जैसे की हम सब बचपन से ही सुनते आ रहे है की हमे नशीले पदार्थो का सेवन न तो करना चाहिए और न ही किसी को भी करने देना चाहिए नशीले पदार्थो का सेवन जैसे की धूम्रपान करना हानिकारक हो सकता है धूम्रपान से कई जानलेवा बीमारिया पैदा होती है जैसे की फेफड़ो का कैंसर लेकिन कभी कभी इंसान जाने अनजाने में धूम्रपान जैसे रोग अपने शरीर से लगा बैठता है जिसका हर्जाना पीड़ित को अपनी जान देकर चुकाना पड़ता है धूम्रपान आपको या आपके करीब लोगो को तकलीफ के आलावा कुछ और नही देगा जो लोग काफी समय से धूम्रपान कर रहे है उनके फेफड़ो में टोक्सिन जमा होने लग जाता है अगर यह टोक्सिन ज्यादा समय आपके फेफड़ो में रहता है तो इससे कैंसर पैदा होता है जो बहुत ही जल्दी पूरे शरीर में फैल जाता है। आज हम बताएंगे की कैसे आप अपने फेफड़ो को कैसे टोक्सिन से मुक्त कर सकते है तथा फेफड़ो की सफाई कर सकते हो।
हेल्थ से जुड़ी सारी जानकारियां जानने के लिए तुरंत हमारी एप्प इंस्टॉल करें। हमारी एप को इंस्टॉल करने के लिए नीले रंग के लिंक पर क्लिक करें –
ब्राउन शुगर को किसी बर्तन में डालकर धीमी आग पर रख दे और उसमे बाकी सामग्री मिक्स कर दे कुछ समय के लिए इस मिश्रण को धीमी आग पर रखे रहने दे फिर इसे उतारकर किसी गिलास में डाल दे और इसे ठंडा होने तक इसे ऐसे ही रहने दे ठंडा होने के बाद आप इसको फ्रीज़ में स्टोर करके रख सकते है।
इस मिश्रण का दिन में दो बार सेवन करना है दो चम्मच सुबह नाश्ते से पहले और दो चम्मच रात को खाना खाने के दो घण्टो के बाद इस विधि को अपनाने के साथ साथ कसरत को भी महत्व दे फेफड़ो को साफ करने में कसरत भी एहम रोल अदा करती है।
हमारे यूट्यूब चैनल को SUBSCRIBE करने के लिए लाल रंग के लिंक पर क्लिक करें –
सिगरेट या बीड़ी में सिर्फ तम्बाकू ही नही जलता साथ में धूम्रपान करने वालो के चेहरे की रौनक, घर बार तथा रिश्ते नाते भी जल जाते है धूम्रपान न करे और न करने की सलाह दे।
बार बार लगता है ये बीड़ी सिगरेट पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे !??
बार बार महसूस होता है यह शराब पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब हो जाती है तो क्या करे ! ????
तो आपको बीड़ी सिगरेट की तलब न आए गुटका खाने के तलब न लगे ! शराब पीने की तलब न लगे ! इसके लिए बहुत अच्छे दो उपाय है जो आप बहुत आसानी से कर सकते है ! पहला ये की जिनको बार बार तलब लगती है जो अपनी तलब पर कंट्रोल नहीं कर पाते नियंत्रण नहीं कर पाते इसका मतलब उनका मन कमजोर है ! तो पहले मन को मजबूत बनाओ!
मन को मजबूत बनाने का सबसे आसान उपाय है पहले थोड़ी देर आराम से बैठ जाओ ! आलती पालती मर कर बैठ जाओ ! जिसको सुख आसन कहते हैं ! और फिर अपनी आखे बंद कर लो फिर अपनी दायनी नाक बंद कर लो और खाली बायी नाक से सांस भरो और छोड़ो ! फिर सांस भरो और छोड़ो फिर सांस भरो और छोड़ो !
हेल्थ से जुड़ी सारी जानकारियां जानने के लिए तुरंत हमारी एप्प इंस्टॉल करें। हमारी एप को इंस्टॉल करने के लिए नीले रंग के लिंक पर क्लिक करें –
बायीं नाक मे चंद्र नाड़ी होती है और दाई नाक मे सूर्य नाड़ी ! चंद्र नाड़ी जितनी सक्रिय होगी उतना इंसान का मन मजबूत होता है ! और इससे संकल्प शक्ति बढ़ती है ! चंद्र नाड़ी जीतने सक्रिय होती जाएगी आपकी मन की शक्ति उतनी ही मजबूत होती जाएगी ! और आप इतने संकल्पवान हो जाएंगे ! और जो बात ठान लेंगे उसको बहुत आसानी से कर लेगें ! तो पहले रोज सुबह 5 मिनट तक नाक की right side को दबा कर left side से सांस भरो और छोड़ो ! ये एक तरीका है ! और बहुत आसन है !
दूसरा एक तरीका है आपके घर मे एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसको आप सब अच्छे से जानते है और पहचानते हैं ! राजीव भाई ने उसका बहुत इस्तेमाल किया है लोगो का नशा छुड़वाने के लिए ! और उस औषधि का नाम है अदरक! और आसानी से सबके घर मे होती है ! इस अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो ! जब भी दिल करे गुटका खाना है तंबाकू खाना है बीड़ी सिगरेट पीनी है ! तो आप एक अदरक का टुकड़ा निकालो मुंह मे रखो और चूसना शुरू कर दो ! और यह अदरक ऐसे अद्भुत चीज है आप इसे दाँत से काटो मत और सवेरे से शाम तक मुंह मे रखो तो शाम तक आपके मुंह मे सुरक्षित रहता है ! इसको चूसते रहो आपको गुटका खाने की तलब ही नहीं उठेगी ! तंबाकू सिगरेट लेने की इच्छा ही नहीं होगी शराब पीने का मन ही नहीं करेगा !और 10 -15 -20 दिन लगातार कर लिया ! तो हमेशा के लिए नशा आपका छूट जाएगा !
यह अदरक मे एक ऐसे चीज है जिसे हम रसायनशास्त्र (क्मिस्ट्री) मे कहते है सल्फर !
अदरक मे सल्फर बहुत अधिक मात्रा मे है ! और जब हम अदरक को चूसते है जो हमारी लार के साथ मिल कर अंदर जाने लगता है ! तो ये सल्फर जब खून मे मिलने लगता है ! तो यह अंदर ऐसे हार्मोन्स को सक्रिय कर देता है ! जो हमारे नशा करने की इच्छा को खत्म कर देता है !
