बलगम के रंग से जानें स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें, साथ ही जानें कितने सेहतमंद हैं आप

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बलगम का रंग सेहत के बारे में कई जरूरी जानकारी देता है, यही कारण है कि डॉक्टर रोगी से अकसर बलगम के रंग और प्रकृति के बारे में पूछता है और जरूरत पड़ने पर बलगम की जांच भी कराता है।

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बलगम के रंग का महत्व

हमारी शरीर के कई अंग स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में काफी जानकारी देते हैं। सभी अंग बेहद नायाब हैं, जैसे हमारी नाक दस हज़ार से भी ज़्यादा गंध पहचान सकती है। ठीक इसी तरह जीभ व नाखून के रंग से सेहत के बारे में काभी कुछ जाना जा सकता है। बलगम का रंग भी सेहत के बारे में कई राज़ बताता है। तो चलिये जानें कि बलगम के किस रंग से क्या संकेत मिलता है।

बलगम का सही मतलब

थूक मिश्रित श्लेष्मा व कुछ अन्य पदार्थ जो श्वसन नाल से मुंह के रास्ते निकाले जाते हैं, को बलगम या कफ कहा जाता है। आमतौर पर बलगम का संबन्ध रोगग्रस्त फेफड़े, स्वांस नली या ऊपरी श्वसन नाल में हवा के आने से होता है। कुछ रोगों जैसे टीबी आदि में बलगम में खून भी आ सकता है। गले या छाती में कुछ जमा हुआ जैसा महसूस होना, सांस लेने में समस्या और लगातार छीकें आना ये सारे बलगम जमा होने के लक्षण होते हैं।

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साफ रंग का बलगम

साफ और पतला बलगम आपके स्वस्थ होने का संकेत देता है। यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिसिसिप्पी मेडिकल सेंटर में ओटोलर्यनोलोजी के प्रोफेसर स्कॉट स्ट्रिंगर के अनुसार रोज हमारे शरीर में लगभग चार कम जितना बलगम बनता है, जिसका उद्देश्य नाक की परत को नम रखकर कणों, मिट्टी, वायरस, बैक्टीरिया, और प्रदूषण से बचाव करना होता है।

सफेद रंग का बलगम

प्रोफेसर स्ट्रिंगर के अनुसार धुंधला सफेद बलगम सर्दी, एलर्जी, या निर्जलीकरण की शुरुआत का संकेत हो सकता है। ऐसा तब होता है, जब नाक के बालों की कोशिकाओं में चोट लगने से उनमें सूजन आ जाती है। इसलिए बलगम नमी खो देता है और सफेद हो जाता है।

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पीला व हरा बलगम

प्रोफेसर स्ट्रिंगर के मुताबिक कुछ मामलों में बलगम के रंग से किसी निर्णय पर पहुंचना मुश्किल होता है। आम धारणा के विपरीत, जरूरी नहीं कि हरा बलगम जीवाणु संक्रमण का कारक और पीला बलगम वायरस का कारक हो। रंग बदलना इस बात पर निर्भर करता है कि अपकी नाक में कितना बलगम है और नाक में कितना सूजन मौजूद है। लेकिन ये दोनो ही रंग ये जरूर साबित करते हैं कि आप बीमार हैं और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली लड़ने की कोशिश कर रही है।

गोल्ड और बहुत चिपचिपा

पीले रंग का गहरा शेड वाला, कुछ पीनट बटर जैसी स्थिरता वाला बलगम फंगल साइनसाइटिस की और इशारा करता है (नाक में फंसे मोल्ड स्पोर्स के कारण होने वाला संक्रमण का एक प्रकार)।

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लाल या गुलाबी

प्रोफेसर स्ट्रिंगर बताते हैं कि बलगम का ये रंग बताता है कि टूटी हुई रक्त वाहिकाओं से खून रिस रहा है, जो नाक के अंदर की सतह के बहुत करीब होती हैं। जब आप ज़ोर से नाक बाहर निकालते हैं या फिर नाक की सतह काफी सूखी होती है तो वे टूट सकती हैं।

काला

बेहद काला बलगम का मतलब होता है कि आपने काफी प्रदूषक या धूआं सांस के ज़रिये भीतर लिया है। लेकिन यह क्रोनिक साइनस संक्रमण या कवक का संकेत भी हो सकता है। प्रोफेसर स्ट्रिंगर के अनुसार, कवक मृत ऊतकों में रहना पसंद करती है, तो बलगम के जम जाने पर यह कवक के लिये के लिए सही माहौल होता है।

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