नहीं हो पाता इसलिए गंदे बर्तनों को यूं ही सिंक में पड़े न रहने दें और उन्हें जितना जल्दी हो धो कर रखें।

दाग लगे हुए कॉफी मग-कप

क्या आप उन दाग-धब्बों को मिटा नहीं पा रहें जो हर बार कॉफी उड़ेलने से पहले आपको कप पर दिखाई पड़ते हैं? आपको भले ही लगता है कि आपके कॉफी मग के किनारों पर बने वो ब्राउन रंग के दाग और छल्ले आपको नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। इन मगों को साफ करने के लिए कठोर पानी का इस्तेमाल किए जाने पर उसमें मौजूद कैल्शियम कार्बोनेट का मिश्रण टैनिन के साथ दाग-धब्बों का निर्माण करता है जो कप की तली में बैठ जाता है। इस तरह के कपों में चाय-कॉफी पीने से आंत और पेट में समस्याएं हो सकती हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए विनेगर (सिरका) और बेकिंग सोडा का घोल बनाकर इन्हें साफ करें।

■  चेचक के दाग हटाने के 10 आसान उपाय और घरेलू नुस्खे

लीवर को हेल्दी रखने के लिए अपनाएं ये चार चीजें, 15 दिनों में पाएं लिवर के सभी रोगों से छुटकारा

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लिवर हमारे शरीर का बहुत महत्वपूर्ण अंग हैं। लिवर खराब होने पर शरीर की कार्य करने की क्षमता न के बराबर हो जाती है। आप अपने भोजन में नीचे बताई गयी चीजो को शामिल करे और एक से तीन महीने में लिवर की बीमारियो में जैसे liver Cirrhosis, liver fibrosis, fatty liver, आदि बीमारियो में अपना रिजल्ट देखिये। आइये जाने इनके बारे में।

  ये पौधा गठिया, यूरिक एसिड और लिवर के लिए किसी वरदान से कम नही

निम्बू

एक कागजी निम्बू (अच्छा पका हुआ) लेकर उसके दो टुकड़े कर ले। फिर बीज निकालकर आधे निम्बू के बिना काटे चार भाग करें पर टुकड़े अलग- अलग न हो। तत्पशचात एक भाग में काली मिर्च का चूर्ण, दूसरे में काला नमक (अथवा सेंधा नमक) तीसरे में सोंठ का चूर्ण और चौथे में मिश्री का चूर्ण (या शककर) भर दे। रात को प्लेट में रखकर ढक दे। प्रात: भोजन करने से एक घंटे पहले इस निम्बू की फांक को मंदी आंच या तवे पर गर्म करके चूस ले।

सो ग्राम पानी में आधा निम्बू निचोड़कर नमक डालें (चीनी मत डाले) और इसे दिन में तीन बार पीने से जिगर की खराबी ठीक होती हैं।

पपीता

पपीता लीवर की बीमारियों के लिए सबसे सुरक्षित प्राकृतिक उपचार में से एक है, विशेष रूप से लीवर सिरोसिस के लिए। हर रोज दो चम्मच पपीता के रस में आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर पिएं। इस बीमारी से पूरी तरह निजात पाने के लिए इस मिश्रण का सेवन तीन से चार सप्ताहों के लिए करें।

सेब का सिरका

सेब का सिरका, लीवर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। भोजन से पहले सेब के सिरके को पीने से शरीर की चर्बी घटती है। सेब के सिरके को आप कई तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं- एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं, या इस मिश्रण में एक चम्मच शहद मिलाएं। इस मिश्रण को दिन में दो से तीन बार लें।

■  पपीता और नींबू का एक साथ सेवन करने से होते है ये हैरान कर देने वाले फायदे

आंवला

आंवला विटामिन सी के सबसे संपन्न स्रोतों में से एक है और इसका सेवन लीवर की कार्यशीलता को बनाये रखने में मदद करता है। अध्ययनों ने साबित किया है कि आंवला में लीवर को सुरक्षित रखने वाले सभी तत्व मौजूद हैं। लीवर के स्वास्थ्य के लिए आपको दिन में 4-5 कच्चे आंवले खाने चाहिए।

