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सभी प्रकार के Allergy, Skin Disease, Asthma, TB, आंख, कान रोगों का इलाज ||

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Gomutra-Cow-Urine

गौमूत्र से लगभग 108 रोग ठीक होते हैं। इस बात का दावा किया गया है कि गर्भवती गाय का मूत्र सबसे अच्‍छा होता है क्‍योंकि उसमें विशेष हार्मोन और खनिज पाया जाता है। गौमूत्र दर्दनिवारक, पेट के रोग, चर्म रोग, श्वास रोग,आंत्रशोथ, पीलिया, मुख रोग, नेत्र रोग, अतिसार, मूत्राघात, कृमिरोग आदि के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है।

यही नहीं गौमूत्र के प्रयोग से बडे़-बडे़ रोग जैसे, दिल की बीमारी, मधुमेह, कैंसर, टीबी, मिर्गी, एड्स और माइग्रेन आदि को भी ठीक किया जा सकता है। तो अब गाय से प्राप्‍त दूध, दही, मठ्ठा आदि सेवन करने के साथ साथ गौमूत्र का भी सेवन कर के देखिये और अनेक लाभों का आनंद उठाइये।

आँख के सभी रोगों में गोमूत्र के फायदे

आँखों से जुड़े सभी रोग कफ के कारण होते है। मोतियाबिंद (कैटरेक्टर), ग्लुकोमा, रैटिनल डिटैचमेन्ट जैसी बड़ी बिमारियों के अलावा आँखों का लाल होना, आँखों से पानी निकलना, आँखों में जलन होना जैसी छोटी बीमारियाँ गौमूत्र के प्रयोग से ठीक हो जाती है। इसके लिए सूती कपडे की आठ परत में छानकर 1-1 बूंद आँखों में डाल लें। 6 महीने में आँखों का चश्मा उतर जाएगा।

आँखों के नीचे काले धब्बे होने पर रोज सुबह गौमूत्र लगायें, सभी धब्बे चले जायेंगे। अगर गौमूत्र न मिले तो उसके अर्क का इस्तेमाल कर सकते है। अर्क 1 चम्मच से अधिक नहीं लेना चाहिए, और हां अर्क का इस्तेमाल आंख में डालने के लिए बिलकुल न करें।

स्वास्थ्य के लिए गौमूत्र के अन्य फ़ायदे 

1. वात, कफ और पित्त के रोग

गौमूत्र में वात और कफ से जुड़े सभी रोगों को खत्म करने की शक्ति होती है। पित्त के रोग को भी इसकी मदद से दूर किया जा सकता है यदि इसका सेवन अन्य औषधियों के साथ किया जाए तो।

वात, कफ और पित्त के कुल 148 रोग है। और उन सभी रोगों को खत्म करने के लिए गौमूत्र का इस्तेमाल लाभकारी हो सकता है। ये वात, पित्त, कफ तीनों को सम अवस्था में लाने के लिए सबसे ज्यादा मदद करता है।

2. बवासीर/बादी और खूनी, फिस्टुला, भगन्दर, अर्थराइटिस, जोड़ों का दर्द, उक्त रक्त दबाव, हृदयघात, कैंसर

सुबह खाना खाने के 1 घंटे पहले आधा कप गौमूत्र पीने से बवासीर/बादी और खूनी, फिस्टुला, भगन्दर, अर्थराइटिस, जोड़ों का दर्द, उक्त रक्त दबाव, हृदयघात, कैंसर आदि रोगों को ठीक करने में मदद मिलती है।

वैज्ञानिक परीक्षणों का मानना है की गौमूत्र में मिट्टी में पाए जाने वाले 18 गुण पाए जाते है। शरीर की बिमारियों को ठीक करने के लिए जितने घटकों की आवश्यकता होती है वे सभी गौमूत्र में पाए जाते है।

3. खांसी, सर्दी, जुखाम, दमा, टी बी और अस्थमा

गौमूत्र से कई हड्डी रोगों को भी ठीक किया जा सकता है। खांसी, सर्दी, जुखाम, दमा, टी बी और अस्थमा जैसी बिमारियों में गौमूत्र रामबाण का काम करता है। गौमूत्र के प्रयोग से ठीक हुई टी बी वापस नहीं आती। ये शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद करता है जिससे बीमारियाँ हमसे कोसो दूर रहती है।

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टी बी की समस्या में डॉट्स की दवाओं के साथ गौमूत्र का सेवन करने से 2 से 3 महीने में अच्छे परिणाम सामने आने लगते है। जबकि केवल डॉट्स की गोलियों के साथ टी बी ठीक होने में 9 महीने का समय लगता है।

4. कैंसर

गले के कैंसर, आहार नली के कैंसर और पेट के कैंसर सभी में गौमूत्र काफी असरदार होता है।

शरीर में करक्यूमिन नामक तत्व की कमी होने पर कैंसर का रोग बढ़ता है। और गौमूत्र में इस तत्व की अच्छी मात्रा पाई जाती है और पीने के बाद यह तुरंत पच भी जाता है।