और विज्ञान की जो रिसर्च है सारी दुनिया मे वो यह मानती है की कोई आदमी नशा तब करता है ! जब उसके शरीर मे सल्फर की कमी होती है ! तो उसको बार बार तलब लगती है बीड़ी सिगरेट तंबाकू आदि की ! तो सल्फर की मात्रा आप पूरी कर दो बाहर से ये तलब खत्म हो जाएगी ! इसका राजीव भाई ने हजारो लोगो पर परीक्षण किया और बहुत ही सुखद प्रणाम सामने आए है ! बिना किसी खर्चे के शराब छूट जाती है बीड़ी सिगरेट शराब गुटका आदि छूट जाता है ! तो आप इसका प्रयोग करे !
अदरक के रूप मे सल्फर भगवान ने बहुत अधिक मात्रा मे दिया है ! और सस्ता है! इसी सल्फर को आप होमिओपेथी की दुकान से भी प्राप्त कर सकते हैं ! आप कोई भी होमिओपेथी की दुकान मे चले जाओ और विक्रेता को बोलो मुझे सल्फर नाम की दवा देदो ! वो देदेगा आपको शीशी मे भरी हुई दवा देदेगा ! और सल्फर नाम की दवा होमिओपेथी मे पानी के रूप मे आती है प्रवाही के रूप मे आती है जिसको हम Dilution कहते है अँग्रेजी मे !
तो यह पानी जैसे आएगी देखने मे ऐसे ही लगेगा जैसे यह पानी है ! 5 मिली लीटर दवा की शीशी 5 रूपये आती है ! और उस दवा का एक बूंद जीभ पर डाल लो सवेरे सवेरे खाली पेट ! फिर अगले दिन और एक बूंद डाल लो ! 3 खुराक लेते ही 50 से 60 % लोग की दारू छूट जाती है ! और जो ज्यादा पियकड़ है !जिनकी सुबह दारू से शुरू होती है और शाम दारू पर खतम होती है ! वो लोग हफ्ते मे दो दो बार लेते रहे तो एक दो महीने तक करे बड़े बड़े पियक्कड़ों की दारू छूट जाएगी !राजीव भाई ने ऐसे ऐसे पियक्कड़ों की दारू छुड़ाई है ! जो सुबह से पीना शुरू करते थे और रात तक पीते रहते थे ! उनकी भी दारू छूट गई बस इतना ही है दो तीन महीने का समय लगा !
हमारे यूट्यूब चैनल को SUBSCRIBE करने के लिए लाल रंग के लिंक पर क्लिक करें –
तो ये सल्फर अदरक मे भी है ! होमियोपैथी की दुकान मे भी उपलब्ध है ! आप आसानी से खरीद सकते है !लेकिन जब आप होमियोपैथी की दुकान पर खरीदने जाओगे तो वो आपको पूछेगा कितनी ताकत की दवा दूँ ??!
मतलब कितनी Potency की दवा दूँ ! तो आप उसको कहे 200 potency की दवा देदो ! आप सल्फर 200 कह कर भी मांग सकते है ! लेकिन जो बहुत ही पियकड़ है उनके लिए आप 1000 Potency की दवा ले !आप 200 मिली लीटर का बोतल खरीद लो एक 150 से रुपए मे मिलेगी ! आप उससे 10000 लोगो की शराब छुड़वा सकते हैं ! मात्र एक बोतल से ! लेकिन साथ मे आप मन को मजबूत बनाने के लिए रोज सुबह बायीं नाक से सांस ले ! और अपनी इच्छा शक्ति मजबूत करे !!!
अब एक खास बात !
बहुत ज्यादा चाय और काफी पीने वालों के शरीर मे arsenic तत्व की कमी होती है !
उसके लिए आप arsenic 200 का प्रयोग करे !
गुटका,तंबाकू,सिगरेट,बीड़ी पीने वालों के शरीर मे phosphorus तत्व की कमी होती है !
उसके लिए आप phosphorus 200 का प्रयोग करे !
और शराब पीने वाले मे सबसे ज्यादा sulphur तत्व की कमी होती है !
उसके लिए आप sulphur 200 का प्रयोग करे !!सबसे पहले शुरुवात आप अदरक से ही करे !
मित्रो कई बार चोट लग जाती है और कुछ छोटे बहुत ही गंभीर हो जाते है। और अगर किसी डाईबेटिक पेशेंट( शुगर का मरीज ) है और चोट लग गयी तो उसका सारा दुनिया जहां एक ही जगह है, क्योंकि जल्दी ठीक ही नही होता है। और उसके लिए कितनी भी कोशिश करे डॉक्टर को हर बार सफलता नहीं मिलती और अंत में वो चोट धीरे धीरे गैंग्रीन (अंग का सड़ जाना) में कन्वर्ट हो जाती है। और फिर वो अंग काटना पड़ता है, उतने हिस्से को शरीर से निकालना पड़ता है।
ऐसी परिस्तिथि में एक औषधि है जो गैंग्रीन को भी ठीक करती है और Osteomyelitis (अस्थिमज्जा का प्रदाह) को भी ठीक करती है। गैंग्रीन माने अंग का सड़ जाना, जहाँ पर नई कोशिकाएं विकसित नही होती । न तो मांस में और न ही हड्डी में !और सब पुरानी कोशिकाएं भी मरती जाती है । इसी का एक छोटा भाई है Osteomyelitis इसमें भी कोशिका कभी पुनर्जीवित नही होती
जिस हिस्से में ये होता है वहाँ बहुत बड़ा घाव हो जाता है और वो ऐसा सड़ता है के डॉक्टर कहता है की इसको काट के ही निकलना है और कोई दूसरा उपाय नही है।। ऐसे परिस्थिति में जहां शरीर का कोई अंग काटना पड़ जाता हो या पड़ने की संभावना हो, घाव बहुत हो गया हो उसके लिए आप एक औषधि अपने घर में तैयार कर सकते है।
हेल्थ से जुड़ी सारी जानकारियां जानने के लिए तुरंत हमारी एप्प इंस्टॉल करें। हमारी एप को इंस्टॉल करने के लिए नीले रंग के लिंक पर क्लिक करें –
औषधि है देशी गाय का मूत्र लीजिये (सूती के आठ परत कपड़ो में छान लीजिये) ,हल्दी लीजिये और गेंदे के फूल लीजिये । गेंदे के फूल की पीला या नारंगी पंखरियाँ निकालना है, फिर उसमे हल्दी डालकर गाय मूत्र डालकर उसकी चटनी बनानी है।