सावधानी

दो सप्ताह तक चीनी अथवा मीठा का इस्तमाल न करे। अगर दूध मीठा पीते हो तो चीनी के बजाए दूध में चार-पांच मुनक्का डाल कर मीठा कर ले। रोटी भी कम खाए। अच्छा तो यह है की जब उपचार चल रहा हो तो रोटी बिलकुल न खाकर सब्जिया और फल से ही गुजारा कर ले। सब्जी में मसाला न डालें। टमाटर, पालक, गाजर, बथुआ, करेला, लोकी, आदि शाक-सब्जियां और पपीता, आंवला, जामुन, सेब, आलूबुखारा, लीची आदि फल तथा छाछ आदि का अधिक प्रयोग करें। घी और तली वस्तुओं का प्रयोग कम से कम करें। पंद्रह दिन में इस प्रयोग के साथ जिगर ठीक हो जायेगा।

■  रात को सोते वक़्त नाक में देशी घी की सिर्फ़ 2 बूँदे डालने के 10 फ़ायदे जान गये तो आज डाल कर ही सोओगे

सर्दियों में रखें सेहत का ख्याल, सेहत बनाने के दमदार नुस्खे

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सर्दी की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है और खानपान के हिसाब से सर्दी के मौसम को सबसे स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। इस मौसम के खाने का असर साल भर व्यक्ति की सेहत को प्रभावित करता है। इसलिए अपनी डाइट में ऐसा खाना शामिल करें जिनमें कैल्शियम, आयरन और फाइबर जैसे पोषक तत्वों की मात्रा अधिक हो। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कई बीमारियों से बचाव होता है। हम बता रहे हैं ऐसे ही खाने के बारे में।

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मूंगफली

यह शरीर में कॉलेस्ट्रॉल कम करता है और दिल की बीमारियों से बचाता है। इसमें गुड फैट होता है जिससे त्वचा में नमी भी बनी रहती है।

नट्स

इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम होता है जिससे रक्तचाप एक समान रहता है और दिल की बीमारियों से बचे रहते हैं। सर्दियों में एक दिन में 4 से 5 नट्स खा सकते हैं।

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अदरक

इसमें जिंजेरॉल्स होता है जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसकी चाय बना सकते हैं या खाने में शामिल कर सकते हैं।

तिल

इसमें एंटीआॅक्सीडेंट्स होते हैं जो सर्दियों में होने वाली बीमारियों से बचाते हैं। ये पाचन में मदद करते हैं। इसके लड्डू या चटनी बनाकर खा सकते हैं।

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शकरकंद

इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है जिसे सर्दियों में अधिक खाने के बावजूद वजन नहीं बढ़ता। इसे उबाल कर या रोस्ट करके खाया जा सकता है।

गुड़

इसकी तासीर गर्म होती है जिससे सर्दियों में सर्दी जुकाम से राहत मिलती है। इसे खाने से त्वचा में नमी भी बनी रहती है।

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मेथी

इसमें पोटेशियम और आयरन होता है जिससे कमजोरी दूर होती है और दिल की बीमारियों से भी बचाव होता है।

गाजर

इसमें विटामिन ए की मात्रा अधिक रहती है। इसे खाने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और बीमारियों से बचाव होता है। इसका हलवा या जूस पिया जा सकता है।

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किडनी की पथरी से जुड़ी कुछ सामान्य बातें जिन्हें हर इंसान को जानना जरूरी है, जरूर पढ़ें

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किडनी स्टोन (Kidney stones) यानि गुर्दे की पथरी एक दर्दनाक और धीरे-धीरे होने वाली समस्या है। बहुत से लोग ऐसा मानते हैं कि यह एक जेनेटिक बीमारी है, केवल बुजुर्ग ही इससे प्रभावित होते हैं और खाने में बदलाव कर पथरी होने से रोका जा सकता है। किडनी से जुड़े रोगों के लक्षण हर कोई नहीं समझ पाता है जिस वजह से इसके खराब होने का अंतिम चरण में पता चलता है। मुंबई के कई अस्पतालों में यूरो-आंकलोजिकल और रोबोटिक सर्जन डॉक्टर अनूप रमानी आपको किडनी स्टोन से जुड़ी कुछ सामान्य बातें बता रहे हैं, जो आपको मालूम होनी चाहिए।

