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सायटिका, घुटने का दर्द,मांसपेशियों का खिचाव, सभी बिमारियों का एक इलाज है यह मसाला

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जो व्यक्ति बुढ़ापे तक स्वस्थ और हट्टा कट्टा रहना  चाहता हैं, और चाहता हैं के उसको मधुमेह, रक्तचाप, हृदय रोग, joint pain जैसी बीमारिया ना लगे तो उसको मेथी दाने का रोज़ाना सेवन बताई गयी विधि द्वारा करना चाहिए।

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■   बुढ़ापे तक रहना है जवान तो खाओ मेथीदाना, इसके चमत्कारिक फायदे जान कर आप दंग रह जाओगे

मेथीदाने के फायदे

मैथीदाना, जितने साल जिसकी आयु हो उतने दाने लेकर धीरे-धीरे खूब चबा-चबाकर रोजाना प्रात: खाली पेट, या शाम को पानी की सहायता से सेवन करने चाहिए, अगर चबाने में दिक्कत हो तो पानी की सहायता से निगल सकते हैं। ऐसा करने से व्यक्ति सदैव निरोग और चुस्त बना रहेगा और मधुमेह, जोड़ों के दर्द, शोथ(सूजन), रक्तचाप, बलगमी बीमारियां, अपचन आदि अनेकानेक रोगों से बचाव होगा। वृध्दावस्था की व्याधियां जैसे सायटिका, घुटने का दर्द, हाथ-पैरों का सुन्न पड़ जाना, मांसपेशियों का खिचाव, भूख न लगना, बार-बार मूत्र आना, चक्कर आना आदि, उसके पास नही फटकेगी। ओज, कान्ति और स्फूर्ति में वृद्धि होकर व्यक्ति दीर्घायु होगा।

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मेथीदाना सेवन के तरीके

यद्यपि अलग-अलग बिमारियों के इलाज के लिए मैथीदाना का प्रयोग कई प्रकार से किया जाता है जैसे मैथीदाना भिगोकर उसका पानी पीना या भिगोये मैथीदाना को घोट छानकर पीना, उसे अंकुरित करके चबाना या रस निकालकर पीना, उसे उबालकर उसका पानी पीना या सब्जी बनाकर खाना, खिचड़ी या कढी पकाते समय उसमे डालकर सेवन करना, सबूत मैथीदाना प्रात: चबाकर खाना और रात्रि में पानी संग निगलना, भूनकर या वैसे ही उसका दलिया या चूर्ण बनाकर ताजा पानी के साथ फक्की लेना, मैथीदाना के लड्डू बनाकर खाना आदि परन्तु मैथी के सेवन का निरापद और सबसे अच्छा तरीका है उसका काढ़ा या चाय बनाकर पीना।

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विशेष

गर्मियों में इसकी फक्की लेने की बजाये रात में इसको एक गिलास पानी में भिगो कर रख दे, सुबह मेथीदाना चबा चबा कर खा ले और ऊपर से यही भिगोया हुआ पानी पी ले।

■   लगातार 10 दिन तक सुबह ख़ाली पेट सिर्फ़ 1 चम्मच मेथीदाना का सेवन आपकी जिंदगी बदल देगा

खाने के स्वाद के साथ साथ आपकी सेहत को भी संवारेगा यह मसाला

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आज आपको बताएँगे भारतीय रसोई में पाये जाने वाले एक ऐसे मसाले के बारे में, जिसके अनेको औषिधियाँ गुण हैं। जिसको हम अक्सर अपने खान पान में इस्तेमाल करते हैं, मगर इसके आयुर्वेदिक गुणों के बारे में ज़्यादा परिचित नहीं हैं। तो आइये जाने इस मसाले के बारे में।

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परिचय

भारतीय रसोई घर और मसाले तथा इनमे लौंग और लौंग की उपयोगिता को कौन नहीं जानता। लौंग को दादी नानी के नुस्खों में एक विशेष स्थान प्राप्त है। लौंग (Clove, Lawang, Devkusum) का प्रयोग मसाले के तौर पर प्राचीन काल से होता चला आ रहा है। अलग-अलग स्थानों एवं भाषाओं में लौंग को भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है। लौंग का रंग काला होता है। यह एक खुशबूदार मसाला है। जिसे भोजन में स्वाद के लिए डाला जाता है। लौंग का उद्गम स्थान इंडोनेशिया को माना जाता है। ऐतिहासिक रूप से लौंग का पेड़ मोलुक्का द्वीपों का देशी वृक्ष है, जहाँ चीन ने ईसा से लगभग तीन शताब्दी पूर्व इसे खोजा और अलेक्सैन्ड्रिया में इसका आयात तक होने लगा। आज जंजीबार लौंग का सबसे अधिक उत्पादन करने वाला देश है। लौंग का अधिक मात्रा में उत्पादन जंजीबार और मलाक्का द्वीप में होता है। इसका उपयोग भारत और चीन में 2000 वर्षों से भी अधिक समय से हो रहा है। लौंग का उत्पादन मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मेडागास्कर, भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका आदि देशों में होता है। आपको शायद यह जानकर आश्चर्य हो कि अठारहवीं शताब्दी में ब्रिटेन में लौंग का मूल्य उसके वजन के सोने के बराबर हुआ करता था।

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लौंग का वृक्ष

लौंग मध्यम आकार का सदाबहार वृक्ष से पाया जाने वाला, सूखा, अनखुला एक ऐसा पुष्प अंकुर होता है जिसके वृक्ष का तना सीधा और पेड़ भी 10-12 मीटर की ऊँचाई वाला होता है और जिसके पत्ते बड़े-बड़े तथा दीर्घवृताकार होते हैं। इसके पेड़ को लगाने के आठ या नौ वर्ष के बाद ही फल देते है। लौंग के पेड़ों के शाखों के अन्तिम छोरों में लौंग के फूल समूह में खिलते हैं। लौंग की कलियों का रंग खिलना आरम्भ होते समय पीला होता है जो कि धीरे-धीरे हरा होते जाता है और पूर्णतः खिल जाने पर इसका रंग लाल हो जाता है। इन कलियों में चार पँखुड़ियों के मध्य एक वृताकार फल होता है।

लौंग के प्रकार

लौंग, जिसे कि लवांग के नाम से भी जाना जाता है, Myrtaceae परिवार से सम्बन्धित एक पेड़ की सूखी कली को कहते हैं जो कि खुशबूदार होता है। लौंग उष्ण प्रकृति का मसाला है। लौंग दो प्रकार के होते हैं। एक काले रंग की एवं दूसरी नीले रंग की। आमतौर पर घरों में मसाले के तौर पर इस्तेमाल होने वाला लौंग काले रंग का होता है। नीले रंग का लौंग अधिक तैलीय होता है अत: इनसे मशीन द्वारा तेल निकाला जाता है जिनका उपयोग चिकित्सा में किया जाता है। इसके पत्ते भी मसाले के तौर पर इस्तेमाल किये जाते हैं। लवंग एक खुशबूदार मसाला होता है।

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लौंग की पहचान

अच्छे लौंग की पहचान है उसकी खुशबू एवं तैलीयपन। लौंग ख़रीदते समय उसे दातों में दबाकर देखना चाहिए इससे लवंग की गुणवत्ता पता चल जाती है। जो लौंग सुगन्ध में तेज, स्वाद में तीखी हो और दबाने में तेल का आभास हो उसी लौंग को अच्छा मानना चाहिए। व्यापारी लौंग में तेल निकाला हुआ लौंग मिला देते है। अगर लौंग में झुर्रिया पड़ी हो तो समझे कि यह तेल निकाली हुई लौंग है।

लौंग के तत्व

लौंग में मौजूद तत्वों का विश्लेषण किया जाए तो इसमें कार्बोहाइड्रेट, नमी, प्रोटीन, वाष्पशील तेल, गैर-वाष्पशील ईथर निचोड़ (वसा) और रेशों से बना होता है। इसके अलावा खनिज पदार्थ, हाइड्रोक्लोरिक एसिड में न घुलने वाली राख, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, सोडियम, पोटेशियम, थायामाइन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन ‘सी’ और ‘ए’ जैसे तत्व भी लौंग में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा कई तरह के औषधीय तत्व होते हैं। इसका ऊष्मीय मान 43 डिग्री है और इससे कई तरह के औषधीय व भौतिक तत्व लिए जा सकते हैं।

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लौंग एक औषधी

आयुर्वेद में लौंग का प्रयोग अनेक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों के बनाने में भी किया जाता है। भारत के प्राचीन चिकित्सा विज्ञान में लौंग का उपयोग चिकित्सा के लिए किये जाने का ज़िक्र हुआ है। चीन के साथ ही साथ पश्चिम के अनेक देशों में हर्बल दवाइयाँ बनाने के लिए लौंग का प्रयोग किया जाता है। भारतीय औषधीय प्रणाली में लौंग का उपयोग कई स्थितियों में किया जाता है। अनेक रोगों के निदान के लिए आयुर्वेद में लौंग का प्रयोग साबुत, पीसकर, चूर्ण, काढ़ा तथा तेल के रूप में किया जाता है। लौंग का तेल एक महत्त्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधि है। लौंग के तेल को औषधि के रूप में भी उपयोग में लाया जाता है। लौंग के तेल में भी ऐसे अंश होते हैं जो रक्त परिसंचरण को स्थिर करते हैं और शरीर के तापमान को नियंत्रित रखते हैं। लौंग के तेल को बाहरी त्वचा पर लगाने से त्वचा पर उत्तेजक प्रभाव दिखाई देते हैं। त्वचा लाल हो जाती है और उष्मा उत्पन्न होती है। इसके अलावा लौंग एंजाइम के बहाव को बढ़ावा देती है भूख बढ़ाती है और पाचन क्रिया को भी तेज करती है। लौंग का तेल पानी की तुलना में भारी होता है। इसका रंग लाल होता है। सिगरेट की तम्बाकू को सुगन्धित बनाने के लिए लौंग के तेल का उपयोग होता है। इसके तेल को त्वचा पर लगाने से त्वचा के कीड़े नष्ट होते हैं।

