ल्युकोडर्मा चमडी का भयावह रोग है,जो रोगी की शक्ल सूरत प्रभावित कर शारीरिक के बजाय मानसिक कष्ट ज्यादा देता है। इसे ही श्वेत कुष्ठ कहते हैं। इस रोग में चमडे में रंजक पदार्थ जिसे पिग्मेन्ट मेलानिन कहते हैं,की कमी हो जाती है। चमडी को प्राकृतिक रंग प्रदान करने वाले इस पिग्मेन्ट की कमी से सफ़ेद दाग पैदा होता है। यह चर्म विकृति पुरुषों की बजाय स्त्रियों में ज्यादा देखने में आती है। ल्युकोडर्मा के दाग हाथ, गर्दन, पीठ और कलाई पर विशेष तौर पर पाये जाते हैं। अभी तक इस रोग की मुख्य वजह का पता नहीं चल पाया है। लेकिन चिकित्सा के विद्वानों ने इस रोग के कारणों का अनुमान लगाया है। पेट के रोग, लिवर का ठीक से काम नहीं करना, दिमागी चिंता , छोटी और बडी आंत में कीडे होना, टायफ़ाईड बुखार, शरीर में पसीना होने के सिस्टम में खराबी होने आदि कारणों से यह रोग पैदा हो सकता है। शरीर का कोई भाग जल जाने और आनुवांशिक करणों से यह रोग पीढी दर पीढी चलता रहता है। इस रोग को नियंत्रित करने और चमडी के स्वाभाविक रंग को पुन: लौटाने हेतु कुछ घरेलू नुस्खे बेहद कारगर साबित हुए हैं। आइये जानते हैं-
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सिर्फ 7 दिन में सफ़ेद दाग (श्वेत कुष्ठ) खत्म होगी : दिवान हकीम परमानन्द जी के द्वारा अनभूत प्रयोग
आवश्यक सामग्री
25 ग्राम देशी कीकर (बबूल) के सूखे पते
25 ग्राम पान की सुपारी (बड़े आकार की)
25 ग्राम काबली हरड का छिलका
बनाने की विधि
उपरोक्त तीन वस्तुएँ लेकर दवा बनाये। कही से देशी कीकर (काटे वाला पेड़ जिसमे पीले फुल लगते है ) के ताजे पत्ते (डंठल रहित ) लाकर छाया में सुखाले कुछ घंटो में पत्ते सूख जायेगे बबूल के इन सूखे पत्तो को काम में ले पान वाली सुपारी बढिया ले इसका पाउडर बना ले कबाली हरड को भी जौ कुट कर ले और इन सभी चीजो को यानि बबूल , सुपारी , काबली हरड का छिलका (बड़ी हरड) सभी को 25-25 ग्राम की अनुपात में ले कुल योग 75 ग्राम और 500 मिली पानी में उबाले पानी जब 125 मिली बचे तब उतर कर ठंडा होने दे और छान कर पी ले ये दवा एक दिन छोड़ कर दूसरे दिन पीनी है अर्थात मान लीजिये आज आप ने दवा ली तो कल नहीं लेनी है और इस काढ़े में 2 चम्मच खांड या मिश्री मिला ले (10 ग्राम) और ये निहार मुह सुबह –सुबह पी ले और 2 घंटे तक कुछ भी खाना नहीं है दवा के प्रभाव से शरीर शुद्धि हो और उलटी या दस्त आने लगे परन्तु दवा बन्द नहीं करे 14 दीन में सिर्फ 7 दिन लेनी है और फिर दवा बन्द कर दे कुछ महीने में धीरे धीरे त्वचा काली होने लगेगी हकीम साहब का दावा है की ये साल भर में सिर्फ एक बार ही लेने से रोग निर्मूल (ख़त्म) हो जाता है अगर कुछ रह जाये तो दूसरे साल ये प्रयोग एक बार और कर ले नहीं तो दुबारा इसकी जरूरत नहीं पडती।
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पूरक उपचार
एक निम्बू, एक अनार और एक सेब तीनो का अलग – अलग ताजा रस निकालने के बाद अच्छी तरह परस्पर मिलाकर रोजाना सुबह शाम या दिन में किसी भी समय एक बार नियम पूर्वक ले। यह फलो का ताजा रस कम से कम दवा सेवन के प्रयोग आगे 2-3 महीने तक जारी रख सके तो अधिक लाभदायक रहेगा।
औषधियों की प्रयोग विधि :
दवा के सेवन काल के 14 दिनों में मक्खन घी दूध अधिक लेना हितकर है क्योकि दवा खुश्क है।
चौदह दिन दवा लेने के बाद कोई विशेष परहेज पालन की जरुरत नहीं है श्वेत कुष्ठ के दूसरे इलाजो में कठिन परहेज पालन होती है परन्तु इस इलाज में नातो सफेद चीजो का परहेज है और ना खटाई आदि का फिर भी आप मछली मांस अंडा नशीले पदार्थ शराब तम्बाकू आदि और अधिक मिर्च मसाले तेल खटाई आदि का परहेज पालन कर सके तो अच्छा रहेगा।
दवा सेवन के 14 दिनों में कभी –कभी उलटी या दस्त आदि हो सकता है इससे घबराना नहीं चाहिए बल्कि उसे शारीरिक शुध्धी के द्वारा आरोग्य प्राप्त होनेका संकेत समझना चाहिए।
रोग दूर होने के संकेत हकीम साहब के अनुसार दवा के सेवन के लगभग 3 महीने बाद सफेद दागो के बीच तिल की तरह काले भूरे या गुलाबी धब्धे ( तील की तरह धब्बे ) के रूप में चमड़ी में रंग परिवर्तन दिखाई देगा और साल भर में धीरे –धीरे सफेद दाग या निशान नष्ट हो कर त्वचा पहले जैसी अपने स्वभाविक रंग में आ जाएगी फिर भी यदि कुछ कसर रह जाये तो एक साल बीत जाने के बाद दवा की सात खुराके इसी तरह दुबारा ले सकते है।
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दिवान हकीम साहब का दावा है की उपर्युक्त इलाज से उनके 146 श्वेत कुष्ठ के रोगियों में से 142 रोगी पूर्णत : ठीक अथवा लाभान्वित हुये है कुछ सम्पूर्ण शरीर में सफेद दाग के रोगी भी ठीक हुये है निर्लोभी परोपकारी दीवान हकीम परमानन्द जी की अनुमति से बिस्तार से यह अनमोल योग मानव सेवा भावना के साथ जनजन तक पहुचा रहा हूँ इस आशा और उदात भावना के साथ की पाठक निश्वार्थ भावना से तथा बिना किसी लोभ के जनजन तक जरुर पहुचाये।
*नोट : ऊपर दिए गए लक्षण सामान्य बीमारी के भी हो सकते हैं इसलिए घबराएं नहीं, धैर्य से काम लें और अपने नजदीकी चिकित्सक से अवश्य परामर्श कर लें।