बच्चों के स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद से बेहतर कुछ भी नहीं हैं क्योंकि यह बिना किसी साइड इफेक्ट के आपके बच्चे को स्वस्थ रखती है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति मे हर बीमारी का इलाज है। कुछ बीमारियां ऐसी हैं जिनका आयुर्वेद में स्थायी इलाज है। आयुर्वेद में नवजात शिशु, शिशु आहार, नैदानिक परीक्षा, दांत निकलना, बचपन के रोगों के प्रबंधन की देखभाल, बच्चों में उपचार और थैरेपी के सिद्धांत शामिल है|
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अगर आपका बच्चा दस्त की समस्या से परेशान है तो बच्चे को जायफल घिसकर शहद के साथ सुबह और शाम चटाएं। बच्चे को आराम मिलेगा। या सौंफ और सोंठ का काढ़ा बनाकर बच्चे को एक या दो चम्मच पिलाएं। आराम मिलेगा। और बच्चे को हरे दस्त आ रहे हों तो थोड़ा सा अरंडी का तेल यानी कैस्टर ऑयल चटाएं।
बचपन में दांत निकल रहे हो
दांत निकलते समय मसूढ़ों में खुजली के कारण बच्चे बहुत परेशान होते है। इस समस्या से बच्चे को बचाने के लिए छोटी पीपली को बारीक पीसकर ऐसा चूर्णं तैयार करें जो कपड़े से छन जाए। फिर इसे चुटकी भर लेकर शहद में मिलाकर दिन में दो–तीन बार बच्चों के मसूढ़ों पर मलें। या अनार के रस में तुलसी का रस मिलाकर बच्चे को चटाने से दांत आसानी से निकल आते हैं। हालांकि कुशलता, सवैंधानिक तरीके और उचित खुराक दिये जाने पर आयुर्वेदिक उपचार सुरक्षित होते हैं और बच्चों के लिए बहुत अधिक प्रभावी होते हैं।
यह आयुर्वेद में रोगों के उपचार के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, यदि आपके बच्चे को कब्ज की समस्या है तो प्राकृतिक फाइबर से भरपूर आहार जैसे भीगी हुई किशमिश या खज़ूर, शहद, चोकर, तिल के बीज, आम, पपीता, अंगूर और ताजा अंजीर आपके बच्चे के लिए बहुत उपयोगी होता है।
खांसी जुकाम हो जाए तो
खांसी जुकाम होने पर बच्चे को तुलसी का रस दें। इससे सर्दी का प्रकोप नहीं होगा। या आधा इंच अदरक व एक ग्राम तेजपत्ते को एक कप पानी में भिगो कर काढ़ा बनाएं। फिर इसमें एक चम्मच मिश्री मिलाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार पिलाएं। बड़ी इलायची का पाउडर 2-2 ग्राम दिन में तीन बार पानी के साथ लेने से सभी प्रकार की खांसी में आराम मिलता है।
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बालों को प्राकृतिक रूप से काला करने के लिये आयुर्वेद में उपायों का खजाना है. काले-घने और लंबे बालों का राज है बालों की जड़ों को मिलने वाला पोषण। बालों को पोषण कलर, डाई या शैंपू से नहीं बल्कि आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों (A वाले से धोने या आयुर्वेदिक तेल लगाने से मिलता है।
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शंखपुष्पी से बने तेल रोजाना नियमित रूप से बालों में लगाने से सफेद
बाल काले हो जाते हैं।
शिकाकाई
शिकाकाई और सूखे आंवले लेकर को अच्छी तरह से कूट ले। दोनों के टुकड़ों को रात भर पानी में भिगों कर रखें। सुबह इस पानी को कपड़े के साथ मसलकर छान लें और इससे बालों की मालिश करें। मालिश करने के आधा घंटा बाद बाद नहा लें। बालों के सूखने पर नारियल का तेल लगायें। ऐसा करने से बाल काले, लंबे, मुलायम और चमकदार होते हैं। खास बात यह है कि शिकाकाई और आंवले से बाल कभी सफेद नहीं होते व जिनके बाल सफेद हों तो वे भी काले हो जाते हैं.
