साल का अंतिम प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि एक ही दिन, उत्तम संयोग में होगी पूजा

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साल 2022 का आखिरी प्रदोष व्रत 21 दिसंबर को पड़ रहा है, जो कि बेहद खास रहने वाला है. पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि दोनों एकसाथ पड़ रहे हैं. ये दोनों ही दिन भगवान शिव को समर्पित हैं. इसलिए इस दिन भोलेनाथ की पूजा से मनचाहे फल की प्राप्ति हो सकती है. आइए आपको इसकी पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में बताते हैं.

शुभ योग

प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि दोनों सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग में मनाए जाएंगे. खास बात यह है कि ये दोनों ही योग एक ही समय में लग रहे हैं. सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग 21 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 33 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 22 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 33 मिनट तक रहने वाले हैं. पूजा-पाठ जैसे कार्यों के लिए ये दोनों ही योग बहुत शुभ माने जाते हैं. सर्वार्थ सिद्धि योग में पूजा-पाठ का फल दोगुना मिलता है, जबकि अमृत सिद्धि योग में व्रत व पूजा से अमृत के समान फल प्राप्त होता है.

बुध प्रदोष व्रत का महत्व

साल का आखिरी प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़ रहा है. बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है. बुध प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ-साथ उनके पूरे परिवार का आशीर्वाद पाया जा सकता है. किसी भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व शुरू होकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है. यह व्रत करके जीवन में धन की वृद्धि की जा सकती है और सभी रोग, शोक, कलह, क्लेश हमेशा के लिए नष्ट किए जा सकते हैं.

बुध प्रदोष के उपाय

बुध प्रदोष के दिन घर के बड़े-बुजुर्ग अपने घर के बच्चों के हाथ से जरूरतमंद बच्चों को मिठाई और हरी वस्तुओं का दान कराएं. प्रदोष व्रत के दिन 5 सुपारी, 5 इलायची और 5 मोदक भगवान गणेश को अर्पित करें. भगवान गणेश के सामने घी का दीया जलाएं और ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का एक माला-जाप आसन पर बैठ कर करें. ऐसा लगातार तीन दिन तक करने से घर में धन धान्य की वृद्धि होगी. पूजा के बाद मोदक बच्चों को बांट दें.

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