ज्ञान मुद्रा : गंभीर मनोविकारों को ठीक करने में है सक्षम, असाध्य बीमारियों का भी होता है इलाज

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ज्ञान मुद्रा gyan mudra ke fayde aur labh in hindi

ज्ञान मुद्रा योग | ज्ञान मुद्रा योग के फायदे और लाभ इन हिंदी

संस्कृत में ज्ञान का मतलब होता हैं – बुद्धिमत्ता। ज्ञान मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से अभ्यासक की बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती है और इसीलिए इसे अंग्रजी में Mudra of Knowledge भी कहा जाता हैं। ध्यान करते समय और प्राणायाम करते समय योग से अधिक लाभ मिलने हेतु इस मुद्रा का अभ्यास किया जाता हैं।

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ज्ञान मुद्रा और पद्मासन योग की बहुत महत्वपूर्ण क्रियाएँ हैं, जो गम्भीर मनोविकारों तक को ठीक करने में सक्षम हैं। आधुनिक शोधों के द्वारा यह साबित किया जा चुका है कि योग हमारे शरीर एवं मस्तिष्क के लिए अति महत्वपूर्ण है। इनके द्वारा बहुत सी असाध्य बीमारियों का भी इलाज किया जा सकता है।आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य का शरीर पृथ्वी, जल, आग, आकाश और वायु, इन पाँच तत्वों से बना हुआ है। जब इनमें इन तत्वों के संतुलित अनुपात में गड़बड़ी हो जाती है तो हमें बीमारियाँ हो जाती हैं। ज्ञान मुद्रा शरीर में वायु (air) तत्व की कमी से होने वाली विभिन्न परेशानियों, जिनमें मस्तिष्क सम्बन्धी विभिन्न प्रकार की समस्याएँ शामिल हैं के साथ मानसिक नियंत्रण में भी बहुत प्रभावशाली भूमिका निभाती है।

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ज्ञान मुद्रा योग इन हिंदी

Gyan Mudra Yoga In Hindi

ज्ञान मुद्रा कैसे करें – ज्ञान मुद्रा करने की विधि

  • सबसे पहले एक स्वच्छ और समतल जगह पर एक दरी / चटाई या योगा mat बिछा दे।
  • अब सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाये।
  • ज्ञानमुद्रा हम खड़े रहकर ताड़ासन में या खुर्ची पर बैठ कर भी कर सकते हैं। ज्ञान मुद्रा का अधिक लाभ मिलने हेतु इसे सुखासन या पद्मासन में बैठ कर करना चाहिए।
  • अपने हाथों को घुटनों पर रखे और हाथों की हथेली ऊपर की ओर आकाश की तरफ होनी चाहिए।
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  • अब तर्जनी उंगली (Index Finger) को गोलाकार मोडकर अंगूठे (Thumb) के अग्रभाग को स्पर्श करना हैं।
  • अन्य तीनों उंगलियों को सीधा रखना हैं।
  • यह ज्ञान मुद्रा दोनों हाथो से करना हैं।
  • आँखे बंद कर नियमित श्वसन करना हैं।
  • आप चाहे तो साथ में ॐ का उच्चारण भी कर सकते हैं। मन से सारे विचार निकालकर मन को केवल ॐ पर केन्द्रित करना हैं।
  • दिनभर में कम से कम 30 मिनिट से 45 मिनिट करने पर लाभ मिलता हैं। एक साथ इतना समय न मिलने पर आप 10-10 मिनिट के 3 टुकड़ों में इसका अभ्यास कर सकते हैं।
  • ऐसे तो इस मुद्रा का अभ्यास हम किसी भी समय कर सकते हैं पर सुबह के समय और शाम के समय यह मुद्रा का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।
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ज्ञान मुद्रा के फायदे

Gyan Mudra Ke Fayde Aur Labh In Hindi

ज्ञान मुद्रा के नियमित अभ्यास से निम्नलिखित समस्याओं में राहत मिलती है और पहले से ही अभ्यास कर रहे लोगों को ये समस्याएँ नहीं होती हैं –

  • दिमाग कम होना
  • मस्तिष्क की सुस्ती, उत्साह, पहल अथवा रचनात्मकता की कमी
  • सुस्ती
  • लापरवाही, याददाश्त का कमजोर हो जाना
  • नींद लगना

तंत्रिका तंत्र के विकार

  • मस्तिष्क पक्षाघात (लकवा)
  • ऑप्टिक एट्रोफी (नज़र की एक बीमारी)
  • तंत्रिकाओं में सूजन
  • न्यूरोपैथी
  • आँखों की रेटिना के नष्ट होना
  • अल्जाइमर रोग
  • मल्टीपल स्क्लेरोसिस
  • (सयरिंगोमएलिया) Syringomyelia (तांत्रिका तंत्र की एक बीमारी)
  • मोटर तंत्रिका सम्बन्धी रोग
  • मनोभ्रम
  • पागलपन (रोग जिसमे शरीर की गतिविधि पर पूर्ण नियंत्रण में कमी आ जाती है)
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अंत: स्रावी (हार्मोन) विकार

  • हाइपोपिट्यूटेरिज्म (hypopituitarism) – इसमें पिट्यूटरी ग्लैंड से हॉर्मोन का स्रावित होना कम हो जाता है या बंद हो जाता है, जिससे बौनापन, सिमण्ड्स डिजीज या फ्रोलिक सिंड्रोम हो जाता है।
  • हाइपोथायरायडिज्म ( थायराइड ग्रंथि से स्रावित होने वाला हॉर्मोन कम हो जाता है जिससे बौनापन या मायक्सोएडेमा- गम्भीर कमी होने पर, हो सकता है

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  • हाइपोपैराथायरायडिज्म (hypoparathyroidism)
  • हाइपोएड्रेनेलिज्म (Hypoadrenalism)
  • मधुमेह
  • अल्पजननग्रंथिता (Hypogonadism)

मांसपेशियों के विकार

  • मायोपैथीज (myopathies)
  • जोड़ों में गड़बड़ी
  • केवल पेशियों का पक्षाघात
  • श्वसन या पाचन नली में अत्यधिक मोटी झिल्ली बन जाना
  • लकवा
  • आवाज चली जाना या आवाज कमजोर हो जाना
  • कमजोरी या धीरे-धीरे हृदयगति रुकना
  • मंदनाड़ी (दिल की धड़कन धीमी होना)
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ऊपर बताए गए रोगों से बचाव और उपचार लिए थेरेपी के रूप में ज्ञान मुद्रा को अपनाया जाना चाहिए।

अवधि

हर दिन 30 से 45 मिनट, या तो एक बार में या तीन बार में 10 से 15 मिनट के लिए।

सावधानी

वात प्रकृति वाले लोगों को ज्ञान मुद्रा का अभ्यास ज्यादा समय तक नहीं करना चाहिए।

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