किडनी की संजीवनी दवा – दो बार दवा के सेवन से आ जाता है आराम – शेयर ज़रूर करें.

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किडनी में दर्द, पत्थरी, पेशाब बंद होना आदि वृक सम्बंधित रोगों के लिए संजीवनी है ये योग. सिर्फ दो मात्राओं से लाभ हो जाता है. आइये जानते है इस अनुपम योग को.

दूब (हरी घास) की हरी पत्तियां 50 ग्राम और कलमी शोरा 10 ग्राम, दोनों को एक किलो पानी डालकर मिटटी के बर्तन में यहाँ तक उबालें के आधा पानी रह जाए, परन्तु ध्यान रहे के बर्तन का मुख ऊपर से बंद हो.

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इसके बाद इस पानी को अच्छी प्रकार मलकर कपडे से छानकर पुनः कलईदार डेगची में डालकर यहाँ तक पकाएं के सारा पानी जलकर नीचे नमक सा रह जाए. तब आग से उतारकर नमक को बारीक पीसकर शीशी में रख छोड़ें. आवश्यकता के समय दो रत्ती औषधि सौंफ के 60 ग्राम अर्क के साथ दिया करें. तीन चार दिनों में वृक्क तथा मूत्राशय के रोगों में प्रायः आराम होने लगता है.

रत्ती = 0.12 ग्राम (1 ग्राम का लगभग दसवां हिस्सा)

नोट – यदि रोगी को कब्ज हो तो पहले कब्जनाशक औषधि दें. दवा लेने से पहले पेट बिलकुल साफ़ कर लें. इसके लिए रात को सोते समय एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच अरंडी का तेल डालकर पियें, और इसके साथ एक चम्मच इसबगोल का सेवन करें.

दूब घास वही होती है जिसको अक्सर हिन्दू धार्मिक कार्यो में प्रयोग में लाया जाता है, और ये बहुत आसानी से घरों के आस पास लगी हुयी मिल जाती है, इसको देसी घास भी कहते हैं.

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