इस एक रुपये की औषधि से आयेगी इतनी मीठी नींद की आप सोच भी नहीं सकते अरे ये तो सोने का जादू है

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दाणा मेथी हमारे रसोइघरों में दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तु है, जो अनेक औषधिय-गुणों से भरपूर होती है। प्राचीन काल से ही इसका प्रयोग खाद्य और औषधि के रूप में हमारे घरों में होता आ रहा है। आयुर्वेद के ग्रन्थ भावप्रकाश में कहा गया है कि मेथी वात को शान्त करती है, कफ और ज्वर का नाश करती है। राज निघन्टु में मेथी को पित्त नाशक, भूख बढ़ाने वाली, रक्त शोधक, कफ और वात का शमन करने वाली बतलाया गया है। मेथी में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेटस, खनिज, विटामिन, केल्शियम, फासफोरस, लोह तत्त्व, केरोटीन, थायमिन, रिवाफलेबिन, विटामिन सी आदि प्रचुर मात्रा में होते हैं। लोह तत्त्व की अधिकता के कारण मेथी रक्त की कमी वालों के लिये विशेष लाभप्रद होती है।

मेथी दानों से शरीर की आन्तरिक सफाई होती है। मेथी का उबला पानी बुखार को कम करने में बहुत ही लाभप्रद होता है। मेथी सेवन से पाचन तंत्र सुधरता है। पेट में कर्मियों की उत्पत्ति नहीं होती। आंतों में भोजन का पाचन बराबर होता है। बड़ी आंत में, मल में कुछ गाढ़ापन आता है और मल आसानी से बड़ी आंत में गमन करने लगता हैं। मेथी खाने से भूख अच्छी लगती है। मेथी सेवन से गंध और स्वाद इन्द्रियाँ अधिक संवेदनशील होती हैं। यह शरीर का आन्तरिक शोधन करती है। शलेष्मा को घोलती है तथा पेट और आंतों की सूजन ठीक करने में सहायक होती है। मेथी सेवन से मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है। कफ, खांसी, इनफ्लेन्जा, निमोनिया, दमा आदि श्वसन संबंधी रोगों में लाभ होता है। गले की खराश में मेथी दाने के पानी से गरारे करने से बहुत लाभ होता है।

मेथी सेवन की विभिन्न विधियाँ

अलग-अलग रोगों के उपचार हेतु मेथी का प्रयोग अनेक प्रकार से किया जाता है। जैसे- मेथी दाणा भिगोंकर उसका पानी पीना, उसे अंकुरित कर खाना, उबालकर उसका पानी पीना, सब्जी बनाकर खाना, विभिन्न अचारों, सब्जियों अथवा अन्य खाद्य पदार्थों के साथ पकाकर सेवन करना, मेथी दानों को चूसना, चबाना अथवा पानी के साथ निगलना, मेथी की चाय अथवा काढ़ा बनाकर पीना, उसका पाउडर बना पानी के साथ लेना, अथवा लेप करना, मेथी की पुड़िये बनाकर खाना अथवा पकवान बनाकर उपयोग करना इत्यादि, कई तरीकों से मेथी का प्रयोग हमारे घरों में होता रहता है।

गहरी और मीठी नींद लेन का जबरदस्त नुस्खा

कागज की चिपकाने वाली टेप पर मेथी दानों को चिपका कर हथेली के अंगूठें के नाखून वाले ऊपरी पोरवे में उस टेप को लगा दें जिससे अंगूठे को मेथी का स्पर्श होता रहे। 20 से 40 मिनट के बाद आपको ऐसी जबरदस्त नींद आने लगेगी। यह नुस्खा बहुत ही उपयोगी है और बहुत से लोगों ने इस नुस्खे को आजमाया है और लाभपाया है. इस चिकित्सा को मेथी स्पर्श चिकित्सा कहते हैं।