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आयुर्वेदिक गुण

लौंग में अनेक प्रकार के औषधीय गुण होते हैं। आयुर्वेदिक मतानुसार लौंग तीखा, लघु, आंखों के लिए लाभकारी, शीतल, पाचनशक्तिवर्द्धक, पाचक और रुचिकारक होता है। यह प्यास, हिचकी, खांसी, रक्तविकार, टी.बी आदि रोगों को दूर करती है। लौंग का उपयोग मुंह से लार का अधिक आना, दर्द और विभिन्न रोगों में किया जाता है। यह दांतों के दर्द में भी लाभकारी है। ये उत्तेजना देते हैं और ऐंठनयुक्त अव्यवस्थाओं, तथा पेट फूलने की स्थिति को कम करते हैं। धीमे परिसंचरण को तेज करती है और हाजमा तथा चयापचय को बढ़ावा देती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि भारतीय मसालों में लौंग सबसे अच्‍छा एंटी ऑक्‍सीडेंट का काम करता है। भोजन में प्राकृतिक एंटी ऑक्‍सीडेंट का इस्‍तेमाल करना स्‍वास्‍थ के लिए बेहतर है। यह कृत्रिम एंटी ऑक्‍सीडेंट से ज्‍यादा बेहतर है। एंटीसेप्टिक गुणों के कारण यह चोट, घाव, खुजली और संक्रमण में कीटों के काटने या डंक मारने पर भी किया जाता है। यूनानी चिकित्सा पद्धति के अनुसार : लौंग खुश्क, उत्तेजक और गर्म है। इसको खाने से सिर दर्द होता है। यह पाचनशक्ति को बढ़ाता है। दांतों के मसूढ़ों को मज़बूत बनाता है। इसको पीसकर मालिश करने से ज़हर दूर होता है। ईरान और चीन में तो ऐसा भी माना जाता था कि लौंग में कामोत्तेजक

 

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लौंग का खानपान में इस्तेमाल

दुनिया भर के व्यंजनों को बनाने में प्रायः लौंग का प्रयोग एक मसाले के रूप में किया जाता है। मसाले के तौर पर लौंग का इस्तेमाल गरम मसाला में होता है। चूँकि लौंग के प्रयोग से भोजन सुस्वादु हो जाता है, सम्पूर्ण भारत में प्रायः लौंग का प्रयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने में होता है। रसोईघर में लौंग को पीसकर रसदार सब्जियों में इस्तेमाल किया जाता है। आजकल बहुत सी मिठाईयों को सजाने के लिए भी लौंग का प्रयोग किया जाने लगा है। कोको, चॉकलेट, आइसक्रीम आदि खाद्य-पदार्थों में पाया जाने वाला बनावटी वेनीला एसेन्स लौंग से ही तैयार किया जाता है। लौंग को पान के साथ भी खाया जाता है, प्रायः पान के बीड़े में लौंग को खोंस दिया जाता है जिससे बीड़े की सुन्दरता भी बढ़ जाती है। भारत के कुछ क्षेत्रों में बिना लौंग वाला पान बीड़ा देने को अशुभ माना जाता है। लौंग की तासीर गर्म होने के कारण गर्मियों के दिनों में इसका प्रयोग कम किया जाता है। मसाला चाय बनाने के लिए भी लौंग का इस्तेमाल किया जाता है। लौंग का आसव बनाकर उसमें से सुगन्धित पदार्थ तैयार किये जाते हैं। चीन और जापान में भी एक खुशबूदार पदार्थ के रूप में लौंग को महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यूरोप, एशिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के कई क्षेत्रों में लौंग का प्रयोग एक प्रकार के सिगरेट, जिसे कि क्रिटेक (kretek) कहा जाता है, बनाने के लिए भी किया जाता है।

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लौंग का चिकित्सा में उपयोग

मतली, हिचकी, पेट फूलना, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गठिया, दांत दर्द, डायरिया, संक्रमण, के रूप में उपयोगी यह एंटीसेप्टिक; कीट नाशक, उत्तेजक, पुनःशक्ति दायक, शारीरिक गर्मीदायक, कामोद्दीपक टॉनिक भी है।

कूकर खाँसी

2 लौंग आग में भून कर शहद में मिलाकर चाटने से कूकर खाँसी ठीक हो जाती है।

संक्रमण

एंटीसेप्टिक गुणों के कारण यह चोट, घाव, खुजली और संक्रमण में भी काफ़ी उपयोगी होता है। इसका उपयोग कीटों के काटने या डंक मारने पर भी किया जाता है। लेकिन संवेदनशील त्वचा पर इसे नहीं लगाना चाहिए।

नासूर

लौंग और हल्दी पीस कर लगाने से नासूर मिटता है।

लौंग के तेल को त्वचा पर लगाने से सर्दी, फ्लू और पैरों में होने वाल फंगल इन्फेक्शन और त्वचा के कीड़े भी नष्ट होते हैं।

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दमा

लौंग से दमे का बहुत प्रभावी इलाज होता है। दमा के रोगी को 4-6 लौंग की कलियों को पीसकर 30 मि.ली. / एक कप पानी में उबाल कर इसका काढ़ा बना ले और शहद के साथ दिन में तीन बार पीएं। इससे जमी हुई कफ निकल जाएगी और दमा से राहत मिलेगी। लहसुन की एक कली को पीसे इसे शहद के साथ मिलाएँ और 4-5 लौंग के तेल की बूँदें डालें, सोने से पहले इसे एक बार ले दमा सांस टी बी की तकलीफ भरी खांसी में काफ़ी आराम मिलेगा।

गुहेरी

आंखों के पास या चेहरे पर निकली छोटी-छोटी फुंसियों पर लौंग घिस कर लगाने से फुंसियाँ और सूजन भी ठीक हो जाती हैं।

क्षय रोग

क्षय रोग, दमा और श्रवसनी शोथ से होने वाली दर्दभरी खाँसियों को कम करने के लिए लहसुन की एक कली को शहद के साथ मिलाएँ और उसमें तीन से पाँच लौंग के तेल की बूँदें डालें। सोने से पहले इसे एक बार लेने से काफ़ी आराम मिलेगा। लौंग का तेल सांस की बीमारीयों में खांसी, जुकाम, दमा, अस्थमा, तपेदिक, फेफड़े में सूजन में बहुत उपयोगी होता है।

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आंत्र ज्वर

आंत्र ज्वर में दो किलो पानी में पाँच लौंग आधा रहने तक उबालकर छानकर इस पानी को दिन में कई बार पिलाएँ।

कफ

लौंग मुँह में रखने से कफ आराम से निकलता है तथा कफ की दुर्गन्ध दूर हो जाती है। मुँह और साँस की दुर्गन्ध भी इससे मिटती है। लौंग और अनार के छिलके समान मात्रा में पीस कर चुटकी भर चूर्ण शहद से नित्य तीन बार चाटने से खाँसी ठीक हो जाती है। दो लौंग तवे पर सेंक कर चूसें। इससे खाँसी के साथ कफ (बलगम) आना ठीक हो जाता है।

ज्वर

एक लौंग पीस कर गर्म पानी से फंकी लें। दो तीन बार लेने से ही सामान्य बुखार उतर जाएगा। चार लौंग पाउडर पानी में घोल कर पिलाने में तेज बुखार भी कम हो जाता है।

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पित्त ज्वर

चार लौंग पीस कर पानी में घोल कर पिलाने में तेज ज्वर कम हो जाता है।

खांसी होने पर

खांसी होने पर लौंग को चूसने से फ़ायदा होता है। लौंग को भुनकर चबाने से या लौंग को नमक के साथ चबाकर खाने से खांसी कफ गले दर्द में तुरन्त आराम मिलता है। लौंग कफ-पित्त नाशक होती है।

कान में दर्द

लौंग के तेल को तिल के तेल (सेसमी आयल) के साथ मिलाकर डालने से कान के दर्द में राहत मिलती है।

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सांस की बीमारी

नमक के साथ लौंग चबाने से कफोत्सारण (थूकने) में आसानी होती है, गले का दर्द कम हो जाता है और ग्रसनी की जलन भी बंद हो जाती है। ग्रसनी शोथ के कारण होने वाली खाँसी को दूर करने के लिए जले हुए लौंग को चबाना अच्छा होता है।

मुंह में अल्सर और सांसों की बदबू

लौंग का तेल दांत में दर्द, मसूड़ों में दर्द और मुंह में अल्सर और सांसों की बदबू को दूर करने में रामबाण दवा है। एक गिलास पानी में चार-पाँच लौंग उबाल कर इस पानी से कुल्ला करे या लौंग पीस कर उसमें नीबू का रस मिलाये इसे दांतों पर मलने से दांतों का दर्द ख़त्म हो जाता है।

दांत में कीड़ा

दांत में कीड़ा है तो लौंग को कीड़े लगे दांतों पर रखना चाहिए या लौंग का तेल की फुरेरी लगाना चाहिए, इससे दांत दर्द भी मिट जाता है। कटी जीभ पर लौंग को पीसकर रखने से कटी जीभ भी ठीक हो जाती है।

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तनाव

लौंग मानसिक दबाव और थकान को कम करने का काम करता है। यह अनिद्रा के मरीजों और मानसिक बीमारियों जैसे कम होती याददाश्त, अवसाद और तनाव में उपयोगी होता है।

चोट लगने पर

लौंग की कुछ कलियों को सरसों तेल / कपूर के तेल में पकाकर मालिश करने से लाभ मिलता है। सूजन होने पर लौंग के तेल से मालिश करनी चाहिए। मांस पेशियों में ऐंठन हो तो प्रभावित क्षेत्र पर लौंग के तेल की मालिस करने से आराम मिलता है।

जल्दी-जल्दी प्यास लगने पर

मिश्री एवं लौंग को पीसकर खाने से जल्दी प्यास नहीं लगती है। प्यास की तीव्रता होने पर उबलते पानी में लौंग डाल कर पिलाएँ। इससे प्यास कम हो जाती है।

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दांत दर्द होने पर

दांत दर्द होने पर लौंग की एक कली दांत के नीचे रखने से दर्द से तुरंत आराम मिलता है। और इसके एन्टिसेप्टिक गुण दाँतों के संक्रमण को कम करता है। लौंग एक ऐसा मसाला है जो दंत क्षय को रोकता है और मुँह की दुर्गंध को दूर भगाता है।

गर्भवती स्त्रियों को उल्टी होने पर

लौंग को गर्म पानी में भिगोकर उसका पानी पिलाने से लाभ होता है। यदि भुने हुए लौंग के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर ले लिया जाए तो उल्टियों पर काबू पाया जा सकता है क्योंकि लौंग के संज्ञाहारी प्रभाव से पेट और हलक सुन्न हो जाते हैं और उल्टियाँ रुक जाती हैं।

मुँह और गले की बीमारी

गले में दर्द हो तो कुछ लौंग की कलियों को पानी में उबालकर गरारा करने से गले की ख़राबी और पायरिया में लाभ मिलता है। गले की खराश में लौंग का चूसना असरकारक होता है।

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उल्टी

चार लौंग कूट कर एक कप पानी में डाल कर उबालें। आधा पानी रहने पर छान कर स्वाद के अनुसार मीठा मिला कर पी कर करवट लेकर सो जाएँ। दिन भर में ऐसी चार मात्रा लें। उल्टियाँ बंद हो जाएँगी।