नीम के पत्तों को पानी के साथ पीसकर बालों में लगाएं व दो-तीन घंटे के बाद बालों को धो डालें। इससे बालों का झड़ना कम होगा और बाल लंबे और काले भी होंगे।
आंवला पाउडर
आंवले के पाउडर को लोहे के काले रंग के बर्तन में एक दिन तक रखिए और दूसरे दिन सुबह इसमें थोड़ा पानी मिलाकर पेस्ट बना लीजिए। इस पेस्ट को पूरे एक हफ्ते तक पानी मिला कर लोहे बर्तन में रखना है। हफ्ते भर में यह पेस्ट बिल्कुल काला हो जाएगा। जब यह पेस्ट पूरी तरह काला हो जाए तो इसे डाई की तरह बालों में लगाएं। इस विधि को दो-तीन बार अलग-अलग दिन पर आजमाए। बालों में कुदरती काला रंग आने लगेगा|
नारियल के तेल और जैतून के तेल (ऑलिव ऑयल) की बराबर मात्रा लेकर इसमें नींबू की कुछ बूंदे मिला कर बालों की मालिश करें। मालिश के बाद फिर गर्म तौलिए से सिर को तीन मिनट के लिए ढकें। ऐसा करने से बालों का झड़ना (hair fall) बंद होता है और बाल काला भी होता है।
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त्रिफला चूर्ण में लगभग एक चौथाई ग्राम लौह भस्म मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बालों का झड़ना बंद हो जाता है और बालों में कुदरती रंग आती है।
मेथी पाउडर
मेथी के बीजों में बालों को पोषण देने वाले सभी जरुरी तत्व मौजूद होते हैं। मेथी के बीज में फॉस्फेट, लेसिथिन, न्यूक्लिओ-अलब्यूमिन और कॉड-लिवर ऑयल के साथ फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, नियासिन, थियामिन, कैरोटीन आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं जो बालों की जड़ों को मजबूती प्रदान करते हैं।
मेथी दानों को ग्राईंडर में पीसकर चूर्ण बना लें। चूर्ण में पानी मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें और इस पेस्ट को बालों में लगाएं। इसे लगाने से बाल काला, घना और लंबा तो होगा ही, डैंड्रफ की परेशानी भी खत्म होगी।
काले तिल के तेल बालों में लगाने से बाल सफेद नहीं होते हैं। रोजाना सिर में तिल के तेल की मालिश करने से बाल हमेशा मुलायम, काले और घने बने रहते हैं।
अमरबेल
करीब 250 ग्राम अमरबेल को लगभग तीन लीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा हो जाए और अमरबेल पानी में पूरी तरह मिल जाए तो तो इसे उतार लें। सुबह के समय इससे बालों को धोयें. इससे बाल लंबे, काले और घने होते हैं।
जहां पर बाल न हों, वहां पर भांगरा के पत्तों के रस से मालिश करने से कुछ ही दिनों में अच्छे काले बाल निकल सकते हैं। जिन लोगों के बाल अधिक टूटते-झड़ते हैं उन्हें इस उपाय को जरूर आजमाना चाहिए। त्रिफला चूर्ण को भांगरा के रस में उबाल कर फिर इसे अच्छी तरह से सुखाकर, पीसकर रख लें। इसे प्रतिदिन सुबह के समय लगभग 2 ग्राम तक सेवन करने से बालों का सफेद होना बंद हो जाता है।
रीठा
एक ग्राम कपूर, 100 ग्राम नागरमोथा और रीठे के फल की गिरी, शिकाकाई पाव भर और 200 ग्राम आंवला, इन सभी को मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण को आधा ग्लास पानी में मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को बालों में लगाएं लेप सूखने के बाद गुनगुने पानी से बालों को अच्छी तरह धो लें। इससे बाल काले, घने और मुलायम होते हैं। रीठा, आंवला व शिकाकाई को आपस में मिलाकर बाल धोने से बाल सिल्की और चमकदार होती है।
मेंहदी और आंवला
सूखी मेंहदी और सूखा आंवला की बराबर मात्रा लेकर शाम को पानी में भींगने के लिए छोड़ लें। रात भर भींगने के बाद सुबह इससे बालों को धोएं इसे लगातार आजमाने बाल काले, मुलायम और लंबे होते हैं।
आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में सही तरीके से खान पान न करने के वजह , ज्यादा स्ट्रेस और काम का प्रेशर और स्मोक प्रमुख कारण है |माइग्रेन एक आम बीमारी है जो दिमाग में नर्व की सूजन से पैदा होती है। अर्धकपारी या फिर माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है। माइग्रेन सिर में हल्के दर्द से शुरू होकर तेज दर्द की ओर बढ़ जाता है। कभी-कभी यह लगभग चार घंटे से लेकर 72 घंटे तक बना रहता है। इसमें सिर के पिछले हिस्से में गर्दन के पास से लेकर पूरे सिर में बहुत भंयकर दर्द होता है। माइग्रेन किसी भी आयु में हो सकता है, यह आजकल की अव्यवस्थित जिंदगी की देन है। जिसमें हम अपने खानपान पर नियमित ध्यान नहीं दे पाते हैं। परिणामस्वरूप जाने-अनजाने माइग्रेन जैसे रोगों के शिकार बन जाते हैं।
सिर पर मेहंदी का लेप लगायें। इससे बहुत आराम मिलता है।
माइग्रेन होने पर नियमित रुप से, डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं लेनी चाहिये।
रात में हल्का एवं फाइबर युक्त भोजन करें, रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला तथा आंवले के चूर्ण का गुनगुने पानी से सेवन करें, पेट साफ रहेगा और आप काफी आराम महसूस करेंगें।
मौसम के बदलाव से खुद को बचाना चाहिए और अपना ख्याल रखना चाहिये।
हरी पत्तेदार सब्जियों और वजिटेबल जूस जैसे गाजर, पालक, खीरा खाए। मौसमी फल व सब्जियां खायें।
बालों की प्राकृतिक नवीकरण प्रक्रिया के दौरान रोज लगभग पर 50 से 60 बाल झडते हैं। हालांकि, कुछ लोग अत्यधिक बालों के झड़ने कि शिकायत करते हैं, जो सामान्य नहीं है और इस पर जल्दी ध्यान दिया जाना चाहिए।