अब चोट का आकार कितना बढ़ा है उसकी साइज़ के हिसाब से गेंदे के फूल की संख्या तय होगी, माने चोट छोटे एरिया में है तो एक फूल , काफी है चोट बड़ी है तो दो, तीन,चार अंदाज़े से लेना है। इसकी चटनी बना के इस चटनी को लगाना है जहाँ पर भी बाहर से खुली हुई चोट है जिससे खून निकल चुका है और ठीक नही हो रहा। कितनी भी दवा खा रहे है पर ठीक नही हो रहा, ठीक न होने का एक कारण तो है डायबिटीज दूसरा कोई जैनेटिक कारण भी हो सकते है।
इसको दिन में कम से कम दो बार लगाना है जैसे सुबह लगाके उसके ऊपर रुई पट्टी बांध दीजिये ताकि उसका असर बॉडी पे रहे; और शाम को जब दुबारा लगायेंगे तो पहले वाला धोना पड़ेगा ! इसको गोमूत्र से ही धोना है डेटाल जैसो का प्रयोग मत करिए, गाय के मूत्र को डेटाल की तरह प्रयोग करे। धोने के बाद फिर से चटनी लगा दे। फिर अगले दिन सुबह कर दीजिये।
हमारे यूट्यूब चैनल को SUBSCRIBE करने के लिए लाल रंग के लिंक पर क्लिक करें –
यह इतना प्रभावशाली है इतना प्रभावशाली है के आप सोच नही सकते देखेंगे तो चमत्कार जैसा लगेगा। यहाँ आप मात्र post पढ़ रहे लेकिन अगर आपने सच मे किया तब आपको इसका चमत्कार पता चलेगा !इस औषधि को हमेशा ताजा बनाके लगाना है। किसी का भी जखम किसी भी औषधि से ठीक नही हो रहा है तो ये लगाइए। जो सोराइसिस गिला है जिसमे खून भी निकलता है, पस भी निकलता है उसके लीजिये भी यह औषधि पूर्णरूप से ठीक कर देती है।
अकसर यह एक्सीडेंट के केस में खूब प्रयोग होता है क्योंकि ये लगाते ही खून बंद हो जाता है। ऑपरेशन का कोई भी घाव के लिए भी यह सबसे अच्छा औषधि है। गिला एक्जीमा में यह औषधि बहुत काम करता है, जले हुए जखम में भी काम करता है।
चूना जो आप पान में खाते है वो सत्तर बीमारी ठीक कर देते है ।जैसे किसी को पीलिया हो जाये माने जोंडिस उसकी सबसे अच्छी दवा है चूना ; गेहूँ के दाने के बराबर चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से बहुत जल्दी पीलिया ठीक कर देता है । और ये ही चूना नपुंसकता की सबसे अच्छी दवा है – अगर किसी के शुक्राणु नही बनता उसको अगर गन्ने के रस के साथ चूना पिलाया जाये तो साल डेढ़ साल में भरपूर शुक्राणु बनने लगेंगे; और जिन माताओं के शरीर में अन्डे नही बनते उनकी बहुत अच्छी दवा है ये चूना । बिद्यार्थीओ के लिए चूना बहुत अच्छी है जो लम्बाई बढाती है – गेहूँ के दाने के बराबर चूना रोज दही में मिलाके खाना चाहिए, दही नही है तो दाल में मिलाके खाओ, दाल नही है तो पानी में मिला के पियो – इससे लम्बाई बढने के साथ साथ स्मरण शक्ति भी बहुत अच्छा होता है । जिन बच्चो की बुद्धि कम काम करती है मतिमंद बच्चे उनकी सबसे अच्छी दवा है चूना, जो बच्चे बुद्धि से कम है, दिमाग देर में काम करते है, देर में सोचते है हर चीज उनकी स्लो है उन सभी बच्चे को चूना खिलाने से अच्छे हो जायेंगे ।
बहनों को अपने मासिक धर्म के समय अगर कुछ भी तकलीफ होती हो तो उसका सबसे अच्छी दवा है चूना । और हमारे घर में जो माताएं है जिनकी उम्र पचास वर्ष हो गयी और उनका मासिक धर्म बंद हुआ उनकी सबसे अच्छी दवा है चूना; गेहूँ के दाने के बराबर चूना हर दिन खाना दाल में, लस्सी में, नही तो पानी में घोल के पीना ।
हेल्थ से जुड़ी सारी जानकारियां जानने के लिए तुरंत हमारी एप्प इंस्टॉल करें। हमारी एप को इंस्टॉल करने के लिए नीले रंग के लिंक पर क्लिक करें –
जब कोई माँ गर्भावस्था में है तो चूना रोज खाना चाहिए क्यूकि गर्भवती माँ को सबसे ज्यादा कैल्सियम की जरुरत होती है और चूना कैल्सियम का सब्से बड़ा भंडार है । गर्भवती माँ को चूना खिलाना चाहिए अनार के रस में – अनार का रस एक कप और चूना गेहूँ के दाने के बराबर ये मिलाके रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार दीजिये तो चार फायदे होंगे – पहला फायदा होगा के माँ को बच्चे के जनम के समय कोई तकलीफ नही होगी और नोर्मल डिलीवरी होगी, दूसरा बच्चा जो पैदा होगा वो बहुत हस्टपुष्ट और तंदरुस्त होगा , तीसरा फ़ायदा वो बच्चा जिन्दगी में जल्दी बीमार नही पड़ता जिसकी माँ ने चूना खाया , और चौथा सबसे बड़ा लाभ है वो बच्चा बहुत होशियार होता है बहुत Intelligent और Brilliant होता है उसका IQ बहुत अच्छा होता है ।
चूना घुटने का दर्द ठीक करता है , कमर का दर्द ठीक करता है , कंधे का दर्द ठीक करता है, एक खतरनाक बीमारी है Spondylitis वो चुने से ठीक होता है। कई बार हमारे रीड़ की हड्डी में जो मनके होते है उसमे दूरी बड़ जाती है Gap आ जाता है – ये चूना ही ठीक करता है उसको; रीड़ की हड्डी की सब बीमारिया चुने से ठीक होता है । अगर आपकी हड्डी टूट जाये तो टूटी हुई हड्डी को जोड़ने की ताकत सबसे जादा चुने में है । चूना खाइए सुबह को खाली पेट ।