■  पथरी में क्या खाना चाहिए : किडनी स्टोन में भोजन – Stone Patient Diet Chart In Hindi

ज्यादा पानी पीने से किडनी की पथरी नहीं होगी, ऐसा जरूरी नहीं

यह सच है कि कम मात्रा में पानी पीने की वजह से भी किडनी की पथरी हो सकती है। लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि ज्यादा पानी पीने के बावजूद किडनी की पथरी नहीं हो सकती है। सवाल यह है कि किडनी की पथरी से बचने के लिए कितना पानी पीना चाहिए? आमतौर पर आपको रोजाना कम से कम आठ गिलास पानी पीना चाहिए। ज्यादा पानी पीने से आप केवल टॉयलेट का रुख ज्यादा कर सकते हैं।

किडनी की पथरी किसी को भी हो सकती है

लोग ऐसा मानते हैं कि किडनी की पथरी केवल बुढ़ापे में ही होती है। लेकिन सच्चाई यह है कि शिशु, बच्चे, जवान और बुजुर्ग किसी को भी यह समस्या हो सकती है।

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किडनी स्टोन के सभी मामलों में सर्जरी की जरूरत नहीं

अधिकांश लोगों को यह लगता है किडनी की पथरी का एकमात्र इलाज सर्जरी है। हालांकि इसे दवाओं से भी सही किया जा सकता है। अगर पथरी 7 एमएम से छोटी है, तो इसे दवाओं के जरिए पेशाब द्वारा निकाला जा सकता है। अगर पथरी का साइज़ 7 से 8 एमएम है तो,ऐसे मामले में सर्जरी की जरूरत होती है। इसके अलावा पथरी के साइज़ और उसकी जगह पर भी सर्जरी निर्भर करती है।

महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा होती है ये समस्या

हालांकि ये समस्या दोनों को हो सकती है लेकिन आंकड़ों के अनुसार पुरुषों को महिलाओं की तुलना में किडनी की पथरी का ज्यादा खतरा होता है। हालांकि ऐसा नहीं कहा जा सकता कि महिलाएं इसकी चपेट में बिल्कुल भी नहीं आती हैं। इसके कई लक्षण हैं जैसे- पेशाब के समय जलन, यूटीआई, लोअर बैक और पेट में दर्द आदि। ये सभी लक्षण महिलाओं और पुरुषों में समान हो सकते हैं।

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एसिडिक डायट से किडनी की पथरी का अधिक खतरा होता है

विशेष रूप से वातित यानि गैस से भरे पेय में एसिडिक के मात्रा अधिक होती है। ध्यान रहे कि यूरिन नेचर में एल्कलाइन होता है और अगर आप अधिक वातित पेय पीते हैं तो इसमें मौजूद एसिडिक तत्व यूरिन की संरचना बदल सकता है और आपको किडनी स्टोन होने के खतरा बढ़ सकता है। जब आप एक कोला की एक कैन पीते हैं, तो ये आपके सिस्टम के भीतर 36 घंटे तक होती है जो यूरिन को एल्कलाइन से एसिडिक में बदलती रहती है।

कभी-कभी किडनी की पथरी के लक्षणों का पता नहीं लगता

ऐसे लोग जिन्हें छोटी पथरी है, उन्हें प्रारंभिक चरणों में इसके कोई भी लक्षण महसूस नहीं होते हैं। पेशाब या शरीर के किसी भी कार्य में बाधा आए बिना भी किडनी में पथरी हो सकती है। इसका पता एक्स-रे या सीटी स्कैन से चलता है।

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दवा और खानेपीने की चीजों में बदलाव कर किडनी में पथरी बनने से रोका जा सकता है

