सायटिका एक बीमारी है जिसमें रोगी को भयानक दर्द होता है। इसका मुख्य कारण सायटिक नर्व है। यह वो नर्व है जो रीढ़ के निम्न भाग से निकलकर घुटने के पीछे की ओर से पैर की तरफ जाती है। शरीर को अधिक समय तक एक ही स्थिति में रखने से यह दर्द बढ़ जाता है यह पेन बहुत असहनीय होता है। अक्सर यह समस्या उन लोगों में होती है जो बहुत समय तक बैठ कर काम करते हैं या बहुत अधिक चलते रहने से, अत्यधिक साइकिल, मोटर साइकिल अथवा स्कूटर चलाने से सायटिक नर्व पर दबाव पड़ता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि अचानक हड्डियों पर जोर पड़ जाने से भी इस प्रकार का दर्द होता है। इस प्रकार का दर्द अक्सर 40 से 50 वर्ष की उम्र में होता है और यह बीमारी बरसात या ठंड के मौसम में ज्यादा तकलीफ देती है। अगर आप भी सायटिका पेन से परेशान है तो आइए हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे आयुर्वेदिक प्रयोग जिनसे सायटिका पेन जल्द ही ठीक हो जाएगा।
आयुर्वेदिक प्रयोग
मीठी सुरंजान 20 ग्राम + सनाय 20 ग्राम + सौंफ़ 20 ग्राम + शोधित गंधक 20 ग्राम + मेदा लकड़ी 20 ग्राम + छोटी हरड़ 20 ग्राम + सेंधा नमक 20 ग्राम इन सभी को लेकर मजबूत हाथों से घोंट लें व दिन में तीन बार तीन-तीन ग्राम गर्म जल से लीजिए।
लौहभस्म 20 ग्राम + रस सिंदूर 20 ग्राम + विषतिंदुक बटी 10 ग्राम + त्रिकटु चूर्ण 20 ग्राम, इन सबको अदरक के रस के साथ घोंट कर 250 मिलीग्राम के वजन की गोलियां बना लीजिए और दो-दो गोली दिन में तीन बार गर्म जल से लीजिए।
एरण्ड के बीज की पोटली बनाकर उस से सेंक करें। दर्द से जल्द ही राहत मिलेगी।
50 पत्ते परिजात या हरसिंगार के व 50 पत्ते निर्गुण्डी के पत्ते लाकर एक लीटर पानी में उबालें। जब यह पानी 750 मिली हो जाए तो इसमें एक ग्राम केसर मिलाकर एक बॉटल में भर लें। यह पानी सुबह शाम पौन कप मात्रा में पीएं। साथ ही दो-दो गोली वातविध्वंसक वटी की भी लें।
अब बढ़ते हैं इलाज की ओर, इसके लिए आपको 4 लहसुन की कलियां और 200 मि. ली. दूध चाहिए। लहसुन को काट कर दूध में डाल दें। दूध को कुछ मिनट तक उबालें। जब दूध में उबाल आ जाए तो इसके बाद इसे मीठा करने के लिए थोड़ा शहद मिला लें। शहद मिलाना अनिवार्य नहीं है, यह केवल स्वाद के लिए मिलाया जाएगा। अब इस दूध का रोजाना सेवन करें जब तक दर्द खत्म न हो जाए।
अजवाइन
अजवाइन के रस में एंटी-इन्फ्लेमेंट्री गुण पाए जाते हैं जो साइटिका में होने वाले दर्द और सूजन को कम करने में लाभकारी होते हैं। इसके जूस को पीने से साइटिका में काफी लाभ होता है।
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मेथी
मेथी के बीज में काफी मात्रा में प्रोटीन होता है। ये आर्थराइटिस और साइटिका के दर्द से निजात दिलाने में काफी असरदार होते हैं। रोजाना सुबह बासी मुंह एक चम्मच मेथी दाना पानी के साथ निगलना साइटिका के लिए काफी फायदेमंद होता है।
प्रयोग करें
सबसे पहले जाने कि साइटिका के उपचार के लिए किन चीजों का प्रयोग किया जा सकता है।
अश्वगंधा, गेहूं, मुनक्का, ऑयल, अरहर
जाने क्या हैं लक्षण
पैरों में झुनझुनाहट, सुन्नपन, कमज़ोरी
इन तेलों से करें मालिश
प्रसारिणी तेल, निर्गुन्डी औषधि, महानारायण तेल, दशमूल तेल, सहचारी तेल, तिल का तेल।
मालिश के फायदे
ब्लड और नसों का सर्कुलेशन सही होगा, दर्द कम होगा, स्टिफनेस कम होगी।
टब बाथ
इसके बाद बारी आयेगी टब बाथ की इसके लिए गुनगुने पानी में सेंधा नमक मिलाएं। दशमूल काढ़ा, एरंडमूल कवाथ, आैर कटिवस्ति का प्रयोग भी करें। 2 इंच की ऑल-वॉल गेहूं के आटे से बनाए इसमें सहन करने लायक तेल डालें।
कटिवस्ति के फायदे
ब्लड और नसों का सर्कुलेशन सही होगा, मांसपेशियों को आराम मिलेगा, स्टिफनेस कम होगी, दर्द कम होगा।
एरंड का प्रयोग
एरंड काढ़ा खाली पेट पिएं, एरंड का तेल रात में दूध के साथ लें, एरंड के पत्तों का लेप करें।
ज़रूरी हैं ये काढ़े
दशमूल का काढ़ा, महारास्नादि काढ़ा, रास्नासप्तक काढ़ा।
पेस्ट जो प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं
अदरक,कपूर,पिप्पली का पेस्ट, जायफल का चूर्ण, तिल के तेल का पेस्ट, अश्वगंधा का चूर्ण,तिल के तेल का पेस्ट। साथ ही लहसुन का कल्प लगाएं, लहसुन की कली खाएं।
खाने के बाद करें प्रयोग
बालारिष्ट, दशमूलारिष्ट, अश्वगंधारिष्ट, खाने के बाद लें। साथ में अश्वगंधा का चूर्ण, सिंहनाद गुग्गुल, योगराज गुग्गुल दर्द कम करने के लिए लें।
क्या करें
गुनगुना पानी पिएं, धूप लें, वजन कम करें, घर का खाना खाएं, गाय का घी, गाय का दूध, ओलिव ऑयल, तिल का तेल, मछली का तेल, गेहूं, लाल चावल, अखरोट, मुनक्का, किशमिश, सेब, अनार, आम, आैर इमली का प्रयोग करें।
क्या न करें
तैलीय खाना, मसालेदार खाना, ठंडा खाना, बासी खाना, अधिक व्यायाम, ओवर ईटिंग, दिन में सोना, रात में जागना, जामुन, सुपारी, अरहर की दाल, मूंग की दाल आदि से दूर रहें।