अगर मुह में ठंडा गरम पानी लगता है तो चूना खाओ बिलकुल ठीक हो जाता है, मुह में अगर छाले हो गए है तो चुने का पानी पियो तुरन्त ठीक हो जाता है । शरीर में जब खून कम हो जाये तो चूना जरुर लेना चाहिए , एनीमिया है खून की कमी है उसकी सबसे अच्छी दवा है ये चूना , चूना पीते रहो गन्ने के रस में , या संतरे के रस में नही तो सबसे अच्छा है अनार के रस में – अनार के रस में चूना पिए खून बहुत बढता है , बहुत जल्दी खून बनता है – एक कप अनार का रस गेहूँ के दाने के बराबर चूना सुबह खाली पेट ।
भारत के जो लोग चुने से पान खाते है, बहुत होशियार लोग है पर तम्बाकू नही खाना, तम्बाकू ज़हर है और चूना अमृत है .. तो चूना खाइए तम्बाकू मत खाइए और पान खाइए चुने का उसमे कत्था मत लगाइए, कत्था कैंसर करता है, पान में सुपारी मत डालिए सोंट डालिए उसमे , इलाइची डालिए , लौग डालिए. केशर डालिए ; ये सब डालिए पान में चूना लगाके पर तम्बाकू नही , सुपारी नही और कत्था नही ।
हमारे यूट्यूब चैनल को SUBSCRIBE करने के लिए लाल रंग के लिंक पर क्लिक करें –
अगर आपके घुटने में घिसाव आ गया और डॉक्टर कहे के घुटना बदल दो तो भी जरुरत नही चूना खाते रहिये और हाड़सिंगार के पत्ते का काड़ा खाइए घुटने बहुत अच्छे काम करेंगे । राजीव भाई कहते है चूना खाइए पर चूना लगाइए मत किसको भी ..ये चूना लगाने के लिए नही है खाने के लिए है ; आजकल हमारे देश में चूना लगाने वाले बहुत है पर ये भगवान ने खाने के लिए दिया है ।
क्या आप जानते हैं चटपटा, मसालेदार खाना खाने से आप पेटकी जलन यानी एसीडिटी से परेशान से हो सकते हैं। एसीडिटी के दौरान कई बार पेट में इतनी जलन होती है मानो कि पेट में आग लग गई है। एसीडिटी का इलाज भी संभव है लेकिन उसके लिए आपको चटपटे खाने से तौबा करनी होगी।नियमित रूप से चटपटा मसालेदार और जंकफूड का सेवन, अधिक एल्कोहल और नशीले पदार्थों का सेवन, लंबे समय तक दवाईयों का सेवन, शरीर में गर्मी बढ़ जाना, बहुत देर रात भोजन करना, भोजन के बाद भी कुछ न कुछ खाना या लंबे समय तक भूखे रहकर एकदम बहुत सारा खाना खाना एसिडिटी के मुख्य कारण होते है।
एसीडिटी के तुरंत बाद अक्सर पेट में जलन होने लगती है। कड़वी और खट्टी डकारें आना, लगातार गैस बनना और सिर दर्द की शिकायत, उल्टीहोने का अहसास और खाने का बाहर आने का अहसास होना, थकानऔर भारीपन महसूस होना आदि इसके लक्षण माने जाते है।
हमारे यूट्यूब चैनल को SUBSCRIBE करने के लिए लाल रंग के लिंक पर क्लिक करें –
नीम की छाल को पीसकर उसका चूर्ण बनाकर पानी से लेने से एसीडिटी से निजात मिलती है। इतना ही नहीं यदि आप चूर्ण का सेवन नहीं करना चाहते तो रात को पानी में नीम की छाल भिगो दें और सुबह इसका पानी पीएं आपको इससे निजात मिलेगी।
अदरक के सेवन से एसीडिटी से निजात मिल सकती हैं, इसके लिए आपको अदरक को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर गर्म पानी में उबालना चाहिए और फिर उसका पानी अदरक की चाय भी ले सकते हैं।
अधिक मात्रा में पानी पीने, दोपहर के खाने से पहले पानी में नींबूऔर मिश्री का मिश्रण, नियमित रूप से व्यायाम और दोपहर और रात के खाने के बीच सही अंतराल आदि सावधानियों से एसिडिटी की समस्या से बचा जा सकता है।
रसीला आम ‘फलों का राजा’ के रूप में मशहूर भारत का सबसे लोकप्रिय फल है। अपने अद्वितीय स्वाद और खुशबू की वजह से ही आम में पाई जाने वाली बेहिसाब खूबियां इसे फलों का राजा बनाती हैं। दुनिया भर में इसकी एक हजार से भी ज्यादा किस्में मिलती हैं। यह ऐसा फल है, जिसे कच्चा और पका, दोनों रूपों में बड़े मजे के साथ खाया जाता है। पके आम को सलाद की तरह ही नहीं खाया जाता, इससे मैंगो शेक, आइसक्रीम, कैंडी, जैम, जैली, मुरब्बे, स्क्वैश जैसे बने व्यंजन सभी के पसंदीदा हैं। गर्मी के मौसम में कच्चे हरे आम का रस या पना जहां शीतलता प्रदान करता है, वहीं इससे बने आचार, चटनी तो लोग मजे लेकर खाते हैं। आम न केवल पौष्टिक तत्वों से भरपूर है, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक गुणों की खान भी है।
इसमें कार्बोहाइड्रेट, विटामिन सी, विटामिन ए और बी कॉम्प्लेक्स, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, लौह जैसे खनिज लवण पाए जाते हैं, जो इसे हमारी सेहत का खजाना बना देते हैं। ये हमारे शरीर को कई बीमारियों से बचाते हैं, उसे स्वस्थ और फिट भी रखते हैं।
आम में यह खूबी है कि इसे खाया भी जाता है और त्वचा पर भी लगाया जा सकता है। इसके नियमित सेवन से त्वचा के बंद पोर खुल जाते हैं, जिससे मुहांसों से छुटकारा मिल सकता है। आम के पल्प में शहद और दूध मिलाकर लगाने से त्वचा के रंग में निखार आता है।
रक्तचाप को करे नियंत्रित
आम में मौजूद पोटेशियम और मैग्नीशियम उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए प्राकृतिक उपचार का काम करते हैं। यह हृदय की धड़कन और रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक है। विटामिन बी, सी और ई मस्तिष्क के भीतर गाबा हार्मोन का उत्पादन करने में सहायक होते हैं, जो मांसपेशियों को टोन रखते हैं। इससे सीएडी (कोरोनरी धमनी रोग) और स्ट्रोक से हृदय की रक्षा होती है।