कई बार कम मांस, कैल्शियम, प्रोसेस्ड फूड्स और हिडन साल्ट्स से मदद मिल सकती है। कई बार लोग किडनी की पथरी के डर से कैल्शियम लेना बंद कर देते हैं। आपको बता दें कि कैल्शियम बहुत जरूरी है। इसकी कमी से किडनी की पथरी के चांस होते हैं। इसलिए इस समस्या से बचने के लिए आपको डायट का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर बात करें दवाओं की तो किसी भी तरह की एंटीबायोटिक लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। आपको बता दें कि एंटीबायोटिक दवाओं से किडनी की पथरी होने का खतरा होता है।

किडनी की पथरी एक से अधिक बार भी हो सकती है

कई ऐसे मामले देखे गए हैं जिनमे लोगों को एक से अधिक बार किडनी की पथरी हुई है। आमतौर पर अगर किसी को एक बार पथरी हो जाती है, तो दूसरी बार जांच का दायरा बढ़ जाता है। इस दौरान किडनी फंक्शन, थायराइड, विटामिन डी का लेवल आदि की जांच की जाती है। कई बार रिपोर्ट नॉर्मल होती है और किसी को रिकरंट किडनी का पता नहीं चल पाता है। इसका मतलब यह है कि जिसे दो बार यह समस्या हुई है उसे लाइफ में बार-बार इस रोग से गुजरना पड़ सकता है। ऐसे लोगों को दिन में तीन लीटर पानी पीना, कम नमक खाना आदि बातों का ध्यान रखना चाहिए। अगर रिकरंट किडनी के पीछे थायरॉयड ट्यूमर या इन्फेक्शन है तो उसका उचित इलाज कराना चाहिए।

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बाल सफ़ेद होने के कारण, गारंटी के साथ सफेद बालों को करें काला, रूखे और बेजान बालों से भी मिलेगा छुटकारा

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सफेद बाल safed baal kale karne ka upay in hindi

बाल सफेद होने के क्या कारण है | बाल पकने के कारण एवं उपाय | असमय बाल सफेद होना

उम्र के साथ बालों का सफेद होना नेचुरल प्रोसेस है, लेकिन अगर छोटी उम्र में ही बाल सफेद होने लगें तो यह चिंता का विषय है। कोई भी भरी जवानी में सफेद बाल नहीं चाहेगा। जानिए बाल सफेद होने का कारण और सफेद बाल काले करने का नेचुरल तरीका । 

  इन वजहों से होता है कमर दर्द, इसको जड़ से ख़त्म करने का सबसे आसान घरेलु उपाय
आइये जानें kam umar me safed baal, dadhi ke baal safed hair fall ke karan in hindi, safed balo ko kala karne ki dawa, balo ko kala karne ka oil, सफेद बालों से पाएं छुटकारा, सफेद बालों से छुटकारा।

बाल सफेद होने का कारण

Baal Safed Kyon Hote Hain

1 दवाइयां

दवाओं के साइड इफेक्ट्स के कारण बाल सफेद होते हैं, इसलिए डॉक्टर से पूछे बिना दवाइयां लेना अवॉइड करें।

2 कलर करना

हेयर कलर में कैमिकल्स होते हैं और यह कैमिकल्स कुछ समय के लिए तो फायदा दिखते हें, लेकिन लगातार इस्तेमाल से बाल ड्राय, कमजोर और सफेद होने लगते हैं।

3 जंक फूड

ज्यादा जंक फूड खाने या असंतुलित डाइट लेने से बॉडी में आयरन, विटामिन बी12, जिंक और न्यूट्रिएंट्स की कमी हो जाती है और बाल सफेद होने लगते हैं। जंक फूड से दूरी बनाएं।

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4 शैंपू

शैंपू और कंडीशनर के कैमिकल्स के साइड इफेक्ट्स के कारण बाल सफेद और ड्राय होने लगते हैं। माइल्ड शैंपू यूज करें और रोजाना बाल धोने से बचें।