जो लोग कम प्रोटीन आहार ले रहे हैं या जिनका खाने के तरिके असामान्य है, उनमें प्रोटीन कुपोषण का विकास हो सकता है। प्रोटीन के अभाव से शरीर बालों को उगाना रोक सकते हैं, जिससे कुछ महिनों बाद बाल झडना शुरू हो जाते हैं। बाल आसानी से जड़ों से बाहर निकाले जा सकते हैं, यह बालों के झडने का मुख्य संकेत हैं। यदि आप वजन कम करने के लिए या किसी भी अन्य कारणों से डाइटिंग पर हैं, तो सुनिश्चित करें की आप प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा लें।
दवाई के दुष्प्रभाव के कारण
कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव पुरुषों में अस्थायी रुप से बालों के झड़ने का नेतृत्व कर सकते हैं। जो लोग गठिया, हृदय की समस्याओं, उच्च रक्तचाप, अवसाद, खून पतला करने वाली दवाओं और गठिया के लिए उपचार के माध्यम से दवा ले रहे हैं, वह बालों के झड़ने की समस्या का शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा, विटामिन ए की उच्च खुराक भी बालों के झडने का नेतृत्व कर सकती हैं।
कुछ मामलों में आयरन की कमी के कारण बालों का झड़ना शुरु हो सकता हैं। जो लोग अपने आहार में आयरन पर्याप्त मात्रा में नहीं लेते है या जिनका शरीर पूरी तरह से भोजन में मौजूद आयरन को अवशोषित नहीं कर पाता हैं, उनमें यह समस्या दिखती हैं |
हेयर स्टाइलिंग के कारण
ब्लीच , स्ट्रेनग्थनरर्स, रंग, टिंट, रिलॅक्सर्स और परमनंट वेव्ह (घुंगराले बनाना) जैसे रासायनिक उपचार भी पुरुषों में बालों के झड़ने के साथ जुडे हुए हैं। यह विशेष रूप से तब होते हैं जब उत्पादों का गलत चुनाव और इनका इस्तेमाल सुरक्षित रुप से नहीं किया गया हो।
नीम के इस्तेमाल से न केवल बाल घने होते हैं बल्कि रूसी व जूएं जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं। नीम का पाउडर तैयार कर लें। इसे दही या नारियल तेल में मिलाकर बालों की जड़ तक मसाज करें।
आंवला
आंवला में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में हैं जो बाल बढ़ने में मदद करते हैं। आंवले को हिना, ब्राह्मी पाउडर व दही में मिलाकर पैक बनाएं और बालों पर लगाएं।
भृंगराज
मजबूत और घने बालों के लिए आयुर्वेद में भृंगराज का काफी महत्व माना गया है। भृंगराज तेल न सिर्फ गंजापन दूर करता है बल्कि समय से पहले बालों को सफेद नहीं होने देता।
ब्राह्मी और दही का पैक बनाकर बालों पर लगाने से बाल झड़ना कम हो जाएंगे। ब्राह्मी के तेल से नियमित मसाज करने पर भी बाल घने होते हैं।
शहद
शहद कई बीमारियों को दूर करने में सक्षम है। शहद के प्रयोग से बालों का झडऩा भी रोका जा सकता है। शहद को बालों में लगाने से बालों का गिरना बंद हो जाता है। दालचीनी भी बालों की समस्या को दूर करने का कारगर उपाय है। दालचीनी और शहद के को मिलाकर बालों में लगाइए। इससे बालों का झड़ना बंद होगा। गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर उनका पेस्ट बनाइए। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगाइए और कुछ समय बाद सिर को धो लीजिए। इससे बालों का गिरना कम होगा
आंख हमारे शरीर का सबसे अधिक आकर्षण वाला हिस्सा ही नहीं, बल्कि सबसे उपयोगी अंग भी है। इसका सिर्फ खूबसूरत होना तबतक मायने नहीं रखता जबतक कि आपके आँखों की रोशनी भी सलामत न हो, क्योंकि ऐसा नहीं हुआ तो या तो आपकी खूबसूरत आंखों को चश्मे के मोटे-मोटे फ्रेम की नज़र लग जाएगी या फिर लेंस लगाने के झंझटों में फंसे ही रहेंगे।
अगर आप चश्मे का प्रयोग करते है और इसे चश्मा उतारने के उपाय कर रहे है तो यहाँ लिखे हुए घरेलू नुस्खे और आयुर्वेदिक उपचार पढ़े, इन नुस्खों को सही तरीके से और निरंतर करने पर रौशनी बढ़ती है जिससे चश्मे का नंबर कम होने लगता है और धीरे धीरे चश्मा हटाने में मदद मिलती है। आइये जाने ayurvedic treatment tips and home remedies to improve eyesight in hindi.
• आंखों की रोशनी कम होने की वजह है भोजन में विटामिन एकी कमी, जिस वजह से छोटी उम्र से ही आंखें कमजोर होने लगती है।
• दूसरी वजह घंटों कंप्यूटर पर बैठकर काम करना या टेलीविजन देखना।
• तीसरी वजह आंखों की सफाई पर ध्यान न देना।
ये कुछ वजह हैं जो आंखों की रोशनी को कम करती हैं और आपको चश्मा लगाने के लिए विवश करती है कुछ और वजह भी है जैसे की आधुनिक दौर में आनुवंशिकता, काम का दबाव, तनाव, पोषण की कमी, अधिक पढाई जैसे कारकों के कारण लोगों के चश्मे के नंबर बढ़ते जा रहे हैं।
Ankhon Ki Roshni Badhane Ka Ilaj Upay Gharelu Nuskhe In Hindi
आँखों को धूल और इन्फेक्शन से बचाने के अलावा यहाँ कुछ ऐसे तरीके बताये जा रहे हैं जो आपकी आँखों की दृष्टि बढ़ा सकते हैं। घरेलू उपचार द्वारा आंखों की रोशनी किस तरह बढ़ाई जा सकती है आइये जानते हैं।
1. आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए आंवला का प्रयोग (Avla Benefits For Eyes)
यदि आपकी आँखों में जलन होती है, धुंधलापन है तो इसके लिए आंवला व धनिये का पाउडर बहुत ही लाभकारी है ! इसके लिए आंवले के 2 – 3 टुकड़े व धनिये के रस में भिगोकर सुबह – सुबह उसके पानी से आँखों को धोएं ! इससे आँखों का धुंधलापन दूर होगा और जलन में भी लाभ होगा !
