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गजकेसरी योग में हुई हिंदू नववर्ष की शुरुआत, इन 3 राशियों को पूरे साल होगा धन लाभ

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‘विक्रम संवत 2080’ यानी हिंदू नववर्ष शुरू हो चुका है. हिंदू नववर्ष की शुरुआत कई शुभ संयोगों के साथ हो रही है. ज्योतिषियों का कहना है कि न्याय देव शनि और देव गुरु बृहस्पति स्वराशि में विराजमान हैं. शनि का मंगल और केतु दोनों के साथ नवपंचम राजयोग बना हुआ है. मीन राशि में सूर्य-बुध की युति बुधादित्य योग का निर्माण कर रही है. जबकि गुरु-चंद्रमा मिलकर गजकेसरी योग का निर्माण कर रहे हैं. ऐसे में ग्रहों की स्थिति तीन राशियों को लाभ मिलने का संकेत दे रही है.

वृषभ राशि

वृष राशि के एकादश भाव में गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है. ग्रहों की स्थिति आपके आर्थिक मोर्चे पर बलवान होने की तरफ इशारा कर रही है. निवेश करने के लिए समय बेहद अनुकूल है. आपको प्रत्येक कार्यों में पूरी सफलता मिलेगी. कार्य स्थल पर आपके काम की खूब वाहवाही होगी. दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों का पूर्ण सहयोग मिलेगा. नया घर घरीद सकते हैं.

तुला राशि

हिंदू नववर्ष आपके भाग्य की वृद्धि कर सकता है. आर्थिक मोर्चे पर लाभ होगा. रुपए-पैसे की तंगी खत्म होगी. जरूरी लक्ष्यों को पाने में कामयाब होंगे. ग्रहों के दुष्प्रभाव से जो काम बिगड़ रहे थे, वो अब संवरते नजर आ सकते हैं. पेशेवर जीवन में शत्रु हावी नहीं हो पाएंगे. पिता के पूर्ण सहयोग से सफलता मिलेगी. उच्च शिक्षा में आ रही बाधाएं अब दूर होने वाली हैं. शिक्षा के क्षेत्र में आपकी तरक्की और सम्मान दोनों मिलेंगे. भाई-बहन के साथ रिश्ते बेहत होंगे.

मीन राशि

हिंदू नववर्ष कई मायनों में आपके लिए शुभ साबित हो सकता है. ग्रहों की स्थिति नव संवत में आपके आत्मसम्मान में वृद्धि होने की तरफ इशारा कर रही है. लक्ष्यों को पाने में सफलता प्राप्त करेंगे. खर्चे थोड़े बढ़े रहेंगे, लेकिन आय के स्रोतों से पर्याप्त धन भी आता रहेगा. संतान की एकाग्रता बेहतर होगी. शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे परिणाम मिलेंगे. सरकारी नौकरी की तैयारी में जुटे छात्रों को इस वर्ष शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है.

क्यों खास है विक्रम संवत 2080?

ज्योतिषिविदों के अनुसार, विक्रम संवत 2080 को ‘पिंगल’ नाम से जाना जाएगा. इस नववर्ष के राजा बुध होंगे और मंत्री की भूमिका में शुक्र ग्रह रहेगा. संवत के राजा बुध होने से व्यापारी वर्ग को अपने कारोबार में उन्नति मिलेगी. आय में बढ़ोतरी हो सकती है. नए व्यापार फलेंगे-फूलेंगे. जबकि संवत का मंत्री शुक्र के होने से महिलाओं का प्रभाव बढ़ेगा. फैशन, फिल्मी उद्योग ,मनोरंजन के क्षेत्र से जुड़े लोगों को अधिक लाभ मिलेगा. इनकी कार्यशैली में निखार आएगा.

नवरात्रि में आखिर क्यों जलाते हैं अखंड ज्योति? जान लें इसका महत्व और नियम

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चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 यानी आज से प्रारंभ हो चुकी है. साथ ही आज से हिंदू नव संवत्सर 2080 की भी शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि में पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा उपासना की जाती है. हर साल नवरात्रि पर माता रानी का आगमन विशेष वाहन पर होता है, जिसका महत्व बेहद खास है. इस साल नवरात्रि पर माता रानी नौका में सवार होकर आई हैं. नवरात्रि में मां दुर्गा के सामने अखंड ज्योति प्रज्जवलित की जाती है. बता दें कि नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति के कुछ नियम भी होते हैं. अगर उन नियमों का पालन किया जाए तो माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

अखंड ज्योति का महत्व 

मान्यताओं के अनुसार, घरों में कलश स्थापना के बाद अखंड ज्योति प्रज्जवलित की जाती है. अखंड ज्योति का मतलब है ऐसी ज्योति जो खंडित ना हो. अखंड ज्योति से घर में खुशहाली आती है और माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. बताया जाता है कि नवरात्रि में अखंड ज्योति का बुझना अशुभ होता है. समय-समय पर दीपक में तेल डालना होता है और उसे हवा से बचाकर रखना होता है.