मेथी स्पर्श चिकित्सा का सिद्धान्त

शरीर में अधिकांश दर्द और अंगों की कमजोरी का कारण आयुर्वेद के सिद्धान्तानुसार प्रायः वात और कफ संबंधी विकार होते हैं। मेथी वात और कफ का शमन करती है। अतः जिस स्थान पर मेथी का स्पर्श किया जाता है, वहाँ वात और कफ विरोधी कोशिकाओं का सृजन होने लगता हैं, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगती है। दर्द वाले अथवा कमजोर भाग में विजातीय तत्त्वों की अधिकता के कारण शरीर के उस भाग का आभा मंडल विकृत हो जाता है। मेथी अपने गुणों वाली तरंगें शरीर के उस भाग के माध्यम से अन्दर में भेजती है। जिसके कारण शरीर में उपस्थित विजातीय तत्त्व अपना स्थान छोड़ने लगते हैं, प्राण ऊर्जा का प्रवाह संतुलित होने लगता है। फलतः रोगी स्वस्थ होने लगता है। मेथी रक्त शोधक है, रोगग्रस्त भाग का रक्त प्रायः पूर्ण शुद्ध नहीं होता। जिस प्रकार सोडा कपड़े की गंदगी अलग कर देता है, मेथी की तरंगे रोग ग्रस्त अथवा कमजोर भाग में शुद्ध रक्त का संचार करने में सहयोग करती है जिससे उपचार अत्यधिक प्रभावशाली हो जाता है।

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मेथी का स्पर्श क्यों प्रभावशाली?

मेथी के प्रत्येक दानें में हजारों दाने उत्पन्न करने की क्षमता होती है। अतः उसके सम्पर्क से मृत प्रायः कोशिकाएँ पुनः सक्रिय होने लगती है। मेथी के औषधिय गुणों की तरंगें कमजोर अंगों को शक्तिशाली बनाने, शरीर के दर्द वाले भाग की वेदना कम करने, जलन वाले भाग की जलन दूर करने में चमत्कारी प्रभावों वाली सिद्ध हो रही है। मेथी जो कार्य पेट में जाकर करती है, उससे अधिक एवं शीघ्र लाभ उसके बाह्य प्रयोग से संभव होता है, क्योंकि उससे रोगग्रस्त भाग का मेथी की तरंगों से सीधा सम्पर्क होता है। किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव की संभावना प्रायः नहीं रहती। रोगग्रस्त भाग को मेथी के औषधिय गुणों का पूर्ण लाभ मिलता है जबकि मेथी सेवन से रोगग्रस्त भाग तक उसका आशिंक लाभ ही मिलता है। परिणाम स्वरूप मेथी का बाह्य स्पर्श विभिन्न असाध्य स्थानीय रोगों का सहज, सरल, स्वावलंबी प्रभावशाली उपचार के रूप में विकसित हो रहा है। अनेकों रोगों के उपचार में यांत्रिक एवं रसायनिक परीक्षणों एवं अनुभवी चिकित्सकों के परामर्श की भी आवश्यकता नहीं रहती। मात्र रोगग्रस्त भाग अथवा कमजोर अंग का मेथी से स्पर्श रखना पड़ता है।

मेथी स्पर्श द्वारा विविध उपचार

•   मेथी दानों को शरीर के दर्द वाले भाग पर लगाने से दर्द में तुरन्त राहत मिलती है।

•   शरीर के कमजोर अंग पर लगाने से वह अंग पुनः सक्रिय और ताकतवर होने लगता है।

•   जलन, सूजन, दाद, खुजली वाले स्थान पर मेथी लगाने से तुरन्त लाभ मिलता है।

•   मेथी दानों को चूसते रहने से दांतों का दर्द ठीक होता है और गले संबंधित रोगों में आराम मिलता है। अन्तःस्रावी ग्रन्थियों एवं ऊर्जा चक्रों पर मेथी दाना लगाने से उसके आसपास जमे विकार दूर होने से उनकी सक्रियता बढ़ जाती है।