1. आयुर्वेद में कहा जाता है की जो इंसान हर रोज 1 आंवला ख़ाता है वह शरीर को होने वाली बहुत से बिमारियों से दूर रहता है। आंवला आँखो के लिए भी बहुत लाभकारी है। अपने भोजन में आंवले का इस्तेमाल अवश्य करे।
2. आँखो से चश्मा हटाने के लिए त्रिफला का प्रयोग भी फायदेमंद है। रात को एक मिट्टी के बर्तन में थोड़ी सी त्रिफला भिगो कर रखे फिर सुबह इस पानी को छान कर इससे अपनी आँखे धोए। इस उपाय को करने से आँखो की दूसरी बिमारियों के ट्रीटमेंट में भी फायदा मिलता है।
3. दस ग्राम छोटी इलायची बीस ग्राम सौंफ में मिलाकर एक साथ पीस ले। अब इस मिश्रण में से 1 चम्मच हर रोज दूध के साथ पिए। इस उपाय से आँखो की कमजोरी ठीक होने लगती है।
4. अखरोट के तेल से आँखों के आसपास मालिश करने पर चश्मे का नंबर कम होने लगता है। हर रोज इस नुस्खे को करने पर चश्मा हटाने में मदद मिलेगी। आँखो की खुजली का इलाज करने में भी ये नुस्खा असरदार है।
आँखे हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है इसलिए इसकी देखभाल करना बेहद जरुरी है। ऊपर बताये गए घरेलू उपाय और देसी नुस्खे आपकी जानकारी के लिए है किसी भी उपाय को करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से उसे करने का सही तरीका और उस उपाय से जुडी पूरी जानकारी अवश्य ले।
नेत्र रोग घरेलू उपचार – दृष्टि के लिए आँखों के कुछ व्यायाम
Yoga – Exercise For Increasing Eye Sight
1. आई रोलिंग (Eye Rolling For Increasing Eyesight)
अपनी आँखों को घड़ी की सुई की दिशा में 10 बार घुमाएँ और 2 मिनिट के आराम के बाद उल्टी दिशा में 10 बार घुमायें। यह आँखों को स्वस्थ रखता है।
2. पेंसिल पुश-अप्स (Pencil Push-Ups For Increasing Eyesight)
आँखों की रोशनी बढाने का तरीका एक पेंसिल लें और उसके मध्य में कोई अक्षर लिखें या निशान लगायें अब इसे आँखों से सामने बाँहों की दूरी पर पकड़ें और उस निशान पर फोकस करें अब धीरे धीरे इसे नाक की ओर लायें और फोकस बनाये रखें। इसे तब तक करीब लायें जब तक यह दो भागों में न दिखाई देने लगे, और जैसे ही यह दो भागों में बंटे इसे हटा लें और थोड़ी देर आँखों को खुला छोड़ कर इधर उधर देखें। थोड़ी देर बाद पुनः इसे 4 से 5 बार दोहरायें। यह आंखों की रोशनी बढाने का सर्वोत्तम व्यायाम है।
3. कनपटी की मालिश (Massage For Increasing Eyesight)
आँखो की कमजोरी, अपनी कनपटी के दोनों ओर एक साथ अंगूठों से घड़ी की दिशा मे और घड़ी की विपरीत दिशा मे 20 बार मालिश करें और इसी प्रकार नाक के जोड़ और माथे के बीच में भी मालिश करें।
इस लेख में आपने जाना आँखों से चश्मा हटाने के लिए क्या करे। दोस्तो आँखों की रोशनी बढ़ाने के उपाय, improve eyesight tips in hindi का ये लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके बताये और अगर आपके पास नजर तेज करने के तरीके, चश्मा उतारने के घरेलू नुस्खे या कोई सुझाव है तो हमारे साथ साँझा करे।
शरीर में रक्तचाप के कई कारक होते हैं जैसे शरीर में पानी एवं नमक की मात्रा,रक्त वाहिकाओं की तथा गुर्दे जैसे शरीर के मुख्य अंग की स्थिति,तंत्रिका तंत्र की स्थिति तथा किसी व्यक्ति के हॉर्मोन का स्तर। High Blood Pressure Lakshan Aur Ilaj In Hindi
आइये जानें low blood pressure in hindi, low blood pressure ka desi ilaj in hindi, high blood pressure diet foods to avoid, high blood pressure in pregnancy in hindi, hypertension meaning in english, bp kis karan badta hai।
किसी व्यक्ति को उच्च रक्तचाप की समस्या है या नहीं ये पता चलता है निम्नलिखित लक्षणों से :-
1. अगर वह व्यक्ति मधुमेह एवं मोटापेजैसी समस्याओं का शिकार है।
2. अगर वह व्यक्ति किसी कारण से बहुत ज़्यादा तनाव में है।
3. अगर वह व्यक्ति एक दिन में काफी ज़्यादा मात्रा में धूम्रपान करता है या शराब का सेवन करता है तो भी उसे उच्च रक्तचाप की समस्या की समस्या हो सकती है।
उक्त रक्तचाप के लक्षण
High Blood Pressure Ke Lakshan In Hindi
High Blood Pressure Symptoms In Hindi
सांस लेना में पेरशानी होना
दीर्घकालिक गुर्दे की बीमारी।
अचानक घबराहट या समझने में दिक्कत होना
हाइपर पैरा थाइरॉइडिस्म।
तेज सिरदर्द
गुर्दे में रक्त संचार करने वाली धमनियों में समस्या।
चक्कर आना
अधिवृक्क ग्रंथियों की समस्या जैसे फिओक्रोमोसीटोमा या कुशिंग सिंड्रोम।
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Blood Pressure Kam Karne Ke Gharelu Upay Aur Tips In Hindi
शराब पीने की मात्रा कम करें। शराब पीने का हिसाब रखें एवं इस मात्रा को कम करने की कोशिश करें।
ह्रदय को स्वस्थ रखने वाले भोजन खाएं।