5 सिगरेट और तंबाकू

सिगरेट और तंबाकू के कारण बॉडी में टॉक्सिंस बढ़ जाते हैं। इससे वक्त से पहले ही बाल सफेद होने लगते हैं। बेहतर होगा सिगरेट अवॉइड करें।

6 नींद पूरी न होना

लंबे समय तक नींद पूरी न होने से भी स्ट्रेस बढ़ता है। इस वजह से भी बाल सफेद होने लगते हैं। हर रात कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लें।

7 स्ट्रेस

स्ट्रेस आधी से ज्यादा बीमारियों की वजह है। ज्यादा स्ट्रेस लेने से बॉडी में हॉर्मोन्स का बैलेंस बिगड़ जाता है। इससे बाल सफेद होने शुरू हो जाते हैं। स्ट्रेस से बचने के लिए रोजाना योगा, मेडिटेशन, एक्सरसाइज, गार्डनिंग और अन्य पसंदीदा काम करें।

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सफेद बाल काले करने के लिए कुछ आसान टिप्स

Baal Kale Karne Ke Tips In Hindi

1 आंवला और बादाम (Avla Badam Benefits For Hair In Hindi)

बादाम के तेल में जरा सा आंवले का रस मिलाकर बालों की मसाज करें। एक घंटे बाद सिर धो लें।

2 लौकी (Lauki Benefits For Hair In Hindi)

लौकी के रस में ऑलिव ऑयल या तिल का तेल मिलाकर बालों की मसाज करें। आधे घंटे बाद शैंपू कर लें।

3 अदरक (Ginger Benefits For Hair In Hindi)

अदरक को पीस लें, इसमें जरा सा कच्चा दूध डालकर बालों में लगाएं। आधे घंटे बाद सिर धो लें।

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4 चाय का पानी (Chai Ka Pani Benefits For Hair In Hindi)

सप्ताह में दो बार चाय के पानी से बाल धोएं। सफेद बाल काले, घने और सॉफ्ट हो जाएंगे।

5 प्याज (Onion Benefits For Hair In Hindi)

प्याज के रस में नींबू मिलाकर बालों की जड़ों में लगाएं। 10 मिनट तक रखने के बाद इसे धो लें।

6 कच्चा दूध (Milk Benefits For Hair In Hindi)

यह सबसे आसान उपाय हो सकता है। सप्ताह में एक बार कच्चा दूध बालों की जड़ों में लगाएं। 15 से 20 मिनट के बाद शैंपू करेंं।

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सफेद बाल काले करने का नेचुरल तरीका और उपाय इन हिंदी

Baal Kale Karne Ka Natural Tarika Aur Gharelu Upay In Hindi

1 सनफ्लावर सीड (Sunflower Seed For Hair In Hindi)

सनफ्लावर सीड में विटामिन डी, विटामिन ई और जिंक की पर्याप्त मात्रा होती है। इनका पेस्ट बालों में लगाएं और आधे घंटे बाद शैंपू करें। सफेद बाल काले, सॉफ्ट और शाइनी बनेंगे।

2 आंवला (Avla Benefits For Hair In Hindi)

amla se baal kale karne ka tarika

नींबे के रस में आंवला पाउडर मिलाकर बालों की जड़ों में लगाएं। इसके अलावा रोज सुबह आंवले का रस पीने से भी फायदा मिल सकता है।

क्या करें

15 मिनट बाद शैंपू करें। ऐसा हफ्ते में 2 बार करें।

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3 देसी घी (Desi Ghee Benefits For Hair In Hindi)

जल्दी ही सफेद बाल काले होने शुरू हो जाएंगे।

क्या करें

सप्ताह में 3 बार बालों की जड़ों में देसी घी की मालिश करें। 10 मिनट बाद शैंम्पू करें।

4 दूध (Milk Benefits For Hair In Hindi)

रोज एक गिलास दूध पीएं। इससे अच्छी क्वालिटी का प्रोटीन और कैल्शियम मिलेगा, जिससे सफेद बाल काले, शाइनी और हैल्दी बनाने में मदद मिलेगी।

5 कढ़ी पत्ते (Kadi Patta Benefits For Hair In Hindi)