आम के पत्ते रक्त में इंसुलिन का स्तर नियंत्रित कर डायबिटीज से निजात दिलाने में मदद करते हैं। रात को आम के 4-5 पत्ते थोड़े-से पानी में उबाल लें। सुबह पत्तों को अच्छी तरह मसलें और पानी छान लें। इसे खाली पेट कुछ दिन तक पीने से फायदा होता है।
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए
आम बीटा-कैरोटीन, कैरोटीनॉयड और विटामिन सी से भी भरपूर है। यह शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बेहतर और मजबूत बनाने में मदद करता है। विटामिन सी से भरपूर आम के सेवन से शरीर संक्रामक रोगों के खिलाफ प्रतिरोध करने की क्षमता विकसित होती है।
हेल्थ से जुड़ी सारी जानकारियां जानने के लिए तुरंत हमारी एप्प इंस्टॉल करें। हमारी एप को इंस्टॉल करने के लिए नीले रंग के लिंक पर क्लिक करें –
आम अपनी अमीर फाइबर सामग्री की वजह से रक्त में ट्राइग्लिसराइड्स भोजन का काम करता है। यह तंत्रिका तंत्र में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है और हृदय घात का खतरा कम करता है।
कैंसर के खतरे को करे कम
आम में क्यूरेसीटिन, आइसोक्यूरेसीटिन, एस्ट्रागालिन, पॉली फिनोलिक फ्लेवोनॉयड जैसे एंटीऑक्सीडेंट यौगिक मिलते हैं, जो पेट, स्तन, ल्यूकेमिया और प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को कम करते हैं।
आम मस्तिष्क के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण फल है। इसमें मौजूद विटामिन बी दिमाग की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाता है। किसी भी काम को करने में एकाग्रता की कमी होना और याददाश्त कमजोर होने पर विटामिन बी की भूमिका बढ़ जाती है और आम में मौजूद ग्लूटामाइन एसिड भी इस काम में काफी प्रभावी होता है।
कोलेस्ट्रॉल लेवल को करे संतुलित
आम में घुलनशील फाइबर पेक्टिन और विटामिन सी पाया जाता है। यह रक्त में कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन सीरम (खराब कोलेस्ट्रॉल) के लेवल को कम करने में प्रभावी भूमिका निभाता है। यह ग्रंथि में होने वाले कैंसर से भी बचाता है।
आम में पाए जाने वाले एस्टर, टरपेन्स जैसे एंजाइम्स भूख बढ़ाने और भोजन पचाने में मदद करते हैं। यह अपच, कब्ज और एसिडिटी जैसी समस्याओं को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फाइबर से भरपूर आम मल त्याग और चयापचय दर को बढ़ाने में मदद करता है।
एनीमिया पीडित लोगों के लिए फायदेमंद
आम में आयरन, फोलेट, मैंग्नीशियम जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके नियमित सेवन से खून की कमी दूर होती है। गर्भवती और मेनोपॉज की अवस्था वाली महिलाओं और बच्चों के स्वस्थ विकास में आम सहायक है।
इसे उम्र का प्रभाव कम करने वाला फल भी कहा जाता है। आम में पाए जाने वाले विटामिन्स शरीर के अंदर कोलेजन प्रोटीन के निर्माण में सहायक हैं। यह खून के प्रवाह को बनाए रखता है, जिससे त्वचा पर बढ़ती उम्र का असर कम होता है।
सावधानी भी है जरूरी
क्यों खतरनाक हो गया ‘आम’
वैसे तो हम सब जानते हैं कि किसी भी वस्तु का जरूरत से ज्यादा सेवन नुकसानदेह होता है, पर इन दिनों आम के संदर्भ में यह बात उपयुक्त नहीं होती। इससे होने वाली परेशानी अक्सर इसे पकाने के गलत तरीके से भी होती है।
बाजार में जैसे-जैसे प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, खाने-पीने की चीजों, खासकर फलों को समय से पहले बाजार में लाने की होड़ सी लगी हुई है। आमों को समय से पहले पकाने के लिए रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। कैल्शियम कार्बाइड वह पदार्थ है, जिसकी मदद से आम को जबरदस्ती पकाया जाता है। पत्थर सा दिखने वाला यह पदार्थ नमी के साथ प्रतिक्रिया करके एथिलीन जैसी गैसें बनाता है, जिससे फल जल्दी पक जाते हैं। जिस कैल्शियम कार्बाइड से आमों को पकाया जा रहा है, वह सेहत के लिए घातक है।
सही और गलत आम की पहचान
आम पकने का एक निश्चित समय होता है। प्राकृतिक और कृत्रिम रूप से पके आमों के अंतर को जानने के लिए उनके सुगंध, रंग और छिलके का सहारा ले सकते हैं। प्राकृतिक रूप से पके आम का छिलका पतला और कोमल होता है, जबकि कृत्रिम ढंग से पके आम का छिलका पीला और कठोर होता है।
रंग से भी होती है पहचान
आम के रंग से भी उसके कृत्रिम और प्राकृतिक होने का पता लगाया जा सकता है। रासायनिक रूप से पके आम का रंग एक-सा होता है। इसके विपरीत प्राकृतिक रूप से पके आम में पीले और हरे रंग का मिश्रण होता है। अगर पीले आम में कहीं-कहीं हरे धब्बे नजर आएं तो समझ जाएं कि आम में कुछ गड़बड़ है।
हर किस्म के आम की अपनी अलग खुशबू होती है। पर जबरन या कृत्रिम रूप से पकाए आम में खुशबू या तो होती नहीं है या बहुत कम होती है। आप इसे सूंघ कर पता लगा सकते हैं।