डायबिटीज

लौंग का तेल ख़ून को साफ़ करके ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। लौंग का तेल रक्त संचार सामान्य और शरीर का तापमान नियंत्रित रखता हैं।

त्वचा की बीमारी

त्वचा के किसी भी प्रकार के रोग में इसका चंदन बूरा के साथ मिलाकर लेप लगाने से फ़ायदा मिलता है। लौंग के तेल का इस्तेमाल मुंहासे के उपचार में भी किया जाता है।

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अपच, गैस

दो लौंग पीस कर उबलते हुए आधा कप पानी में डालें, फिर कुछ ठंडा होने पर पी जाएँ। इस प्रकार तीन बार नित्य करें।

हैजे

हैजे के उपचार में भी लौंग बहुत उपयोगी सिद्ध होती है। हैजे में प्यास और उलटी में लौंग का पानी बनाकर देते है इससे प्यास और उलटी कम होती है तथा पेशाब खुलकर आता है। इसके लिए चार ग्राम लौंग को तीन लीटर पानी में तब तक उबाला जाता है जब तक कि आधा पानी भाप बनकर गायब न हो जाए। इस पानी को पीने से रोग के तीव्र लक्षण तुरंत काबू में आ जाते हैं।

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खसरा

खसरा निकलने पर दो लौंग को घिसकर शहद के साथ लेने से खसरा ठीक हो जाता है।

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जी मिचलाना

2 लौंग पीस कर आधा कप पानी में मिला कर गर्म करके पिलाने से जी मिचलाना ठीक हो जाता है। लौंग चबाने से भी जी मिचलाना ठीक हो जाता है।

पेट के दर्द

यह पेट के दर्द को मिटाने वाला माना जाता है। लौंग पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है।

अम्लपित्त

खाना खाने के बाद 1-1 लौंग सुबह, शाम खाने से या शर्बत में लेने से अम्लपित्त से होने वाले सभी रोगों में लाभ होता है और अम्लपित्त ठीक हो जाता है। 15 ग्राम हरे आँवलों का रस, पाँच पिसी हुई लौंग, एक चम्मच शहद और एक चम्मच चीनी मिलाकर रोगी को पिलाएँ। ऐसी तीन मात्रा सुबह, दोपहर, रात को सोते समय पिलाएँ। कुछ ही दिनों में आशातीत लाभ होगा।

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सिर की बीमारी

नमक के क्रिस्टल और लौंग को दूध में मिलाकर तैयार विलेप लगाने से सिरदर्द ठीक हो जाता है। बरौनी के आसपास की जलन को ठीक करने के लिए भी लौंग प्रभावी होती है।

पानी में लौंग को घिसकर प्रभावित जगह पर लगाने से सुकून मिलता है।

नारियल तेल में लौंग के तेल की 8-10 बूंदें डाले इसमें एक चुटकी नमक मिलाकर सिर पर मालिश करे जिससे सिर में ठंडक आती है और दर्द भी जाता रहता है।

लौंग के तेल की मालिश अथवा लौंग को पीस कर माथे पर लगाये सिर दर्द तुरन्त ठीक होता है। 4-5 लौंग पीस कर एक कप पानी में मिला कर आधा पानी रहने तक गर्म करें। छान कर चीनी या शहद मिला कर सुबह और शाम पिलाएँ इससे सर का दर्द ठीक हो जाता है।

हानिकारक

लौंग की प्रवृत्ति बेहद गर्म होती है अत: अपने शरीर की प्रकृति को समझते हुए ही इसका सेवन करना चाहिए। अत: अधिक मात्रा में इसका सेवन करना नुकसानदेय हो सकता है अत: लौंग जरूरत से अधिक नहीं खाना चाहिए। ज़्यादा लौंग खाने से गुर्दे और आंतों को नुकसान पहुंच सकता है।

बबूल की गोंद, लौंग में व्याप्त दोषों को दूर करती है। मात्रा :- 1 ग्राम से 3 ग्राम तक।

■   बबूल की गोंद के फ़ायदे इन हिंदी

इस औषधि से कमजोरी,थकान,हाथ,पैर,कमर जोड़ों का दर्द गायब,50 की उम्र में 25 की स्फूर्ति,तेजी,चमक,ताकत

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Heeng asafoetida

हींग भारतीय रसोई की शान हैं, ये एक ऐसा मसाला हैं जिसमे आयुर्वेद के अनेक गुण समाये हैं। हींग के गुणों के बारे में इतनी लोकप्रियता हैं के इसके बारे में एक लोक कहावत हैं के “हींग लगे ना फटकरी, रंग चोखा आये”। हींग कोई फल या फूल नहीं होती ,यह तो पेड़ के तने से निकली हुई गोंद होती है। इसका पेड़ 5 से 9 फीट उंचा होता है। इसके पत्ते 1 से 2 फीट लम्बे होते हैं। हींग को खाने के स्वाद को बढाने के साथ साथ कई तरह के घरेलू नुस्खों में भी प्रयोग किया जाता है। हींग को दाल और रायते में छौंक लगाने में भी प्रयोग किया जाता है, आज हम हींग से होने वाले फायदों के बारे में बात करेंगें क्योकि हींग में बहुत से लाभदायक गुण पाये जाते है।

Heeng Ke Pani Ke Fayde In Hindi

आवश्यक सामग्री

1. गेंहु के दाने बराबर हींग

2. 1 गिलास पानी

बनाने की विधि और सेवन का तरिका

सबसे पहले आप 1 गिलास हल्के गुन-गुने पानी में लगभग एक गेंहु के दाने बराबर हींग को पानी में घोल ले, फिर इसका सेवन बेठकर करे।

■   रोजाना सुबह खाली पेट पीएं हींग का पानी और फिर देखें कमाल
  • उल्टी आने पर हींग को पानी में पीसकर पेट पर लगाने से फायदा होता है।
  • हींग अपच, पेट दर्द, जी मिचलाना, दांत दर्द, जुकाम, खांसी, सर्दी के कारण सिरदर्द, बिच्छू, बर्र आदि के जहरीले प्रभाव और जलन को कम करने में काम आती है। ये ऎसे गुण है जो शायद ही कुछ ही लोगों को पता होंगे

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  • यदि कभी आपको अचानक से पेट दर्द होने लगे तब थोड़ी सी हींग को पानी में घोलकर हल्का सा गर्म करके नाभि तथा इसके आसपास लेप लगायें, ऐसा करने से पेट दर्द में तुरंत ही आराम मिल जायेगा। नाभि के आसपास गोलाई में इस पानी का लेप करने से पेट दर्द, पेट फूलना व पेट का भारीपन दूर हो जाता है।

Stomach-Problems pet ki samasyaein

  • सीने में अगर कफ जकड़ जाए तो हींग के तेल की दो बूंदे गर्म पानी‌ में डालकर भाप लेने से आराम मिलेगा। हींग के तेल से सीने, गर्दन और कमर पर मालिश करने से भी ठंड से शरीर की जकड़न या दर्द में राहत होगी।
  • दांत दर्द की समस्या होने पर हींग में थोड़ा सा कपूर मिलाकर दर्द वाली जगह पर लगाने से दांत में दर्द होना बंद हो जाता है।
  • अगर कफ जकड़ गया है या फिर सूखी खांसी हो रही है, इसके लिए आधा चम्मच अदरक के रस में आधा चम्मच हींग और एक चम्मच शहद मिलाएं। फिर दिन में तीन इसका सेवन करें। इससे गले की खराश में भी आराम ‌मिलेगा।
■   सिर्फ 5 दिन दूध के साथ इस चीज का सेवन करने से कमजोरी हो जाती है जड़ से खत्म
  • कान में दर्द होने पर तिल के तेल में हींग को पकाकर उस तेल की बूंदों को कान में डालने से कान का दर्द समाप्त हो जाता है।

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  • जुकाम की शुरुआत में अगर आपको कफ बने तो इसका सेवन संक्रमण को तुरंत खत्म कर देता है। इसके लिए आधा चम्मच हींग के पाउडर में औधा चम्मच सोंठ (सूखा अदरक) का पाउडर मिलाएं और इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर इसका दिन में थोड़ी-छोड़ी देर पर सेवन करें।
  • पीलिया होने पर हींग को गूलर के सूखे फलों के साथ खाना चाहिए। पीलिया होने पर हींग को पानी में घिसकर आंखों पर लगाने से फायदा होता है।
   पीलिया में क्या खाएं और क्या नहीं खाना चाहिए, परहेज – Jaundice Diet Chart In Hindi
  • अपने रोज के खाने में दाल, कढ़ी और सब्जियों में हींग का प्रयोग करने से खाने को पचने में सहायता मिलती है।
  • जुकाम होने पर बहुत से लोगो की नाक बंद हो जाती है जिससे साँस लेने में काफी तकलीफ हो जाती है, हींग सूंघने से जुकाम से बंद हुई नाक खुल जाती है। थोडी सी हींग पीसकर पानी में घोल लें और शीशी में भर लें। इसे सूंघने से सर्दी-जुकाम, सिर का भारीपन व दर्द में आराम मिलत है। पीठ, गले और सीने पर पानी का लेप करने से खांसी, कफ, निमोनिया और श्वास कष्ट में आराम मिलता है। हींग सूंघने से जुकाम से बंद हुई नाक खुल जाती है।

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  • यदि नासूर हो गया है और घाव सडने लगता है तो हींग को नीम के पत्तों के साथ पीसकर घाव पर लगाने से कुछ ही दिनों में आराम आ जाता है।
  • छाछ में या भोजन के साथ हींग का सेवन करने से अजीर्ण वायु, हैजा, पेट दर्द, आफरा में आराम मिलता है।
■   छाछ पीने से होंगे ये चमत्कारी लाभ
  • हींग की मदद से शरीर में ज्यादा इन्सुलिन बनता है और ब्लड शुगर का स्तर नीचे गिरता है। ब्लड शुगर के स्तर को घटाने के लिए हींग में पका कड़वा कद्दू खाना चाहिए।
  • हींग में कोउमारिन होता है जो खून को पतला करने में मदद करता है और इसे जमने से रोकता है। हींग बढ़े हुए ट्राइग्लीसेराइड और कोलेस्ट्रोल को कम करता है और उच्च रक्तचाप को भी घटाता है।

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  • हींग में वह शक्ति होती है जो कर्क (कैंसर) रोग को बढ़ावा देने वाले सेल को पनपने से रोकता है।