रात को सोने से पहले 6-7 कढ़ी पत्ते डालकर सरसों का तेल गर्म करें। इससे 10 मिनट सिर की मसाज करें।

6 मेथी (Methi Benefits For Hair In Hindi)

रोज सुबह एक गिलास पानी में एक चम्मच मेथी दाना डालकर उबालें। पानी आधा रह जाए, तो छानकर पीएं। इससे सफेद बाल काले होंगे।

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7 आंवले का मुरब्बा (Avla Murabba Benefits For Hair In Hindi)

आंवले का मुरब्बा न केवल बाल काले करने में मदद करता है बल्कि यह ब्रेन टॉनिक की तरह भी काम करता है। इससे शरीर में ताकत आती है और मानसिक कमजोरी भी दूर होती है।

8 नारियल (Coconut Benefits For Hair In Hindi)

रोज कच्चा नारियल खाएं या नारियल पानी पीएं। इससे भरपूर विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट्स मिलेंगे। ये न्यूट्रिएंट्स बालों को हैल्दी और काला बनाने में मदद करते हैं।

9 चुकंदर (Beetroot Benefits For Hair In Hindi)

चुकंदर का रस लगाकर बालों की मसाज करें।

क्या करें

15 मिनट बाद शैंपू कर लें। यह उपाय हफ्ते में 2 बार आजमाएं।

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10 प्याज (Onion Benefits For Hair In Hindi)

प्याज का रस बालों की जड़ों में लगाएं।

क्या करें

15 मिनट बाद शैंपू कर लें। ऐसा सप्ताह में 2 से तीन बार करने से बाल फिर से काले और घने होने लगेंगे।

11 हर्बल मसाज ( Hair Massage Benefits In Hindi)

बराबर मात्रा में भ्रंगराज और अश्वगंधा पाउडर नारियल तेल में मिलाएं। ll

क्या करें

रात को सोने से पहले 10 मिनट इससे सिर की मसाज करें। ऐसा सप्ताह में 1 बार करें।

12 कपूर (Camphor Benefits For Hair In Hindi)

ऑलिव ऑयल को हल्का गर्म करें। इसमें कपूर मिलाकर बालों की मसाज करें।

क्या करें

15 मिनट बाद शैंपू कर लें।

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13 दही (Curd Benefits For Hair In Hindi)

आधा कटोरी दही में एक छोटा चम्मच नमक और कालीमिर्च का पाउडर मिलाकर बालों में लगाएं।

क्या करें

15 मिनट बाद शैंपू कर लें।

14 एलोवेरा जैल (Aloevera Jel Benefits For Hair In Hindi)

बालों की जड़ों में एलोवेरा जैल लगाकर मसाज करें।

क्या करें

10 मिनट बाद शैंपू कर दें। ऐसा सप्ताह में 2 से 3 बार करें।

15 चाय का पानी (Chai Ka Pani Benefits For Hair In Hindi)

लोहे की कड़ाही में चाय का पानी उबालें। इसमें जरा सा कत्था और कॉफी पउडर डालकर बालों की जड़ों में लगाएं।

क्या करें

15 मिनट बाद शैम्पू करें।

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दोस्तों  सफेद बालों से छुटकारा कैसे पाए, बाल काले करने का तेल, सफेद बालों की समस्याओं और समाधान का ये लेख कैसा लगा हमें जरूर बताएं और अगर आपके पास मे baal safed ke karan, सफेद बाल को काला करने की दवा  के सुझाव है तो हमारे साथ शेयर करें।

इन 5 पौधों को लगाएं, अपने घर की हवा को जीवनदायी बनाएं!

