साँस नहीं चलने से कोई मुर्दा नहीं होता – मानव शरीर का जिंदा या मृत होना सिर्फ सांस चलने या नाडी देखने भर से नहीं पता चलता, अनेकों बार जीव रहते हुए भी व्यक्ति को मुर्दा समझ कर जला दिया जाता है. ऐसी अनेक विधियाँ हैं, जिनसे मृत और जिंदा व्यक्ति में अंतर किया जा सकता है.

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आज हम आपको इसी दिशा में एक नयी जानकारी देने जा रहें हैं, अगर किसी का श्वांस बंद हो जाए, नाडी ना चल रही हो तो भी आयुर्वेद में ऐसी कई परीक्षाएं हैं जिनसे रोगी के जिंदा होने के सबूत मिल सकते हैं.

अनेक बार ऐसा होता है के मनुष्य एकदम बेहोश हो जाता है, नाडी नहीं चलती, सांस का चलना भी बंद हो जाता है, परन्तु शरीर से आत्मा नहीं निकलती, जीव भीतर ही रहता है. नादान लोग ऐसी दशा में उसे मरा हुआ समझ कर गाड़ने या जलाने की तैय्यारी करने लगते हैं. इस से अनेक बार ना मरा हुआ व्यक्ति भी मर जाता है. ऐसी हालत में अगर कोई जानकार आ जाए जिसको ये आयुर्वेद क ज्ञान हो तो उसको उचित चिक्तिसा कर के पुनः जिंदा कर सकता है.

“आपने कभी पुरानी फिल्म देखी होगी, जिसमे वैद रोगी की नब्ज देखता है, सांस देखता है, और फिर उसकी आँखों को देखता है, फिर उसके बाद उसके मृत होने की घोषणा करता है, इसके विपरीत आज कल हम सिर्फ नब्ज हार्ट बीट देख कर ही बता देते हैं के रोगी जिंदा है या मर गया.”

आज कल हार्ट फेल के अनेक केस हो रहें हैं, जिनमे रोगी एक सेकंड में मर जाता है, या कोई और भी कारण हो सकता है, जब रोगी के एक सेकंड में मरने की खबर हमको मिलती है तो ऐसे में कोई भी रोगी हो जिसकी ये सूचना मिले के वो मर गया हो उसको तुरंत मृत नहीं समझना चाहिए.

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अतः आज आपको बताने जा रहे है ऐसे रोगी की पहचान के कैसे ऐसे मृत जिंदा व्यक्ति की पहचान हो.

◘  उजालेदार मकान में जहाँ अच्छे से रौशनी आती हो, बेहोश रोगी की आँख खोल कर देखो. अगर उसकी आँख की पुतली में, देखने वाले की सूरत, प्रतिबिम्ब या परछाई दिखे तो समझ लो के रोगी अभी जीवित है. इसी प्रकार अँधेरे मकान में या रात के समय चिराग जला कर, उसकी आँखों के सामने रखें, अगर दीपक की लौ की परछाई या प्रतिबिम्ब उसकी आँखों में दिखे तो समझे के रोगी अभी जिंदा है.

◘  अगर बेहोश रोगी की आँखों की पुतलियों में चमक हो तो समझो के रोगी अभी जिंदा है. आपने कभी पुरानी फिल्म देखी होगी, जिसमे वैद रोगी की नब्ज देखता है, सांस देखता है, और फिर उसकी आँखों को देखता है, फिर उसके बाद उसके मृत होने की घोषणा करता है, इसके विपरीत आज कल हम सिर्फ नब्ज हार्ट बीट देख कर ही बता देते हैं के रोगी जिंदा है या मर गया.

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◘  एक बहुत ही हलके से पतले से बर्तन में पानी भरें, इस बर्तन को रोगी के सीने पर रख दें, और ध्यान से देखें, अगर सांस चलती होगी तो पानी हिलता हुआ दिखेगा.

◘  बिलकुल हलकी रुई (जो धुनी हुई हो – जिससे तकिये गद्दे भरते हैं) या फिर कबूतर का बिलकुल नया निकला हुआ छोटा सा पंख, रोगी के नाक के छेद के सामने रख दो, अगर ये हिलने लगे तो समझो के जान बाकी है. (यह काम करते समय ध्यान दें के रोगी के पास हवा ना आती हो, जिस से के ये पंख या रुई अपने आप हिलने लगे)

पेडू, चड्ढे, गुप्तांग और गुदा के भीतर दिल से एक रग आती है जो जब तक जीव रहता है तब तक हिलती रहती है, नाडी परीक्षक इस रग पर अंगुलियाँ रख कर मालूम कर सकता है के वो रग हिल रही है या नहीं.

हकीम जलिनूस कहते हैं के सकते की बीमारी वाले मुर्दे के सामान हो जाते हैं, ऐसे रोगी को मरा हुआ प्रतीत होते भी 72 घंटे तक उसको रखना चाहिए.

किसी ज़हर से मरे हुए व्यक्ति या पानी में डूबे हुए व्यक्ति को कम से कम 24 घंटे तक जीवित समझना चाहिए. अभी भी आदिवासी लोगों में कहीं कहीं ये प्रथा है के मुर्दा व्यक्ति को 72 घंटे तक जलाया या दफनाया नहीं जाता. उसके दोबारा जिंदा होने की उम्मीद् के कारण.

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इस वेबसाइट में जो भी जानकारिया दी जा रही हैं, वो हमारे घरों में सदियों से अपनाये जाने वाले घरेलू नुस्खे हैं जो हमारी दादी नानी या बड़े बुज़ुर्ग अक्सर ही इस्तेमाल किया करते थे, आज कल हम भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में इन सब को भूल गए हैं और छोटी मोटी बीमारी के लिए बिना डॉक्टर की सलाह से तुरंत गोली खा कर अपने शरीर को खराब कर देते हैं। तो ये वेबसाइट बस उसी भूले बिसरे ज्ञान को आगे बढ़ाने के लक्षय से बनाई गयी है। आप कोई भी उपचार करने से पहले अपने डॉक्टर से या वैद से परामर्श ज़रूर कर ले। यहाँ पर हम दवाएं नहीं बता रहे, हम सिर्फ घरेलु नुस्खे बता रहे हैं। कई बार एक ही घरेलु नुस्खा दो व्यक्तियों के लिए अलग अलग परिणाम देता हैं। इसलिए अपनी प्रकृति को जानते हुए उसके बाद ही कोई प्रयोग करे। इसके लिए आप अपने वैद से या डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करे।
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