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कही आप सिर्फ वजन कम करने के लिए तो नही कर रहे एक्सरसाइज,फिटनेस पर भी दे ध्यान

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अक्सर लोग वजन कम करने पर अधिक और संपूर्ण फिटनेस पर कम ध्यान देते हैं। जबकि फिटनेस वजन घटाने से बेहतर होती है। इससे आपका संपूर्ण शरीर प्रभावित होता है, न कि सिर्फ कुछ हिस्सों से फैट घटना है।

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फिटनेस पर है ज्यादा ध्यान देना जरूरी

आप एक्सरसाइज क्यों करते हैं? वजन कम करने के लिए या फिर फिट रहने के लिए? क्या आप पतले-दुबले होते तो एक्सरसाइज नहीं करते? जी हां, नहीं करते। आमतौर पर ऐसा ही होता है। लोग स्वस्थ रहने के लिए नहीं बल्कि पतले होने के लिए एक्सरसाइज करते हैं। सेहत यानी फिटनेस स्वस्थ खान-पान, व्यायाम, नींद और सुख से मिलती है। शारीरिक रूप से स्वस्थ होने का मतलब है शरीर में वह क्षमता होना जो आपके रोजमर्रा के काम के लिए जरूरी होती है, वह क्षमता होना जो बीमारियों से लड़ती है और साथ ही, वह क्षमता भी जो आपातकालीन स्थितियों से लड़ने के लिए जरूरी होती है। आइये जानते हैं क्यों आपका लक्ष्य वजन कम करना नहीं बल्कि सेहतमंद बनना होना चाहिए।

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वजन कम करने और फिटनेस में फर्क

फिटनेस में वजन कम करना शामिल होता है लेकिन जरूरी नहीं कि वजन कम करने में फिटनेस शामिल हो। कोई इंसान अस्वस्थ तरीके से भी वजन कम कर सकता है जैसे कि क्रैश डायटिंग, ओवर एक्सरसाइजिंग, वेट लॉस पिल्स और अन्य नुकसानदायक तरीकों से। अस्वस्थ तरीके से वजन कम करने में ज्यादातर मसल्स के आसपास का फैट कम किया जाता है लेकिन जो फैट आंतरिक अंगों के आसपास जमा होता है वो इन तरीकों से कम नहीं होता। फिटनेस पाने के तरीकों को अपनाकर आप शरीर का नुकसानदायक फैट दूर कर सकते हैं। इससे आपका तन और मन दोनों स्वस्थ रहेंगे। वजन कम करने का मतलब होता है तेजी से वजन घटाना जबकि फिटनेस स्वस्थ रूप से जीना होता है।

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श्वसन और संचार प्रणाली के लिए फिटनेस का महत्व

फिटनेस के प्रभाव को समझने का सबसे आसान तरीका है ये देखना कि आपके शरीर एक लंबा, बीमारियों से मुक्त और स्वस्थ जीवन जीने के लिए किन चीजों की जरुरत होती है। इन सबके लिए आप अपने शरीर के सिस्टम पर निर्भर होते हैं, और आपका शरीर अपने अंगों व ऊतकों के स्वास्थ्य पर निर्भर होता है। इस बारे में बात करते हुए हम सबसे पहले श्वसन और संचार प्रणाली के बारे में सोचते हैं। आपको मालूम है कि दिल वह है जो शरीर में खून व ऑक्सीजन का संचार करता है। एक्सरसाइज दिल की इस काम में मदद करता है। इससे हमारी त्वचा भी स्वस्थ रहती है। इसी तरह, स्वस्थ खानपान से धमनियों व रक्त संचरण को फायदा पहुंचता है।

पाचन तंत्र के लिए फिटनेस का महत्व

जब हमें कब्ज या फिर पाचन से संबंधी कोई  समस्या होती है तो हम राहत के लिए अपने खानपान में कुछ परिवर्तन कर लेते हैं। साथ ही, पाचन संबंधी समस्याओं से निपटने में एक्सरसाइज से भी मदद मिलती है। ब्रीदिंग, वॉकिंग और अन्य शारीरिक गतिविधियों से पाचन तंत्र को फायदा पहुंचता है। अचानक से वजन कम हो जाने से हमारे पाचन तंत्र को काफी नुकसान होता है। इसकी बजाय, संतुलित खानपान और व्यायाम के माध्यम से फिटनेस पाने की कोशिश करें।

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हृदय प्रणाली के लिए सेहत का महत्व

लगातार एक के बाद एक कई शोध ये साबित कर चुके हैं कि यदि आप फिट हैं तो आपका हृदय स्वास्थ्य बेहतर होगा। हृदय प्रणाली शरीर को ऑक्सीजन और पोषण पहुंचाने के लिए जिम्मेदार मानी जाती है। तुरंत वजन घटाने की बजाय अगर आप अपनी फिटनेस पर ध्यान देते हैं तो इससे आपको हृदय संबंधी समस्याओं जैसे कि दिल का दौरा आदि से सुरक्षा मिलेगी। कार्डियो एक्सरसाइज हृदय प्रणाली के स्वस्थ रहने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि बहुत से लोग कार्डियो एक्सरसाइज को वजन घटाने से जोड़कर देखते हैं।

नर्वस सिस्टम के लिए सेहत का महत्व

नर्वस सिस्टम में ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड शामिल होते हैं। शारीरिक गतिविधि से ब्रेन तेज और सक्रिय होता है। यही आपको फुर्तीला भी बनाता है। नर्वस सिस्सम की एक्सरसाइज मोटापे की समस्या से ग्रस्त लोगों के लिए भी फायदेमंद होती है। जल्दी वजन कम करने वाले लोग इस तरफ ध्यान नहीं देते। मानसिक स्वास्थ्य स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी होता है। बिना फिटनेस के बारे में सोचे यदि आप वजन कम करते हैं तो आपको दिमागी रूप से थकान हो सकती है। इसलिए बेहतर खानपान और अच्छी एक्सरसाइज पर लंबे समय तक निर्भर रहें, क्योंकि साइज जीरो पाने से बेहतर है कि आपके पास फिटनेस रहे।

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मांसपेशीय प्रणाली के लिए सेहत का महत्व

हर दिन लगातार हमारी मांसपेशियां अपना काम करती रहती हैं। एक्सरसाइज की मदद से मांसपेशीय प्रणाली बेहतर होती है। स्वस्थ आहार योजना मांसपेशियों को उनका काम ठीक प्रकार से करने में सहायक होती है। एक्सरसाइजिंग के सारे पहलू, रेसिस्टेंस ट्रेनिंग से लेकर फ्लेक्सीब्लिटी व कार्डियो ट्रेनिंग, और सही खानपान मांसपेशीय तंत्र को बेहतर करता है। लेकिन अगर आप सिर्फ वजन घटाने पर ध्यान देते हैं तो आप अपने शरीर की वास्तविक आवश्यकताओं को भूल जाते हैं। जल्दबाजी में वजन घटाने से कमजोरी आ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपका शरीर फैट से ज्यादा मसल्स को कम कर रहा होता है।