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  • अगर किसी खुले जख्म पर कीडे पड़ गए हों तो, उस जगह पर हींग का चूर्ण लगाने से कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
■   20 साल पुरानी ब्लड प्रेशर की बीमारी को भी ठीक कर देगा ये घरेलू उपाय
  • बच्चों के पेट में कीडे होने पर जरा सी हींग एक चम्मच पानी में घोलकर रूई के फाहे को उसमें डुबोकर बच्चे के पॉटी होल में रख दें इसके बाद जब बच्चा पॉटी करेगा तो सारे कीड़े मर कर पॉटी के साथ निकल जाएंगे। यदी बड़ो के पेट में भी कीड़े हो जाए तो ये उपाय वो भी अपना सकते हैं।
  • यदि आपके शरीर के किसी जगह पर कांटा चुभ गया हो तो उस जगह पर हींग का घोल लगा दें , ऐसा करने से काँटा चुभने का दर्द भी कम होगा और कांटा अपने आप ही निकल जायेगा।
  • हींग के चूर्ण में थोडा सा नमक मिलाकर पानी के साथ लेने से लो ब्लड प्रेशर में आराम मिलता है।

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  • अफीम का नशा उतारने के लिए थोडी सी हींग को पानी में घोलकर पिला दें, इससे नशा जल्दी उतर जाता है।
  • भुनी हुई हींग को रूई के फाहे में लपेटकर दाढ़ पर रखने से राहत मिलती है। दांत में कीडा लगने पर भी इससे आराम मिलता है।
  • दाद, खाज, खुजली जैसे त्वचा संबंधी रोगों के लिए हींग बहुत फायदेमंद होती है। चर्म रोग होने पर हींग को पानी में घिसकर प्रभावित स्थानों पर लगाने से फायदा होता है।
■   खुजली और फोड़ा-फुंसी को जड़ से मिटाने के लिए मात्र एक ग्लास ही काफी है
  • हींग का धुआं सूंघने से हिचकियां बंद हो जाती हैं।

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  • पेट में दर्द व ऐंठन होने पर अजवाइन और काले नमक नमक के साथ हींग का सेवन करने से दर्द में काफी फायदा मिल जाता है।
  • जोडों के दर्द में इसका नियमित सेवन बहुत ही लाभदायक रहता है।
  • पसलियों में दर्द होने पर हींग रामबाण की तरह से काम करता है। ऎसे में हींग को गरम पानी में घोलकर लेप लगाएं, सूखने पर प्रक्रिया दोहराएं। आराम मिलेगा।
  • प्रसव के उपरांत हींग का सेवन करने से गर्भाशय की शुद्धि होती है और उस महिला को पेट संबंधी कोई परेशानी नहीं होती है।
  • एसिडिटी की समस्या होने पर थोड़ी सी हींग को गुड़ में मिलाकर गरम पानी के साथ खा लें, इससे गैस से होने वाले दर्द में आराम मिल जायेगा।

acidity

  • माइग्रेन और सिरदर्द में आधा कप पानी में हींग मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
■   माइग्रेन के दर्द से छुटकारा पाने के 10 रामबाण घरेलू नुस्खे और उपाय

खनिजों से भरपूर यह मसाला, करेगा फेफड़ों से जुड़े रोगों का प्राकृतिक इलाज

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elaichi ke fayde cardamom benefits in hindi

छोटी इलायची खून बढ़ाने, बदहज़मी, भूख बढ़ाने, एसिडिटी में, फेफड़ो के रोगो, हृदय रोगो, डी टॉक्सिफिकेशन, मुंह के रोगो, खांसी, हिचकी, सिरदर्द, पेशाब के रोगो और यहाँ तक के कैंसर के रोगो में भी अत्यंत लाभकारी हैं। इसलिए तो नाम में छोटी और गुणों में बहुत बड़ी हैं ये छोटी इलायची। आइये जाने विभिन्न बीमारियो में इसके प्रयोग।

■   रात को इलायची खाकर गर्म पानी पीने के फायदे जानकर चौक जायगे आप

इलायची का इस्तेमाल भारत में पुराने समय से होता आ रहा है। और यह घरेलू नुस्खों में सबसे पहले स्थान पर आती है। इलायची स्‍वास्‍थ के लिहाज से अच्‍छी मानी जाती है, हालांकि इसका सेवन आमतौर पर मसाले के रूप में किया जाता है। लेकिन इसका प्रयोग करके कई बीमारियों से निजात मिल सकती है। इलायची को मसालों की महारानी कहा जाता है। तीव्र सुगन्ध और स्वाद की वजह से इसका इस्तेमाल विभिन्न व्यंजनों में होता है। अरोमाथेरेपी में भी इलायची के तेल का प्रयोग किया जाता है। जहां बड़ी इलायची को हम व्यंजनों को लजीज बनाने के लिए एक मसाले के रूप में प्रयोग करते हैं, वहीं पर छोटी इलायची व्‍यंजनों में खुशबू बढ़ाने के काम आती है। दोनों ही प्रकार की इलायची हमारे स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रभाव डालती हैं। इलायची का प्रयोग भोजन पकाने में करने से हमारा शरीर कई रोगों से निजात पा सकता हैं।

इलायची खाने के कई फायदे हैं, जिस तरह भी हो एक-दो इलायची रोजाना खाते रहिए ।

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इलायची दो प्रकार की होती है बड़ी इलायची और छोटी इलायची। दोनों ही आपकी सेहत के लिए बेहद जरूरी हैं।

■   तकिये के नीचे इलायची रखने के हैं अद्भुत लाभ, जानकर हैरत में पड़ जायेंगे आप

छोटी इलायची के है बड़े बड़े फायदे-

कैंसर रोधी

इलायची कैंसर रोधी है, इसका नियमित सेवन आपको कैंसर जैसी भयंकर बीमारी से बचने में सहायक हैं।

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शरीर को एनीमिया से बचाती है

एक गिलास गर्म दूध में एक या दो चुटकी इलायची पाउडर और चौथाई या आधा चम्मच हल्दी मिलाए. एनीमिया के लक्षणों और कमजोरी से राहत पाने के लिए इसे हर रात पिएँ.

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सिरदर्द, पेशाब में जलन

इलायची का पेस्ट बनाकर माथे पर लगाने से सिरदर्द में तुरंत आराम मिलता है और पेशाब में जलन होने पर, इलायची को आंवला, दही और शहद के साथ सेवन करने से समस्‍या दूर होती है।

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लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में सहायक

इलायची एक सुगंधित मसाला है. सामान्यतया यह मीठे व्यंजनों का स्वाद बढ़ाने के लिए उपयोग में लाई जाती है. इसकी गंध तीक्ष्ण होती है. इसीलिए इसका उपयोग माऊथ फ्रेशनर के रूप में किया जाता है. इसमें आयरन, राइबोफ्लेविन और विटामिन ‘सी’ के साथ-साथ नियासिन भी पाया जाता है. ये लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

khoon saaf karne ke upay blood cleansing tips

अधिक हिचकी को रोकना

अधिक हिचकी भी इंसान के लिए खतरनाक हो सकती है। यदि आपको अधिक हिचकी आती हो तो तुंरंत छोटी इलायची का सेवन करें। आपको हिचकी से तुंरत राहत मिलेगी।

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पाचनक्रिया को सुचारू बनाती है

खाने के बाद अक्सर लोग इलायची का उपयोग माऊथ फ्रेशनर के रूप में करते हैं. जानते हैं क्यों? दरअसल इलायची प्राकृतिक रूप से गैस को खत्म करने का काम करती है. पाचनक्रिया को बढ़ाती है. पेट की सूजन कम करती है, व यह छाती की जलन को खत्म करने का काम करती है.

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खांसी में दे राहत

खांसी होने पर अदरक, छोटी इलायची और लौंग के साथ 3 तुलसी के पत्तों को मिलाकर खाने से खांसी में राहत मिलती है।

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गले में खराश या दर्द

जिन लोगों के गले में दर्द या खराश की दिक्कत हो वे छोटी इलायची के अंदर के दानें निकालकर उन्हें बारीक करके चबाएं और बाद में गुनगुना पानी पीएं।

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भूख नहीं लगती

अगर आपको भूख नहीं लगती तो आप एक इलायची हमेशा अपने मुंह में रखिये, धीरे धीरे आपकी भूख भी खुल जाएगी.

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साँस की दुर्गंध दूर करती है

इलायची में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। साथ ही, इसका तीक्ष्ण स्वाद और तीक्ष्ण महक साँसों की दुर्गंध दूर करती है व पाचनतंत्र को मजबूत बनाती है. रोज खाने के बाद एक इलायची खाएँ या रोज सुबह इलायचीयुक्त दूध अथवा काढ़ा पी सकते हैं.

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एसिडिटी से छुटकारा

इलायची चबाने पर इसमें से कई तरह के तेल निकलते हैं, जो आपकी लार ग्रंथियों को उत्तेजित करते हैं, इससे पेट ठीक तरह से कार्य करता है. ये तेल पेट एवं आँतों में ठंडक का अहसास कराते हैं. इसीलिए इसे चबाने से एसिडिटी से होने वाली जलन दूर हो जाती है.

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पेट की गैस में राहत

इलायची पेट में गैस और एसिडिटी में राहत देती है। यदि खाना खाने के बाद एसिडिटी हो आप खाना खाने के बाद तुंरत इलायची को खाएं।

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फेफड़ों से जुड़े रोगों का है प्राकृतिक इलाज

इलायची सर्दी, ज़ुकाम, खाँसी, अस्थमा और फेफड़ों से जुड़ी दूसरी बीमारियों से राहत दिलाती है. आयुर्वेद में इलायची की तासीर गर्म मानी गई है. यह शरीर को अंदर से गर्म रखती है व इसके सेवन से कफ़ बाहर हो जाता है. सर्दी, खाँसी या छाती में बलगम जमाव है, तो इन परेशानियों से राहत पाने के लिए इलायची सबसे बेहतर प्राकृतिक उपचार है. यदि आपको ज्यादा सर्दी हो रही हो तो भाप लेते समय गर्म पानी के बर्तन में इलायची के तेल की कुछ बूँदें डाल दें तेजी से आराम मिलता है.

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मुंह की बदबू से राहत

जिन लोगों को सांस की बदबू की समस्या हो वे खाना खाने के बाद हमेशा एक छोटी इलायची का सेवन करें।

ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए फायदेमंद

जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की दिक्कत हो वे इलायची का नियमित रूप से इस्तेमाल करें एैसा करने से ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है और आराम भी मिलता है।

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बदहजमी की शिकायत

आयुर्वेद के अनुसार यदि आपको बदहजमी की शिकायत है तो दो से तीन इलायची, अदरक का एक छोटा सा टुकड़ा, थोड़ी सी लौंग और सूखा धनिया पीस लें. इस पाउडर को गर्म पानी के साथ सेवन करें. पेट से जुड़ी पाचन संबंधित सभी व्याधियाँ खत्म हो जाएँगी.

