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अस्थमा (दमा) के कारण और लक्षण, बिना दवाई के घर बैठे करें अस्थमा (दमा) का अचूक और रामबाण इलाज, 100 में से 90 रोगियों को मिला है निश्चित लाभ, जरूर पढ़ें

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अस्थमा एक बहुत ही गंभीर बीमारी हैं. यह बिमारी व्यक्ति की श्वास नलिकाओं में होती हैं. श्वास नलिकाएं वे नलिकाएं हैं जो मानव शरीर के फेफड़ों से जुडी होती हैं और इन नलिकाओं के द्वारा ही कोई भी मनुष्य सांस ले पाता हैं.

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जब किसी व्यक्ति के गले की सांस लेने वाली नलिकाओं में कोई रोग हो जाता हैं. जिसके कारण व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती हैं, वह लगातार खांसने लगता हैं, उसकी सांसे फूलने लगती हैं. तो यह रोग “दमा” कहलाता हैं.

बढ़ते प्रदूषण से अस्‍थमा के मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। अस्‍थमा एक गंभीर बीमारी है, जो श्वास नलिकाओं को प्रभावित करती है। अस्थमा के दौरान खांसी, नाक बंद होना या बहना, छाती का कड़ा होना, रात और सुबह में सांस लेने में तकलीफ इत्यादि समस्याएं होती है। हालांकि आयुर्वेद में अस्‍थमा का इलाज संभव है, लेकिन अस्‍थमा के मरीजों को जड़ी-बूटी चिकित्सा से भी बहुत ज्यादा  आराम नहीं मिलता। आइए जानें अस्थमा का आयुर्वेद में इलाज के बारे में।

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दमा के लक्षण

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  • श्वास नालिकाओं में सूजन होने से ये नलिकाएं संकुचित हो जाती हैं. जिससे फेफड़ों में वायु कम जाती हैं और सांस लेने में बहुत ही परेशानी होती हैं.
  • अस्थमा होने पर मनुष्य की श्वास नलिकाओं में सूजन  आ जाती हैं. सूजन  के कारण ही श्वास नलिकाएं बेहद संवेदनशील हो जाती हैं. जिसका परिणाम यह होता हैं कि यदि इन नलिकाओं से कोई तीखा खाद्य पदार्थ हल्का सा स्पर्श हो जाता हैं तो व्यक्ति बेचैन हो जाता हैं.
  • दमा होने का मुख्य लक्षण हैं खांसी होना, नाक बजना.
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अस्थमा या दमा का आयुर्वेदिक उपचार

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आयुर्वेदिक  दवाएं बहुत सुरक्षित हैं और काफी हद तक समस्या का इलाज है। कुछ आम दवाओं कंटकारी अवालेह, अगस्त्याप्रश, चित्रक, कनाकसव का प्रयोग किया जा सकता है।

  • 2/3 गाजर का रस, 1/3 पालक का रस, एक गिलास रोज पिएं।
  • रात का खाना हल्का व सोने से एक घंटे पहले लें।
  • 1/4 चम्मच सोंठ, छ: काली मिर्च, काला नमक 1/4 चम्मच, तुलसी की 5 पत्तियों को पानी में उबाल कर पीने से भी दमा में आराम मिलता है।
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  • घर में एक शीशी प्राणधारा की अवश्य रखें। उसमें अजवाइन का सत् होता है, जिसकी भाप दमा के दौरे में राहत देती है।
  • अधिक व्यायाम से बचे।
  • रात-विरात यदि दमा प्रकुपित हो जाए, तो छाती और पीठ पर गर्म तिल तेल का सेंक करें।
  • हवादार कमरे में रहें और सोएं। एयर कंडीशनर, कूलर और पंखों की सीधी हवा से बचें।
  • सुबह या शाम टहलें और योग में मुख्य रूप से ‘प्राणायाम’ और भावातीत ध्यान करें।
  • जो लोग इस रोग की चपेट में आ चुके हैं, उनके लिए हर ऋतु के प्रारम्भ में एक-एक सप्ताह तक पंचकर्म की नस्य या शिरोविरेचन चिकित्सा इस रोग की रोकथाम में सहायक होती है।
  • दिल्ली के शालीमार बाग स्थित महर्षि आयुर्वेद अस्पताल में इसकी अच्छी व्यवस्था है।

•  तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।

•  ठंडे और नम स्थानों से दूर रहें।

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  • धूम्रपान ,चबाने वाली तम्बाकू, शराब और कृत्रिम मिठास और ठंडे पेय न लें।
  • जौं, कुल्थी, बथुआ, द्रम स्तिच्क अदरक, करेला, लहसुन का अस्थमा में नियमित रूप से सेवन किया जा  सकता है।
  • जिन्हें इत्र से एलर्जी  हैं, वे अगरबत्ती, मच्छर रेपेलेंट्स का प्रयोग न करें।
  • मुलेठी  और अदरक 1/2-1/2 चम्मच एक कप पानी में लेना बहुत उपयोगी होता है।

अस्थमा के लिए आयुर्वेंद

केला

एक पके केले को छिलके सहित सेंककर बाद में उसका छिलका हटाकर केले के टुकड़ो में पिसी काली मिर्च डालकर गर्म-गर्म दमे रोगी को देनी चाहिए। इससे रोगी को राहत मिलेगी।

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अजवाइन और लौंग

गर्म पानी में अजवाइन डालकर स्टीम लेने से भी अस्‍थमा को नियंत्रि‍त करने में राहत मिलती है। यह घरेलू उपाय काफी फायदेमंद है। इसके अलावा 4-5 लौंग लें और 125 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाएं और गर्म-गर्म पी लें। हर रोज दो से तीन बार यह काढ़ा बनाकर पीने से मरीज को निश्चित रूप से लाभ होता है।

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तुलसी

तुलसी अस्‍थमा को नियंत्रि‍त करने में लाभकरी है। तुलसी के पत्तों को अच्छी तरह से साफ कर उनमें पिसी कालीमिर्च डालकर खाने के साथ देने से अस्‍थमा नियंत्रण में रहता है। इसके अलावा तुलसी को पानी के साथ पीसकर उसमें शहद डालकर चाटने से अस्‍थमा से राहत मिलती है।

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लहसुन

लहसुन अस्‍थमा के इलाज में काफी कारगर साबित होता है। अस्‍थमा रोगी लहुसन की चाय या 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से अस्‍थमा में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है।

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