अखंड ज्योति के नियम 

नवरात्रि में अखंड ज्योति प्रज्वलित का पहला नियम यह है कि ज्योति की देखरेख के लिए कोई ना कोई उसके पास जरूर होना चाहिए. ज्योति प्रज्वलित का मतलब होता है कि नौ दिन मां आपके घर में विराजमान हैं. अखंड ज्योति प्रज्जवलित करने से पहले मां की आराधना करें. ज्योति प्रज्जवलित करने के लिए कलश या फिर चौकी का प्रयोग करें.

अगर चौकी पर ज्योति प्रज्जवलित कर रहे हैं तो उस पर लाल कपड़ा बिछाएं और अगर कलश के ऊपर ज्योति प्रज्जवलित कर रहे हैं तो उसके नीचे गेहूं रखें. अखंड ज्योति की ज्योत को रक्षासूत्र से बनाना सही माना जाता है. ज्योत जलाने के लिए घी या सरसों-तिल के तेल का प्रयोग कर सकते हैं. अखंड ज्योति को मां दुर्गा के दाईं ओर रखना चाहिए. बताया जाता है कि अगर दीप में सरसों का तेल डाला गया है तो उसे बाईं ओर रखना चाहिए.

अखंड ज्योति प्रज्जवलित करने से पहले भगवान गणेश, मां दुर्गा की आराधना करें और मां दुर्गा मंत्र ‘ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते’ का जाप करें. अखंड ज्योति को हवा से बचाकर रखें और ध्यान रखें कि अखंड ज्योति नौ दिन तक किसी भी हालत में बुझना नहीं चाहिए. जैसे ही दीपक में घी या तेल कम हो तुरंत डाल दें. नौ दिन बाद दीपक को बुझाएं नहीं बल्कि उसे खुद ही बुझने दें. अगर इस नियम से आप घर में अखंड ज्योत जलाते हैं तो मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में खुशहाली आती है.

इन 5 राशियों के लिए बेहद लकी चैत्र नवरात्रि, मां दुर्गा की होगी कृपा, बरसेगा धन

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नवरात्रि इस बार 22 मार्च से शुरू होने जा रही है और 30 मार्च तक नवरात्रि का समापन होगा. चैत्र माह की प्रतिपदा से नवरात्रि की शुरुआत होगी. नवरात्रि से ही विक्रम संवत 2080 की शुरुआत भी होने जा रही है. वहीं, इस बार नवरात्रि पर 110 वर्षों बाद ये महासंयोग बनने जा रहा है. जिसमें पूरे 9 दिन का नवरात्रि पर्व इस बार मनाया जाएगा. वहीं मां दुर्गा इस बार नौका पर सवार होकर आएंगी. ऐसे में इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का महत्व अपने आप में कई गुना बढ़ जाएगा. आइए जानते हैं ये चैत्र नवरात्रि सभी राशियों के लिए कैसी रहने वाली है.

मेष

नव संवत्सर का आरंभ और शक्तिपर्व नवरात्र का प्रभाव आपके जीवन में आस्था अध्यात्म का संचार बढ़ाएगा. धार्मिक यात्राओं के योग बनेंगे. सूचना संवाद संपर्क को बढ़ावा मिलेगा. सामाजिक गतिविधियां बढ़ेंगी. साहस से लक्ष्य साधने का प्रयास रहेगा. सुख वैभव और बुद्धि विकास की राह पर अग्रसर रहेंगे. महत्वपूर्ण कार्य पक्ष में बनेंगे. व्यक्तित्व और प्रबंधन को बल मिलेगा. कामकाज से जुड़े मामले हल होंगे. जिम्मेदारी पूर्ण व्यवहार रखेंगे. आर्थिक कार्यों में तेजी आएगी. अवसर की अधिकता बनी रहेगी. प्रेम स्नेह और मित्र संबंधों में वृद्धि होगी. प्रतिस्पर्धा और परिश्रम बनाए रखेंगे.

वृष

चैत्र नवरात्रि काल देवी मां की कृपा से जीवन में मंगलकामनाओं को बढ़ाने वाला है. धनधान्य की प्रचुरता बनी रहेगी. सभी क्षेत्रों में प्रदर्शन बेहतर रहेगा. कुल परिवार में हर्ष आनंद बढ़ेगा. अपनों से शुभ सूचनाएं प्राप्त होंगी. साहस पराक्रम से जगह बनाएंगे. सुख सौख्य और भव्यता में वृद्धि होगी. शुभ संदेशों का आदान प्रदान बढ़ेगा. उम्मीद से अच्छे परिणाम बनेंगे. पारिवारिक संबंध संवरेंगे. भौतिक वस्तुओं एवं भवन वाहन की अभिलाषा बल पाएगी. शिक्षा संस्कारों में बढ़त बनी रहेगी. मित्र और प्रियजन सहयोगी होंगे. योजनाओं पर अमल बढ़ाएंगे. आत्मविश्वास बढ़ेगा. परिणाम संवरेंगे.