वज़न घटाने,धूम्रपान छोड़ने एवं शारीरिक व्यायामों के शिविर में हिस्सा लें। इससे सटीक परिणाम मिलेंगे।
फाइबर,पोटैशियम और लौह खनिज की मात्रा वाले भोजन करने से आपका ह्रदय स्वस्थ रहेगा। काफी मात्रा में पानी पीना भी एक बेहतर विकल्प है।
शरीर का वज़न कम करने का प्रयास करें। सही प्रकार के व्यायाम करें जिससे की शर्तिया लाभ हो।
खाने में सोडियम की मात्रा घटाएं और फर्क देखें।
तनाव से दूर रहें। तनाव पैदा करने वाली चीज़ों से परे रहने का प्रयास करें। आप तनाव दूर करने के लिए योग का सहारा भी ले सकते हैं।
धूम्रपान से दूर रहे। अगर आपको धूम्रपान की आदत है तो इसे धीरे धीरे छोड़ने की कोशिश करें। धूम्रपान छोड़ना काफी कठिन कार्य है अतः इस मामले में डॉक्टर की सलाह लें।
4. दालचीनी पाउडर (Dalchini For High Blood Pressure)
दालचीनी पाउडर का आधा चम्मच रोजाना सुबह गरम पानी के साथ ले। ये दवा ब्लड प्रेशर को control करने का अच्छा घरेलू उपाय है।
5. मेथी दाना (Methi For High Blood Pressure)
रात को सोने से पहले एक गिलास गरम पानी में आधा चम्मच मेथी दाना भिगो कर रखे, सुबह उठ कर पानी पिये और मेथी के दाने चबा कर खाये। इस नुस्खे से उच्च रक्तचाप जल्दी कम होगा।
6. लौकी का रस (Lauki For High Blood Pressure)
लौकी का रस सुबह खाली पेट पिये और इसके बाद एक घंटे तक कुछ खाये पिये नहीं। लौकी का रस उच्च रक्तचाप कम करने के साथ दिल को भी health रखेगा और sugar cholesterol जैसी बीमारियो से भी दूर रखेगा।
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Ayurvedic Treatment Of High Blood Pressure In Hindi
1. गोमूत्र (Cow Urine For High Blood Pressure)
High blood pressure ka upchar करने में गोमूत्र एक चमत्कारी दवा है। सुबह खली पेट आधा कप देसी गाय का मूत्र पिये ब्लड प्रेशर कम हो या जादा, इस उपाय से ठीक हो जायेगा। रोजाना गोमूत्र पिने से गठिया, दमा और डायबिटीज में भी आराम मिलता है।
2. चूरन
गिलोय, आँवला, सरपगंधा, आश्कंद और अर्जुन-वृष की छाल को बराबर मात्रा में पीस कर चूरन बना ले और पानी के साथ सुबह शाम ले।
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ओबेसिटी (मोटापा) क्या है? ओबेसिटी वह स्थिति होती हैं जब व्यक्ति का वज़न आवश्यकता से अधिक हो जाता है तथा शरीर पर बहुत अधिक मात्रा में वसा (फैट) जमा हो जाता है। ओबेसिटी को व्यक्ति के बॉडी मास इंडेक्स (बी एम आई) द्वारा नापा जाता है। आपके वज़न (किलोग्राम में) को आपकी लम्बाई (मीटर में) से विभाजित करके बी एम आई की गणना की जाती है। वे व्यक्ति जिनका बी एम आई 25 – 29 होता है वे ओवरवेट (आवश्यकता से अधिक वज़न होना) कहे जाते हैं तथा वे व्यक्ति जिनका बी एम आई 30 से 40 के बीच होता है वे ओबेस (मोटे) माने जाते हैं।
मोटापा बढने से डायबीटीज, ब्लडप्रेशर, हार्ट अटैक, ब्रेन स्टोन, कैंसर, अनिद्रा, जोडों और घुटनों की बीमारियां शुरू हो जाती हैं। मोटापा कम करने के लिए हमे अपने डाइट प्लान को ध्यान में रखना चाहिए। टाइम पर खाना चाहिए, डाइट संतुलित मात्रा में लेनी चाहिए। डाइट में प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइडेट की प्रचुर मात्रा होनी चाहिए।
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ओबेसिटी में हेरिडिटी (अनुवांशिकता) भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालाँकि ओबेसिटी को दूर करने के लिए बाज़ार में वज़न कम करने के उपचार उपलब्ध हैं, परंतु वे प्रभावी तथा सुरक्षित नहीं हैं| मोटापे को दूर करने के लिए निम्न घरेलू उपचारों को आजमाएं|
हर इंसान को प्रतिदिन 2500 प्रति कैलोरी डाइट हर रोज लेनी चाहिए। तभी हमारा शरीर स्वस्थ्य और छरहरा रहेगा। जंक और फास्ट फूड खाने से बचें।
मसाले बहुत अच्छे घटक होते हैं जो वज़न को प्रभावी और प्राकृतिक रूप से कम करने में सहायक होते हैं। प्रभावी रूप से और तीव्रता से वज़न घटाने के लिए अपनी प्रतिदिन की ग्रीन टी (चाय) में दो से तीन टुकड़े अदरक, काली मिर्च, इलायची, दालचीनी और लौंग मिलाएं। इन मसालों से युक्त चाय को दिन में दो से तीन बार पीयें और एक महीने में प्रभावी परिणाम देखें।
ऐप्पल सीडर विनेगर
प्रतिदिन सोने के पहले एक चम्मच ऐप्पल सीडर विनेगर का सेवन करें। यह सोते समय आपके शरीर में संग्रहित वसा को कम करने में सहायक होता है।
भूख कम करने के लिए सौंफ एक लोकप्रिय और बहुत पुराना घरेलू उपचार है। लगभग 6 से 8 सौंफ के दानों को एक कप पानी में कुछ मिनिट तक उबालें। इस पानी से सौंफ के दाने निकाल दें तथा इस पानी को प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीयें। इससे आपकी खाने की इच्छा कम होगी।
ग्रीन टी