फिटनेस के अन्य महत्व

फिटनेस आपका प्रदर्शन और स्टैमिना बढ़ाती है। अगर आप फिट हैं तो आमतौर पर जीवनशैली की वजह से होने वाली बीमारियों का खतरा आपके लिए कम हो जाता है। फिटनेस लंबी उम्र का दूसरा नाम है। अगर आप फिट हैं तो आप छोटे-मोटे दर्द से परेशान नहीं होते और साथ ही, आपका आत्मविश्वास भी बना रहता है। वे लोग जो मोटापे से ग्रस्त हैं, उनके लिए फिटनेस में वजन कम करना भी शामिल होता है। लेकिन इस तरह वजन कम करना क्विक वेट लॉस नहीं होता बल्कि अपने खानपान की आदतों और जीवनशैली में परिवर्तन लाकर वजन कम करना होता है।

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जानिए आंखों में खुजली, जलन और लाल होने के ये कारण तो नही

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आंखें लाल होना आम बात है, लेकिन कई बार यह किसी गंभीर बीमारी का लक्षण भी हो सकता है। आंखों के लाल होने के अलावा अगर खुजली और जलन होती है, तो ये नीचे दिए गए किसी रोग या विकार के लक्षण हो सकते हैं।

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स्टाइ (Sty )

ये एक दर्दनाक फुंसी होती है जो पलक के ऊपर या नीचे हो जाती है। इसे आपकी आंखें लाल हो सकती हैं। इससे बचने के लिए आपको सोने से पहले मेकअप रिमूव कर लेना चाहिए।

कंजक्टीवाइटिस (Conjunctivitis)

आंखों से जुड़े ये एक आम समस्या है। बच्चे और वयस्कों को होने वाली इस समस्या का कारण कंजक्टीवा या आईबॉल के बाहरी झिल्ली में सूजन का होना है। इसमें आंखें लाल पिंक हो जाती हैं।

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आई ड्रॉप

लंबे समय तक आई ड्रॉप का इस्तेमाल करने से आपकी आंखें लाल हो सकती हैं।

यूवाइटिस (Uveitis)

ये आंख के रेटिना और सफेद हिस्से के बीच की परत पर सूजन होने की वजह से होता है। इसके लक्षणों में धुंधला दिखना, दर्द और दूर की नजर कमजोर होना शामिल है।

कोल्ड और फ्लू

सर्दी और फ्लू होने पर आपकी आंखें लाल हो सकती हैं। इस दौरान छींकने या खांसने से आपकी आंखें लाल हो जाती हैं।

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कॉर्नियल अल्सर ( Corneal ulcer)

इस विकार में कॉर्निया प्रभावित होता है, जोकि कॉन्टेक्ट लेंस के अनुचित प्रयोग या इन्फेक्शन के कारण होता है। इसके लक्षणों में आंखों से पानी बहना, दर्द, सूजन और दूरदृष्टि शामिल है।

 नींद की कमी

अगर आप रोजाना केवल तीन से चार घंटे ही सोते हैं, तो आपकी आंखें लाल हो सकती हैं। इससे बचने के लिए आपको कम से कम आठ घंटे सोना चाहिए।

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ड्राई आई सिंड्रोम

लूब्रिकैशन के लिए आंखों द्वारा पर्याप्त आंसू नहीं पैदा कर पाने के कारण ये समस्या होती है। कई मामलों में खराब आंसू ड्राई आई का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा आंखों का लाल होना और खुजली भी हो सकती है।

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स्विमिंग

पानी में मिले क्लोरीन और बैक्टीरिया की वजह से आंखें लाल हो सकती हैं। इसलिए बेहतर स्विम गॉगल्स पहनकर ही स्विमिंग करें।

हर्पीज

ओक्युलर हर्पीज (Ocular herpes) एक वायरल इन्फेक्शन है, जो टाइप 1 हर्पीज सिंप्लेक्स वायरस की वजह से होता है, जो कॉर्निया के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। इससे आंखे लाल होना, सूजन, दर्द और पानी बहने की समस्या भी हो सकती है।

ज्यादा टीवी देखना

ज्यादा देर तक टीवी देखने या कंप्यूटर पर काम करने से आंखें लाल हो सकती हैं। इससे बचने के लिए बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें।

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ग्लूकोमा

आंखें लाल होने के साथ अगर आप दृष्टि हानि और मतली महसूस कर रहे हैं, तो ये ग्लूकोमा हो सकता है। इसका इलाज नहीं कराने पर आँखों की रोशनी पूरी तरह जा सकती है।

बार-बार आंखें छूना

आपकी ये आदत आंखों में इन्फेक्शन पैदा कर सकती है। इसके अलावा खराब क्वालिटी वाले मेक-अप प्रोडक्ट से इन्फेक्शन हो सकता है।

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एलर्जी

धूल, कैमिकल और कांटेक्ट लेंस से कई लोगों को एलर्जी हो सकती है, जिससे आंखें लाल हो सकती हैं।

कॉन्टेक्ट लेंस

लंबे समय तक कॉन्टेक्ट लेंस पहनना और उनकी सही तरह से देखभाल नहीं करने पर आपकी आंखें लाल हो सकती हैं। इतना ही नहीं इससे जलन और फंगल आई इन्फेक्शन भी हो सकता है।

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जो दुबले पतले है वो मोटे-तगड़े हो जायेंगे | राजीव दीक्षित

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जहाँ आज एक ओर बहुत से लोग मोटापे  से परेशान हैं वही दूसरी ओर बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो दुबलेपन   या वजन कम होने की समस्या से जूझ रहे हैं l

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वजन ज्यादा या कम होना दोनों ही अनेक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का कारण बनता है l जिस तरह weight कम करना मुश्किल कार्य है वैसे ही नेचुरल तरीके से संतुलित वजन बढ़ाना भी चुनोती पूर्ण कार्य है l बहुत से लोग बाजारू प्रोडक्ट्स खरीदकर इंस्टैंट कॉफी की तरह तुरंत वेट गेन करना चाहते हैं जो की भविष्य में उनके लिए अनेक हेल्थ रिलेटेड इश्यूज  खड़े कर देता है इसलिए जब भी वजन बढ़ाने का कार्यक्रम शुरू करें तो संतुलित खान पान एवं रहन सहन पर विशेष ध्यान दें l यदि जरूरत हो तो चिकित्सक की राय ले सकते हैं l

वजन बढ़ाने के लिए आपको आहार में सही मात्रा में Carbohydrates, Proteins, Fats और Minerals लेना चाहिए। आपका वजन एक दिन में नहीं बढ़ सकता हैं। वजन को धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए। हर हफ्ते 500 gm वजन बढे इस लक्ष्य से आहार में योग्य बदलाव करना चाहिए। आहार में Calories का प्रमाण धीरे-धीरे बढ़ाकर आप आपके आयु और उचाई के हिसाब से सामान्य वजन तक पहुंच सकते हैं।