मिथुन

देवी मां की शक्ति साधना का पर्व नवरात्रि मिथुन राशि के लिए श्रेष्ठ फलों की द्योतक है. परंपरा संस्कार साहस और आस्था को बल मिलेगा. नवीन शुरुआत कर सकते है. भवन वाहन के मामले पक्ष में बनेंगे. अपनों से करीबी होगी. बंधुजनों का सहयोग मिलेगा. अड़चनें दूर होंगी. प्रशासन प्रबंधन पर जोर देंगे. सक्रियता बनाए रखेंगे. बड़ा सोचें. रचनात्मक कार्यों से जुड़ेंगे. व्यक्तिगत प्रयासों में आगे रहेंगे. मांगलिक आयोजनों में शामिल होंगे. रक्त संबंध संवरेंगे. संग्रह संरक्षण पर जोर रहेगा. साख सम्मान बढे़गा. संपर्कों का लाभ उठाएंगे. वाणी व्यवहार में मिठास रखेंगे. आत्म अनुशासन बढ़ाएंगे.

कर्क

नवरात्रि काल कर्क राशि के लिए उत्तरोतर शुभता बढ़ाने वाला है. धार्मिक यात्रा होगी. दान धर्म में रुचि बढ़ेगी. लंबित योजनाओं में गति पाएंगी. सेहत एवं व्यक्तित्व संवार पर रहेगा. निसंकोच आगे बढ़ते रहेंगे. खानपान सात्विक रखेंगे. भावनाओं पर नियंत्रण बढ़ेगा. रचनात्मक कार्यों को बल मिलेगा. अप्रत्याशित सफलता की संभावना बल पाएगी. महत्वपूर्ण कार्यों को समय देंगे. नीति नियमों का सम्मान बना रहेगा. बचत बैंकिंग के कार्य सधेंगे. इच्छित प्रस्ताव मिलेंगे. शुभ सूचनाएं पाएंगे. भाईचारा और विश्व बंधुत्व का भावना बढ़ेगी. भाग्यबल बढ़त पर रहेगा. परंपरागत कार्यों में रुचि लेंगे.

सिंह

देवी मां की कृपा बने रहने का समय है. आर्थिक लाभ में वृद्धि होगी. निवेश योजनाओं पर विचार करेंगे. लक्ष्यों पर ध्यान देंगे. प्रयासों को गति मिलेगी. पेशेवरता और श्रमशीलता बढ़ेगी. साहस पराक्रम बना रहेगा. अवरोध स्वतः दूर होंगे. अनुकूलता का स्तर बढ़त पर रहेगा. साख सम्मान पर फोकस बढ़ेगा. सेहत एवं व्यक्तित्व संवार पर रहेगा. आकस्मिकता से बचने के लिए अनुशासन बढ़ाएंगे. खानपान सात्विक रखेंगे. सेवाक्षेत्र से जुड़े जन प्रभावी रहेंगे. रिश्तों में सामंजस्य बढ़ेगा. दान धर्म में रुचि रखेंगे. दूर देश के मामले संवरेंगे. व्यर्थ वार्तालाप से बचें. धूर्त लोगों से दूर रहें. आस्था बढ़ाएं.

कन्या

पराम्बा भगवती की पूजा का पर्व नवरात्रि जीवन में स्थिरता और भरोसा बढ़ाता आया है. शासन प्रशासन प्रबंधन और पैतृक कार्यों को गति मिलेगी. करियर कारोबार में सुधार होगा. मनोबल ऊंचा रहेगा. सबके प्रति सहयोग का भाव रखेंगे. लाभ बेहतर बना रहेगा. आर्थिक उन्नति के अवसर मिलेंगे. प्रतिस्पर्धा में अच्छा करेंगे. महत्वपूर्ण कार्यों को संवार मिलेगी. मित्रवर्ग मददगार रहेगा. भ्रमण मनोरंजन के मौके मिलेंगे. शुभ कार्यों में खर्च निवेश बढ़ा हुआ रहेगा. दान का भाव रहेगा. सभी से समभाव और प्रेम बनाए रखेंगे. कामकाज में ढिलाई से बचें. लेन देन में स्पष्ट रहें. फोकस बढ़ाएं.

तुला

सम्पूर्ण नवरात्रि देवी मां की कृपा बरसती रहेगी. भाग्यवृद्धि और नवीन शुरुआत का समय है. आस्था आत्मविश्वास और सहयोग की भावना से तेजी से आगे बढ़ेंगे. नईं ऊंचाइयां छुएंगे. महत्वपूर्ण प्रयासों में गति आएगी. परस्पर विश्वास बनाए रखेंगे. जिम्मेदारियों को पूरा करेंगे. व्यक्तिगत मामलों में प्रभावी रहेंगे. करियर व्यापार में वरिष्ठों समकक्षों का सहयोग मिलेगा. लाभ, प्रबंधन और प्रशासन के मामले पक्ष में रहेंगे. संबंध बेहतर होंगे. भेंट के अवसर बन सकते हैं. मित्र सहयोगी होंगे. उत्साह बनाए रखेंगे. दीर्घकालिक योजनाएं आकार लेंगी. फोकस रखेंगे. सबका साथ मिलेगा. बड़प्पन रखेंगे.