ग्रीन टी वज़न कम करने में बहुत प्रभावी है तथा वज़न कम करने की औषधियों और डाइटिंग के बिना वज़न कम करने में सहायक होती है। उत्तम गुणवत्ता की ग्रीन टी की पत्तियों को उबलते हुए पानी में डालें तथा इसे कुछ मिनट के लिए उबलने दें। इस ग्रीन टी को दिन में दो से तीन बार पिएं । कुछ ही दिनों में आप प्रभावी परिणाम देखेंगे।
यह एक जाना माना तथ्य है कि नियमित तौर पर होटल, रेस्टारेंट या रास्ते पर मिलने वाले खाद्य पदार्थ खाने से वज़न बढ़ता है। घर में बना हुआ खाना खाएं जिसमें वसा और तेल कम होता है। अपने भोजन में हरी सब्जियां, फल और सब्जियां शामिल करें जो मोटापे से लड़ने में सहायक होंगी।
सब्जियां और फल
अपने प्रतिदिन के भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर और गाजर शामिल करें। प्रतिदिन सुबह के नाश्ते में टमाटर खाने से भी वज़न प्रभावी रूप से कम होता है। अपने भोजन में सब्जियों और फलों की मात्रा बढ़ाएं तथा कम कैलोरी वाला ऐसा भोजन खाएं जिससे आपका पेट जल्दी भर जाए
पुदीना अपने पाचक गुणों के लिए जाना जाता है और पाचन में सहायक है। पुदीने की पत्तियों के रस की कुछ बूँदें गुनगुने पानी में मिलाएं और इसे अच्छे से मिलाएं। खाना खाने के आधे घंटे बाद इस मिश्रण को पीयें। यह पाचन में सहायक होगा तथा आपके चयापचय शक्ति को बढ़ाएगा और लम्बे समय तक वज़न कम करने में सहायक होगा।
ऐप्पल सीडर विनेगर और नींबू का रस
एक छोटा चम्मच ऐप्पल सीडर विनेगर और एक चम्मच नींबूके रस को एक कप गुनगुने पानी में मिलाएं। दो से तीन महीने तक इस पानी को प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीयें। आप प्रभावी परिणाम देखेंगे क्योंकि पानी आपको हाईड्रेटेड (जल युक्त) रखेगा, ऐप्पल सीडर विनेगर आपकी मेटाबॉलिजम (चयापचय) शक्ति को बढ़ाएगा और नींबू पानी का स्वाद बढ़ाएगा।
शहदकई सारी बीमारियों का घरेलू उपचार है तथा यह वज़न कम करने में भी सहायक है। एक गिलास पानी में एक चम्मच शहद, दो चम्मच नींबू का रस और एक चुटकी काली मिर्च मिलाएं। इसे अच्छे से मिलाएं तथा इस पानी को प्रतिदिन सुबह पीयें। इससे आपका वज़न कभी नहीं बढ़ेगा।
दिन की शुरुआत शहद से करें
एक चम्मच शहद लें तथा इसे एक गिलास गर्म पानी में मिलाएं। पानी के इस मिश्रण में एक चम्मच नींबू का रस मिलाएं। सुबह उठने के बाद खाली पेट इस पानी को पीयें। प्रभावी रूप से वज़न कम करने के लिए इसे दो से तीन महीने तक प्रतिदिन पिएं ।
प्रतिदिन सुबह खाली पेट 10 से 12 मीठी नीम की पत्तियाँ खाएं। इसे अच्छे से चबाएं और इसका रस पीयें। ऐसा तीन से चार महीने तक लगातार करें। आप प्रभावी रूप से वज़न कम होते हुए देखेंगे।
गर्म पानी पीयें
यदि आपको ठंडा पानी पीने की आदत है तो इसके स्थान पर गर्म पानी पीने की आदत डालें। गर्म पानी आपके शरीर में संग्रहित वसा को दूर करने में सहायक होगा। भोजन के पश्चात गर्म पानी पीयें और इस बात का ध्यान रखें कि भोजन और पानी के बीच कम से कम आधे घंटे का अंतर हो। खाना खाने के तुरंत बाद पानी न पीयें।
व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल कीजिए। व्यायाम जैसे – साइकलिंग, जॉगिंग, सीढी़ चढ़ना-उतरना, रस्सी कूदना, टहलना, घूमना इस प्रकार के व्यायाम नियमित रूप से करने से वजन घटाया जा सकता है।
खाने में गेहूं के आटे की चपाती बंद करके जौ और चने के आटे की चपाती लेना शुरू करें। जौ और चने में कार्बोहाइड्रेट पदार्थ होते हैं जो आसानी से पच जाते हैं।
दो बडे चम्मच मूली के रस शहद में मिलाकर बराबर मात्रा में पानी के साथ पिएं, ऐसा करने से माह के बाद मोटापा कम होने लगेगा।
नीबूं का रस गुनगुने पानी में निचोड़कर पीयें, इससे भोजन अच्छे से पचता है और शरीर भी हल्का लगता है। सर्दियों में नींबू वाली चाय पिएं तो इससे पेट में गैस नहीं बनती।
दही का सेवन करने से शरीर की फालतू चर्बी घटती है। मटठे का भी सेवन दिन में दो-तीन बार करें।
मौसमी हरी सब्जियों का प्रयोग ज्यादा मात्रा में करें। मौसमी सब्जियां जैसे – मेथी, पालक, बथुआ, चौलाईसाग हैं। इनमें कैल्शियम अधिक मात्रा में होता है।
कम उर्जा वाले वयंजनों का सेवन करें। जैसे भूने चने, मूंग दाल, दलिया आदि का सेवन करें। इनमें फैट कम होता है।
सोयाबीन का सेवन कीजिए। इसमें ज्यादा मात्रा में प्रोटीन होता है और इसमें पाया जाने वाला आइसोफ्लेवंस नामक प्रोटीन शरीर से चर्बी को कम करता है।
सुबह नाश्ते में अंकुरित अनाज लीजिए। मूंग, चना और सोयाबीन को अंकुरित करके खाने से से उनमें मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा दोगुनी हो जाती है।
फास्ट फूड, जंक फूड, कचौरी, समोसे, पिज्जा बर्गर न खाएं। कोल्ड ड्रिंक न पिएं, क्योंकि कोल्डा ड्रिंक की 500 मिलीलीटर मात्रा में 20 चम्मच शुगर होती है जिससे मोटापा बढ़ता है।