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छालों में राहत

यदि मुंह में छालें हो तो आप बड़ी इलायची का प्रयोग करें। बड़ी इलायची को बारीक पीसें और उसमें थोड़ी चीनी डाकर छालों वाली जगह पर रखें। आपको राहत मिलेगी।

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हृदय-गति को नियमित करना

इलायची पोटैशियम, कैल्शियम आदि खनिजों से भरपूर होने के कारण यह शरीर की इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इलायची दिल की गति को नियमित करने में मदद करती है. साथ ही, यह ब्लडप्रेशर को भी नियंत्रित करती है. इसीलिए अगर आप अपने हृदय को हमेशा स्वस्थ बनाए रखना चाहते हैं तो अपने दैनिक भोजन में इलायची को अवश्य शामिल करें.

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शरीर के अन्दर मौजूद विभिन्न विषों को नष्ट करती है

इलायची मैंगनीज का एक प्रमुख स्रोत है. ‘मैंगनीज’ एन्जाईम के स्राव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, फ्री रेडिकल्स को नष्ट करता है, तथा शरीर से जहरीले तत्व बाहर करने का कार्य बखूबी संपन्न करता है.

इलायची के ये गुण आपको मजबूर कर देंगे कि इलायची को आप हमेशा अपने घर या अपने बैग आदि में रखे । सेहत के लिहाज से इलायची के ये गुण आपको कई तरह की परेशानियों से बचा सकते हैं।

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शरीर की पाचन प्रणाली को मजबूत करने का प्रभावी तरीका

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एक कहावत है ‘पहला सुख निरोगी काया।’ स्वस्थ शरीर स्वस्थ दिमाग के निर्माण में सहायक होता है। स्वस्थ रहने की पहली शर्त है आपकी पाचन शक्ति का सुदृढ़ होना। भोजन के उचित पाचन के अभाव में शरीर अस्वस्थ हो जाता है, मस्तिष्क शिथिल हो जाता है और कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। जिस प्रकार व्यायाम में अनुशासन की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार भोजन में भी अनुशासन महत्वपूर्ण है। अधिक खाना, अनियमित खाना, देर रात तक जागना, ये सारी स्थितियां आपके पाचन तंत्र को प्रभावित करती है।

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पाचन तंत्र हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। यह हमारे भोजन को पचाता हैं एवं उसमें से मिले पौष्टिक तत्वों को शरीर को प्रदान करता है। यही सार तत्व हमारे सर्वांग के काम आता है इसलिए पाचन तंत्र का सदैव सही रहना आवश्यक होता है। सुबह सवेरे अच्छे से पेट साफ होना, हेल्थी होने की सबसे बड़ी निशानी है।

अत: यह आवश्यक हो जाता है कि पाचन शक्ति को दुर्बल होने से बचाएं। पाचन तंत्र की दुर्बलता दूर करने के कुछ घरेलू उपाय यहां दिए जा रहे हैं, जिनके प्रयोग से निश्चय ही काफी लाभ होगा।

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पाचन शक्ति बढ़ाने के घरेलु उपाय

सलाद का सेवन

खाने को सही से पचाने के लिए खाने में सलाद का प्रयोग करें. सलाद में टमाटर, काला नमक और नीबू का सेवन करना फायदेमंद रहेगा. इन तत्वों में भरपूर मात्रा में पौष्टिकता पाई जाती हैं.

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खाना सही तरीके से खाए

भोजन के बाद अपच की परेशनी से बचने के लिए खाना खाने का सही तरीका अपनाये। खाना खाने से पहले फल खाए उसके बाद जटिल भोजन करे इस तरह से आप ज्यादा खा पाएंगे और पाचन समस्याओं से बचे रहेगें।

eating food

निम्बू का उपयोग

एक कप पानी में 5-6 काली मिर्च का चूर्ण तथा आधा नींबू निचोड़कर इन्हे मिला ले तथा इसका सेवन सुबह-शाम भोजन के बाद करे. इसे पीने से पेट की वायु, उर्द्धवात, बदहजमी, विषमाग्नि जैसी शिकायतें दूर होकर पाचन शक्ति प्रबल होती है.

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फाइबर से भरपूर आहार

फाइबर से भरपूर आहार जैसे साबुत अनाज, सब्जियां, फलियां और फल पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते है। रेशेदार खाद्य पदार्थ पचाने में आसान और कब्ज को रोकने में मदद करते हैं। इसके अलावा, उच्च फाइबर आहार विभिन प्रकार की पाचन संबंधी समस्‍याएं जैसे डिवैर्टिकुलोसिस, हेमोर्रोइड्स और इर्रिटेबल बॉउल सिंड्रोम को कम करता है। फाइबर के कुछ बेहतरीन स्रोत गेहूं की भूसी, सब्जियों, जई, नट, बीज और फलियां हैं।

fibre diet

इलायची का सेवन

इलायची का सेवन करने से हमारे शरीर की अनेक परेशानियां दूर हो जाती हैं. इलायची के बीजों के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर दिन में 2-3 बार 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से गर्भवती स्त्री के पाचन विकार दूर हो जाते हैं तथा खुलकर भूख लगती है.

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पपीता

पपीता यदि आप 24 घंटे के अंदर ही अपने पाचन को सुधारना चाहते हैं तो कच्चा पपीता आपके लिए अच्छा है। यदि आंत की कमजोरी के कारण आप में विटामिन्स का संचय नहीं होता है तो आप इससे विटामिन सी प्राप्त कर सकते हैं। इसमें पपाइन होता है जो कि प्रोटीन को विभाजित करता है और खाने को पाचन योग्य बनाता है।

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आंवले का सेवन

पकाए हुए आंवले को पीस के उसमे स्वादानुसार काली मिर्च, सौंठ, सेंधा नमक, भुना जीरा और हींग मिलाकर बड़ी बनाकर छाया में सुखा लें. अब इन बड़ियों का सेवन अपने भोजन में शामिल करे. इसके सेवन से पाचन विकार दूर हो जाता है तथा भूख बढ़ती है.

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गर्म पानी पिएं

भोजन पचाने में परेशानी हो रही हो तो गर्म पानी पिएं । सुबह गर्म पानी पीने और भोजन से पहले कम से कम तीस मिनट पहले पानी पीने से पाचन तंत्र साफ रहता है।

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केला

केला यह आपके आंतों के कार्य को सही बनाए रखता है, आप इसे खाना खाने के बाद या पहले कभी भी खा सकते हैं। दोनों ही तरीकों से यह आपके पेट के लिए फायदेमंद है।

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■   सुबह खाली पेट केला खाकर गर्म पानी पीने से होंगे चोकाने वाले फायदे

विटामिन सी युक्‍त आहार खायें

विटामिन सी युक्‍त खाद्य-पदार्थों के सेवन से भी पाचन शक्ति मजबूत होती है। इसलिए पाचन तंत्र को दुरुस्‍त बनाने के लिए अपने आहार में विटामिन सी युक्त आहार जैसे – ब्रोकोली, टमाटर, किवी, स्‍ट्रॉबेरी आदि का सेवन करें।

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नाशपती

नाशपाती पेट के लिए अच्छा फल है जिसे आप सप्ताह में एक बार खा सकते हैं। हाल ही में हुये अध्ययन के अनुसार नाशपती में फाइबर होता है जिससे दस्त साफ लगता है। नाशपती सोडियम फ्री, कोलेस्ट्रॉल फ्री और फैट फ्री होती है और 190 मिलीग्राम पोटेशियम होता है जो कि पाचन को मजबूत करता है।

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नियमित व्‍यायाम

व्‍यायाम न केवल स्‍वस्‍थ वजन संतुलित बनाये रखने में मदद करता है बल्कि यह चयापचय को गति और पाचन तंत्र को भी दुरुस्‍त रखता है। इसलिए रोज व्‍यायाम के लिए कम से कम 30 मिनट का समय जरूर निकालें। तेज चाल, दौड़ना, साइकिल चलाना और तैराकी व्यायाम के कुछ आसान तरीके हैं।

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अच्‍छी तरह चबाकर खायें

पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए यह कदम बहुत लाभकारी हो सकता है। क्‍योंकि जल्‍दबाजी से भोजन करने से वह आसानी से पचता नहीं है। आमतौरलोग खाने के टुकड़े को 8-10 बार चबाते हैं जबकि खाने को कम से कम 30-35 बार चबाकर खाना चाहिए। इससे पाचन शक्ति मजबूत होती है।

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बिस्तर गीला करते हैं बच्चे? तो अपनाएं ये अचूक घरेलु नुस्खे

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छोटे बच्चों का कहीं भी पेशाब कर देना आम बात होती है, खास करके रात में सोते समय नींद में पेशाब करना। यदि 3-4 वर्ष की आयु होने पर भी बच्चा बिस्तर पर पेशाब करे तो यह एक बीमारी मानी जायेगी। बच्चे को इस बीमारी से बचाने के लिए शैशवकाल से ही कुछ सावधानियां रखना जरूरी होता है।

■   जलने और चोट के निशान हटाने के 10 आसान उपाय और नुस्खे

उसे सोने से पहले शू-शू कि आवाज करते हुए पेशाब करा देनी चाहिए। शाम को 8 बजे के बाद ज्यादा पानी नही पिलाना चाहिए। रात 1-2 बजे के लगभग उसे धीरे से जगाइए और शौचालय में ले जाइए, जहाँ उसे पेशाब करने के लिए फुसलाइए या प्रेरित कीजिए। यदि बच्चा नहीं जागता है, तो उसे धीरे से उठाकर शौचालय में ले जाइए और पेशाब कराइए। जिस कमरे में बच्चा सोता है, उस कमरे में रात्रि में मंद लाइट जलाकर रखें, जिससे बच्चा रात्रि में खुद अकेले जाकर बाथरूम में मूत्र का त्याग कर सकें ।

अगली सुबह जब बच्चा उठे और बिस्तर सूखा मिले तो बिस्तर गीला नहीं करने के लिए उसकी तारीफ करें। किसी योग्य चिकित्सक से भी सलाह लेने में संकोच न करें। कुछ बच्चों में बिस्तर में पेशाब करने कि आदत सी हो जाती है। इस आदत को दूर करने के लिए बच्चे के साथ अत्यंत स्नेहपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। उसे डांटना-फटकारना, धिक्कारना या शर्मिंदा करना कदापि उचित नहीं है। उसके साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार करना चाहिए और प्यार से समझाना चाहिए। यदि बच्चा दस वर्ष की उम्र के बाद भी बिस्तर पर पेशाब करता है, तो फिर किसी बीमारी का पता लगाने के लिए विशेषज्ञ की सेवा लेना जरूरी होता है। इसे उचित चिकित्सा से ठीक क्या जा सकता है। आइये हम कुछ लाभप्रद उपायों पर विचार करते हैं