वृश्चिक

आस्था विश्वास और शक्ति संचय का पर्व नवरात्रि का वृश्चिक राशि के लिए शुभता में उत्तरोत्तर वृद्धि करने वाला है. व्रत संकल्प और साधना के साथ स्वास्थ्य के प्रति सजगता बढ़ाएंगे. अप्रत्याशित सफलता के संकेत हैं. आकर्षक अवसर बढ़ेंगे. साहस पराक्रम से जगह बनाएंगे. अध्यात्मिक बल पाएंगे. धार्मिक मनोरंजक यात्राएं होंगी. कार्य अवरोध स्वतः हल होंगे. कार्य व्यापार में शुभता बढ़ेगी. तैयारी से आगे बढ़ेंगे. नीति नियम निरंतरता बनाए रखेंगे. तीर्थ जा सकते हैं. विविध परिणाम अच्छे रहेंगे. वरिष्ठों का साथ मिलेगा. लाभ और निवेश के मौके बढ़ेंगे. जल्दबाजी में न आएं.

धनु

मां की मेहरबानियां बहुरूपों से बरसती रहेगी. घर परिवार में सुख सौख्य सुविधाओं कों बल मिलेगा. साझीदारी में सक्रियता दिखाएंगे. अपेक्षा से अच्छे परिणाम बनेंगे. भाग्य की प्रबलता से कार्य सधेंगे. सहकारी प्रयासों में तेजी आएगी. नेतृत्व संवरेगा. सबको जोड़कर चलेंगे. स्वास्थ्य के प्रति सजगता रखें. व्रत संकल्पों की सावधानियों को बनाए रखें. शुभता का संचार रहेगा. धर्म संस्कृति को बल मिलेगा. बड़ों के प्रति आदर और सम्मान का भाव रखेंगे. सामाजिक सरोकारों से जुड़ेंगे. बंधुत्व को बल मिलेगा. परिवार से करीबी बनेगी. जिद जल्दबाजी और अतिसंवेदनशीलता से बचें.

मकर

आदिशक्ति की साधना का पर्व चैत्र नवरात्रि का समय साहस समन्वय और मेहनत से बड़ी सफलताओं को देने वाला है. पेशेवरता और कर्मठता के साथ मजबूती से आगे बढ़ेंगे. आर्थिक सावधानी बनाए रखेंगे. साझेदारी से कार्य सधेंगे. साख और प्रभाव बेहतर बना रहेगा. स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें. अपनों से उपलब्धियों को साझा करेंगे. निजी जीवन आनंद से बीतेगा. रहन सहन उम्दा रहेगा. आत्मविश्वास और व्यवस्था को बल मिलेगा. बड़ो की सीख सलाह की अनदेखी न करें. सुखद यात्रा संभव है. अप्रत्याशित लाभ की स्थिति बनेगी. गहन परीक्षाओं का सहजता से सामना करेंगे. सफल होंगे.

कुंभ

देवी मां के आशीषों से कुंभ राशि के व्यक्ति अभिभूत होंगे. अपनों के साथ भ्रमण मनोरंजन के मौके बनेंगे. प्रियजनों से करीबी बढ़ेगी. मित्रों से मेलजोल बेहतर होगा. सभी क्षेत्रो में सहजता से आगे बढ़ते रहेंगे. अतिश्रम से बचें. स्मार्ट वर्किंग पर जोर दें. शुभकार्यों में खर्च और निवेश बढ़ाएंगे. लेन देन में स्पष्टता रखेंगे. पेशेवरता को बल मिलेगा. दाम्पत्य में मधुरता बढ़ेगी. साझा अवसरों का लाभ उठाएंगे. महत्वपूर्ण लोगों से संबंध संवरेंगे. धैर्य और नेतृत्व बनाए रखेंगे. बंधुत्व को बल मिलेगा. करीबी उपलब्धि अर्जित करेंगे. स्थायित्व बढ़ेगा. भूमि भवन के मामले पक्ष में बनेंगे. उत्साह से कार्य करते रहेंगे.

मीन

देवी मां की कृपा से निजी और पेशेवर सभी क्षेत्रों में सफलता का परचम बुलंद रहेगा. कुल कुटुम्ब से करीबी रहेगी. धन संपत्ति के मामले पक्ष में बनेंगे. सुविधा संसाधनों में वृद्धि होगी. व्यक्तिगत उपलब्धियों को बढ़ावा मिलेगा. कार्य व्यापार में आकर्षक अवसर बने रहेंगे. आय और प्रभाव में वृद्धि होगी. रिश्तों को संवारेंगे. व्यवस्था को महत्व देंगे. सेहत और व्यक्तित्व पर ध्यान देंगे. व्रत संकल्प पूरी श्रद्धा और विश्वास से निभाएंगे. सतर्कता से काम लेंगे. अफवाहों से बचेंगे. मेहनत पर भरोसा रखेंगे. सबको साथ लेकर चलेंगे. जिम्मेदारी का भाव बढ़ेगा. खुशियों को साझा करेंगे. सुखकर प्रस्ताव मिलेंगे.