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    • Proteins : दुबले-पतले व्यक्ति जिनका वजन कम हैं, उन्हें वजन बढ़ाने के लिए अपने आहार में Proteins को ज्यादा महत्त्व देना चाहिए। शरीर में स्नायु को मजबूत और आकार बढ़ाने के लिए Proteins की जरुरत रहती हैं। हररोज कम से कम 1 gm/kg  Proteins लेना ही चाहिए। High calorie Proteins लेने से शरीर को अतिरिक्त calories मिलती है जिससे वजन और शरीर दोनों बढ़ते हैं। Protein युक्त आहार के अन्य फायदे जानने के लिए पढ़े – Protein आहार के फायदे। Protein युक्त आहार के उदाहरण नीचे  दिए हैं।

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  1. अंडे
  2. दूध
  3. दही
  4. मांस
  5. मछली
  6. मूंगफली का मख्खन (Peanut Butter)
  7. दाले
  8. सोयाबीन
  9. सोया दूध (Soya Milk)
  10. सुका मेवा (Dry fruits)
  11. फलिया – मटर,बिन्स, मूंगफली
  12. Flaxseed
  13. हरी सब्जिया
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  • आहार मात्रा – अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं तो दिन में 2 से 3 बार बड़े भोजन लेने की जगह 5 से 6 बार थोड़ा थोड़ा भोजन लेना होगा। अपने भोजन की मात्रा बढ़ाए पर पोषक तत्वों से रहित junk foods से दूर रहे।
  • फल (Fruits) – अनानास, केला, आम, पपीता, सेब जैसे फल वजन बढ़ाने में सहायक हैं। रोजाना कोई न कोई मौसमी फल जरूर खाना चाहिए। फलो मे प्राकृतिक शर्करा होती है जिससे भरपूर Calories प्राप्त होती हैं। फलो को खाने संबंधी ख़ास नियमो की जानकारी जानने के लिए पढ़े – फल खाने के नियम
  • आलू (Potato) – यह वजन बढ़ाने में सबसे ज्यादा सहायक हैं। आलू अपने वजन बढ़ाने के गुणों के कारण जाना जाता हैं। ध्यान रहे की आलू में सिर्फ fats और calories ही नहीं बल्कि भरपूर fibre और Vitamin C भी हैं। इसे इसके छिलको के साथ खाना चाहिए क्योंकि इसका सारा Protein छिलको में ही होता हैं।
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  • दुग्ध पदार्थ (Dairy Products) – चीज, वसायुक्त दूध, दही, मक्खन इत्यादि दुग्ध पदार्थ Calories के साथ अन्य पोषक तत्वों से युक्त हैं। वजन बढ़ाने के लिए इनका उपयोग योग्य मात्रा में करे।
  • मांसाहार (Non-Veg) – मांसाहारी व्यक्ति अधिक मात्रा में अंडा, मछली, मांस का सेवन कर अपना वजन बढ़ा सकते हैं। मांसाहार में Fat और Protein ज्यादा होता हैं जो वजन बढ़ाने में सहायक हैं।

 

  • शाकाहार (Veg) – मांसाहार से मिलने वाला ज्यादा Calorie युक्त Fats ज्यादातर Saturated Fats होते हैं जो की शरीर के लिए नुकसानदेह LDL Cholesterol को बढ़ाता हैं इसलिए प्राथमिकता शाकाहार को देना चाहिए। अगर आपका Cholesterol level सामान्य है तो आप इन्हे ज्यादा प्रमाण में ले सकते हैं। खाने में स्वास्थ्यकर Fats का समावेश करे जैसे की मूंगफली का मख्खन (Peanut Butter), Flax seed, Avocado, सुखा मेवा, Soya Milk, सोयाबीन तेल, मक्के का तेल, सूर्यफुल बीज, जैतून का तेल, हुसुम तेल, अखरोट इत्यादि।

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  • आदते (Food Habits) – अपने खाने की मात्रा (quantity) से ज्यादा खाने के पौष्टिक गुणों (quality) को ज्यादा अहमियत देना चाहिए। खाने का पाचन अच्छे से हो इसलिए खाना ठीक से चबाकर खाए। खाने के तुरंत बाद चाय या कॉफ़ी लेना टाले क्योंकि इससे खाने का ठीक से पाचन और अवशोषण नहीं होता हैं। खाने में हमेशा अलग अलग फल सब्जियों और सलाद का समावेश करे। TV देखते, अखबार पढ़ते या लेटकर खाने की बुरी आदत से छुटकारा पाए। हमेशा समय पर खाना खाए। बाहर का ठेलो पर का खाना न खाए। आप एक बार बीमार हो गए तो बढ़ा हुआ वजन बीमारी में फिर से कम हो सकता हैं। पर्याप्त मात्रा में आराम करे।

वजन कम होने में अनुवांशिकता भी एक अहम कारण हैं। अगर आपके परिवार में अधिकतर दुबले और पतले है तो आपको इस बात को स्वीकार करना होगा की वजन बढ़ाना और शरीर का आकर बढ़ाना आपके लिए थोड़ा मुश्किल हैं। अगर आप को पहले से कोई बीमारी है तो आहार में बदलाव करने से पहले अपने डॉकटर से सलाह जरूर ले। आहार विशेषज्ञ (Dietician) की सलाह से आप अपने लिए ख़ास आहार तालिका भी बनवा सकते हैं।

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High Blood Pressure | हाई बीपी उच्च रक्तचाप को ठीक करें How You Can Get rid of High Blood Pressure

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हाई ब्लडप्रेशर या उच्च रक्तचाप की बीमारी साधारणतः अपरिमित इच्छाओं, आकांक्षाओं, स्पर्धा की दौड़ में आगे बढ़ने के कारण आए तनाव के कारण होता है। कभी-कभी यह आनुवांशिकता या दवाईयों के दुष्प्रभाव के कारण भी होता है।
मनुष्य आराम पाने की होड़ में प्रकृति से दूर होता जा रहा है। इसलिए सबसे पहले ज़रूरी है शरीर और मन के बीच सही तालमेल को बनाए रखना। प्राकृतिक चीजें मन से तनाव को कम करने और मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाने में मदद करते हैं।

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इसके साथ ही योग अभ्यास मन को शांत करके रक्तचाप को कम करने में भी सहायता करता है।
इसके उपचार के बारे में जानने के पहले यह जानते हैं कि हाई ब्लड-प्रेशर और हाइपरटेनशन के बीच अंतर क्या है? जब हृदय के स्पंदन से रक्त संचार पर अतिरिक्त दबाव उत्पन्न होता है तब उस अवस्था को हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप कहते हैं।

मगर जब उच्चरक्तचाप की स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है तब उस अवस्था को हाइपरटेनशन कहते हैं। हृदय पर रक्त को पंप करने में जो दबाव पड़ता है उसको सिस्टोलिक प्रेशर कहते हैं और हृदय के दो धड़कनों के बीच के आराम के अवस्था को डायस्टोलिक प्रेशर कहते हैं। इन दोनों के बीच सामान्य स्तर 120-80 एम.एम. ऑफ एच.जी. (120-80 mm of Hg) होना चाहिए।

