7 चमत्कारी पौधे जो हैं औषधीय गुणों से भरपूर, जानें किस रोग में कौन से पौधे का प्रयोग करना होगा फायदेमंद

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प्रकृति द्वारा उपलब्ध बहुत से पौधे हमारे आस-पास गार्डेन में या आस-पास मौजूद होते है परन्तु जानकारी के अभाव में हम लोग इन पौधो का लाभ उठा पाने से वंचित हो जाते है। एक प्रस्तुति है आपको जानकारी देने की कि कौन सा पौधा किस औषीधीय गुणों से भरपूर है। आइये जाने इन पौधों के बारे में-

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एलोवेरा

एलोवेरा का पौधा चित्र कुमारी, घृत कुमारी आदि नामों से भी जाना जाता है। यह गूदेदार और रसीला पौधा होता है ।एलोवेरा के रस को अमृत तुल्य बताया गया है। जानिए इसे आप अपनी किन शारीरिक समस्याओं के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

  • फोड़े-फुंसी पर भी यह गजब का असर करता है इसके अलावा मुहांसे, फटी एड़ियां, सन बर्न, आंखों के चारों ओर काले धब्बे को भी यह दूर करता है और इन सबके अलावा बवासीर, गठिया रोग, कब्ज और हृदय रोग तथा मोटापा आदि के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
  • Aloe vera इस्तेमाल आपको लंबे समय तक जवां बनाए रखता है इस पौधे का रस ही सबसे अहम हिस्सा है, जिसे एलो-जेल के नाम से जाना जाता है और इसे पीने से आप खुद को स्वस्थ और तरोजाता महसूस करेंगे।
  • सर्दी-खांसी में भी एलोवेरा रस औषधि का काम करता है इसके पत्ते को भूनकर रस निकाल लें और फिर इसका आधा चम्मच जूस एक कप गर्म पानी के साथ लेना फायदेमंद होता है।
  • वैसे तो Aloe vera रस बालों में लगाने से बाल काले,घने और नर्म रहते हैं लेकिन कहते हैं कि यह गंजेपन को भी दूर करने की ताकत रखता है।
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पत्थरचट्टा

यदि पेट में पथरी है तो ये पत्थरचट्टा का पौधा आपके काम आ सकता है। इसके दो पत्तों को अच्छी तरह से धोकर सुबह सवेरे खाली पेट गर्म पानी के साथ चबा के खाएं,एक हफ्ते के अन्दर पथरी को यह खत्म कर देता है। इसके बाद अल्ट्रासाउंड या सिटी स्कैन जरूर करा लें। पत्थरचट्टा के एक चम्मच रस में सौंठ का चूर्ण मिलाकर खिलाने से पेट दर्द से राहत मिलती है यह पथरी के अलावा सभी तरह के मूत्र रोग में भी लाभदायक होता है।

शंख-पुष्पी

पढ़ाई में कमजोर रहने वाले बच्चों के लिए शंखपुष्पी की पत्ती और तना का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लगातार इस्तेमाल से बच्चों की बुद्धि तीक्ष्ण और शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है। शंखपुष्पी को शक्तिशाली मस्तिष्क टॉनिक, प्राकृतिक स्मृति उत्तेजक और एक अच्छी दूर करने की औषधी माना गया है।

इसकी पत्तियों का इस्तेमाल अस्थमा के लिए किया जाता है। इसे अल्सर और दिल की बीमारी आदि के लिए भी बेहतरीन माना जाता है।

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अश्वगंधा

अश्वगंधा के पौधे में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो वजन घटाने, लकवा आदि से लड़ने में आपकी मदद करते हैं ये पौधे बुखार, संक्रमण और सूजन आदि शारीरिक समस्याओं के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। अश्वगंधा चाय पौधों की जड़ों और पत्तियों से बनी होती है। स्कूली बच्चों की याद्दाश्त को बढ़ाने में मदद करता है।

  • अश्वगंधा से शरीर मजबूत होता है तथा वजन कम करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है । प्लेग के लिए यह रामबाण औषधि है ।  इससे टूटी हड्डी को भी जोड़ा जाता है।
  • गर्भवती महिलाओं को भी इसके सेवन से फायदा होता है क्योंकि यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है । इसमें हार्ट अटैक के खतरे को कम करने की क्षमता मौजूद होती है । यह मधुमेह से ग्रसित लोगों में मोतियाबिंद जैसी समस्या पर भी लगाम लगाता है।
  • यहां तक कि अश्वगंधा के बारे में यहां तक कहा जाता है कि यह इसमें मौजूद ऐंटिऑक्सीडेंट कैंसर से लड़ने में भी मदद करता है। वैसे इसके इस्तेमाल के लिए पहले डॉक्टरी सलाह ले लेनी चाहिए। वैसे अश्वगंधा का प्रयोग किसी भी अन्य गंभीर बीमारी के उपचार से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
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चिरायता

चिरौता का रस जॉन्डिस जैसी बीमारियों से लड़ने की ताकत रखता है। इसकी पत्तियों और बीजों का काढ़ा बना लें। काढ़ा बनाने के लिए इसकी 50 ग्राम पत्ती को दो कप पानी में उबाल लें। जब यह पानी उबलकर आधी बचे तो इसका सेवन करें यह जॉन्डिस के असर को कम करता है। इसकी पत्तियां पीसकर यदि दाद-खाज, खुजली पर लगाया जाए तो काफी फायदा होता है।

नीम

नीम का पौधा काफी आक्सीजन उत्सर्जित करता है जिससे आस-पास की हवा शुद्ध रहती है। यदि देखा जाए तो नीम के फायदे अंतहीन हैं इसे ‘घर का डॉक्टर’ कहा जाए तो भी कुछ गलत नहीं होगा।

किसी तरह के त्वचा रोग से लड़ने में भी यह काफी मदद करता है।  यदि नहाते समय पानी में इसकी कुछ पत्तियों को मसलकर डाल दें और फिर इसी पानी से नहाएं तो आपको त्वचा का रोग जैसी बीमारियाँ नहीं होती।

यदि सर्दी-जुकाम हो तो इसकी पत्तियों को उबाल लें और इस पानी के भाप को सांस के जरिए अंदर लें आपको काफी आराम मिलेगा। नीम की पत्तियों को पीसकर चोट या मोच की जगह लगाने से काफी आराम मिलता है।

बुखार में भी इसकी पत्तियां काम आती हैं । एक कप पानी में नीम की 4-5 पत्तियां उबालकर पीना फायदेमंद होता है।

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तुलसी

औषधीय पौधों में तुलसी की सबसे ज्यादा अहमियत है इसमें रोग के कीटाणुओं को नष्ट करने की गजब की शक्ति पाई जाती है।

इसकी पत्तियों में अलग प्रकार का तेल मौजूद होता है । जो पत्तियों से निकलकर धीरे-धीरे हवा में फैलने लगता है।  इससे तुलसी के आस-पास की वायु हमेशा शुद्ध और कीटाणु मुक्त होती है और इस वायु के सम्पर्क में आने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है ।

तुलसी की पत्ती, तना और बीज गठिया, लकवा तथा वात दर्द में भी फायदेमंद होते हैं । हर सुबह खाली पेट तुलसी की पत्तियां खाने से रक्त विकार, वात, पित्त जैसी कई समस्याएं दूर होने लगती हैं ।  तुलसी का दांतों से नहीं चबाना चाहिए इसे निगल लेना चाहिए।

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