सफला एकादशी पर बन रहे शुभ संयोग, तुला समेत 4 राशियों को होगा फायदा

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सनातन धर्म में एकादशी को बड़ा ही महत्वपूर्ण माना जाता है. साल में लगभग 24 एकादशी आती है. पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी कहा जाता है. ये साल की आखिरी एकादशी है. इस बार सफला एकादशी 19 दिसंबर 2022, सोमवार को पड़ रही है. सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि सफला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध और सफल हो जाते हैं. इसके अलावा इस दिन का व्रत यदि सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाए तो व्यक्ति की समस्त इच्छाएं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही इस बार सफला एकादशी पर एक साथ 3 योगों का निर्माण हो रहा है बुधादित्य योग, लक्ष्मी नारायण योग और त्रिग्रही योग. जिससे कुछ सफला एकादशी के दिन कुछ राशियों की किस्मत चमकेगी. आइए जानते हैं कि उन राशियों के बारे में.

1. वृषभ राशि

सफला एकादशी के दिन बन रहे 3 शुभ योगों की वजह से वृषभ राशि वालों को बंपर लाभ होगा. पार्टनरशिप से वृषभ राशि वालों को लाभ होगा. करियर के क्षेत्र में बेहतर परिणाम प्राप्त होगा. खर्चों पर नियंत्रण रहेगा. रुके हुए काम पूरे हो जाएंगे. सेहत में भी सुधार होगा. आर्थिक लाभ होगा.

2. सिंह राशि

इन 3 योगों के कारण सिंह राशि वालों के समय अच्छा रहने वाला है. आय में वृद्धि होगी. कार्यक्षेत्र में सहकर्मियों का सहयोग प्राप्त होगा. शत्रुओं का सामना कर पाएंगे. हर क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे. जो लोग शेयर मार्केटिंग में निवेश की सोच रहे हैं उनको भी लाभ होगा.

3. तुला राशि

सफला एकादशी पर बन रहा लक्ष्मी नारायण योग तुला राशि वालों के लिए काफी शुभ रहने वाला है. जिससे धन में वृद्धि होगी. काफी समय से चल रही बीमारी ठीक हो जाएगी. खर्चे कंट्रोल में रहेंगे जिससे आर्थिक लाभ होगा. नए क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे. इस समय पदौन्नती के संयोग भी बन रहे हैं.

4. धनु राशि

एकादशी के दिन बन रहा बुधादित्य योग धनु राशि के लोगों को बंपर लाभ देगा. इस समय जो लोग निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए ये समय लाभकारी होगा. कार्यक्षेत्र में तरक्की के योग बन रहे हैं. उच्चाधिकारियों और सहकर्मियों का सहयोग भी प्राप्त होगा. इस समय लेनदेन से सतर्क रहें. अपने शत्रुओं से भी सावधान रहें.

मेष, वृष, मिथुन राशि के लिए कैसा रहेगा 2023? जानें किसकी चमकेगी किस्मत

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साल 2023 का आगाज होने वाला है. ज्योतिष गणना के अनुसार, साल 2023 का अंक 7 है, जो कि केतु का अंक माना जाता है. धर्म, रिलेशनशिप, हेल्थ, एजुकेशन और क्रिएटिव फील्ड में काम करने वालों के लिए यह साल बहुत खास रहने वाला है. आइए आज आपको बताते हैं कि साल 2023 मेष, वृषभ और मिथुन राशि के जातकों के लिए कैसा रहेगा.

मेष राशि

मेष राशि वालों को रिलेशनशशिप के मामले में थोड़ा धैर्य बनाए रखने की जरूरत होगी. पार्टनर के साथ नोंक-झोंक का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि आर्थिक मोर्चे पर आपको खूब लाभ मिलेगा. पैतृक संपत्ति से भी लाभ होगा. लेकिन बड़ा निवेश करने से पहले शुभचिंतकों का राय जरूर लें. वहीं, हेल्थ के मामले में आपको थोड़ा सतर्क रहना होगा. अगर आप अपनी सेहत पर ध्यान देंगे, तभी स्वस्थ रह पाएंगे.

वृषभ राशि

साल 2023 में रिलेशनशिप के मामले में वृषभ राशि वालों को थोड़ा संभलकर रहना होगा. पार्टनर को लेकर आपके मन में गलतफहमियां आ सकती हैं. अपने पार्टनर की भावनाओं का सम्मान करें और उन पर भरोसा दिखाएं. आर्थिक मामलों में यह साल आपके लिए बहुत ही लकी साबित होने वाला है. विदेश जाने का सपना पूरा हो सकता है. धन-संपत्ति से जुड़े मामले भी पक्ष में ही रहेंगे. सफलता पाने के लिए नए अवसर भी आपके हाथ लग सकते हैं. छात्रों के लिए ये साल बहुत ही बेहतरीन रह सकता है. सरकारी नौकरी की तैयार में जुटे लोगों को भी फायदा मिलेगा. सेहत भी अच्छी रहेगी.

