गिलोय के फायदे ,लाभ और औषधीय गुण – Giloy Ke Fayde In Hindi

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giloy

गिलोय कब खाना चाहिए, गिलोय खाने का सही तरीका क्या है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिसे गिलोय के सेवन से पहले जरूर जानना चाहिए. आयुर्वेद में गिलोय का सेवन कई रोगों में किया जाता है. बरसात के मौसम में होने वाली वायरल, मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया में गिलोय का सेवन किया जाता है. गिलोय कब खाना चाहिए इसकी जानकारी हर किसी को होनी चाहिए. आयुर्वेदिक हर्बल औषधि होने की वजह से गिलोय के फायदे (Giloy Benefits) ज्यादा हैं. मच्छर की वजह से होने वाली बीमारियों में गिलोय खाना लाभदायक (Giloy Benefits) होता है. गिलोय के औषधीय गुण (Ayurvedic Giloy Benefits) की वजह से इसे आयुर्वेद में अमृत वटी भी कहा जाता है. गिलोय के सेवन से पहले इसके बारे में विस्तार से जानना जरूरी है.

गिलोय की तासीर कैसे होती है ?

बुखार में गिलोय का सेवन करते समय, गिलोय की तासीर की जानकारी बेहद जरूरी है. क्योंकि हर मौसम में गिलोय खाना ठीक नहीं माना जाता है. आयुर्वेद की किताबों में गिलोय की तासीर गर्म बताई गयी है. सर्दी-जुकाम और बुखार में इसीलिए गिलोय लाभदायक होता है.

गिलोय का सेवन कैसे करें ?

किसी भी बीमारी में कोई भी दवा खाने से पहले उसके फायदे नुकसान जरूर जानना चाहिए. गिलोय कब खाना चाहिए (how to eat Giloy) इसके लिए यह जानना जरूरी है कि किस उम्र में गिलोय का सेवन (how to eat Giloy) ठीक होता है. इस बारे में आयुर्वेद एक्सपर्ट्स मानते हैं कि एक वयस्क आदमी गिलोय का सेवन कर सकता है. इसके अलावा 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए.

किसी भी बीमारी में किसी भी दवा का सेवन कैसे करना है, यह जानकारी होना बेहद जरूरी होता है. बुखार में गिलोय का सेवन करने के पाउडर, काढ़ा या रस के रूप में करना चाहिए. गिलोय के पत्ते और तने को एक साथ सुखाकर पाउडर बनाया जाता है. वैसे बाजार में गिलोय की गोली भी मिलती हैं. एक दिन में 1 ग्राम से अधिक गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए.

अनेक भाषाओं में गिलोय के नाम 

गिलोय का लैटिन नाम टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया ( Tinospora cordifolia (Willd.) Miers, Syn-Menispermum cordifolium Willd.) है और यह मैनिस्पर्मेसी (Menispermaceae) कुल है। इसे इन नामों से भी जानी जाती हैः-

Giloy in –

Hindi (Giloy in Hindi) – गडुची, गिलोय, अमृता

English – इण्डियन टिनोस्पोरा (Indian tinospora), हार्ट लीव्ड टिनोस्पोरा (Heart leaved tinospora), मून सीड (Moon seed), गांचा टिनोस्पोरा (Gulancha tinospora); टिनोस्पोरा (Tinospora)

Bengali (Giloy in Bengali) – गुंचा (Gulancha), पालो गदंचा (Palo gandcha), गिलोय (Giloe)

Sanskrit – वत्सादनी, छिन्नरुहा, गुडूची, तत्रिका, अमृता, मधुपर्णी, अमृतलता, छिन्ना, अमृतवल्ली, भिषक्प्रिया

Oriya – गुंचा (Gulancha), गुलोची (Gulochi)

Kannada – अमृथावल्ली(Amrutavalli), अमृतवल्ली (Amritvalli), युगानीवल्ली (Yuganivalli), मधुपर्णी (Madhuparni)

Gujarati – गुलवेल (Gulvel), गालो (Galo)

Goa – अमृतबेल (Amrytbel)

Tamil – अमृदवल्ली (Amridavalli), शिन्दिलकोडि (Shindilkodi)

Telugu – तिप्पतीगे (Tippatige), अमृता (Amrita), गुडूची (Guduchi)

