Home ayurved एक बार पीते ही पुरे शरीर की गंदगी साफ | राजीव दीक्षित

एक बार पीते ही पुरे शरीर की गंदगी साफ | राजीव दीक्षित

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मौजूदा जीवन शैली के खान-पान, रहन-सहन और कामकाजी तनाव की वजह से शरीर को कई शारीरिक और मानसिक बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसकी जड़ में कई किस्म के जहरीले तत्व (टॉक्सिंस) मौजूद रहते हैं, जिनसे निजात पाना जरूरी है। शरीर और मन को नई ऊर्जा देने के लिए जरूरी डिटॉक्सिफिकेशन के कारगर तरीकों पर सुधीर गोरे की रिपोर्ट

नवंबर की दीवाली, दिसंबर में नए साल का जश्न, जनवरी में जन्मदिन और फरवरी में दोस्त की शादी जैसे यादगार मौके का मजा अच्छी दावत के बिना अधूरा है। मौज-मस्ती के ये ऐसे मौके हैं, जब खाने-पाने पर रोक-टोक बेअसर रहती है। इन दावतों में सेहत को चुनौती देने वाले आहार भी शामिल रहते हैं। साथ ही बढ़ते प्रदूषण और तनाव की वजह से हमारे शरीर में कई ऐसे तत्व बनते हैं, जो टॉक्सिंस यानी जहर का काम करते हैं। ये जहरीले पदार्थ हमारे लिवर में जमा हो जाते हैं, तो त्वचा को बेजान कर देते हैं, नींद पूरी नहीं होने देते और हर समय थकान लगती है। इनसे कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में इस धीमे जहर से छुटकारा पाना बेहद जरूरी है, जो दबे पांव शरीर में दाखिल होता है। इस जहर को काटने की प्रक्रिया डिटॉक्सिफिकेशन के जरिए इन सब टॉक्सिंस को शरीर से बाहर निकाला जा सकता है।

क्या है डिटॉक्सिफिकेशन?

आसान शब्दों में कहा जाए, तो यह शरीर को उन तत्वों से निजात दिलाता, जो हमें नुकसान पहुंचाते हैं। क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. इशी खोसला के मुताबिक, ‘शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों से निजात दिलाने के लिए इलाज की अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं डिटॉक्सिफिकेशन या डिटॉक्स। इनमें भरपूर पानी और जूस पीना, सलाद और पाचक पदार्थ खाने के अलावा उपवास रखना, एनीमा के जरिए पेट की सफाई या मलावरोध दूर करने के उपाय शामिल हैं।’ डिटॉक्स शरीर और दिमाग को स्वस्थ और तरोताजा रखने की प्रक्रिया है। इससे मानसिक तनाव और दूसरे विकार दूर भागते हैं और नई ऊर्जा का संचार होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक लगातार थकान, अपच, कब्ज, मोटापा, बार-बार जुकाम और बुखार, तनाव, अक्सर सरदर्द, नींद न आना या जरूरत से ज्यादा सोना, जोड़ों में दर्द, निराशा, अवसाद और सेक्स के प्रति अनिच्छा आदि शरीर में टाक्सिंस बढ़ने के लक्षण हैं। इन हालात में डिटॉक्स जरूरी हो जाता है। लेकिन जानकारों का कहना है कि बॉडी डिटॉक्सिफिकेशन के कई तरीके हैं और कोई भी डिटॉक्स प्रोग्राम शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूरी है।

कैसे करें डिटॉक्स?

शरीर को डिटॉक्स करने के कई तरीके और उत्पाद बाजार में आए और कुछ पर सवाल भी उठे हैं, लेकिन नई रिसर्च के मुताबिक आधुनिक चिकित्सा के साथ ही परंपरागत सेहतमंद आहार भी दवा का काम करता है। डॉ. खोसला के मुताबिक, कुछ दिनों की स्पेशल डिटॉक्स डाइट लेना या उपवास के रूप में अनियमित रूप से भूखे रहना डिटॉक्स का कारगर उपाय नहीं है। हेल्दी डाइट और योग सहित नियमित फिजिकल एक्सरसाइज जरूरी है। डॉ. खोसला के मुताबिक इसके पांच सबसे अच्छे तरीके हैं:

1. खान-पान में सब्जियां, फल, मेवे और बीज (अलसी, सूरजमुखी आदि)
2. तरल पदार्थो का सेवन करें
3. चीनी, प्रोसेस्ड और तली हुई
चीजें कम खाएं
4. शराब कम पिएं
5. सिगरेट से दूरी बनाएं