मिथुन राशि

रिलेशनशिप के मामले में यह साल आपके लिए बड़ा ही बेहतरीन साबित हो सकता है. इस साल सिंगल लोगों का विवाह होने की संभावनाएं ज्यादा हैं. शादीशुदा लोगों का दांपत्य जीवन भी खुशहाल रहेगा. इस राशि की महिला जातकों को आर्थिक मोर्चे पर बहुत लाभ मिलेगा. क्रिएटिव फील्ड या किसी व्यापार से जुड़ी महिलाओं को भी खूभ फायदा होगा.

मिथुन राशि की जिन महिलाओं का मूलांक 5 या 7 है, उनके लिए ये साल अच्छा गुजरेगा. विद्यार्थियों को इस साल थोड़ा संयम बरतना होगा. शायद आपको अपनी मेहनत का पर्याप्त फल न मिल पाए, लेकिन आपके लिए अवसरों की कोई कमी नहीं रहेगी. स्वास्थ्य के मामले में थोड़ा सावधान रहने की सलाह दी जाती है.

साल का अंतिम प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि एक ही दिन, उत्तम संयोग में होगी पूजा

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साल 2022 का आखिरी प्रदोष व्रत 21 दिसंबर को पड़ रहा है, जो कि बेहद खास रहने वाला है. पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि दोनों एकसाथ पड़ रहे हैं. ये दोनों ही दिन भगवान शिव को समर्पित हैं. इसलिए इस दिन भोलेनाथ की पूजा से मनचाहे फल की प्राप्ति हो सकती है. आइए आपको इसकी पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में बताते हैं.

शुभ योग

प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि दोनों सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग में मनाए जाएंगे. खास बात यह है कि ये दोनों ही योग एक ही समय में लग रहे हैं. सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग 21 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 33 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 22 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 33 मिनट तक रहने वाले हैं. पूजा-पाठ जैसे कार्यों के लिए ये दोनों ही योग बहुत शुभ माने जाते हैं. सर्वार्थ सिद्धि योग में पूजा-पाठ का फल दोगुना मिलता है, जबकि अमृत सिद्धि योग में व्रत व पूजा से अमृत के समान फल प्राप्त होता है.

बुध प्रदोष व्रत का महत्व

साल का आखिरी प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़ रहा है. बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है. बुध प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ-साथ उनके पूरे परिवार का आशीर्वाद पाया जा सकता है. किसी भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व शुरू होकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है. यह व्रत करके जीवन में धन की वृद्धि की जा सकती है और सभी रोग, शोक, कलह, क्लेश हमेशा के लिए नष्ट किए जा सकते हैं.

बुध प्रदोष के उपाय

बुध प्रदोष के दिन घर के बड़े-बुजुर्ग अपने घर के बच्चों के हाथ से जरूरतमंद बच्चों को मिठाई और हरी वस्तुओं का दान कराएं. प्रदोष व्रत के दिन 5 सुपारी, 5 इलायची और 5 मोदक भगवान गणेश को अर्पित करें. भगवान गणेश के सामने घी का दीया जलाएं और ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का एक माला-जाप आसन पर बैठ कर करें. ऐसा लगातार तीन दिन तक करने से घर में धन धान्य की वृद्धि होगी. पूजा के बाद मोदक बच्चों को बांट दें.

कब है साल की आखिरी सफला एकादशी? जानें महत्व, मुहूर्त और नियम

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9 दिसंबर 2022 से पौष माह की शुरुआत हो रही है. इसी माह में साल की आखिरी एकादशी यानी की पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत किया जाएगा. इसे सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि सफला एकादशी का व्रत अपने नाम स्वरूप फल प्रदान करता है इसके प्रभाव से हर कार्य सफल हो जाते हैं. श्रीहरि विष्णु की कृपा से तमाम अधूरी इच्छाएं पूर्ण होती है. सफला एकादशी का व्रत इस साल 19 दिसंबर 2022 को है.

सफला एकादशी का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष सफला एकादशी 19 दिसंबर को सुबह 03 बजकर 32 मिनट से लेकर 20 दिसंबर को देर रात 02 बजकर 32 मिनट तक रहने वाली है. सफला एकादशी का व्रत 19 दिसंबर दिन सोमवार को रखा जाएगा और इसका पारण 20 दिसंबर की सुबह को किया जाएगा.

सफला एकादशी के नियम

चावल से परहेज

एकादशी के व्रत में कभी भी चावल नहीं खाना चाहिए. ऐसा कहते हैं कि एकादशी पर चावल खाने वालों को अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेना पड़ता है.