Nepali – गुर्जो (Gurjo)

Punjabi – गिलोगुलरिच (Gilogularich), गरहम (Garham), पालो (Palo)

Marathi – गुलवेल (Gulavel), अम्बरवेल(Ambarvel)

Malayalam – अमृतु (Amritu), पेयामृतम (Peyamrytam), चित्तामृतु (Chittamritu)

Arabic – गिलो (Gilo)

Persian – गुलबेल (Gulbel), गिलोय (Giloe)

Giloy ke fayde

गिलोय के फायदे (Giloy Benefits and Uses)

गिलोय के औषधीय गुण और गिलोय के फायदे बहुत तरह के बीमारियों के लिए उपचारस्वरूप इस्तेमाल किया जाता है लेकिन कई बीमारियों में गिलोय के नुकसान से भी सेहत पर असर पड़ सकता है। इसलिए गिलोय का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और तरीका का सही ज्ञान होना ज़रूरी है-

आँखों के रोग में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy to Cure Eye Disease in Hindi)

गिलोय के औषधीय गुण आँखों के रोगों से राहत दिलाने में बहुत मदद करते हैं। इसके लिए 10 मिली गिलोय के रस में 1-1 ग्राम शहद व सेंधा नमक मिलाकर खूब अच्छी प्रकार से खरल में पीस लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे अँधेरा छाना, चुभन, और काला तथा सफेद मोतियाबिंद रोग ठीक होते हैं।

गिलोय रस में त्रिफला मिलाकर काढ़ा बनायें। 10-20 मिली काढ़ा में एक ग्राम पिप्पली चूर्ण व शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से आँखों की रौशनी बढ़ जाती है। गिलोय का सेवन करते समय एक बात का ध्यान रखना पड़ेगा कि इसका सही मात्रा और सही तरह से सेवन करने पर ही गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) का सही तरह से उपकार आँखों को मिल सकता है।

कान की बीमारी में फायदेमंद गिलोय का प्रयोग (Uses of Giloy in Eye Disorder in Hindi)

गिलोय के तने को पानी में घिसकर गुनगुना कर लें। इसे कान में 2-2 बूंद दिन में दो बार डालने से कान का मैल (कान की गंदगी) निकल जाता है। कान के बीमारी से राहत पाने के लिए सही तरह से इस्तेमाल करने पर गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) मिल सकते हैं। गिलोय का औषधीय गुण बिना कोई नुकसान पहुँचाये कान से मैल निकालने में मदद करते हैं, इससे कानों को नुकसान भी होता है।

हिचकी को रोकने के लिए करें गिलोय का इस्तेमाल (Giloy Benefits to Stop Hiccup in Hindi)

गिलोय तथा सोंठ के चूर्ण को नसवार की तरह सूँघने से हिचकी बन्द होती है। गिलोय चूर्ण एवं सोंठ के चूर्ण की चटनी बना लें। इसमें दूध मिलाकर पिलाने से भी हिचकी आना बंद हो जाती है। गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) का सही मात्रा में उपयोग तभी हो सकता है जब आप उसका सही तरह से प्रयोग करेंगे।

टीबी रोग में फायदेमंद गिलोय का सेवन (Giloy Uses in T.B. Disease Treatment in Hindi)

गिलोय का औषधीय गुण टीबी रोग के समस्याओं से निजात दिलाने में मदद करते हैं लेकिन इनको औषधि के रुप में बनाने के लिए इन सब चीजों के साथ मिलाकर काढ़ा बनाने की ज़रूरत होती है। अश्वगंधा, गिलोय, शतावर, दशमूल, बलामूल, अडूसा, पोहकरमूल तथा अतीस को बराबर भाग में लेकर इसका काढ़ा बनाएं। 20-30 मिली काढ़ा को सुबह और शाम सेवन करने से राजयक्ष्मा मतलब टीबी की बीमारी ठीक होती है। इस दौरान दूध का सेवन करना चाहिए। इसका सही तरह से सेवन ही यक्ष्मा (टीबी रोग) में गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) से पूरी तरह से लाभ उठा सकते हैं।

गिलोय के सेवन से उल्टी रुकती है (Benefits of Giloy to Stop Vomiting in Hindi)