यदि आप मांसाहारी हैं तो तला हुआ मांस खाएं जिसमें तेल और घीजैसे चिकनाईयुक्त पदार्थ कम मात्रा में हो। रेड मीट बिलकुल न खायें।
बीमारी जो भी हो, उसकी सही समय पर पहचान और उपचार होना चाहिए। लेकिन कई बीमारियां ऐसी होती हैं, जो अगर सही समय पर पहचान या उपचारित ना की जाएं तो जानलेवा साबित हो सकती हैं। ऐसी ही कुछ बीमारियां हैं जो दबे पाओं शरीर में घर कर लेती हैं और एक दिन ब्रेन हेम्रेज का कारण बन जाती हैं। इन्हें साइलेंट किलर डिजीज भी कहा जाता है। इन बीमारियों से हार्ट अटैक, ब्रेन हेम्रेज के साथ अंधे होने की तक की आशंका रहती है। तो चलिये जानें जानिए कौन सी हैं ये साइलेंट किलर डिजीज-
हाई ब्लड प्रेशर के दो मुख्य कारण होते हैं। पहला प्राइमरी, जिसमें समस्या या तो आनुवांशिक कारणों से होती है या फिर तनाव के कारण। लगभग 90 प्रतिशत लोगों में यह बीमारी प्राइमरी कारणों से ही होती है। सेकेंडरी कारण में, किसी अन्य अंग के विकार के कारण व्यक्ति हाई ब्लडप्रेशर का शिकार हो जाता है। हालांकि ऐसा केवल 10 प्रतिशत लोगों में देखा जाता है। इस रोग के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते हैं।
क्या खतरे होते हैं
इस रोग के गंभीर मामलो में ब्रेन हेम्रेज, हार्ट अटैक, किडनी फेल्यॉर, आंखें खराब होने वाला लकवा आदि होने की आशंका होती है।
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मरीज की जांच आदि कर फैमिली हिस्ट्री, उम्र, जुड़ी हुई बीमारियां व शारीरिक प्रकृति देखकर रोगी दवा दी जाती है। और जीवनशैली से जुड़े जरूरी बदलाव करने की सलाह दी जाती है।
प्रतिदिन 5 ग्राम से अधिक नमक का सेवन न करें, अधिक चिकनाईयुक्त पदार्थ न खाएं, घी व नॉनवेज, तेज मसालों और फास्ट फूड आदि से परहेज करें। फल व सलाद को डाइट में शामिल करें। व्यायाम व मेडिटेशन को अपनी दैनिक क्रिया बनाएं।
डायबिटीज
आमतौर पर यह बीमारी किसी मनुष्य को दो रूपों में परेशान करती है, टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज़। टाइप-1 डायबिटीज में शरीर के अंदर इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। वहीं टाइप-2 डायबिटीज में शरीर बने हुए इंसुलिन का ठीक से प्रयोग कर पाने में असफल हो जाता है। लगभग 90 प्रतिशत लोग टाइप-2 डायबिटीज के शिकार होते हैं।
प्रमुख कारण व लक्षण
डायबिटीज़ के मुख्य कारणों में आनुवांशिक कारण, शारीरिक श्रम की कमी, अधिक कार्बोहाइड्रेटयुक्त भोजन का सेवन, अधिकांश समय घर के भीतर ही रहना आदि हैं। इसके लक्षणों में तेजी से घटता वजन, थकान, अत्यधिक प्यास लगना, घाव जल्दी न भरना, पैरों में झनझनाहट होना, आंखों में धुंधलापन आदि शामिल होते हैं।
मरीज के रोग की स्थिति व गंभीरता के हिसाब उसे दवाएं व इंसुलिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं। साथ ही जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव की सलाह दी जाती है।
क्या है बचाव
40 साल की आयु हो जाने के बाद समय-समय पर चिकित्सा जांच अवश्य कराएं। संतुलित आहार लें, नियमित व्यायाम करें व टहलें। नियमित व्यायाम जरूरी से बचने व इससे डील करने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उपरोक्त के अलावा थायरॉइड का बिगड़ा रूप भी ब्रेन हेम्रेज व अन्य गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। बदलती जीवनशैली और शरीर में एंटीबॉडीज बनने से यह रोग होता है। बदलती जीवनशैली इसका मुख्य कारण है, अतः इससे बचने के लिये खान-पान व दिनचर्या में सकारात्मक बदलाव करें।
आयुर्वेद में घीको स्वाद बढ़ाने वाला और ऊर्जा प्रदान करने वाला माना गया है। इसलिए भारतीय घी को सदियों से अपने भोजन का अभिन्न हिस्सा मानते रहे हैं। घी केवल रसायन ही नहीं यह आंखों की ज्योति को भी बढ़ाता है। ठंड में इसके सेवन को विशेष लाभदायी माना गया है। इसके अपने गुणों के कारण ही मक्खन की जगह हम इसका उपयोग कर सकते हैं।
दरअसल घी में तीन ऐसी खूबियां हैं, जिनकी वजह से इसका इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। पहली बात यह कि घी में शॉर्ट चेन फैटी एसिड होते हैं, जिसकी वजह से यह पचने में आसान होता है। ये हमारे हॉर्मोन के लिए भी फायदेमंद होते हैं, जबकि मक्खन में लांग चेन फैटी एसिड ज्यादा होते हैं, जो नुकसानदेह होते हैं। घी में केवल कैलोरी ही नहीं होती। इसमें विटामिन ए, डी और कैल्शियम, फॉस्फोरस, मिनरल्स, पोटैशियम जैसे कई पोषक तत्व भी होते हैं। आईए जानते है घी का सेवन करने के कुछ प्रमुख लाभ-
कैंसर रोधी