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उच्च रक्तचाप साधारणतः रक्त के गाढ़ा हो जाने के कारण होता है क्योंकि इससे धमनियों और नसों में रक्त का संचार अच्छी तरह से नहीं हो पाता है जिसके कारण हृदय को रक्त को पंप करने में दबाव उत्पन्न होता है। उच्च रक्तचाप कोई सामान्य बीमारी नहीं हैं, इसको साइलेन्ट किलर भी कहते हैं।

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उच्च रक्तचाप के मूल कारणों में-

  • अत्यधिक मात्रा में नमक का सेवन
  • ध्रूम
  • पान और शराब का सेवनमहिलाओं में हॉर्मोन के बदलाव के कारण
  • किसी विशेष दवाई के कारण
  • रात को देर तक जागने के कारण
  • अत्यधिक मानसिक तनाव
  • या मोटापे के कारण भी होता है

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उच्च रक्तचाप के कारणों के साथ लक्षणों के बारे में भी पता होना चाहिए ताकि आप आसानी से यह समझ सके कि आप इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं-

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मोटापा, सर दर्द, दिल का धड़कन तेज होना, बार-बार क्रोध आना, कान या चेहरे से आग जैसे गर्म निकल रहा है ऐसा महसूस होना, थकान महसूस होना, नींद न आना, रक्त चाप बहुत बढ़ जाने पर नाक से खून आना आदि।

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तरीके से भी रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है।

  1. तुलसी के दस पत्तों के साथ नीम के तीन पत्तों का सेवन सात दिन तक करने से लाभप्रद फल मिलता है।
  2. रोज सुबह बिना नमक और चीनी के नींबू पानी पीने से उच्च रक्त चाप को नियंत्रण में लाया जा सकता है।
  3. अर्जुना तनाव के दौरान जो हॉर्मोन निकलता है उसको नियंत्रित करने में मदद करता है। इस वज़ह से यह रक्तचाप को कम करने में भी मदद करता है।

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  4. खुद को तनावमुक्त और शांत रखने के लिए नियमित रूप से सुबह टहलने के लिए जाएं। हो सके तो नंगे पांव हरी घास पर कम से कम बीस मिनटों तक चलें।
  5. अश्वगंधा न सिर्फ उच्चरक्तचाप को कम करने में मदद करता है बल्कि सूजन और तनाव को भी कम करने में मदद करता है।

high blood pressure ke lakshan aur desi ilaj in hindi

  1. एक महीना तक कम से कम आधा किलो पका पपीता खाने से भी रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है।
  2. त्रिफला हाइपरटेनशन पर प्रभावकारी रूप से काम करता है।
  3. ज़रूरत के अनुसार खसखस और तरबूज़ के मगज को एक साथ पीस लें और रोज सुबह एक चम्मच खाली पेट तीन-चार हफ़्तों तक इसका सेवन करें।
  4. अंडा, मांस, मिठाई, चॉकलेट का सेवन वर्जित होता है।
  5. सब्ज़ी खाना तो बहुत अच्छा होता है लेकिन उबला हुआ आलू खाना बहुत अच्छा होता है क्योंकि उसमे सोडियम नहीं होता है।
  6. पालक और गाजर को पीसकर सुबह शाम एक गिलास पीने से रक्तचाप कम होता है।

इन सबके अलावा आपको अपने आहार में फल और सब्ज़ी की मात्रा, नमक की मात्रा, व्यायाम, स्वास्थ्यवर्द्धक जीवनशैली इन सब बातों पर ध्यान रखना पड़ेगा।

■    उच्च रक्तचाप में व्यायाम

ज्यादा नमक खाने से हो सकती है दिल की बीमारी जानिये और क्या क्या हैं नुकसान

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ज्यादा नमक भले ही ज्यादा टेस्ट देता हो, लेकिन इससे हो सकती है कई बीमारियां।

कम नमक खाने से भले ही टेस्ट थोड़ा कम आए लेकिन ये आपके दिल, फेफड़ों, किडनी और दूसरे अंगों के लिए अच्छा है। थोड़ा-सा ज्यादा नमक तुरंत आपको कोई नुकसान तो नहीं पहुंचाएगा, लेकिन ज्यादा नमक खाना अगर आपकी आदत में शुमार है तो एक वक्त बाद ये आपको कई तरह के नुकसान पहुंचा सकता है। आइये जानें कैसे:

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■    हाथों और पैरों में दर्द सूजन जलन का इलाज के 5 घरेलू उपाय

ब्लड प्रेशर बढ़ना

शरीर में जितना ज्यादा नमक होगा उसे घुलने के लिए उतना फ्लूड चाहिये होगा, ऐसे में कोशिकाएं पानी सोख लेती हैं और खून का क्षेत्रफल बढ़ जाता है। इससे धमनियों और दिल को ज्यादा ब्लड पंप करना पड़ता है। थोड़े वक्त के बाद धमनियां अकड़ने लग जाती हैं जिससे कि ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है।

high blood pressure ka ilaj

हड्डियां कमज़ोर करे

ज्यादा नमक आपकी हड्डियों से कैल्शियम छीन सकता है जो यूरीन के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाता है। इससे हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं और आसानी से टूट जाती हैं। अगर आपको ज्यादा नमक खाने से हाइपरटेंशन हो चुका है तो आपको ऑस्टियोपोरोसिस होने के चांस और बढ़ जाते हैं।

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स्ट्रोक का जोखिम बढ़ता है

हाई ब्लड प्रेशर स्ट्रोक और दूसरी कार्डियोवस्क्यूलर बीमारियों का जोखिम बढ़ाता है। नमक ही ब्लड प्रेशर को ऊपरी लेवल तक ले जाता है। इसलिए आपको अपने सोडियम की खुराक पर नजर रखनी चाहिए।

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■    मुंह की बदबू दूर करने का इलाज 10 आसान उपाय और घरेलू नुस्खे

किडनी को नुकसान

नमक आपके लिए सफेद ज़हर भी साबित हो सकता है, इससे आपकी किडनी डैमेज हो सकती है खासतौर पर तब जब आपको हाई बीपी या डायबिटीज हो। ज्यादा नमक लेने से शरीर में पानी बढ़ने के साथ-साथ टॉक्सिन भी बढ़ते हैं, उन्हें शरीर से बाहर निकालने के लिए किडनी को ज्यादा काम करना पड़ता है। एक वक्त के बाद किडनी कमज़ोर पड़ जाती है।

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पेट के कैंसर का कारण

अगर आपके नमक में नाइट्रेट ज्यादा है तो ये आपके पेट के लिए अच्छा नहीं है। बहुत ज्यादा नाइट्रेट से पेट के अल्सर का खतरा पैदा होता है। इसके अलावा नाइट्रेट पेट के अंदरूनी हिस्से को डैमेज करता है, आगे चलकर यही पेट के कैंसर की वजह बनता है।