एसिडिटी के कारण उल्टी हो तो 10 मिली गिलोय रस में 4-6 ग्राम मिश्री मिला लें। इसे सुबह और शाम पीने से उल्टी बंद हो जाती है। गिलोय के 125-250 मिली चटनी में 15 से 30 ग्राम शहद मिला लें।

इसे दिन में तीन बार सेवन करने से उल्टी की परेशानी ठीक हो जाती है। 20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार के कारण होने वाली उलटी बंद होती है। अगर उल्टी से परेशान है और गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) का पूरा लाभ उठाने के लिए उसका सही तरह से सेवन करना

गिलोय के सेवन से कब्ज का इलाज (Giloy is Beneficial in Fighting with Constipation in Hindi)

गिलोय के औषधीय गुणों के कारण उसको 10-20 मिली रस के साथ गुड़ का सेवन करने से कब्ज में फायदा होता है। सोंठ, मोथा, अतीस तथा गिलोय को बराबर भाग में कर जल में खौला कर काढ़ा बनाएं। इस काढ़ा को 20-30 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से अपच एवं कब्ज की समस्या से राहत मिलती है। गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए गिलोय का सही तरह से इस्तेमाल करना भी ज़रूरी होता है।

गिलोय के इस्तेमाल से बवासीर का उपचार (Giloy Uses in Piles Treatment in Hindi)

हरड़, गिलोय तथा धनिया को बराबर भाग (20 ग्राम) लेकर आधा लीटर पानी में पका लें। जब एक चौथाई रह जाय तो खौलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़ा में गुड़ डालकर सुबह और शाम पीने से बवासीर की बीमारी ठीक होती है। काढ़ा बनाकर पीने पर ही गिलोय के फायदे ( giloy ke fayde)पूरी तरह से मिल सकते हैं।

पीलिया रोग में गिलोय से फायदा (Giloy Benefits in Fighting with Jaundice in Hindi)

गिलोय के औषधीय गुण पीलिया से राहत दिलाने में बहुत मदद करते हैं। गिलोय के फायदे ‍का लाभ उठाने के लिए सही तरह से प्रयोग करना भी ज़रूरी होता है।

गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
गिलोय के 10-20 पत्तों को पीसकर एक गिलास छाछ में मिलाकर तथा छानकर सुबह के समय पीने से पीलिया ठीक होता है।

गिलोय के तने के छोटे-छोटे टुकड़ों की माला बनाकर पहनने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।

पुनर्नवा, नीम की छाल, पटोल के पत्ते, सोंठ, कटुकी, गिलोय, दारुहल्दी, हरड़ को 20 ग्राम लेकर 320 मिली पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा को 20 मिली सुबह और शाम पीने से पीलिया, हर प्रकार की सूजन, पेट के रोग, बगल में दर्द, सांस उखड़ना तथा खून की कमी में लाभ होता है।

गिलोय रस एक लीटर, गिलोय का पेस्ट 250 ग्राम, दूध चार लीटर और घी एक किलो लेकर धीमी आँच पर पका लें। जब घी केवल रह जाए तो इसे छानकर रख लें। इस घी की 10 ग्राम मात्रा को चौगुने गाय के दूध में मिलाकर सुबह और शाम पीने से खून की कमी, पीलिया एवं हाथीपाँव रोग में लाभ होता है।

लीवर विकार को ठीक करता है गिलोय (Giloy Helps in Liver Disorder in Hindi)

18 ग्राम ताजी गिलोय, 2 ग्राम अजमोद, 2 नग छोटी पीपल एवं 2 नग नीम को लेकर सेक लें। इन सबको मसलकर रात को 250 मिली जल के साथ मिट्टी के बरतन में रख दें। सुबह पीस, छानकर पिला दें। 15 से 30 दिन तक सेवन करने से लीवन व पेट की समस्याएं तथा अपच की परेशानी ठीक होती है।

डायबिटीज की बीमारी में करें गिलोय का उपयोग (Uses of Giloy in Control Diabetes in Hindi)

गिलोय जिस तरह डायबिटीज कंट्रोल करने में फायदेमंद होता है लेकिन जिन्हें कम डायबिटीज की शिकायत हो, उन्हें गिलोय के नुकसान से सेहत पर असर भी पड़ सकता है।