व्रत रखिए, डिटॉक्स कीजिए

अगर पेट को कुछ आराम मिले तो शरीर की ऊर्जा लौटती है। यही वजह है कि व्रत से डिटॉक्सिफिकेशन की परंपरा रही है। आधुनिक मेडिकल साइंस ने भी इसकी अहमियत को माना है। हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल से जुड़ी न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. रशेल हिंड के मुताबिक, ‘व्रत से आप शरीर को एक अहम बदलाव का संकेत देते हैं। इसके बाद सेहतमंद भोजन आपके शरीर पर तेजी से अच्छा असर डालता है।’ आम लोग संतुलित आहार के साथ उपवास करें तो बेहतर है। उनके मुताबिक शुरुआत में ही पूरी तरह भूखा रहना जरूरी नहीं है। इसके पांच विकल्प हैं:

(1) दिन भर सिर्फ फल, सब्जियां, मेवे और सीड्स खाना,

(2) दिन में एक बार भोजन करना जिसमें सिर्फ फल और चावल से बनी चीजें शामिल होंे,

(3) दिन भर सब्जियों के सूप या जूस पीना,

(4) एक बार खिचड़ी या सलाद का सेवन और

(5) दिन की शुरुआत में नाश्ते से पहले 16 घंटे भूखे रहना।

आयुर्वेदिक और यूनानी डिटॉक्स

आयुर्वेद हमेशा से डिटॉक्स पर जोर देता रहा है। इसलिए आयुर्वेद और नेचुरोपैथी के कई सेंटर इन दिनों डिटॉक्स पैकेज पेश कर रहे हैं। आयुर्वेदिक डिटॉक्स में डिटॉक्स फुट स्पा और बाथ भी शामिल हैं। केरल की मशहूर पंचकर्म पद्धति भी डिटॉक्स का ही एक रूप है। आयुर्वेदिक डिटॉक्स में विशेष तेलों से मसाज, स्टीम बाथ, औषधीय तेल को सिर पर गिराकर तनाव कम करना, एनीमा से पेट साफ करवाना, नस्यम के अंतर्गत नाक में दवा डालना और औषधि वाले द्रव से गरारे करना शामिल है। यूनानी चिकित्सा पद्घति के मुताबिक, शरीर को नुकसान देने वाले टॉक्सिंस से बचाना और लिवर को दुरुस्त करना डिटॉक्सिफिकेशन है।

नींद बड़ी जरूरी

शहरी जीवनशैली का तनाव, दफ्तर में लगातार काम का दबाव या देर रात टीवी देखने की आदत की वजह से थकान खत्म होने का नाम ही नहीं लेती। देर रात की बजाय जल्दी सो जाएं, तो यह शरीर के लिए बेहतर होगा। 7-8 घंटे की नींद शरीर से थकान और दर्द दूर कर देती है। सोते समय कमरे का तापमान संतुलित रहना चाहिए।

पसीना बहाओ, मसाज कराओ

पसीने से टॉक्सिंस निकल जाते हैं और शरीर में ऑक्सीजन की ज्यादा खपत होती है। जरूरत और क्षमता के मुताबिक आप जॉगिंग, तेजी से चलना या एरोबिक्स कर सकते हैं। योग करने वाले कपालभाति, योग मुद्रा, पवनमुक्तासन और मेडिटेशन कर सकते हैं। डेस्क जॉब करने वाले या कंप्यूटर पर काम करने वाले लोगों का शरीर लंबे समय तक एक ही मुद्रा में रहता है, ऐसे में मसाज और इसके बाद गरम पानी से नहाना फायदेमंद है। मसाज के लिए तेल का चुनाव अपनी त्वचा और शरीर की प्रकृति के हिसाब से करना चाहिए, तभी सही रहता है।

सावधानी भी बरतें

जो लोग बीमार हैं उन्हें डॉक्टर की देखरेख में ही डिटॉक्स डाइट या प्रोग्राम अपनाना चाहिए। अगर यह घरेलू नुस्खों पर आधारित हो तो भी इसके साथ चलने-फिरने, रस्सी कूदने, तैरने जैसी वर्जिश की भी सलाह दी जाती है। कई डिटॉक्स प्रोग्राम और प्रोडक्ट चलन में हैं और इन्हें अपनाते वक्त लिवर को कोई नुकसान न हो, इसका खास ध्यान रखें। लिवर डिटॉक्स के लिए शराब, तले पदार्थ, चीनी, रिफाइंड काबरेहाइड्रेट्स, प्रोसेस्ड फूड आदि से परहेज करना चाहिए। ज्यादा पानी पीना और हरी सब्जियां खाना अच्छा है।

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