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डायबिटीज़ और बिगाड़े

डायबिटीज़ और हाइपरटेंशन एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। ज्यादा नमक के कारण हाइपरटेंशन होता है, और इससे आपका ब्लड शुगर लेवल भी प्रभावित होता है।

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एडीमा का जोखिम

बहुत ज्यादा नमक लेने से एडीमा हो सकता है जिसमें पैरों, हाथों और शरीर के दूसरे हिस्सों में सूजन आ जाती है। एडीमा अपने आप में घातक बीमारी नहीं है लेकिन ये आने वाली बीमारियों का संकेत हो सकती है।

edema

आपको मोटा बनाए

नमक सीधे-सीधे मोटापा नहीं बढ़ाता लेकिन मोटे लोगों को नमकीन चीज़ खानी बहुत पसंद होती है। इससे प्यास लगती है, शरीर में पानी बढ़ता है तो वॉटर रिटेंशन होता है, जिससे शरीर सूज जाता है।

Obesity

मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाए

आपने ये कभी सोचा ही नहीं होगा लेकिन ज्यादा नमक से डीमेंशिया हो सकता है। कुछ अध्ययनों में ये बात सामने आई है कि तीन साल तक हाई सोडियम डायट लेने से संज्ञानात्मक क्षमता (cognitive functions) में कमी आती है।

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■    तनाव दूर करने के 10 आसान तरीके

आप भी खाते है पेनकिलर्स तो हो जाएं सावधान हो सकती है ये बीमारियां

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Painkillers

बदलती जीवनशैली के इस दौर में हर चीज इंसान को तुंरत चाहिए होती है चाहे वह कहीं जाना हो या फिर कुछ खाना हो। यही नहीं यदि थोड़ी बहुत तकलीफ में दर्द भी हुआ तो तुरंत राहत पाने के लिए पेनकिलर्स का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन वे ये नहीं जानते हैं कि पेनकिलर्स इंसान के दिमाग और जीवन दोनों को ही खत्म कर सकती है। आजकल युवाओं में भी यह देखा गया है कि वे सबसे ज्यादा पेनकिलर्स के आदि बन गए हैं।

■    इन वजहों से होता है कमर दर्द, इसको जड़ से ख़त्म करने का सबसे आसान घरेलु उपाय

क्या वजह होती है पेनकिलर्स लेने की

सबसे बड़ी वजह पेनकिलर्स लेने की यह होती है कि यह तुरंत दर्द से राहत  दिलाती है। दूसरी वजह है इन दवाईयों पर दिमाग व शरीर ज्यादा निर्भर होने लगते है। जो कि पेनकिलर्स की लत को बढ़ावा देता है। इन दवाओं का नशा शराब लेने की आदत की तरह बन जाती है। तीसरी वजह है दूसरों की देखा देखी पेनकिलर्स लेना और चौथा कारण है इन दवाओं के साइड इफेक्टस के बारे में जानकारी का न होना आदि।

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पेनकिलर के साइड इफेक्टस

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  • यदि आप साल में रोज पेनकिलर्स लेते हो तो इससे लिवर डैमेज होने की ज्यादा संभावना होती है।
  • कुछ एैसी पेनकिलर्स भी होती हैं जो अस्थमा को बढ़ाती हैं। जिनके बारे में आपको पता नहीं होता ह।
  • ये दवाएं इंसान की उम्र को भी कम करती हैं। नए शोध में कहा गया है कि पेनकिलर्स इंसान की उम्र को 10 साल घटा देती है।
  • अधिक पेनकिलर्स के इस्तेमाल से सुस्ती, कब्ज, ब्लड प्रेशर कम होना और मुंख सूखना जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
  • ये दवाएं इंसान के शरीर में कई तरह की बीमारियां जैसे घबराहट, अनिंद्रा, और बेचैनी को बढ़ा देती हैं।
  • इन सब के अलावा ये दवाएं डिप्रेशन, मांसपेशियों में जकड़न, यूटेरस और लिवर में परेशानी दे सकती है। और सुबह-सुबह खाली पेट पेनकिलर लने से पेट व किड़नी को खराब हो सकती हैं।

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■    शरीर के किसी भी हिस्से की नसों में होने वाले दर्द का घर पर इलाज करने का अचूक उपाय

क्या तरीका अपनाएं?

  • किसी भी दवा को लेने से पहले हमेशा डाक्टर से सलाह लें। ताकि इस बात का आपको पता चल सके कि कौन सी दवा कब और कितनी मात्रा में लेनी है। ताकि आप दवाओं के ओवरडोज से बच सकें।
  • जब तक बेहद जरूरी न हों आप पेनकिलर्स न लें।
  • जो लोग डायबिटीज, दिल की बीमारी, रक्तचाप व किड़नी की समस्या से ग्रसित हों वे भी पेनकिलर्स बिना डाक्टर की सलाह लिए न खाएं।
  • पेनकिलर दवा हमेशा पानी के साथ ही सेवन करनी चाहिए। यदि पेनकिलर लेने से पेट में दर्द महसूस हो तो उस पेनकिलर को न लें।
■   आँखों में दर्द और जलन का इलाज 10 आसान उपाय और नुस्खे

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दर्द को दूर करने के लिए अपनाएं ये तरीके-

  • जितना हो सकें खुश रहने की आदत डालें।
  • सप्ताह में एक दिन केवल फल और जूस का ही सेवन करें।
  • हमेशा ये सोचें कि आप रोगमुक्त हो।
  • खाना हमेशा भूख से कम ही खाएं।
  • योग, ध्यान और सुबह की सैर जरूर करें।

पेनकिलर्स अधिक लेना आपकी जिंदगी के लिए खतरनाक हैं। कोशिश ये करें कि हर छोटी-छोटी बीमारी में आयुवेर्दिक व घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करें।

■    कान दर्द का इलाज के लिए 10 आसान उपाय और घरेलू नुस्खे

हिचकी से हो जाएं परेशान तो आज़माएं इलायची!

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हिचकी एक ऐसी चीज़ है जिसे लोग गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन अगर ये लगातार आते रहे तो आप काफी परेशान हो सकते हैं। हिचकी के दौरान न बात की जा सकती है और न ही कुछ खाया जा सकता है। सीने और पेट में दर्द होता है सो अलग।हिचकी आने पर ज्यादातर लोग अलग-अलग उपाय ट्राई करते हैं, जिससे कि हिचकियां रूक जाए। मसलन पानी पीना, आसमान की तरफ देखना, कुछ सेकेंड्स के लिए सांस रोकना आदि। अगर आपकी हिचकी इन उपायों से नहीं रूकती तो हम आपके लिए एक और आसान लेकिन कारगर उपाय लाए हैं, और वो है इलायची का सेवन।

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■    रात को इलायची खाकर गर्म पानी पीने के फायदे जानकर चौक जायगे आप

कैसे है इलायची मददगार?