तुलसी को जल ना चढ़ाएं

एकादशी के दिन तुलसी को जल अर्पित करने से बचना चाहिए. ऐसी मान्यताएं हैं कि एकादशी पर खुद तुलसी का भी निर्जला उपवास होता है. इसलिए उन्हें पानी देने की भूल ना करें.

बुरे विचारों से दूर

एकादशी का व्रत तभी सफल माना जाता है जब साधक के मन में कोई बुरा विचार ना आए. अपने मन-मस्तिष्क को शुद्ध बनाए रखें. किसी का अपमान ना करें. किसी को अपशब्द ना कहें. झूठ ना बोलें और पीठ पीछे किसी की बुराई ना करें.

चारपाई पर आराम

एकादशी के दिन पलंग, चारपाई या सोफे पर सोने से बचना चाहिए. इस दिन हमेशा जमीन पर बिस्तर डालकर आराम करें. साथ ही दिन के वक्त नींद लेने से बचें. बेहतर होगा कि इस समय आप श्री हरि के मंत्रों का जाप करें.

शराब मांस से दूरी

यदि आपने एकादशी का व्रत नहीं रखा है, तब भी कुछ बातों का विशेष ख्याल रखें. इस दिन मांस ना खाएं. तामसिक भोजन की जगह सात्विक आहार लें. मदिरा पान से भी परहेज करें.

इस दिन से लगने जा रहा है खरमास, जानें किन शुभ कार्यों पर रहेगी रोक

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हिंदू धर्म में मांगलिक कार्य करने से पहले शुभ मुहूर्त सूर्य की चाल पर भी जरूर ध्यान दिया जाता है. साल में कुछ तिथि और दिन ऐसे होते हैं जिनमें शुभ काम करना वर्जित माना गया है. इन्हीं में से एक है खरमास. शास्त्रों के अनुसार खरमास में विवाह, जनेऊ संस्कार, नामकरण संस्कार, मुंडन, गृह प्रेवश, भूमि पूजन जैसे शुभ काम करने की मनाही है. साल 2022 के आखिरी माह में खरमास लगने जा रहा है, ऐसे में जरूरी मांगलिक कार्य इससे पहले ही निपटा लें. आइए जानते हैं दिसंबर में खरमास कब से शुरू होगा और कब है इसका समापन.

खरमास में क्यों बंद किए जाते हैं मांगलिक कार्य

जब सूर्य देव बृहस्पति राशि में प्रवेश करते हैं तो उनका बल कमजोर हो जाता है. इस कारण से इस समय कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. साल में दो बार खरमास लगता है. एक बार जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं और दूसरा जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं. 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक सूर्य धनु राशि में विराजमान रहेंगे.

खरमास का समय

खरमास की तिथि 16 दिसंबर से शुरू होकर 14 जनवरी तक चलेगा. 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे तो उस दिन से मांगलिक कार्य फिर से किए जा सकेंगे.

खरमास में न करें ये काम

  • खरमास के दौरान, मांगलिक कार्यों की मनाही होती है. इसलिए इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य न करें।
  • खरमास में बेटी या बहू की विदाई नहीं करनी चाहिए।
  • खरमास के दौरान गाजर, विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे संस्कारों के अलावा खरमास में नया वाहन, घर, प्लाट, रत्न-आभूषण और वस्त्र आदि नहीं खरीदना चाहिए।
  • इस दौरान गाजर, मूली, तेल, चावल, तिल, बथुआ, मूंग, सोंठ और आंवला का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • शास्त्रों के अनुसार, खरमास की अवधि के दौरान तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। इस समय लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।

खरमास के दौरान इन नियमों का रखें ध्यान

  • खरमास में सूर्य उपासना का बहुत महत्व होता है, इस दौरान प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।
  • खरमास के दौरान चारपाई या पलंग का त्याग कर भूमि पर बिस्तर लगाकर शयन करना चाहिए।
  • खरमास की अवधि में थाली की बजाए पत्तल में भोजन करना उत्तम रहता है।
  • ये माह आराधना और जप, उपवास आदि के लिए शुभ माना जाता है।
  • अपने में पूरी तरह से शुद्धता बनाए रखें, मन में किसी के प्रति बुरी भावना लाने से बचें।
  • खरमास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करना भी बेहद शुभ रहता है।
  • इसके अलावा खरमास में नियमित रूप से तुलसी पूजन भी करना चाहिए।

साल बीतने से पहले 3 राशियों को मालामाल कर जाएगा शुक्र

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साल 2022 के आखिरी महीने दिसंबर में शुक्र का दो बार गोचर होने वाला है. 5 दिसंबर शाम करीब 6 बजे शुक्र धनु राशि में प्रवेश करेंगे. इसके बाद 29 दिसंबर को शुक्र धनु से मकर राशि में गोचर कर जाएंगे. ऐसे में साल के आखिर में शुक्र के दो राशि परिवर्तन तीन राशि के जातकों को मालामाल बना सकती है. आइए जानते हैं कि साल के आखिर में शुक्र के दो बार गोचर से किन तीन राशि के जातकों को लाभ मिलेगा.