गाय के घी में कैंसररोधी गुण पाए जाते हैं। इसके रोजाना सेवन से कैंसर होने की संभावना बहुत कम हो जाती है। विशेषकर यह स्तन व आंत के कैंसर में सबसे अच्छे तरीके से काम करता है।
घी बनाते समय घी के तीन लेयर बन जाते हैं ,पहला लेयर पानी से युक्त होता है, जिसे बाहर निकाल लिया जाता है ,इसके बाद दूध के ठोस भाग को निकाला जाता है, जो अपने पीछे एक सुनहरी सेचुरेटेड चर्बी को छोड़ जाता है। जिसमें कंजुगेटेड लाईनोलीक एसिड पाया जाता है। यह कंजुगेटेड लाईनोलीक एसिड शरीर के संयोजी उतकों को लुब्रीकेट करने व वजन कम होने से रोकने में मददगार के रूप में जाना जाता है। यह भी एक सच है कि, घी एंटीआक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है।
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स्त्रियों में प्रदर रोग की समस्या में गाय का घी रामबाण की तरह काम करता है। गाय का घी, काला चना व पिसी चीनी तीनों को समान मात्रा में मिलाकर लड्ड़ू बनाकर खाली पेट सेवन करें
थकान दूर करता है
संभोग के बाद कमजोरी या थकान महसूस हो तो एक गिलास गुनगुने दूध में गाय का घी मिलाकर पी लेने से थकान व कमजोरी बहुत जल्दी दूर हो जाती है।
सर्दियों में दिनभर में एक बार दूध में घी डालकर पीने से सेहत बन जाती है। दवाओं के कारण शरीर में गर्मी होने पर या मुंह में छाले होने पर भी यह रामबाण की तरह काम करता है। खांसी ज्यादा परेशान कर रही हो तो छाती पर गाय का घी मसलें जल्द ही राहत मिलेगी।
जोड़ो के दर्द में काम करता है
जोड़ों का दर्द हो, या हो त्वचा का रूखापन, या कराना हो पंचकर्म शोधन, आयुर्वेद में हर जगह घी का उपयोग निश्चित है। हम जानते हैं, कि हमारा शरीर अधिकतर पानी में घुलनशील हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालता है, लेकिन घी चर्बी में घुलनशील हानिकारक रसायनों को हमारे आहारनाल से बाहर निकालता है। घी को पचाना आसान होता है, साथ ही इसका शरीर में एल्कलाईन फार्म में होने वाला परिवर्तन बहुत ज्यादा एसिडिक खान-पान के कारण होने वाले पेट की सूजन (गेस्ट्राईटीस ) को भी कम करता है।
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एक चम्मच गाय के घी में एक चौथाई चम्मच काली मिर्च मिलाकर सुबह खाली पेट व रात को सोते समय खाएं। इसके बाद एक गिलास गर्म दूध पिएं। आंखों की हर तरह की समस्या दूर हो जाएगी।
आयुर्वेद के अनुसार घी का सेवन हमारे शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। लेकिन ऐसा तब तक हो सकता है जब तक की आप इसका नियमित और कम मात्रा में सेवन करें। यदि आप घी का सेवन अधिक मात्रा में करते हैं तो यह आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। आइए जाने ज्यादा घी खाने के नुकसान क्या हो सकते हैं।
• अपने आहार में घी को शामिल करने से पहले आपको पता होना चाहिए कि एक दिन के लिए वसा की उचित सेवन मात्रा 10 से 15 ग्राम है। यदि आप इससे अधिक सेवन करते हैं तो इससे नुकसान हो सकता है।
• जो लोग हृदय स्वास्थ्य से संबंधित बीमारियों से ग्रसित हैं उन्हें घी का सेवन करने से बचना चाहिए।
• अधिक वजन (Overweight) वाले लोगों को घी का ज्यादा मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए, यह उनके वजन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
• प्र*सव पीड़ा (Labor Pain) से पहले ग*र्भवती महिलाओं के लिए घी बहुत ही लाभकारी होता है, लेकिन ग*र्भावस्था की शुरुआत में यह नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए ग*र्भावस्था के शुरुआती कुछ महिनों तक घी के सेवन से बचना चाहिए।
• अधिक मात्रा में धी का सेवन करने से अपच (Dyspepsia) और दस्त की समस्या हो सकती है।
• शहद के साथ कभी भी घी (Honey with Ghee) का सेवन नहीं करना चाहिए, यह आपके लिए घातक हो सकता है।
स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जो ए टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है। यह वायरस एच1 एन1 के नाम से जाना जाता है और मौसमी फ्लू में भी यह वायरस सक्रिय होता है। 2009 में जो स्वाइन फ्लू हुआ था, उसके मुकाबले इस बार का स्वाइन फ्लू कम पावरफुल है, हालांकि उसके वायरस ने इस बार स्ट्रेन बदल लिया है यानी पिछली बार के वायरस से इस बार का वायरस अलग है।
जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जमीन पर या जिस भी सतह पर थूक या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में आ जाता है। यह कण हवा के द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं। मसलन, दरवाजे, फोन, कीबोर्ड या रिमोट कंट्रोल के जरिए भी यह वायरस फैल सकते हैं, अगर इन चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया हो।
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