अचानक ऊंची आवाजें कान में पड़ने के कारण कान बंद हो जाना, माथे पर चोट लगना, कानों में मैल जमा हो जाने के साथ-साथ कई दूसरे कारण भी हैं जो बहरेपन के जिम्‍मेदार कारणों में से एक हैं।

बहरापन के जिम्‍मेदार कारण

बहरेपन यानी सुनने में समस्‍या के लिए कई कारण जिम्‍मेदार हो सकते हैं। अचानक ऊंची आवाजें कान में पड़ने के कारण कान बंद हो जाना, माथे पर चोट लगने के साथ कान में मैल का जमा होना भी बहरेपन के जिम्‍मेदार कारणों में से एक है। यह बीमारी है जो अन्य कई कारणों से भी सकती है, जैसे- कान पकना या किसी प्रकार की कान की बीमारी होना आदि। कुनीन का अधिक मात्रा में सेवन करने के कारण भी यह रोग हो सकता है। इस इसमस्‍या से ग्रस्‍त होने पर रोगी बहरा हो सकता है या ऊंचा सुनने लगता है। आगे के स्‍लाइड में जानिये बहरेपन के लिए जिम्‍मेदार प्रमुख कारणों के बारे में।

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ईयरफोन का अधिक इस्‍तेमाल

ईयरफोन का अधिक प्रयोग करने से भी बहरेपन की समस्‍या हो रही है। वर्तमान में युवाओं में ईयरफोन के प्रयोग का चलन अधिक बढ़ा है। तेज ध्वनि ईयर ड्रम को क्षति पहुंचा कर उसे पतला कर देती है। ईयरफोन से निकलने वाली तेज ध्वनि के कारण, शुरू में कानों की रोम कोशिकाएं अस्थायी रूप से क्षतिग्रस्त होती हैं। या एक कान में सुनाई देना बंद हो जाता है। लेकिन इस‍का अधिक प्रयोग करने से यह बहरेपन का कारण भी बन सकता है।

कान में संक्रमण

कान में संक्रमण की समस्‍या भी हो सकती है। कान में आसानी से तरल पदार्थ प्रवेश कर सकता है, इसके कारण यह कान को संक्रमित कर देता है। कानों में संक्रमण के कारण खसरा, मम्‍स आदि बीमारियों के कारण भी सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। इसलिए जब भी कान में पानी या दूसरा तरल पदार्थ चला जाये तब कानों को अच्‍छे से साफ जरूर कर लें।

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अधिक आवाज के कारण

डीजे हो या पब जाना हो, घर में फंक्‍शन हो या घर के बाहर हर जगह कानफोड़ू आवाज सुनने को मिलता है। चिकित्सकों की मानें तो 100 डेसीबल तक की ध्वनि ही मनुष्य के लिए सुरक्षित रहता है। 125 डेसीबल से ऊपर की तेज आवाज खतरनाक हो जाता है। जबकि डीजे से निकलने वाला सामान्य आवाज 580 डेसीबल होता है, इससे कान की परत फट सकती है।

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ट्यूमर के कारण

कैंसर के लिए जिम्‍मेदार ट्यूमर हो या सामान्‍य ट्यूमर, इन दोनों के कारण सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। इन ट्यूमर के कारण कान की नसें प्रभावित होती हैं और यह बहरेपन के लिए जिम्‍मेदार हो सकती हैं। न्‍यूरोमा, पैरागैंग्‍लीयोमा और मेनिंजियोगा जैसे ट्यूमर के कारण भी सुनने की क्षमता प्रभावित होती है।

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चोट लगने के कारण

अगर कान में किसी तरह की चोट लग गई है तो इसके कारण भी सुनने की क्षमता कम हो जाती है। जानलेवा घटना जैसे विस्फोट या वाहन चलाते समय कोई दुर्घटना घटित होने से कान में अचानक तेज दर्द हो तो हो सकता है कि कान के पर्दे में छेद हो गया हो। अगर दुर्घटना के समय तेज दर्द हो और फिर सुनाई पड़ना बंद हो जाए तो समझिए की कान के मध्य भाग को नुकसान पहुंचा है।

उम्र के कारण

बढ़ती उम्र के कारण कई तरह की समस्‍यायें होती हैं, सामान्‍यतया बुजुर्गों को कम सुनाई पड़ने लगता है। कान की नसों में शिथिलता आ जाती है, इसके कारण सुनने में दिक्‍कत होती है। उम्र बढ़ने के साथ यह समस्‍या और भी बढ़ती जाती है।

दूसरे कारण

सुनने की क्षमता के लिए कई दूसरे कारण भी जिम्‍मेदार होते हैं। अगर किसी बीमारी के उपचार के दौरान दवाओं का अधिक सेवन किय जाये तो इससे बहरेपन की समस्‍या हो सकती है। बहरेपन की समस्‍या आनुवांशिक भी हो सकती है, इसलिए बच्‍चे के पैदा होने के कुछ दिनों बाद ही उससे सुनने की क्षमता की जांच जरूर कराना चाहिए।

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इस वेबसाइट में जो भी जानकारिया दी जा रही हैं, वो हमारे घरों में सदियों से अपनाये जाने वाले घरेलू नुस्खे हैं जो हमारी दादी नानी या बड़े बुज़ुर्ग अक्सर ही इस्तेमाल किया करते थे, आज कल हम भाग दौड़ भरी ज़िंदगी में इन सब को भूल गए हैं और छोटी मोटी बीमारी के लिए बिना डॉक्टर की सलाह से तुरंत गोली खा कर अपने शरीर को खराब कर देते हैं। तो ये वेबसाइट बस उसी भूले बिसरे ज्ञान को आगे बढ़ाने के लक्षय से बनाई गयी है। आप कोई भी उपचार करने से पहले अपने डॉक्टर से या वैद से परामर्श ज़रूर कर ले। यहाँ पर हम दवाएं नहीं बता रहे, हम सिर्फ घरेलु नुस्खे बता रहे हैं। कई बार एक ही घरेलु नुस्खा दो व्यक्तियों के लिए अलग अलग परिणाम देता हैं। इसलिए अपनी प्रकृति को जानते हुए उसके बाद ही कोई प्रयोग करे। इसके लिए आप अपने वैद से या डॉक्टर से संपर्क ज़रूर करे।
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