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वायु प्रदूषण की वजह से शहर ही नही बल्कि गांवों का भी जीवन स्‍तर प्रभावित होता जा रहा है। जो लोग स्‍वस्‍थ हैं उनमें भी दिल और फेफड़े से संबंधित बीमारियों का खतरा मंडराने लगा है। लेकिन क्‍या आपको पता है कि घर के बाहर से ज्‍यादा घर के अंदर प्रदूषण होता है, जिससे हमें शुद्ध हवा नही मिल पाती है। घर से निकलने पर तो लोग मास्‍क का प्रयोग कर लेते हैं, और घर में एयर प्‍यूरीफायर लगवा लेते हैं।

■  जल्दी पतला होने और पेट अंदर करने की पतंजलि आयुर्वेदिक दवा

मगर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मंहगा होने के कारण एयर प्‍यूरीफायर नही खरीद पाते, तो उनके लिए प्राकृतिक एयर प्‍यूरीफायर बेहतर विकल्‍प हो सकता है। जी हां, कुछ पेड़-पौधे ऐसे होते हैं जो हमारे लिए प्राकृतिक रूप से हवा को शुद्ध करते हैं, जिन्‍हें घर में लगाकर आप अपने घर की हवा को शुद्ध कर सकते हैं। आइए इस लेख में जानते हैं उन पौधों के बारे में…

पौधे

बोस्टन फर्न

यह पेड़ दूसरे अन्य पेड़ों की तुलना में ज्यादा फॉर्मल्डिहाइड को साफ करता है। इसके अलावा यह बेंजीन और जायलान को भी हटाता है। बास्‍केट में टांगने के लिए यह बेहतर प्‍लांट है। इसे घर के बाहर टांग सकते हैं।

 

रबर प्लांट

इसका बॉयोलॉजिकल नाम फाइकस इलेस्टिका है, इसे कई नाम से जाना जाता है। रबर प्‍लांट आमतौर पर भारत, नेपाल, भूटान, वर्मा, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, श्रीलंका, वेस्‍टइंडीज और अमेरिका के फ्लोरिडा में पाया जाता है। आमतौर पर इसे सजावटी पौधे के तौर पर जाना जाता है। लेकिन इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह घर के अंदर की वायु को प्रदूषित होने से बचाता है।

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ऐरेका पाम प्लांट

वैसे तो इस प्लांट को कहीं भी रखा जा सकता है। खासतौर पर उन घरों में जहां कारपेट होते हैं और फ्रेश पेंट किया फर्नीचर होता है। टॉक्सीन गैसों के निगेटिव इंपेक्ट को कम करता है।

 

एलोवेरा (घृतकुमारी)

आमतौर पर एलोवेरा के पौधे को लोग औषधि के तौर पर देखते हैं। एलोवेरा का प्रयोग कॉस्‍मेटिक प्रयोग में भी लाया जाता है, ये बातें तो हर कोई जानता ही है, लेकिन इस बात की जानकारी बहुत कम लोगों को होगी कि एलोवेरा का पौधा हमारे आसपास के वातावरण को शुद्ध करता है। ये पौधा हवा को शुद्ध करता है।

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स्पाइडर प्‍लांट

यह पौधा क्‍लोरोफाइटम कोमोसम नाम से भी जाना जाता है। इस पौधे की खास बात यह है कि ये कई तरह के प्रदूषित तत्‍वों से हमें बचाता है। यह कार्बन मोनोऑक्‍साइड, बेंजीन, फोर्मल्डिहाइड और जायलीन जैसे जहरीले तत्‍वों से हमें दूर रखता है। सजावट के तौर पर इसे लोग घर में भी लगाते हैं।

 

शुद्ध हवा के लिए घर के पास लगाएं ये वृक्ष

पीपल, नीम, जामुन, बरगद और गूलर जैसे पौधे आसानी से उपलब्ध होते हैं ये हमें जहरीली गैसों से बचाते हैं। इसके अलावा साल, हरड़-बहेड़ा, अमलतास, बेल, रीठा, केम, साजा, ढाक, सैंबल, दूधी, लिसोढ़ा, बरगद, विश्तेंदु, खिरनी, कदंब, पिलखन, कुलू, चिलबिल, भिलमा, टीक, जैसे पेड़ प्रदूषण को रोकने में अपनी भूमिका अदा करते हैं। तो आप अपने घर के आस-पास इन पेड़ों को लगाकर वायुमंडल को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं।

■  जाने सुबह खाली पेट पानी पीने से शरीर में क्या होता है…

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