घातक हो सकती है आम की मिठास
कार्बाइड से पके आम में विटामिन और पोषक तत्वों की मात्रा घट जाती है। आहार विशेषज्ञ की मानें तो जो फल कार्बाइड से पकाए जाते हैं, वे सेहत के लिए तो हानिकारक होते ही हैं, धीमी मौत का कारण भी बन जाते हैं। कार्बाइड, पानी के साथ ऑर्गेनिक फॉस्फोरस बनाता है। पानी में घुलनशील होने के कारण यह शरीर में आसानी से घुल जाता है और शरीर को नुकसान पहुंचाता है।
जरा ध्यान दें
इतनी खूबियों के बावजूद आम का सेवन सीमित मात्रा में करना ही ठीक है। शर्करा से भरपूर आम का ज्यादा सेवन मोटापे को ही नहीं, त्वचा रोगों को भी न्योता देता है।
गुर्दे की पथरी (वृक्कीय कैल्कली, नेफरोलिथियासिस) मूत्रतंत्र की एक ऐसी स्थिति है जिसमें, वृक्क (गुर्दे) के अन्दर छोटे-छोटे पत्थर सदृश कठोर वस्तुओं का निर्माण होता है। गुर्दें में एक समय में एक या अधिक पथरी हो सकती है। सामान्यत: ये पथरियाँ बिना किसी तकलीफ मूत्रमार्ग से शरीर से बाहर निकाल दी जाती हैं , किन्तु यदि ये पर्याप्त रूप से बड़ी हो जाएं ( २-३ मिमी आकार के) तो ये मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं। इस स्थिति में मूत्रांगो के आसपास असहनीय पीड़ा होती है।
यह स्थिति आमतौर से 30 से 60 वर्ष के आयु के व्यक्तियों में पाई जाती है और स्त्रियों की अपेक्षा पुरूषों में चार गुना अधिक पाई जाती है। बच्चों और वृद्धों में मूत्राशय की पथरी ज्यादा बनती है, जबकि वयस्को में अधिकतर गुर्दो और मूत्रवाहक नली में पथरी बन जाती है। आज भारत के प्रत्येक 2000 परिवारों में से एक परिवार इस पीड़ादायक स्थिति से पीड़ित है, लेकिन सबसे दु:खद बात यह है कि इनमें से कुछ प्रतिशत रोगी ही इसका इलाज करवाते हैं। जिन मरीजों को मधुमेह की बीमारी है उन्हें गुर्दे की बीमारी होने की काफी संभावनाएं रहती हैं। अगर किसी मरीज को रक्तचाप की बीमारी है तो उसे नियमित दवा से रक्तचाप को नियंत्रण करने पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर रक्तचाप बढ़ता है, तो भी गुर्दे खराब हो सकते हैं।
किडनी स्टोन गलत खानपान का नतीजा है, इसके मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गुर्दे की पथरी होने पर असहनीय दर्द होता है। जब नमक एवं अन्य खनिज (जो मूत्र में मौजूद होते हैं) एक दूसरे के संपर्क में आते हैं तब पथरी बनती है। कुछ पथरी रेत के दानों की तरह बहुत छोटे आकार के होते हैं तो कुछ मटर के दाने की तरह। आमतौर पर पथरी मूत्र के जरिये शरीर के बाहर निकल जाती है, लेकिन जो पथरी बड़ी होती है वह बहुत ही परेशान करती है।
हेल्थ से जुड़ी सारी जानकारियां जानने के लिए तुरंत हमारी एप्प इंस्टॉल करें। हमारी एप को इंस्टॉल करने के लिए नीले रंग के लिंक पर क्लिक करें –
किसी पदार्थ के कारण जब मूत्र सान्द्र (गाढ़ा) हो जाता है तो पथरी निर्मित होने लगती है। इस पदार्थ में छोटे छोटे दाने बनते हैं जो बाद में पथरी में तब्दील हो जाते है। इसके लक्षण जब तक दिखाई नहीं देते तब तक ये मूत्रमार्ग में बढ़ने लगते है और दर्द होने लगता है। इसमें काफी तेज दर्द होता है जो बाजू से शुरु होकर उरू मूल तक बढ़ता है।
तथा रोजाना भोजन करते समय उनमें जो कैल्शियम फॉस्फेट आदि तत्व रह जाते हैं, पाचन क्रिया की विकृति से इन तत्वों का पाचन नहीं हो पाता है। वे गुर्दे में एकत्र होते रहते हैं। कैल्शियम, फॉस्फेट के सूक्ष्म कण तो मूत्र द्वारा निकलते रहते हैं, जो कण नहीं निकल पाते वे एक दूसरे से मिलकर पथरी का निर्माण करने लगते हैं। पथरी बड़ी होकर मूत्र नली में पहुंचकर मूत्र अवरोध करने लगती है। तब तीव्र पीड़ा होती है। रोगी तड़पने लगता है। इलाज में देर होने से मूत्र के साथ रक्त भी आने लगता है जिससे काफी पीड़ा होती है। तथा लंबे समय तक पाचन शक्ति ठीक न रहने और मूत्र विकार भी बना रहे तो गुर्दों में कुछ तत्व इकट्ठे होकर पथरी का रूप धारण कर लेते हैं।
पीठ के निचले हिस्से में अथवा पेट के निचले भाग में अचानक तेज दर्द, जो पेट व जांघ के संधि क्षेत्र तक जाता है। दर्द फैल सकता है या बाजू, श्रोणि, उरू मूल, गुप्तांगो तक बढ़ सकता है, यह दर्द कुछ मिनटो या घंटो तक बना रहता है तथा बीच-बीच में आराम मिलता है। दर्दो के साथ जी मिचलाने तथा उल्टी होने की शिकायत भी हो सकती है। यदि मूत्र संबंधी प्रणाली के किसी भाग में संक्रमण है तो इसके लक्षणों में बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, पेशाब आने के साथ-साथ दर्द होना आदि भी शामिल हो सकते हैं ; बार बार और एकदम से पेशाब आना, रुक रुक कर पेशाब आना, रात में अधिक पेशाब आना, मूत्र में रक्त भी आ सकता है। अंडकोशों में दर्द, पेशाब का रंग असामान्य होना। गुर्दे की पथरी के ज्यादातर रोगी पीठ से पेट की तरफ आते भयंकर दर्द की शिकायत करते हैं। यह दर्द रह-रह कर उठता है और कुछ मिनटो से कई घंटो तक बना रहता है इसे ”रीलन क्रोनिन” कहते हैं। यह रोग का प्रमुख लक्षण है, इसमें मूत्रवाहक नली की पथरी में दर्दो पीठ के निचले हिस्से से उठकर जांघों की ओर जाता है।