जब आप बहुत जल्दी-जल्दी खाते हैं या फिर बहुत अधिक तला हुआ या कार्बोनेटिड ड्रिंक्स पीते हैं तो खाने के साथ शरीर में हवा चली जाती है, जिससे हिचकी आनी शुरू हो जाती है। इस तरह की चीज़ें नियमित रूप से खाने पीने से झिल्ली में जलन भी पैदा हो जाती है। इलायची में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो हमारे फेफड़ों से गैस निकालते हैं और हिचकी में राहत पहुंचाते हैं।

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कैसे करें इस्तेमाल

  •  4-5 हरी इलायची लें, उन्हें छीलकर बीज निकाल लें और उन्हें अच्छी तरह पीस लें।
  • अब इस पाउडर को एक कप उबलते पानी में डालें।
  • इसमें 4-5 पुदीने के पत्ते भी मिला लें।
  • इस पानी को 5 मिनट तक उबलने दें।
  • अब इस इलायची-पुदीने के काढ़े को
  •  गर्मागर्म पी लें।

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अगर इस उपाय से भी आपकी हिचकियां नहीं रूक रहीं और लगातार आ रही हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास ज़रूर जाएं।

■    तकिये के नीचे इलायची रखने के हैं अद्भुत लाभ, जानकर हैरत में पड़ जायेंगे आप

सुबह खाली पेट पियेंगे पानी तो रहेंगे रोग मुक्त

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यह बात तो सभी जानते हैं कि जल ही जीवन हैं। जिस तरह खाना शरीर के लिए ज़रूरी होता है उसी तरह जल भी शरीर के लिए उतना ही ज़रूरी होता है। दिन में सात से आठ ग्लास पानी पीना स्वास्थ्य के दृष्टि से शरीर के लिए बहुत ज़रूरी होता है। खाने के पहले पानी पीना, खाने के बाद पानी पीना और दिन में किसी भी समय पानी पीने का अलग-अलग प्रभाव शरीर पर पड़ता है। पानी त्वचा, पेट, शरीर पर आक्रमित होने वाले कई बीमारियों से बचाने  में मदद करता है।

■    1 दिन में कब, कैसे और किस समय पीना चाहिए पानी… जानें

हमारे शरीर के सत्तर प्रतिशत भाग में जल होता है, इसलिए जल शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यह दर्दनिवारक के रूप में काम करने के साथ-साथ, दमा और कैंसर रोग के संभावना को कम करने में भी मदद करता है। इन बातों से आप समझ ही सकते हैं कि जल शरीर के लिए कितना ज़रूरी होता है। लेकिन सुबह खाली पेट जल पीने का अलग ही प्रभाव शरीर पर पड़ता है, जो अनगिनत है। लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि पानी थोड़ा गुनगुना गर्म होना चाहिए। पानी पीने के पैंतालिस मिनट से एक घंटा बाद ही कुछ खाना या पीना चाहिए। हजारों साल से पेट और त्वचा संबंधी समस्याओं से राहत पाने के लिए औषधि के रूप में जल का प्रयोग किया जाता रहा है।

drinking water benefits

खुद को निरोग रखने के आसान और सरल उपायों में यह एक उपाय है-सुबह जल्दी उठकर बिना कुछ खाये पानी पीना क्योंकि:
• जल शरीर के आंतरिक प्रणाली (internal system) को स्वच्छ करने में मदद करता है।
• जल मलाशय (colon) के दूषित पदार्थों को निकाल कर खाद्द पदार्थ से पोषक तत्वों को सोखने में मदद करता है।
• सुबह जल पीने से नई रक्त कोशिकाएं बनती है जिससे शरीर किसी भी बीमारी से लड़ने में सक्षम हो पाता है।

■    गर्म पानी पीने से जड़ से खत्म हो जाएंगी यह 4 समस्या

पानी पीने की विधि:

• सुबह उठकर सबसे पहले ब्रश करें फिर चार गिलास पानी पीयें।
• पानी पीने के पहले कुछ भी न खायें न ही पीयें।
• पानी पीने के 45 मिनट के बाद ही नाश्ता करें या चाय पीयें।
• नाश्ता करने के दो घंटा बाद ही खाना खायें।
• अगर एक ही बार चार गिलास पानी पीना मुश्किल लगे तो धीरे-धीरे पीने की कोशिश करनी चाहिए।

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सुबह खाली पेट पानी पीने से शरीर को कई प्रकार से लाभ मिलता है:

त्वचा में निखार आता है:

जल रक्त से दूषित पदार्थों को निकालने में मदद करता है जिसके कारण त्वचा में निखार आ जाता है।

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■    क्यों नहीं पीना चाहिए तरबूज और खरबूज खाने के बाद पानी

नई कोशिकायें बनती हैं

सुबह खाली पेट पानी पीने से नई रक्त कोशिकायें बनने के साथ-साथ नई मांसपेशियाँ भी बनती है।

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लसीका प्रणाली को संतुलित करता है

सुबह पानी पीने से लसीका प्रणाली (lymph system) संतुलित रहता है। क्योंकि लसीका प्रणाली में जो लसीका ग्रंथि होता है वह बाहरी संक्रमण से लड़ता है ताकि आप रोजर्मरा के काम बिना किसी रूकावट के कर सके। यह शरीर में फ्लूइड को भी संतुलित रखने में मदद करता है।

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वज़न घटाने में मदद करता है

जब आप सुबह पानी पीते है तब आपके शरीर के चयापचय (metabolism) का दर बढ़ जाता है जो वज़न घटाने के प्रक्रिया के लिए लाभादायक सिद्ध होता है।

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■    खड़े होकर पानी क्यों नहीं पीना चाहिए? चौंक जायेंगे नुकसान को जानकर

बीमारियों को दूर करने में मदद करता है

सुबह जल्दी उठकर पानी पीने से शरीर के ऊपर कई प्रकार की बीमारियाँ अपना प्रकोप नहीं दिखा पाती है, जैसे– कैंसर, टीबी, नेत्र, मूत्र, गुर्दे की बीमारी, गले का रोग, उल्टी, सिर दर्द आदि रोगों से कुछ हद तक राहत मिलने में सहायता करता है।

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टिप:

सुबह जल पीने के भी कुछ नियम है जैसे पिछले रात को शराब न पीयें। एक साथ चार गिलास पानी पीने की कोशिश कीजिए। पहले दिन ही यह नहीं होगा धीरे-धीरे इसकी आदत डालनी पड़ेगी। एक बात का ध्यान रखें कभी भी खड़े होकर पानी न पीयें इससे पेट में गैस हो सकता है या वात की समस्या भी हो सकती है। पानी हमेशा धीरे-धीरे पीना चाहिए क्योंकि इससे मुँह का लार पानी में मिल जाता है जो खाना को हजम करवाने में मदद करता है।

■    क्या होता है सुबह बासी मुंह गर्म पानी पीने से, जानकर हैरानी होगी आपको

पुरानी से पुरानी कब्ज पल भर में ठीक करे एलोवेरा, जानें और भी फायदे

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Aloevera

एलोवेरा  को ग्वारपाठा भी कहा जाता है। साधारण सा दिखने वाला पौधा आपको कितना फायदा पहुंचा सकता है शायद आपने सोचा भी नहीं होगा। आयुर्वेद में एलोवेरा  के एैसे गुणों का वर्णन किया गया है जो अस्थमा, खांसी, गैस की समस्या, पथरी, सासों की समस्या जैसी कई बीमारीयों को ठीक कर सकता है। इसके लिए आपको यह पता होना चाहिए कि एलोवेरा  का सेवन किस तरह से किया जाए और कितनी मात्रा में।। एलोवेरा  का पौधा कांटेदार होता है। जिसके किनारे पतले होते हैं। एलोवेरा से निकलने वाला गूदा ही असल औषधि होती है।

■    1 चम्मच एलोवेरा के साथ मिलाकर खाएं ये चीजें, मिलेंगे ऐसे फायदे के जानकार चौंक जायेंगे…!!

