कैसा भी और कितना भी पुराना अल्सर हो तो उन रोगियों के लिए ये प्रयोग किसी रामबाण से कम नहीं

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अधिक मसालेदार, शराब के सेवन से या अधिक समय भूखे रहने से अक्सर पेट या आंतो में घाव पैदा हो जाते हैं। जिनको अल्सर कहा जाता हैं। दरअसल पेट में मौजूद ग्रन्थियां ऐसे तत्वों का स्त्राव करती हैं जिनसे हमारे शरीर द्वारा ग्रहण किया हुआ भोजन आसानी से पच जाता हैं। इन स्त्रावो में प्रमुख हैं हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और पेप्सिन एंजाइम। जब पेट की ग्रन्थियां इनका स्त्राव करती हैं ठीक उसी समय हमारा पेट और छोटी आंत में ड्यूडीनम कफ (म्यूकस) का स्त्राव करते हैं, जो के एसिड से आमाशय की भित्तियों की रक्षा करते हैं।

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जब पाचक रसो तथा कफ स्त्राव में असंतुलन पैदा हो जाता हैं, तो अल्सर पैदा हो जाते हैं। आयुर्वेद में इस रोग को त्रिदोषज अर्थात वायु, पित्त, एवं कफ नामक तीनो दोषो से पैदा होने वाला कहा गया हैं।

ऐसी स्थिति में हमारी रसोई में मौजूद हैं ऐसे पदार्थ जो अल्सर के रोगियों के लिए रामबाण सिद्ध होते हैं। कैसा भी और कितना भी पुराना अल्सर हो तो उन रोगियों के लिए ये प्रयोग किसी रामबाण से कम नहीं। तो आइये जाने और आगे भी शेयर करते रहे।

एलोवेरा जेल

एलो वेरा पौधे से निकाला गया गाढ़ा जूस उदर के अम्लीय स्त्रावो में कमी लाता हैं, हार्ट बर्न जैसे लक्षणों में कमी लाता हैं, पाचन तंत्र के अवयवो की सूजन को दूर करता हैं। एलो वेरा में पाये जाने वाले संकोचक गुण के कारण ये पेट आदि अवयवो से रक्तस्त्राव को रोकता हैं।

इसके सेवन की विधि

सुबह खाली पेट और रात्रि को सोते समय आखरी पेय के रूप में एक कांच के गिलास में पानी डालिये और उसमे ३० मि ली एलोवेरा जूस डालिये। अब इसको धीरे धीरे घूँट घूँट कर पी ले।

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हल्दी

हल्दी में पाया जाने वाला कर्क्युमिन नामक तत्व पाचन संस्थान को सुचारू रूप से चलाने एवं इसे स्वस्थ सबल बनाने हेतु बेजोड़ हैं। पाचन तंत्र के अवयवो को औषिधियो के दुष्प्रभावो से बचाने हेतु हल्दी का नियमित सेवन विशेष रूप से लाभ देता हैं। हल्दी के सेवन से आंतो के लाभप्रद बैक्टीरिया को पर्याप्त संरक्षण प्राप्त होता हैं। फलस्वरूप एसिड इत्यादि से पेट की भित्ति सुरक्षित रहती हैं तथा पेप्टिक अलसर की सम्भावनाये बहुत कम रह जाती हैं। इसलिए भोजन में नियमित हल्दी का सेवन करे। हल्दी आप गाय के दूध में भी डाल कर नियमित रूप से ले सकते हैं।

लहसुन

लहसुन अल्सर को पैदा करने वाले हेलीको बेक्टर पाइलोरी नामक बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकता हैं। अल्सर के रोगियों के लिए ये भी वरदान हैं। सुबह खाली पेट २ लहसुन की कलिया छील कर खानी चाहिए। और भोजन में भी इसका प्रयोग करना चाहिए।

पत्तागोभी

पत्तागोभी के रस का नियमित सेवन करने से अल्सर रोग से पीड़ित रोगी को बहुत अधिक लाभ होता हैं। ऐसा इसमें पाये जाने वाले “एमिनो एसिड ग्लूटामिन” के कारन संभव होता हैं, जो के घाव भरने में विलक्षण क्षमता रखता हैं। इस से अल्सर ही नहीं वरन कोलायटिस और कैंसर जैसी मारक बीमारियो में भी बहुत बहुत फायदा होता हैं।

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