सबसे आम पथरी कैल्शियम पथरी है। पुरुषों में, महिलाओं की तुलना में दो से तीन गुणा ज्यादा होती है। सामान्यतः 20 से 30 आयु वर्ग के पुरुष इससे प्रभावित होते है। कैल्शियम अन्य पदार्थों जैसे आक्सलेट(सबसे सामान्य पदार्थ) फास्फेट या कार्बोनेट से मिलकर पथरी का निर्माण करते है। आक्सलेट कुछ खाद्य पदार्थों में विद्यमान रहता है।
मूत्रमार्ग में होने वाले संक्रमण की वजह से स्ट्रवाइट पथरी होती है जो आमतौर पर महिलाओं में पायी जाती है। स्ट्रवाइट पथरी बढ़कर गुर्दे, मूत्रवाहिनी या मूत्राशय को अवरुद्ध कर सकती है।
पुरुषों में यूरिक एसिड पथरी भी सामान्यतः पाई जाती है। किस्टिनूरिया वाले व्यक्तियों में किस्टाइन पथरी निर्मित होती है। महिला और पुरुष दोनों में यह वंशानुगत हो सकता है।
इलायची भी गुर्दे की पथरी से निजात दिलाती है। एक चम्मच इलायची, खरबूजे के बीज की गिरी, और दो चम्मच मिश्री एक कप पानी में डालकर उबाल लीजिए, इसे ठंडा होने के बाद छानकर सुबह-शाम पीने से पथरी पेशाब के रास्ते से बाहर निकल जाती है।
आंवला
किड्नी स्टोन होने पर आंवले का सेवन करना चाहिए। आंवला का चूर्ण मूली के साथ खाने से गुर्दे की पथरी निकल जाती है। इसमें अलबूमीन और सोडियम क्लोराइड बहुत ही कम मात्रा में पाया जाता है जिनकी वजह से इन्हें गुर्दे की पथरी के उपचार के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। इसलिए गुर्दे की पथरी होने पर आंवले का सेवन कीजिए।
बेल पत्र को पर जरा सा पानी मिलाकर घिस लें, इसमें एक साबुत काली मिर्च डालकर सुबह खायें। दूसरे दिन काली मिर्च दो कर दें और तीसरे दिन तीन, ऐसे सात दिनों तक लगातार इसका सेवन कीजिए। बाद में इसकी संख्या कम कीजिए, दो सप्ताह तक प्रयोग करने के बाद पथरी बाहर निकल जायेगी।
तुलसी की पत्ती
गुर्दे की पथरी होने पर तुलसी के पत्तों का सेवन कीजिए। तुलसी के पत्तों में विटामिन बी पाया जाता है जो पथरी से निजात दिलाने में मदद करता है। यदि विटामिन बी-6 को विटामिन बी ग्रुप के अन्य विटामिंस के साथ सेवन किया जाये तो गुर्दे की पथरी के इलाज में बहुत सहायता मिलती है। शोधकर्ताओं की मानें तो विटामिन बी की 100-150 मिग्रा की नियमित खुराक लेने से गुर्दे की पथरी से निजात मिलती है
हमारे यूट्यूब चैनल को SUBSCRIBE करने के लिए लाल रंग के लिंक पर क्लिक करें –
सौंफ भी गुर्दे की पथरी के लिए रामबाण उपचार है। सौंफ, मिश्री, सूखा धनिया इनको 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर रात को डेढ़ लीटर पानी में भिगोकर रख दीजिए, इसे 24 घंटे के बाद छानकर पेस्ट बना लीजिए। इसके एक चम्मच पेस्ट में आधा कप ठंडा पानी मिलाकर पीने से पथरी पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है।
बथुआ
बथुआ भी किड़नी स्टोन से निजात दिलाता है। आधा किलो बथुआ लेकर इसे 800 मिलि पानी में उबालें। अब इसे कपड़े या चाय की छलनी में छान लीजिए। बथुआ की सब्जी भी इसमें अच्छी तरह मसलकर मिला लीजिए। आधा चम्मच काली मिर्च और थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर दिन में 3 से 4 बार पीयें। इससे गुर्दे की पथरी निकल जाती है।
जीरा
किड्नी स्टोन को बाहर निकालने में जीरा बहुत कारगर है। जीरा और चीनी को समान मात्रा में लेकर पीस लीजिए, इस चूर्ण को एक-एक चम्मच ठंडे पानी के साथ रोज दिन में तीन बार लीजिए। इससे बहुत जल्दी ही गुर्दे की पथरी से निजात मिल जाती है।
हमें पानी से भरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए जो पाचन में आसान होती हैं जैसे गाजर, लौकी, खीरा, मूली आदि। यह सब्जियाँ त्रिदोषक होती हैं और हर प्रकार की त्वचा के लिए लाभदायक होती हैं। हमें प्रतिदिन कम से कम तीन सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
हर्बल चाय
वात से खुश्की बढ़ जाती है और नमी की कमी के कारण त्वचा की कोमलता नष्ट हो जाती है। इससे बचने के लिए हम गर्म पदार्थ जैसे हर्बल टी आदि का दिन में कई बार सेवन कर सकते हैं। अदरक और नींबू के मिश्रण से तैयार चाय का सेवन करने से त्वचा हमेशा चमकती रहती है। इससे पाचन भी ठीक रहता है।
परम्परागत आयुर्वेद में बताया गया है की हमें सीड्स और नट्स का सेवन भोजन के साथ करना चहिये। ऐसा करने से हमारी त्वचा में अच्छा बदलाव आता है और वह साफ़ दिखाई देता है। वात के कारण हमारी तवचा खुश्क हो जाती है परन्तु सीड्स और नट्स में ओमेगा 3 और प्राकृतिक फैट्स पाये जाते है जो त्वचा को संतुलन प्रदान करते हैं। इनमे फाइबर भी पाया जाता है जो हमारे हाजमे की कमजोरी को दूर करता है।