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विभिन्न औषधियों से उपचार

तिल

तिल और गुड़ को एक साथ मिलाकर बच्चे को खिलाने से बच्चे का बिस्तर पर पेशाब करने का रोग समाप्त हो जाता है। तिल और गुड़ के साथ अजवायन का चूर्ण मिलाकर खिलाने से भी लाभ होता है।

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आंवला

लगभग 10-10 ग्राम आंवला और काला जीरा लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में इतनी ही मिश्री पीसकर मिला लें। यह 2-2 ग्राम चूर्ण रोजाना पानी के साथ खाने से बच्चे का बिस्तर में पेशाब करना बंद हो जाता है।
आंवले को बहुत अच्छी तरह से बारीक पीसकर कपड़े में छानकर चूर्ण बना लें। यह 3-3 ग्राम चूर्ण रोजाना शहद में मिलाकर बच्चों को सुबह-शाम चटाने से बच्चे बिस्तर में पेशाब करना बंद कर देते हैं।

avla ke tel ke fayde in hindi gooseberry oil benefits

अतीस

अतीस का चूर्ण एक ग्राम और बायविडंग चूर्ण दो ग्राम मिलाकर, इसकी एक मात्रा दिन में तीन बार सेवन कराने से रोग में आराम मिलेगा।

मुनक्का

रोजाना 5 मुनक्का खाने से बच्चे का बिस्तर में पेशाब करने का रोग दूर होता है।

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शहद

सोते समय बच्चों को शहद खिलाने से बच्चों के नींद में पेशाब निकल जाने का रोग समाप्त हो जाता है।
कुछ बच्चे रात में सोते समय बिस्तर में ही मूत्र (पेशाब) कर देते हैं। यह एक बीमारी होती है। सोते समय शहद का सेवन करते रहने से बच्चों का निद्रावस्था में मूत्र (पेशाब) निकल जाने का रोग दूर हो जाता है।

shahad honey ke fayde

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खजूर

बिस्तर पर पेशाब या बार-बार पेशाब आने पर दो छुहारे दिन में दो बार और सोते समय दो छुहारे दूध के साथ खाने से लाभ होता है।

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अखरोट

बच्चों को अखरोट खिलाने से बच्चों की रात को सोते समय बिस्तर पर पेशाब करने की आदत खत्म हो जाती है।

प्राय: कुछ बच्चों को बिस्तर में पेशाब करने की शिकायत हो जाती है। ऐसे बाल रोगियों को 2 अखरोट और 20 किशमिश प्रतिदिन दो सप्ताह तक सेवन करने से यह शिकायत दूर हो जाती है।

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■   हर तरह के घाव जल्दी भरने के 5 आसान उपाय और देसी नुस्खे

शंखपुष्पी

शहद में शंखपुष्पी के पंचांग का आधा चम्मच चूर्ण मिलाकर आधे कप दूध से सुबह-शाम रोज 6-8 सप्ताह सेवन करना चाहिए।

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राई

लगभग 120 ग्राम राई के चूर्ण को पानी के साथ बच्चे को खिलाने से बिस्तर पर पेशाब करने का रोग खत्म हो जाता है।

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अजवाइन

सोने से पूर्व एक ग्राम अजवायन का चूर्ण कुछ दिनों तक नियमित रूप से खिलाने से बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करने का रोग ठीक हो जाता है।

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■   मुंह की बदबू दूर करने का इलाज 10 आसान उपाय और घरेलू नुस्खे

जटामांसी

अश्वगंधा और जटामांसी को बराबर मात्रा में लेकर पानी में डालकर काफी देर उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को छानकर बच्चे को 3 से 4 दिनों तक पिलाने से बिस्तर में पेशाब करने का रोग समाप्त हो जाता है।

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छुहारा

250 मिलीलीटर दूध में 1 छुहारा डालकर उबाल लें। जब दूध अच्छी तरह से उबल जाये और उसके अन्दर का छुहारा फूल जाये तो इस दूध को ठंडा करके छुहारे को चबाकर खिलाने के बाद ऊपर से बच्चे को दूध पिला दें। ऐसा रोजाना करने से कुछ दिनों में ही बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करना बंद हो जाता है। बच्चे को रात को सोते समय पीठ के बल सुलाने की बजाय करवट लेकर सुलाना चाहिए।

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यदि बच्चे बिस्तर में पेशाब करते हों तो प्रतिदिन रात को सोते समय 2 छुहारे खाने चाहिए।

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जामुन

जामुन की गुठलियों को छाया में सुखाकर पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इस 2-2 ग्राम चूर्ण को दिन में 2 बार पानी के साथ खाने से बच्चे बिस्तर पर पेशाब करना बंद कर देते हैं।

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■   हाथों और पैरों में दर्द सूजन जलन का इलाज के 5 घरेलू उपाय

कुलंजन

50 ग्राम कुलंजन को पीसकर शहद में मिलाकर 1 चम्मच सुबह-शाम बच्चे को चटाने से बच्चे के बिस्तर में पेशाब करने का रोग मिट जाता है।

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गोरखमुण्डी

10 से 20 मिलीलीटर गोरखमुण्डी (मुण्डी) के पंचांग का रस सुबह-शाम बच्चे को पिलाने से मूत्राशय बिल्कुल साफ हो जाता है और बार-बार पेशाब करने का रोग भी बंद हो जाता है।

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सिंघाड़ा

लगभग 50 ग्राम सिंघाड़े की गिरी को बारीक पीसकर इसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण के अन्दर 50 ग्राम खांड मिलाकर यह चूर्ण 1 चम्मच सुबह-शाम बच्चे को पानी से देने से बिस्तर में पेशाब करने के रोग में लाभ होता है।

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■   भूख बढ़ाने के 5 रामबाण घरेलू नुस्खे और आयुर्वेदिक दवा

बबूल

बबूल की कच्ची फलियों को छाया में सुखाकर, घी में भूनकर उसमें मिश्री मिलाकर 4-4 ग्राम सुबह और शाम गर्म दूध के साथ पीने से बिस्तर पर पेशाब करने का रोग ठीक हो जाता है।

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मुनक्का

2 मुनक्का के बीज निकालकर उसमें एक-एक कालीमिर्च डालकर बच्चों को दो मुनक्के रात को सोने से पहले 2 हफ्तों तक लगातार खिलाने से बच्चों की बिस्तर पर पेशाब करने की बीमारी दूर हो जाती है।

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आयुर्वेदिक चिकित्सा

नवजीवन रस की 1-1 गोली सुबह और शाम को दूध के साथ देने से यह बीमारी दूर हो जाती है।

   गले में टोन्सिल का घरेलू इलाज व दर्द के 10 देसी नुस्खे इन हिंदी

5 दिन में पाएं गाल ब्लैडर स्टोन से छुटकारा, करें ये जादुई प्रयोग

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आयुर्वेद का एक ऐसा चमत्कार जिसे देखकर एलॉपथी डॉक्टर्स ने दांतों तले अंगुलियाँ चबा ली. जो डॉक्टर्स कहते थे के गाल ब्लैडर स्टोन अर्थात पित्त की थैली की पथरी निकल ही नहीं सकता, उनकी जुबान हलक से नीचे पेट में गिर गयी. सिर्फ एक नहीं अनेक मरीजों पर सफलता से आजमाया हुआ ये प्रयोग. इस प्रयोग को एक डॉक्टर तो 5000 से लेकर 10000 में करते हैं. जबकि इस प्रयोग की वास्तविक कीमत सिर्फ 30-40 रुपैये ही है. यह प्रयोग गाल ब्लैडर और किडनी दोनों प्रकार के स्टोन को निकालने में बेहद कारगर है.

   पथरी में क्या खाना चाहिए : किडनी स्टोन में भोजन – Stone Patient Diet Chart In Hindi

इस प्रयोग को हमने जिन पर आजमाया वो कोई छोटी मोटी हस्ती नहीं हैं, ये हैं डॉक्टर बिंदु प्रकाश मिश्रा जी, जो के महर्षि दयानंद कॉलेज परेल मुंबई में मैथ के प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं. और यूनिवर्सिटी सीनेट के सदस्य भी हैं. डॉक्टर साहब के 21 MM का स्टोन 8 साल से गाल ब्लैडर में था, और अत्यंत दर्द था. डॉक्टर ने इनको गाल ब्लैडर तुरंत निकलवाने की सलाह भी दे दी. मगर इन्होने आयुर्वेद की शरण में जाने की सोचा. और फिर क्या बस 5 दिनों में ये स्टोन कहाँ गायब हो गया, पता ही नहीं चला. 5 दिन बाद जब दोबारा चेक करवाया तो गाल ब्लैडर स्टोन की जगह बस थोड़ी बहुत रेत जैसा दिखा, जिसके बाद डॉक्टर ने उनको थोडा दवाएं लेने के लिए कहा

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स्टोन हटाने का नुस्खा

तो क्या है ये चमत्कारी दवा. ये कुछ और नहीं ये है गुडहल के फूलों का पाउडर अर्थात इंग्लिश में कहें तो Hibiscus powder. ये पाउडर बहुत आसानी से पंसारी से मिल जाता है. अगर आप गूगल पर Hibiscus powder नाम से सर्च करेंगे तो आपको अनेक जगह ये पाउडर online मिल जायेगा. और जब आप online इसको मंगवाए तो इसको देखिएगा organic hibiscus powder. आज कल बहुत सारी कंपनिया आर्गेनिक भी ला रहीं हैं तो वो बेस्ट रहेगा. कुल मिला कर बात ये है के इसकी उपलबध्ता बिलकुल आसान है

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■   गुर्दे की पथरी को तोड़कर बाहर निकाल देती हैं ये 7 आयुर्वेदिक औषधियां

नुस्खा इस्तेमाल करने का तरीका

गुडहल का पाउडर एक चम्मच रात को सोते समय खाना खाने के कम से कम एक डेढ़ घंटा बाद गर्म पानी के साथ फांक लीजिये. ये थोडा कड़वा होता है. इसलिए मन भी करडा कर के रखें. मगर ये इतना भी कड़वा नहीं होता के आप इसको खा ना सकें. इसको खाना बिलकुल आसान है. इसके बाद कुछ भी खाना पीना नहीं है. डॉ. मिश्रा जी के अनुसार, क्यूंकि उनके स्टोन का साइज़ बहुत बड़ा था उनको पहले दो दिन रात को ये पाउडर लेने के बाद सीने में अचानक बहुत तेज़ दर्द हुआ, उनको ऐसा लगा मानो जैसे हार्ट अटैक आ जायेगा. मगर वो दर्द था उनके स्टोन के टूटने का. जो दो दिन बाद नहीं हुआ. और 5 दिन के बाद कहीं गायब हो गया था और पीछे रह गयी थी उसकी यादें रेत बनकर, जिनका सफाई अभियान अभी चल रहा है. इसके साथ में उनको प्रोस्टेट enlargement की समस्या भी थी, वो भी सही हो गयी.