एलोवीरा के प्राकृतिक प्रयोग

पीलिया रोग

पीलिया रोग से ग्रसित रोगी के लिए एलोवेरा एक रामबाण औषधि है। 15 ग्राम एलोवेरा का रस सुबह शाम पीयें। आपको इस रोग में फायदा मिलेगा। मूत्र संबंधी रोग हो या गुर्दों की समस्या हो तो एलोवेरा आपको फायदा पहुंचाता है। एलोवेरा का गूदा या रस का सेवन करें।

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चेहरा सुंदर और चमकदार

एलोवेरा का गूदा चेहरे पर लगाने से चेहरा सुंदर और चमकदार बन जाता है। पुरूष हो चाहे स्त्री दोनों को एलोवेरा का पेस्ट चेहरे पर लगाना चाहिए। यह पूर्णरूप से प्राकृतिक क्रीम  है। यदि सिर में दर्द हो तो आप हल्दी में 10 ग्राम एलोवेरा मिलाकर सिर पर इसका लेप लगाएं एैसा करने से सिर दर्द में राहत मिलती है और ताजगी का अहसास होता है।

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■    शहनाज हुसैन के ब्यूटी टिप्स और 5 घरेलु उपाय

मोटापा

एलोवेरा मोटापा कम करने में फायदा करता है। 10 ग्राम एलोवेरा के रस में मेथी के ताजे पत्तों को पीसकर उसे मिलाकर प्रतिदिन सेवन करें या 20 ग्राम एलोवेरा के रस में 4 ग्राम गिलोय का चूर्ण मिलाकर 1 महिने तक सेवन करने से मोटापे से राहत मिलती है।

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प्राकृतिक कंडीशनर

यह एक तरह का प्राकृतिक कंडीशनर है। एलोवेरा को बालों पर 20 मिनट तक उंगलियों के जरिए बालों पर लगाते रहें। और थोड़ी देर में पानी से बालों को धों लें। यह बालों को सुदंर, घना और आकर्षक बनाता है। चेहरे की झुर्रियों को दूर करने में आप एलोवेरा का गूदा कच्चे दूध के साथ मिलाकर चेहरे पर मलें। यह झुर्रियों को खत्म करके चेहरे कांतिमान बनाता है।

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■    बाल सीधे करने के 10 आसान घरेलू तरीके

डायबिटीज की समस्या

डायबिटीज की समस्या से परेशान हैं तो 10 ग्राम एलोवेरा के रस में 10 ग्राम करेले का रस मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से डायबिटीज से मुक्ति मिलती है। 20 ग्राम आंवले के रस में 10 ग्राम एलोवेरा के गूदे को मिलाकर प्रतिदिन सुबह सेवन करें। यह शूगर की बीमारी को दूर करेगा।

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आग से शरीर का कोई अंग जल या झुलस गया हो तो आप एलोवेरा का गूदा उस जगह पर लगाएं आपको जलन से राहत मिलेगी और घाव भी जल्दी ठीक होगा।

सर्दी, जुकाम या खांसी होने पर शहद में 5 ग्राम एलोवेरा के ताजे रस में मिलाकर सेवन करें आपको फायदा होगा। शरीर में कैल्शियम की कमी हो तो एलोवेरा के गूदे का सेवन जरूर करें ।

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बवासीर

बवासीर में यदि खून ज्यादा बहता हो तो एलोवेरा के पत्तों का सेवन 25-25 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम करते रहें। बवासीर के मस्से खत्म करने के लिए एलोवेरा के गूदे में नीम की पत्तियों को जलाकर उसका राख मिला लें और इस पेस्ट को मलद्वार पर बांध लें।

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खुजली, मुंहासों और फुंसी होने पर डेली 10 से 15 ग्राम एलोवेरा का रस पीना चाहिए यह खून को शु़द्ध करता है और चेहरे से मुंहासों को भी हटा देता है। दाद होने पर 10 ग्राम अनार के रस में 10 ग्राम एलोवेरा रस मिलाकर दाद वाली जगह पर लगाने से दाद ठीक हो जाते हैं।

पेट संबंधी कोई भी बीमारी हो तो आप 20 ग्राम एलोवेरा के रस में शहद और नींबू मिलाकर उसका सेवन करें। यह पेट की बीमारी को दूर तो करता ही है साथ ही साथ पाचन शक्ति को भी बढ़ाता है।

■    बाबा रामदेव के इन उपायों से बवासीर हो जाएगी जड़ से ख़त्म..!!

मंहगे डायलसिस से मिलेगा निजात

आजकल किडनी रोग की समस्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में एलोवेरा का सेवन करने से किडनी समस्या ठीक हो सकती है। साथ ही साथ एलोवेरा के सेवन से किडनी का संक्रमण  भी दूर हो जाता  है।

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उर्जा बढ़ाने के लिए

एलोवेरा शरीर में उर्जा को बढ़ाता है। यदि आप नियमित एलोवेरा का जूस पीते हैं तो इससे शरीर में मिनरल और विटामिन शरीर को मिलते हैं जिससे शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है। एलोवेरा के रस से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।

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दांतों और छालों के लिए एलोवेरा

दांतो में कीटाणु लग जाने की वजह से दांत खराब हो जाते हैं। इससे बचने के लिए एलोवेरा का जूस पीएं। यदि मुंह में छाले पड़ गए हों और उनसे खून निकल रहा हो तो आप एलोवेरा जूस से कुल्ला करें।

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    मुंह जीभ और होठों के छालों का इलाज के 10 आसान घरेलू नुस्खे

कब्ज नाशक है एलोवेरा

एलोवेरा कब्ज की समस्या को खत्म करता है। रोज सुबह एक गिलास एलोवेरा जूस का सेवन करने से पुरानी से पुरानी कब्ज पल भर में ठीक हो जाती है।

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एलर्जी में एलोवीरा

एलोवेरा में एमिनों एसिड की मात्रा भरपूर होती है जो एलर्जी को दूर करने का काम करता है। एलोवीरा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