•   हथेली और पगथली में मेथी दानों के मसाज से सारे शरीर से संबंधित एक्यूप्रेशर प्रतिवेदन बिन्दू सक्रिय होने लगते हैं। एक्यूप्रेशर के दर्दस्थ प्रतिवेदन बिन्दुओं पर मेथी स्पर्श से वहाँ जमें विजातीय तत्त्व दूर होने लगते हैं और एक्यूप्रेशर चिकित्सा बिना दर्द वाली स्वावलंबी प्रभावशाली उपचार पद्धति से हो जाता है।

•   अंगूठे के ऊपर वाले पोरवे पर मेथी लगाने से चक्कर एवं सिर दर्द संबंधी विभिन्न रोगों में तुरन्त आराम मिलता हैं। रक्तचाप बराबर होने लगता है। तनाव, भय, अधीरता, क्रोध कम होने लगता है।

•   रात्रि में सोते समय हाथ के अंगूठों के पहले पोरवे पर मेथी लगाने से अनिद्रा के रोग से छुटकारा मिलता है।

•   मेथी का हल्का सा मसाज सीने पर करने से फेंफड़े मजबूत होते हैं। कफ, खांसी, दमा में आराम मिलता है।

•   हृदय रोगियों के हृदय वाले स्थान पर मेथी दाणा लगाने से हृदय शूल और हृदय संबंधी अन्य विकार शीघ्र दूर होने लगते हैं।

•   स्पलीन पर मेथी स्पर्श करने से मधुमेह ठीक होता है। शरीर में लासिका तंत्र बराबर कार्य करने लगता हैं। जिससे सूजन नहीं आती। आमाशय पर लगाने से पाचन अच्छा होता है। लीवर, पित्ताशय, गुर्दो, आंतों पर मेथी लगाने से संबंधित अंगों से विजातीय तत्व दूर होने लगते हैं और वे सारे अंग अपनी क्षमतानुसार कार्य करने लगते हैं।

•   शरीर के जिस स्थान पर बाल हो और टेप से मेथी दानों का स्पर्श संभव न हों वहाँ मेथी का लेप कर उपचार किया जा सकता है।

•   आग से जलने पर दानेदार मेथी को पानी में पीस कर लेप करने से जलन दूर होती है, फफोले नहीं पड़ते।

•   मेथी का सिर पर लेप करने से बाल नहीं गिरते तथा गंजों के बाल आने लगते हैं। बाल अपने प्राकृतिक रंग में मुलायम बने रहते हैं। बालों की लम्बाई बढ़ती है।

•   ताजा पत्तियों का पेस्ट रोज नहाने से पूर्व चेहरे पर लेप करने से चेहरे का रुखापन, झुरियाँ, गर्मी से होने वाले फोड़े फुन्सियाँ आदि ठीक होते हैं।

•   पगथली के अंगूठों और अंगुलियों में मेथी लगाने से नाड़ी संस्थान संबंधी रोगों में शीघ्र राहत मिलती है।

मेथी कैसे और कितनी देर लगायें

बाजार में अलग-अलग माप की चिपकाने वाली कागज की टेप मिलती है। आवश्यकतानुसार माप की टेप पर मेथीदाणा को चिपका दें। चारों तरफ थोड़ा स्थान खाली छोड़ दें ताकि टेप त्वचा पर आसानी से चिपक सकें। मेथी दाणों का स्पर्श तब तक शरीर पर रहने दें, जब तक उस स्थान पर किसी प्रकार की प्रतिकूलता अथवा सिर में भारीपन अनुभव न हों। मेथी अपना प्रभाव लगाने के तुरन्त बाद अनुभव कराने लग जाती है। मात्र तीन दिन के नियमित प्रयोग से उसके चमत्कारी प्रभावों का अनुभव होना प्रारम्भ होने लगता है।

सारांश यही है कि मेथी स्पर्श चिकित्सा सहज, सरल, सस्ती, प्रभावशाली, दुष्प्रभावों से रहित,वैज्ञानिक, पूर्ण स्वावलंबी एवं अहिंसक होती है, जिसका शरीर के रोगग्रस्त भाग पर शीघ्र प्रभाव पड़ता है। मेथी दर्द नाशक एवं रक्त शोधक होती है। विजातीय तत्त्वों को दूर कर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।

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