सिंह राशि

दिसंबर में होने वाले शुक्र ग्रह के दो गोचर सिंह राशि के लिए लाभकारी साबित होंगे. इस दौरान सिंह राशि वालों के प्रेम और वैवाहिक जीवन में सुधार देखने को मिलेगा. रिश्तों में शांति और प्रेम बना रहेगा. संतान की तरफ से भी खुशखबरी मिल सकती है. उन्हें शिक्षा या करियर के क्षेत्र में कोई बड़ी उपलब्धि हासिल हो सकती है. यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और कड़ी मेहनत कर रहे हैं तो निश्चित ही आपको सफलता मिल सकती है.

वृश्चिक राशि

शुक्र गोचर के दौरान वृश्चिक जातकों के लिए समय शानदार रहेगा. इस अवधि में आय के स्त्रोतों में बढ़ोतरी होने से आप पर्याप्त मात्रा में धन की बचत करने में सक्षम होंगे. साथ ही, अगर आपका कोई काम किसी कारण की वजह से रुक गया है तो अब वे कार्य दोबारा शुरू हो जाएगा और पूरा भी. आपको खर्चों और आय के बीच संतुलन बिठाना होगा जिससे आप वित्तीय स्थिरता प्राप्त कर सकें.

कुंभ राशि

कुंभ उन 3 भाग्यशाली राशियों में से एक है जिन्हें शुक्र के दोहरे गोचर से लाभ मिलेगा. यह समय बचत के लिए श्रेष्ठ होगा और आप धन बचाने में सक्षम होंगे. आय में बढ़ोतरी से वित्तीय स्थिरता की प्राप्ति होगी. कर्जों से मुक्ति मिलेगी. खर्चों से भी राहत पाएंगे. इसके अलावा, इस दौरान आपके घर में कोई शुभ या मांगलिक कार्य भी संपन्न होने की संभावना है, जिससे घर-परिवार और सदस्यों के बीच हंसी-खुशी और शांति का माहौल बना रहेगा.

अन्नपूर्णा जयंती 08 दिसंबर को, इस दिन भूलकर भी न करें ये 5 काम

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हर साल मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर माता पार्वती का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था. इसलिए इस दिन इनकी पूजा करने से घर में कभी धनधान्य की कमी नहीं रहती है. अन्नपूर्णा जयंती के दिन लोग अपने रसोई घर की सफाई करते हैं और देवी की उपासना करते हैं. इस साल अन्नपूर्णा जयंती का व्रत गुरुवार, 08 दिसंबर 2022 को रखा जाएगा. अन्नपूर्णा जयंती के दिन कुछ खास काम करने से भी बचना चाहिए.

अन्नपूर्णा जयंती का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, अन्नपूर्णा जयंती 07 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 01 मिनट से लेकर 08 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 37 मिनट तक रहने वाला है. अन्नपूर्णा जयंती 8 दिसंबर 2022 को मनाई जाएगी.

अन्नपूर्णा जंयती पर क्या न करें

तामसिक भोजन

अन्नपूर्णा जंयती के दिन घर में किसी भी रूप से तामसिक भोजन न तो बनाएं और न हीं खाएं. इस दिन दिन घर के भोजन में प्याज और लहसुन का प्रयोग बिल्कुल भी न करें. ऐसा करने से मां अन्नपूर्ण रुष्ट हो सकती हैं. आपको इसके बड़े नुकसान उठाने पड़ सकते हैं.

अन्न का अपमान

अन्नपूर्णा जंयती के दिन किसी भी रूप से अन्न का अपमान न करें. ऐसा कहते हैं कि इस दिन जो इंसान अन्न का अपमान करता है, उसके घर में अन्न, धन के भंडार हमेशा खाली रहते हैं.

साफ सफाई

अन्नपूर्णा जयंती के दिन अपने घर की रसोई को बिल्कुल गंदा न रखें. इस दिन सवेरे सवेरे स्नानादि के बाद रसोई की अच्छी तरह साफ सफाई करें और मां अन्नपूर्णा की पूजा के बाद ही रसोई में भोजन पकाना प्रारंभ करें.

घर आए लोगों का अपमान

अन्नपूर्णा जंयती के दिन घर आए किसी भी व्यक्ति का अपमान न करें. इस दिन उसे अपने घर से भोजन कराकर ही भेजें. यदि आपके घर कोई भिक्षु आया है तो उशे खाली हाथ बिल्कुल न भेजें. उन्हें खाने या उपयोग होने वाली कोई चीज अवश्य दान करें.

नमक का दान न करें

अन्नपूर्णा जयंती के दिन दान-धर्म के कार्य करना बहुत शुभ माना जाता है. लेकिन इस दिन घर की रसोई से एक चीज किसी को न तो दान करनी चाहिए और न ही इस्तेमाल के लिए देनी चाहिए. ऐसा कहते हैं कि घर में रखा नमक न तो किसी को दान करना चाहिए और न ही किसी इस्तेमाल करने के लिए देना चाहिए.

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