गिलोय, खस, पठानी लोध्र, अंजन, लाल चन्दन, नागरमोथा, आवँला, हरड़ लें। इसके साथ ही परवल की पत्ती, नीम की छाल तथा पद्मकाष्ठ लें। इन सभी द्रव्यों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर, छानकर रख लें। इस चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर मधु के साथ मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे डायबिटीज में लाभ होता है।
गिलोय के 10-20 मिली रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से भी डायबिटीज में फायदा होता है।
एक ग्राम गिलोय सत् में 3 ग्राम शहद को मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से डायबिटीज में लाभ मिलता है।
10 मिली गिलोय के रस को पीने से डायबिटीज, वात विकार के कारण होने वाली बुखार तथा टायफायड में लाभ होता है।

मूत्र रोग (रुक-रुक कर पेशाब होना) में गिलोय से लाभ (Giloy Cures Urinary Problems in Hindi)

गुडूची के 10-20 मिली रस में 2 ग्राम पाषाण भेद चूर्ण और 1 चम्मच शहद मिला लें। इसे दिन में तीन-चार बार सेवन करने से रुक-रुक कर पेशाब होने की बीमारी में लाभ होता है।

गठिया में फायदेमंद गिलोय (Benefits of Giloy in Arthritis Treatment in Hindi)

गिलोय के 5-10 मिली रस अथवा 3-6 ग्राम चूर्ण या 10-20 ग्राम पेस्ट या फिर 20-30 मिली काढ़ा को रोज कुछ समय तक सेवन करने से गिलोय के फायदे (giloy ke fayde) पूरी से मिलते हैं और गठिया में अत्यन्त लाभ होता है। सोंठ के साथ सेवन करने से भी जोड़ों का दर्द मिटता है।

फाइलेरिया (हाथीपाँव) में फायदा लेने के लिए करें गिलोय का प्रयोग (Giloy Uses in Cure Filaria in Hindi)

10-20 मिली गिलोय के रस में 30 मिली सरसों का तेल मिला लें। इसे रोज सुबह और शाम खाली पेट पीने से हाथीपाँव या फाइलेरिया रोग में लाभ होता है।

गिलोय से कुष्ठ (कोढ़ की बीमारी) रोग का इलाज (Giloy Benefits in Leprosy Treatment in Hindi)

10-20 मिली गिलोय के रस को दिन में दो-तीन बार कुछ महीनों तक नियमित पिलाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।

बुखार उतारने के लिए गिलोय से लाभ (Giloy is Beneficial in Fighting with Fever in Hindi)

40 ग्राम गिलोय को अच्छी तरह मसलकर, मिट्टी के बरतन में रख लें। इसे 250 मिली पानी मिलाकर रात भर ढककर रख लें। इसे सुबह मसल-छानकर प्रयोग करें। इसे 20 मिली की मात्रा दिन में तीन बार पीने से पुराना बुखार ठीक हो जाता है।

20 मिली गिलोय के रस में एक ग्राम पिप्पली तथा एक चम्मच मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम सेवन करने से पुराना बुखार, कफ, तिल्ली बढ़ना, खांसी, अरुचि आदि रोग ठीक होते हैं।

बेल, अरणी, गम्भारी, श्योनाक (सोनापाठा) तथा पाढ़ल की जड़ की छाल लें। इसके साथ ही गिलोय, आँवला, धनिया लें। इन सभी की बराबर-बराबर लेकर इनका काढ़ा बना लें। 20-30 मिली काढ़ा को दिन में दो बार सेवन करने से वातज विकार के कारण होने वाला बुखार ठीक होता है।

मुनक्का, गिलोय, गम्भारी, त्रायमाण तथा सारिवा से बने काढ़ा (20-30 मिली) में गुड़ मिला ले। इसे पीने अथवा बराबर-बराबर भाग में गुडूची तथा शतावरी के रस (10-20 मिली) में गुड़ मिलाकर पीने से वात विकार के कारण होने वाला बुखार उतर जाता है।