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इसके बाद यही प्रयोग उन्होंने एक दूधवाले और एक और आदमी पर भी किया जिनका स्टोन 8 mm और 10 mm था, उनको यही प्रयोग बिना किसी दर्द के बिलकुल सही हुआ. अर्थात अगर स्टोन का साइज़ बड़ा है तो वो दर्द कर सकता है

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प्रयोग में बरतने वाली सावधानी

पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन न करें। और अगर आपका स्टोन बड़ा है तो ये टूटने समय दर्द भी कर सकता है. और ये प्रयोग करने से पहले अगर आपका स्टोन आपकी cbd नलिका के साइज़ से बड़ा हो तो कृपया सिर्फ डॉक्टर की देख रेख में ही ये प्रयोग करें. और स्टोन को तोड़ने के लिए पाठकों से अनुरोध हैं के वो पहले 5 दिन हर रोज़ 5 गिलास सेब के जूस पियें. हर तीन घंटे के बाद एक गिलास सेब का जूस पीते रहें. और बाकी अपना खाना कम कर दीजिये. इस से 5 दिन में आपका स्टोन टुकड़े टुकड़े हो जायेगा. फिर दोबारा टेस्ट करवाएं. अगर स्टोन का साइज़ बड़ा रह जाए तो यह निकलने में cbd नलिका में फंस भी सकता है जो के अत्यंत खतरनाक हो सकता है. इसलिए जिन लोगों के स्टोन का साइज़ बड़ा हो वो केवल डॉक्टर की देख रेख में और अपने विवेक से इस प्रयोग को करें.

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सर्दी, खांसी, जुकाम में रामबाण है ये जादुई नुस्खे, देंगे मिनटों में आराम

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भीषण गर्मी की लंबी महीनों के बाद, अंत में मानसून यहाँ है और यह कुछ पानी का आनंद और छिड़काव करने के लिए समय है। यद्यपि हम में से अधिकांश कैसे मानसून के दौरान हमारे बालों और त्वचा को बनाए रखने के बारे में चिंतित हैं, बारिश है कि इन्फ्लूएंजा, फ्लू, जुकाम और बुखार की घटनाओं बढ़ जाती है और काउंटर की गोलियाँ और एंटीबायोटिक दवाओं के पदभार संभालने के वायरस और बैक्टीरिया के विभिन्न प्रकार के लिए प्रजनन भूमि के रूप में काम हमेशा सबसे अच्छा विकल्प एंटीबायोटिक दवाओं अक्सर अच्छे से अधिक नुकसान कर के रूप में नहीं है। इसलिए, यह  दादी के पुराने घरेलू उपचार है कि वास्तव में शरीर पर एक भारी टोल लेने के बिना रोगों का इलाज करने में मदद उम्र के लिए छड़ी करने के लिए सबसे अच्छा है

■   तनाव दूर करने के 10 आसान तरीके 

जुकाम, फ्लू और मौसमी बुखार सभी वायरस के कारण होता है। ज्यादातर मामलों में, आम सर्दी और फ्लू rhinoviruses के कारण होता है। यह अत्यधिक संक्रामक है और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क के माध्यम से लोगों को संक्रमित कर सकते हैं और लक्षणों नाक बह रही है, गले में खराश, शरीर में दर्द, बुखार कम, पानी आँखें और छींकने शामिल हैं। शिशुओं और बच्चों को उनके अपरिपक्व प्रतिरक्षा प्रणाली है कि वायरस से लड़ने में सक्षम नहीं है की वजह से इन वायरस के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं|

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सर्दी और खांसी के लिए अच्छे घरेलू उपचार

दूध और हल्दी

दूध और हल्दी सर्दी और खांसी के सबसे असरदार इलाजों में से एक है। इसके लिए दूध को गर्म करें और इसमें हल्दी का पाउडर मिश्रित करें। यह खांसी का भी रामबाण इलाज साबित होता है। यह मिश्रण ना सिर्फ वयस्कों, बल्कि बच्चों के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होता है। सर्दी खांसी के अलावा सामान्य स्वास्थ्य बरक़रार रखने के लिए भी यह मिश्रण काफी असरदार साबित होता है। अतः जब भी आप अस्वस्थ महसूस करें तो इस मिश्रण का रोजाना सेवन करके अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करें।

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■   पेशाब में रुकावट का इलाज और रुक रुक कर आने के 10 उपाय इन हिंदी

शहद, दालचीनी और नींबू का मिश्रण

यह भी सर्दी खांसी दूर करने की एक प्रभावी औषधि है। आप इन तीनों तत्वों को मिश्रित करके एक सिरप (syrup) बना सकते हैं। इससे आपको सामान्य सर्दी और खांसी से लड़ने में काफी आसानी हो जाएगी। इस सिरप को बनाने के लिए एक सबसे पहले एक कढ़ाही लें और इसमें थोड़ा सा शहद डालें। शहद को तब तक डालते रहें जब तक कि आधी कढ़ाही भर ना जाए। इसके बाद एक डबल बायलर (double boiler) का प्रयोग करें और शहद को पतला बनाने का प्रयास करें। इसमें थोड़ा सा नींबू और एक चुटकी दालचीनी मिलाएं। इस सिरप का सेवन अपने बच्चे को करवाएं तथा उसे सर्दी खांसी और ज़ुकाम से बचाकर रखें।

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ब्रांडी और शहद

सामान्य सर्दी और खांसी से लड़ने के लिए आप शहद और ब्रांडी का भी प्रयोग कर सकते हैं। ब्रांडी से आपकी छाती गर्म रहती है और इससे शरीर के ताप को बढाने में भी काफी मदद मिलती है। इसी के साथ साथ, शहद में कफ से लड़ने के प्राकृतिक गुण मौजूद होते हैं। अतः जब यह ब्रांडी के साथ मिश्रित हो जाती है तो इसका प्रभाव काफी अच्छा होता है। इस मिश्रण की मदद से आप आसानी से सर्दी और ज़ुकाम से प्रभावी रूप से निपट सकते हैं।

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तुलसी, अदरक और काली मिर्च की चाय

सर्दी ज़ुकाम का शिकार होने पर आप अपने लिए मसालेदार चाय भी बना सकते हैं। इस चाय को बनाने के लिए इसमें तुलसी, अदरक और काली मिर्च डालें। ये तत्व इतने प्रभावी हैं कि इनके सेवन मात्र से आपको अंदर से काफी आराम मिलने लगेगा। इन तत्वों को चाय के साथ मिश्रित करने पर सर्दी और खांसी की समस्या से निजात मिलती है और इस तरह आपको आराम प्राप्त होता है।

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   गर्मी और लू से बचने के लिए 10 आसान घरेलू उपाय हिंदी में

सरसों से पैर धोना

सर्दी और खांसी से निजात पाने के लिए अपने पैरों को आप सरसों के स्नान का अनुभव भी करवा सकते हैं। इसके लिए एक पात्र में पानी लें और इसमें एक चम्मच सरसों का पाउडर मिलाएं। इसे एक लीटर गर्म पानी में मिश्रित किया जाना काफी आवश्यक है। सरसों पैर में रक्त के संचार में सहायक होता है और इससे नाक बंद होने की समस्या से भी छुटकारा मिलता है।

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सर्दी खांसी के लिए शहद, गर्म पानी और नींबू के रस का मिश्रण

शहद, नींबू के रस तथा गर्म पानी का मिश्रण सामान्य सर्दी और खांसी की समस्या को दूर करने का काफी अच्छा उपाय है। आप नींबू पानी का सेवन करके अपना हाजमा भी दुरुस्त कर सकते हैं। यह शरीर के रक्त संचार के लिए भी काफी प्रभावी साबित होता है। जब आप शहद और नींबू पानी को आपस में मिलाते हैं, तो इस समय पानी गर्म होना चाहिए। इससे सर्दी और खांसी के समय काफी आराम प्राप्त होता है। ये वैसे पदार्थ हैं, जो आपकी समस्या का निदान करने में सक्षम हैं।

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■   दस्त रोकने और पेट की मरोड़ का इलाज के 10 आसान उपाय

सर्दी जुकाम का देसी इलाज

  • हल्दी, अदरक की पाउडर और 1 बड़ा चम्मच शहद मिलाकर खाएं। यह खांसी के इलाज के साथ साथ शरीर दर्द और सिर दर्द से राहत दिलाता है।
  • गरम पानी की भाप सूंघना भी जुकाम का इलाज करने में मदद करता है।
  • गरम पानी में १ चुटकी नमक मिलाकर गरारा करने से गले का दर्द कम होता है

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  • दिनभर गरम चाय, कॉफ़ी या गुनगुना पानी पीते रहें।
  • चाय बनाते समय उसमे तुलसी के पत्ते, अदरक और काली मिर्च डालें। यह चाय जुकाम और खांसी से राहत दिलाती है|

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घरेलू लॉज़न्ज

आप घर पर ही औषधीय लॉज़न्ज बना सकते हैं। ये काफी प्रभावी होते हैं और सर्दी एवं खांसी की समस्या से आपको बचाए रखते हैं। इनसे चिड़चिड़ापन कम होता है और गले को भी काफी आराम मिलता है। इसे बनाने के लिए काली मिर्च, अदरक, इलायची, शहद आदि तत्व इकठ्ठा करें। इन सबका अच्छे से मिश्रण करें और एक गाढ़ा पेस्ट तैयार करें। अब इसे ठंडा और कड़ा होने दें, इसे एक आकार दें और फिर इसका लॉज़न्ज की शक्ल में प्रयोग करें। अब इन्हें मुंह में डालें और तब तक रखें, जब तक कि इसका रस गले में नहीं चला जाता और आपको राहत प्राप्त नहीं हो जाती।

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सर्दी खांसी के उपाय – हर्बल चाय

गर आप सर्दी और खांसी से दूर रहना चाहते हैं तो हर्बल चाय का सेवन करें। ये ख़ास हर्बल पेड़ की पत्तियां होती हैं और इनमें सर्दी और खांसी से लड़ने के सारे गुण मौजूद होते हैं। इन पत्तियों में कई औषधीय गुण होते हैं  और ये सर्दी और खांसी से आपको मुक्ति दिलाते हैं। यही कारण है कि एक बार जब आपको पता चले कि आप गंभीर सर्दी खांसी के शिकार हैं तो इस चाय का सेवन अवश्य करें।