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जो इंसान एलोवेरा का रस रोज पीता है वह कभी बीमार नहीं पड़ता है।
एलोवेरा खून साफ करता है जिससे जोड़ों का दर्द ठीक होता है।
यदि एडि़यां फट गई हों तो रोज एलोवेरा जेल से मालिश करें।
त्वचा में नमी को बनाए रखता है एलोवेरा।
अल्सर, वायु रोग और अम्लपित्त आदि की शिकायतें दूर होती हैं एलोवेरा जूस को पीने से।
गर्मियों के समय में अक्सर त्वचा में सनबर्न की शिकायत हो जाती है। ऐसे में एलोवेरा को त्वचा पर लगाने से सनबर्न ठीक हो जाता है।

■    चेचक के दाग हटाने के 10 आसान उपाय और घरेलू नुस्खे

स्कैल्प का ड्राई होना

एन्टीबैक्टिरीयल गुण होने की वजह से एलोवेरा जेल ड्राई स्कैल्प की समस्या को खत्म करता है। इसके लिए आप एलोवेरा जेल को अपने सिर पर लगा लें और पंद्रह मिनट के बाद शैंपू से अपने बालों को धो लें।

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एलोवेरा कोई साधारण पौधा नहीं है। इसमें समाया हुआ है प्राकृतिक तत्वों का रहस्य जिससे आप अभी तक अनजान थे। एलोवेरा में ही छिपा हुआ है कई बीमारियों का इलाज। आप भी एलोवेरा का पेड़ अपने घर आंगन में लगा सकते हो और इसके फायदे उठा सकते हो। भारत और जापान में पुराने समय से ही एलोवेरा का प्रयोग चिकित्सा के रूम में किया जाता रहा है। एलोवेरा का जरूरत से ज्यादा सेवन करना भी सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।

■    कमर पतली करने और स्लिम होने के 5 आसान उपाय और तरीके

घर बैठे करें डेंगू का आसान और सफल इलाज

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सामान्‍यत: लोग बढ़ती हुई बीमारियों का सारा दोष बदलते हुए मौसम को देते हैं। वाकई बदलती हुई वायु अपने साथ कीटाणु लाती है, लेकिन हमारी खुद की लापरवाही भी इन कीटाणुओं को फैलाने में कम ज़िम्मेदार नहीं है। आजकल मच्छरों के कारण डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी काफी ज्यादा फैल चुकी है।

■   खून की कमी को मात्र 10 दिन में पूरा कर देंगे ये 3 जबरदस्त घरेलु उपाय, ये सिर्फ़ 3 घंटे में डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों में प्लेटलेट्स की मात्रा बढ़ा देंगे

रोज़ाना हम न्यूज़ में इस बीमारी के कारण लोगों को काल के गाल में समाते हुए देख रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार डेंगू मच्छर आम मच्छरों की प्रजाति का नहीं होता, यह खास प्रकार का विषैला मच्छर होता है, जिसके काटने से 3-5 दिन के भीतर शरीर में वायरस फैल जाता है। कभी-कभी ये अवधि 3-10 दिन की भी होती है।

डेंगू बुखार के लक्षण

 

इसका मतलब है कि यदि किसी व्यक्ति को बुखार है और वह दवा लेने के बावजूद भी 4-5 दिन से अधिक हो गया तो समझ जाएं कि यह कोई आम बुखार नहीं है।

आप तुरंत डॉक्टर की सलाह से एक हेल्थ टेस्ट करवा सकते हैं, नहीं तो कुछ ऐसे लक्षण भी हैं जो सीधे-सीधे डेंगू बुखार को ज़ाहिर करते हैं

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जैसे कि तेज बुखार तो होता ही है, लेकिन इसके साथ ही मरीज की त्‍वचा ठंडी होना, मरीज पर बेहोशी हावी हो, नाड़ी कभी तेज और कभी धीरे चलने लगे और ब्लड प्रेशर एकदम लो हो जाए, तो डेंगू शॉक सिंड्रोम का मामला बनता है।

■   ये 10 चीज़े खाने से डेंगू की औकात नही कि वो आपको छू भी पाये..!!

डेंगू का इलाज

 

वैसे तो हमें पूर्ण रूप से डॉक्टर की ही सलाह लेनी चाहिए, लेकिन फर्स्ट एड के रूप में स्वयं भी कुछ कोशिश करना सही माना जाता है। क्योंकि यह ऐसा बुखार है जो कुछ ही पलों में बॉडी के ब्लड प्लेटलेट्स की मात्रा को अचानक गिरा सकता है।

इसलिए साधारण डेंगू बुखार में आमतौर से पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) से काम चल सकता है। लेकिन ऐसे रोगियों को एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल नहीं देनी चाहिए। क्‍योंकि इससे प्लेटलेट्स कम होने का खतरा रहता है। लेकिन जल्द से जल्द डॉक्टर की भी सलाह लेनी चाहिए।

■   डेंगू, मलेरिया में प्लेटलेट्स की मात्रा कम होने पर करें इन चीज़ों का सेवन, मिनटों में बढ़ेंगे प्लेटलेट्स

बचाव के घरेलू इलाज

डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं के अलावा आप कुछ घरेलू इलाज भी कर सकते हैं। डेंगू बुखार के दौरान विटामिन-सी की अधिकता वाली चीजें जैसे आंवला, संतरा या मौसमी अधिक मात्रा में लेनी चाहिए। इससे शरीर का सुरक्षा चक्र मजबूत होता है।

इसके साथ ही खाने में हल्दी का अधिकाधिक प्रयोग करें। इसे सुबह आधा चम्मच पानी के साथ या रात को दूध के साथ लिया जा सकता है। किन्‍तु यदि पीड़ित को नजला/जुकाम हो, तो दूध का प्रयोग न करें। तुलसी के पत्तों को उबालकर शहद के साथ पिएं, इससे भी इम्‍यून सिस्‍टम बेहतर बनता है।

इन सबके अलावा आजकल एक आयुर्वेदिक इलाज काफी प्रसिद्ध हो रहा है और यह काफी असरदार भी है। जिसके अनुसार डेंगू के बुखार को गिलोय बेल की डंडी जल्द से जल्द काटती है, साथ ही यह शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की मात्रा को भी बढ़ाने में मदद करती है।

■   डेंगू में लाभकारी है इस फल के पत्तों का रस,दिलाएगा २ दिनों में डेंगू से छुटकारा

जानें, इसे इस्तेमाल करने का सही तरीका

आप गिलोय बेल की डंडी ले लें, सबसे पहले डंडी के छोटे टुकड़े करें। 2 गिलास पानी मे उबालें, जब पानी आधा रह जाए तो गैस बंद कर दें। अब इसके ठंडे होते ही इसे रोगी को पिलाएं। मात्र 45 मिनट के बाद बॉडी में ब्लड प्लेटलेट्स बढ़ने शुरू हो जाएंगे। आपको डेंगू बुखार से लड़ने का इससे अच्छा और सस्ता इलाज कहीं नहीं मिलेगा।

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