20-30 मिली गुडूची के काढ़ा में पिप्पली चूर्ण मिला ले। इसके अलावा छोटी कटेरी, सोंठ तथा गुडूची के काढ़ा (20-30 मिली) में पिप्पली चूर्ण मिलाकर पीने से वात और कफज विकार के कारण होने वाला बुखार, सांस के उखड़ने की परेशानी, सूखी खांसी तथा दर्द की परेशानी ठीक होती है।

सुबह के समय 20-40 मिली गुडूची के चटनी में मिश्री मिलाकर पीने से पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।

गुडूची, सारिवा, लोध्र, कमल तथा नीलकमल अथवा गुडूची, आँवला तथा पर्पट को समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा में चीनी मिलाकर पीने से पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।

बराबर मात्रा में गुडूची, नीम तथा आँवला से बने 25-50 मिली काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से बुखार की गभीर स्थिति में लाभ होता है।

100 ग्राम गुडूची के चूर्ण को कपड़े से छान लें। इसमें 16-16 ग्राम गुड़, मधु तथा गाय का घी मिला लें। इसका लड्डू बनाकर पाचन क्षमता के अनुसार रोज खाएं। इससे पुराना बुखार, गठिया, आंखों की बीमारी आदि रोगों में फायदा होता है। इससे यादाश्त भी बढ़ती है।

गिलोय के रस तथा पेस्ट से घी को पकाएं। इसका सेवन करने से पुराना बुखार ठीक होता है।

बराबर मात्रा में गिलोय तथा बृहत् पञ्चमूल के 50 मिली काढ़ा में 1 ग्राम पिप्पली चूर्ण तथा 5-10 ग्राम मधु मिलाकर पिएं। इसके अलावा गुडूची काढ़ा को ठंडा करके इसमें एक चौथाई मधु मिलाकर पिएं। इसके अलावा आप 25 मिली गुडूची रस में 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण तथा 5-6 ग्राम मधु मिला भी पी सकते हैं। इससे पुराना बुखार, सूखी खाँसी की परेशानी ठीक होती है और भूख बढ़ती है।

गुडूची काढ़ा में पिप्पली चूर्ण मिलाकर सेवन करने से बुखार की गंभीर स्थिति में लाभ होता है। बुखार के रोगी को आहार के रूप में गुडूची के पत्तों की सब्जी शाक बनाकर खानी चाहिए।
पतंजलि की गिलोय घनवटी का सेवन करने से भी लाभ होता है।

एसिडिटी की परेशानी ठीक करता है गिलोय (Giloy Cure Acidity in Hindi)

गिलोय के 10-20 मिली रस के साथ गुड़ और मिश्री के साथ सेवन करने से एसिडिटी में लाभ होता है।

गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा अथवा चटनी में 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से एसिडिटी की समस्या ठीक होती है

इसके अलावा 10-30 मिली काढ़ा में अडूसा छाल, गिलोय तथा छोटी कटोरी को बराबर भाग में लेकर आधा लीटर पानी में पकाकर काढ़ा बनायें। ठंडा होने पर 10-30 मिली काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से सूजन, सूखी खांसी, श्वास तेज चलना, बुखार तथा एसीडिटी की समस्या ठीक होती है।

कफ की बीमारी में करें गिलोय का इस्तेमाल(Giloy is Beneficial in Cure Cough in Hindi)

गिलोय को मधु के साथ सेवन करने से कफ की परेशानी से आराम मिलता है।

स्वस्थ ह्रदय के लिए गिलोय का सेवन फायदेमंद (Giloy is Beneficial for Healthy Heart)
काली मिर्च को गुनगुने जल के साथ सेवन करने से सीने का दर्द ठीक होता है। ये प्रयोग कम से कम सात दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए।

गिलोय के नुकसान (Side Effects of Giloy)

गिलोय के लाभ की तरह गिलोय के नुकसान भी हो सकते हैंः-

गिलोय डायबिटीज (मधुमेह) कम करता है। इसलिए जिन्हें कम डायबिटीज की शिकायत हो, वे गिलोय का सेवन न करें।

इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

गिलोय कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Giloy Found or Grown?)

यह भारत में सभी स्थानों पर पायी जाती है। कुमाऊँ से आसाम तक, बिहार तथा कोंकण से कर्नाटक तक गिलोय मिलती है। यह समुद्र तल से लगभग 1,000 मीटर की ऊँचाई तक पाई जाती है।

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