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इस चाय को आप कई तरीकों  से बनाकर अपनी समस्याओं को दूर कर सकते हैं। सबसे पहले इस चाय में तुलसी की पत्तियां डालें। एक बार तुलसी की पत्तियों के साथ चाय को उबाल लेने के बाद इसमें नीम्बू के रस की कुछ बूँदें मिश्रित करें और इसे स्वास्थ्य बरकरार रखने के लिए पिएं। आप इस चाय में दालचीनी, लहसुन के फाहे, काली मिर्च और ताज़ी कटी अदरक भी मिश्रित करके इसका सेवन कर सकते हैं। इस मिश्रण को कम आंच में उबालें और साथ ही साथ इसे ढककर भी रखें। इससे इन पदार्थों की पौष्टिकता बनी रहेगी। चाय पीते समय आप इसमें शहद या दूध का मिश्रण भी कर सकते हैं।

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खुनी या वादी बवासीर, Piles 3 खुराक में जड़ से खत्म कर देगा

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अगर आप बवासीर से परेशान हैं चाहे वो खूनी हो चाहे बादी, तो ये प्रयोग आपके लिए रामबाण से कम नहीं हैं। इस प्रयोग से पुरानी से पुरानी बवासीर 1 से 3 दिन में सही हो जाएगी। इस इलाज से एक दिन में ही रक्तस्राव बंद हो जाता है। बड़ा सस्ता व सरल उपाय है। एक बार इसको ज़रूर अपनाये। आइये जाने ये प्रयोग।

■   बवासीर में क्या खाएं और क्या ना खाएं इलाज और परहेज – Bawaseer (Piles) Diet Chart In Hindi

नारियल की जटा से करे खूनी बवासीर का एक दिन में इलाज

नारियल की जटा लीजिए। उसे माचिस से जला दीजिए। जलकर भस्म बन जाएगी। इस भस्म को शीशी में भर कर ऱख लीजिए। कप डेढ़ कप छाछ या दही के साथ नारियल की जटा से बनी भस्म तीन ग्राम खाली पेट दिन में तीन बार सिर्फ एक ही दिन लेनी है। ध्यान रहे दही या छाछ ताजी हो खट्टी न हो। कैसी और कितनी ही पुरानी पाइल्स की बीमारी क्यों न हो, एक दिन में ही ठीक हो जाती है।

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nariyal ki jata

यह नुस्खा किसी भी प्रकार के रक्तस्राव को रोकने में कारगर है। महिलाओं के मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव या श्वेत प्रदर की बीमारी में भी कारगर है। हैजा, वमन या हिचकी रोग में यह भस्म एक घूँट पानी के साथ लेनी चाहिए। ऐसे कितने ही नुस्खे हिन्दुस्तान के मंदिरों और मठों में साधु संन्यासियों द्वारा आजमाए हुए हैं। इन पर शोध किया जाना चाहिए।

■   चाहे बवासीर खुनी हो या बादी,मस्से अंदर हो या बाहर,सिर्फ 1 सप्ताह में इसको जड़ से मिटाने का घरेलू उपाय

दवा लेने के एक घंटा पहले और एक घंटा बाद तक कुछ न खाएं तो चलेगा। अगर रोग ज्यादा जीर्ण हो और एक दिन दवा लेने से लाभ न हो तो दो या तीन दिन लेकर देखिए।

हम आपके लिए भारत के कोने कोने से आयुर्वेद के अनसुने चमत्कार ले कर आते हैं, आप भी इनको शेयर कर के ज़्यादा से ज़्यादा लोगो तक पहुंचाए।

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विशेष

एक बार बवासीर ठीक हो जाने के बाद बदपरहेजी ( जैसे अत्यधिक मिर्च-मसाले, गरिष्ठ और उत्तेजक पदार्थो का सेवन ) के कारण उसके दुबारा होने की संभावना रहती है। अत: बवासीर के रोगी के लिए बदपरहेजी से परम आवश्यक है।

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बवासीर से बचने के लिए गुदा को गर्म पानी से न धोएं। खासकर जब तेज गर्मियों के मौसम में छत की टंकियों व नलों से बहुत गर्म पानी आता है तब गुदा को उस गर्म पानी से धोने से बचना चाहिए।

   2 रुपये की मूली बवासीर को जड़ से खत्म कर देगी

यूरीन को ज्‍यादा देर रोकना होता है नुकसानदेह, हो सकती हैं ये बीमारियां

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जितना लंबे समय तक आप यूरीन को रोककर रखेगें, आपका ब्लैडर बैक्टीरिया को अधिक विकसित कर कई प्रकार की स्वास्थय समस्याओं का कारण बनेगा।

■   गर्दन में दर्द का इलाज के 10 आसान घरेलू उपाय और देसी नुस्खे

यूरीन रोकना

यूरीन शरीर की सामान्य प्रक्रिया है, जिसे महसूस होने पर एक से दो मिनट के अंदर निष्कासित कर देना चाहिए। वैसे तो ब्‍लैडर के भरने पर स्वत: प्रतिक्रिया तंत्र आपके मस्तिष्‍क को बॉशरूम जाने का संकेत भेजती है। पसीने की तरह यूरीन के माध्यम से भी शरीर के गैर जरूरी तत्व बाहर निकलते हैं। यदि वह थोड़े समय भी अधिक शरीर में रहते हैं तो संक्रमण की शुरुआत हो सकती है।

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क्‍या यूरीन को ज्‍यादा देर रोकना सही है ?

कुछ लोग यूरीन को कुछ मिनट के लिए तो कुछ से लंबे समय तक रोक कर रखते है। आप यूरीन कितनी देर तक रोक कर रखते हैं यह यूरीन की उत्‍पादन मात्रा पर निर्भर करता है। इसके अलावा यह हाइड्रेशन की स्थिति, तरल पदार्थ और ब्‍लैडर की कार्यक्षमता पर भी निर्भर करता है। लेकिन यूरीन को अक्‍सर रोककर रखने वाले लोग इसे पता लगाने की अपनी क्षमता को खो देते हैं। जितना लंबे समय तक आप यूरीन को रोककर रखेगें, आपका ब्‍लैडर बैक्‍टीरियों को अधिक विकसित कर कई प्रकार के स्‍वास्‍थ्‍य जोखिम का कारण बन सकता है।

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यूरीन में बहुत अधिक गहरा होना

बहुत अधिक देर यूरीन को रोकने से यूरीन का रंग भी बदलने लगता है। हालांकि ऐसा होने के पीछे सबसे अधिक संभावना संक्रमण की होती है। इसके अलावा बीट, बेरीज, जामुन, शतवारी जैसे कुछ खाद्य पदार्थ के कारण भी यूरीन का रंग प्रभावित होता है। विटामिन बी यूरीन के रंग को हरे और शलजम लाल रंग में बदल देता है।

किडनी में स्‍टोन

यूरीन को एक से दो घंटे रोकने के कारण महिलाओं व कामकाजी युवाओं में यूरीन संबंधी दिक्कतें आती है। जिसमें शुरूआत ब्लेडर में दर्द होता है। साथ ही 8 से 10 घंटे बैठ कर काम करने वाले युवाओं को यूरीन की जरूरत ही तब महसूस होती हैं, जबकि वह कार्य करने की स्थिति बदलते हैं। जबकि इस दौरान किडनी से यूरिनरी ब्लेडर में पेशाब इकठ्ठा होता रहता है। हर एक मिनट में दो एमएल यूरीन ब्लेडर में पहुंचता है, जिसे प्रति एक से दो घंटे के बीच खाली कर देना चाहिए। ब्लेडर खाली करने में तीन से चार मिनट की देरी में पेशाब दोबारा किडनी में वापस जाने लगता है, इस स्थिति के बार-बार होने से पथरी की शुरूआत हो जाती है। क्योंकि पेशाब में यूरिया और अमिनो एसिड जैसे टॉक्सिक तत्व होते हैं।

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ब्लैडर की मांसपेशियां कमजोर होना

दवाब के बाद भी यदि तीन से चार मिनट भी पेशाब को रोका गया तो यूरिन के टॉक्सिक तत्व किडनी में वापस चले जाते हैं, जिसे रिटेंशन ऑफ यूरिन कहते हैं। इसके अलावा यूरीन बार-बार रोकने से ब्लैडर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और यह यूरीन करने की क्षमता को भी कम करता है।

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यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन

कभी भी तेज आये यूरीन को रोके नहीं, जब भी यूरीन महसूस हो तुरंत जाएं वरना यूटीआई होने का खतरा बढ़ जाएगा। यूरीन रोकने के कारण यह संक्रमण फैलता है। यूरीनरी ट्रैक्‍ट इंफेक्‍शन यानी मूत्र मार्ग में संक्रमण महिलाओं को होने वाली बीमारी है, इसे यूटीआई नाम से भी जाना जाता है। मूत्र मार्ग संक्रमण जीवाणु जन्य संक्रमण है जिसमें मूत्र मार्ग का कोई भी भाग प्रभावित हो सकता है। हालांकि मूत्र में तरह-तरह के द्रव होते हैं किंतु इसमें जीवाणु नहीं होते। यूटीआई से ग्रसित होने पर मूत्र में जीवाणु भी मौजूद होते हैं। जब मूत्राशय या गुर्दे में जीवाणु प्रवेश कर जाते हैं और बढ़ने लगते हैं तो यह स्थिति आती है।

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किडनी फेलियर

किडनी फेलियर एक मेडिकल समस्‍या है जो किडनी के अचानक ब्‍लड से विषाक्‍त पदार्थों और अवशेषों के फिल्‍टर करने में असमर्थ होने के कारण होती है। यूरीन से संबंधित हर तरह के इंफेक्शन किडनी पर बुरा असर डालते हैं। बॉडी में यूरिया और क्रियटिनीन दोनों तत्व ज्यादा बढ़ने की वजह से यूरीन के साथ बॉडी से बाहर नहीं निकल पाते हैं, जिसके कारण ब्लड की मात्रा बढ़ने लगती है। भूख कम लगना, मितली व उल्टी आना, कमजोरी लगना, थकान होना सामान्य से कम पेशाब आना, ऊतकों में तरल पदार्थ रुकने से सूजन आना आदि इसके लक्षण है।

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kidney failure

इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस

इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस एक दर्दनाक ब्‍लैडर सिंड्रोम है, जिसके कारण यूरीन भंडार यानी ब्‍लैडर में सूजन और दर्द हो सकता है। इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस से ग्रस्‍त लोगों में अन्‍य लोगों की तुलना में यूरीन बार-बार लेकिन कम मात्रा में आता है। अभी तक इसके सही कारणों की जानकारी नहीं मिल पायी हैं लेकिन डॉक्‍टरों का मानना हैं कि यह जीवाणु संक्रमण के कारण होता है। इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस के आम लक्षणों में दर्दनाक श्रोणि, बार-बार यूरीन महसूस होना और कुछ मामलों में ग्रस्‍त व्‍यक्ति ए‍क दिन में 60 बार तक यूरीन जाता है। इस समस्‍या का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार से लक्षणों को कम किया जा सकता है।

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