हरड़, पानी में घिसकर देने से कम लाभ करती है और यदि इसे गौमूत्र में घिसा जाए तो क्या कहने? ये अत्यंत लाभकारी होती है।

गौमूत्र में गेंदे के फूल की चटनी बनाकर उबाल लें और उसमे थोड़ी हल्दी मिलाकर प्रयोग करें। ये कैंसर में बहुत आराम देता है।

गौमूत्र का सेवन हमेशा सुबह ही करना चाहिए। अधिक बीमार व्यक्ति 100 ग्राम तक पी सकता है। आ चाहे तो आधा आधा कप करके भी पी सकते है। स्वास्थ्य लोगों को 50 ग्राम अच्छा रहता है। बंधी हुई गाय का मूत्र इतना उपयोगी नहीं होता। जर्सी गाय के मूत्र में सिर्फ तीन पोषक तत्व ही पाए जाते है।

5. पसलियों में दर्द

रोजाना सुबह एक-एक बूंद इसका सेवन करें कोई भी बीमारी 3 से 4 दिन में ठीक हो जाएगी। जिन बच्चों की पसलियाँ कफ की वजह से दुखती है उन्हें एक चम्मच गौमूत्र पिलाने से तुरंत आराम मिलता है। ऐसा बड़े लोग भी कर सकते है लेकिन मात्र आधा कप बढ़ा दें।

6. किडनी रोग

मूत्र पिंड से जुड़े सभी रोग जैसे किडनी फ़ैल होने और किडनी की दूसरी तकलीफों को ठीक करने के लिए रोज सुबह आधा कप गौमूत्र का सेवन करें।

7. पेशाब से संबंधित समस्या

पेशाब से संबंधित हर समस्या के लिए रोज सुबह खाली पेट आधा कप गौमूत्र का सेवन करें।

8. कब्ज

कब्ज की समस्या में 3 से 4 दिन तक रोज सुबह आधा कप गौमूत्र का सेवन करें, समस्या ठीक हो जाएगी।

9. एसिडिटी, हाईपर एसिडिटी, अल्सर, पेप्टिक अल्सर, पेट में घाव

पित्त के रोग में गौमूत्र के साथ देसी गाय के घी का सेवन भी करें। पित्त के रोगी गौमूत्र और पानी की बराबर मात्रा का मिलाकर इस्तेमाल करने से एसिडिटी, हाईपर एसिडिटी, अल्सर, पेप्टिक अल्सर, पेट में घाव आदि को ठीक करने में मदद मिलती है।

साफ़ सुथरे वातावरण में रहने वाली, अच्छा चारा खाने वाली और नियमित रूप से घुमने वाली गाय का मूत्र पीना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। अगर ऐसी गाय न मिलें तो किसी भी देसी गाय का गौमूत्र ले लें।

शोध बताते है देसी गाय के गौमूत्र के कोई साइड इफ़ेक्ट नही है। अधिक गौमूत्र का सेवन करने पर ये पेशाब के रस्ते बाहर निकल जाते है। तो इससे कोई नुकसान नहीं पहुँचता। एक बात का ध्यान रखें जिस गाय का मूत्र आप ले रहे है वो पूरी तरह देसी हो और वो बीमार या गर्भवती न हो।

10. पीलिया

हैपेटाइटिस परिवार (A, B, c, D, E, F) की बीमारियाँ जैसे पीलिया आदि बीमारियाँ को दूर करने के लिए गौमूत्र काफी लाभकारी होता है।

गौमूत्र का सेवन अपनी आयु के अनुसार ही करें। इसके लिए आप डॉक्टर या वैद्य की मदद ले सकते है।

11. सर्दी, खांसी, जुखाम, डायरिया

सर्दी, खांसी, जुखाम, डायरिया आदि बिमारियों के लिए भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।

गाय का मूत्र जीवराशी रहित होता है इसीलिए जैन लोग भी इसका सेवन कर सकते है। गौमूत्र यदि 2 से 3 दिन पुराना है तो उसमे पानी जरुर मिलाएं।

12. त्वचा के लिए 

22. गौमूत्र का सेवन करने से त्वचा संबंधी रोग जैसे सोराइसिस, एक्जिमा, खुजली, खाज, दाद आदि रोग ठीक होते है।

23. गौमूत्र की मालिश करने से त्वचा के सफ़ेद धब्बे ठीक हो जाते है।

24. खुजली, खाज, दाद, आदि समस्या में रोज गौमूत्र से मालिश करने से वे ठीक हो जाते है।

कुछ बातों का रखें ध्यान 

• गौमूत्र हमेशा निश्चित तापमान पर ही रखा जाना चाहिए।

• गौमूत्र के सेवन की मात्रा ऋतू पर निर्भर करती है। क्योंकि इसकी प्रकृति गर्म होती है इसीलिए गर्मियों में इसकी कम मात्रा का ही सेवान करना चाहिए।

• 8 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों और गर्भवती महिलाओं को गौमूत्र के अर्क का सेवन वैद्य की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए।

• गौमूत्र को मिट्टी, कांच या स्टील के बर्तन में ही रखें।

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