व्यायाम कीजिये
व्यायाम से हम शरीर में वात का बढ़ना रोक सकते हैं। यही नही, व्यायाम करने से हमारे शरीर के टॉक्सिन्स पसीने के रूप में बहार निकल जाते हैं, जो स्वतः अपने आप में त्वचा की चमक बरकरार रखने में महत्वपूर्ण होता है।
हमारे यूट्यूब चैनल को SUBSCRIBE करने के लिए लाल रंग के लिंक पर क्लिक करें –
मानसिक और भावुक तनाव भी शरीर में वात बढ़ा देता है, जिससे त्वचा का रूखापन बढ़ जाता है। श्वास प्रक्रिया पर ध्यान देने से हम तनाव मुक्त हो सकते हैं और अपने शरीर में वात को बढ़ने से रोक सकते हैं।
दाँत दर्द में हमें बड़ी कठनाई का सामना करना पड़ता है । कई बार कुछ गलत खाने से तो कई बार दांतों की ठीक से सफाई न करने या कीड़े लगने के कारण दांतों में दर्द होने लगता है. दांतों में दर्द का कारण कोई भी हो, लेकिन इसकी पीड़ा हमारे लिए बेहद कष्टकारी बन जाती है। यहाँ पर हम आपको दाँत दर्द में कुछ बहुत ही आसान से उपचार बता रहे है।
दांत में दर्द होना एक आम समस्या है आज का समय में ये ज्यादातर कैल्शियमकी कमी से या फिर दांत को ठीक सी साफ़ न करने की वजह से कीड़ा लग जाते है जिसकी वजह से दांतों में दर्द होने लगता है |
हेल्थ से जुड़ी सारी जानकारियां जानने के लिए तुरंत हमारी एप्प इंस्टॉल करें। हमारी एप को इंस्टॉल करने के लिए नीले रंग के लिंक पर क्लिक करें –
फिटकरी से दांतों के दर्द में बहुत राहत मिलती है । इसे इस्तेमाल करने से पहले भून ले और उसका पाउडर बना ले फिर उसमे हल्दी का थोड़ा पाउडर मिला ले और उसको दांतों पर लगाए इससे दर्द तू ठीक होगा साथ में दांत भी सफ़ेद होगे|
लौंग में बहुत से गुण जो आपले दांतों में लगे कीड़ो को दूर कर देता है । अतः रात में सोने से पहले जिस दांत में दर्द हो वह पर लौंग का तेल लगा कर सोये |
बर्फ
किसी भी तरह के दर्द में बर्फ बहुत फायेदमंद होती है । अतः दर्द वाले दांतों को बर्फ के टुकड़े से सेकें इससे दर्द में राहत मिलता है |
तुलसी
तुलसीका सेवन करने से बहुत सी बीमारिया दूर होती है इससे दांत दर्द में भी आराम मिलता है । इसे इस्तेमाल करने के लिए काली मिर्च का पाउडर तुलसी के पतों के साथ मिलाकर छोटे छोटे गोले बनाकर दर्द वाली जगह पर रखे इससे दर्द धीरे धीरे ठीक हो जायेगा |
हमारे यूट्यूब चैनल को SUBSCRIBE करने के लिए लाल रंग के लिंक पर क्लिक करें –
मित्रो आयुर्वेद के अनुसार कभी भी दो विरुद्ध वस्तुए एक साथ नहीं खानी चाहिए।विरुद्ध वस्तुओ से अभिप्राय ऐसी वस्तुए जिनका गुण – धर्म अलग हो ।ऐसी कुछ 103 चीज़े आयुर्वेद में बाताई गई है । जो एक साथ कभी नहीं खानी चाहिए ।
उदाहरण के लिये प्याज और दूध कभी एक साथ न खाये । एक दूसरे के जानी दुश्मन हैं । इसको खाने से सबसे ज्यादा चमड़ी के रोग आपको
होगें दाद,खाज ,खुजली,एगसिमा ,सोराईसिस, आदि ।
हेल्थ से जुड़ी सारी जानकारियां जानने के लिए तुरंत हमारी एप्प इंस्टॉल करें। हमारी एप को इंस्टॉल करने के लिए नीले रंग के लिंक पर क्लिक करें –
ऐसे ही खट्टे फ़ल जिनमे सिट्रिक ऐसिड होता है कभी न खायें । एक सिट्रिक
ऐसिड तो इंसान का बनाया है एक भगवान का बनाया है । जैसे संतरा । कभी दूध के साथ न खाये ।आयुर्वेद के अनुसार अगर कोई खट्टा फ़ल दूध के साथ खाने वाला है वो एक ही है आवला। आवला दूध के साथ जरुर खाये ।
आम की दोस्ती दूध से जबरद्स्त हैं लेकिन खट्टे आम की नहीं |इसलिये मैग़ोशेक पी रहे है तो ध्यान रखे आम खट्टा ना हो ।
ऐसी ही कटहल और दूध कभी न खाये । ये भी जानी दुश्मन हैं ।
ऐसी ही उरद की दाल और दही एक दूसरे के जानी दुश्मन हैं ।उरद की दाल पर भारत में जितनी रिसर्च हो चुकी हैं तो ये पता लगा ये दालो
की राजा है । हमेशा अकेले ही खाये दही के साथ तो भूल कर भी ना खाये ।आप इसका अपने शरीर पर परिक्षण करे । एक खाने से पहले अपना b.P चैक करें। फ़िर उरद की दाल और दही खाये । आप पायेगें 22 से 25 % आपका B.P बढ़ा हुआ होगा । अर्थात ये अगर रोज रोज आप उरद की दाल , दही खा रहें है तो 5,6 महीने में हार्ट अटैक आ ही जायेगा ।
इसका मतलब (दही वाड़ा ) कभी नहीं । क्योंके दही वाड़ा मे अगर वड़ा उरद की दाल का बना हैं । और आप उसे दही के साथ खा रहें है तो बहुत तकलीफ़ करने वाला है ।हां अगर आपको खाना है तो जरुर खायें लेकिन दही के साथ नहीं चटनी के साथ खायें ।
हमारे यूट्यूब चैनल को SUBSCRIBE करने के लिए लाल रंग के लिंक पर क्लिक करें –
इस लिये अगर घर में विवाह है तो मीनू बनाते समय जरुर ध्यान रखें । उरद की
दाल का वड़ा दही के साथ परोस कर दोहरे पाप के भागी न बने ।
क्योंके आतिथि देवो भव । मेहमान भगवान का रुप हैं । उसके हनिकारक
वस्तुए न खिलाये ।या वो वड़ा मूंग की दाल का बनवाये । उरद की दाल का है तो दही के साथ नहीं
चटनी के साथ खाये ।