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जावित्री को अंग्रेजी में मेस कहते है। इसका जैविक नाम मिरिस्टिका फ्रेगरंस है। जावित्री प्रकृति के दिए हुए कुछ वरदानों में से एक है। जावित्री को कई देशों की पाकशैली तथा औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह बहुत पौष्टिक और प्रोटीन तथा फाइबर से भरपूर होती है। इसमें प्रचुर मात्र में औषधिक गुण है जिनकी वजह से ये आपके किचेन मे होनी चाहिए।

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तो आइये बताते है आपको जावित्री की खूबियाँ-

जावित्री का तेल मांसपेशियों और जोड़ो के दर्द में अत्यंत असरकारक होता है। यह एक शामक औषधि है। यह गठिया तथा कटिवात (lumbago) को ठीक करने के लिए बेहद उपयोगी है। चाइना में इसका प्रयोग पेट दर्द तथा सूजन की दवाओं मे किया जाता है।

जावित्री आपके पाचन तंत्र को ठीक रखती है। यह पेट की सूजन, कब्ज तथा अपच के लिए बहुत फायदेमंद होती है। जावित्री का प्रयोग डायरिया के इलाज के लिए भी करते है।

जावित्री रक्त संचार को बढ़ाती है। यह आपकी त्वचा और बालों को स्वस्थ रखती है। यह खतरनाक बिमारियों तथा इन्फेक्शन से बचाती है। यह डायबिटीज के लिए भी लाभदायक है।

जावित्री का एक औषधिक गुण किडनी की सुरक्षा करती है। यह शरीर में गुर्दे की पथरी बनने से रोकती है। और यदि आपको गुर्दे की पथरी है तो यह उसे धीरे धीरे खत्म कर देती है।

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कैसे करें जावित्री का उपयोग

■  जावित्री के बीज, शहद तथा दालचीनी का मिश्रण 

यह मिश्रण रोगाणुरोधी तथा किसी घाव की सड़न रोकने के लिए बहुत उपयोगी होता है। तीनो सामग्री को सामान मात्र में मिला कर हर सुबह इस मिश्रण को लगाएं। 10–15 मिनट रहने दें फिर ठन्डे पानी से धो दें। इससे कील- मुहांसों में भी आराम मिलता है।

■  जावित्री के बीज का पाउडर तथा दूध का फेशिअल 

1 चम्मच दूध (Toned milk तैलीय त्वचा के लिए तथा Full-cream milk रूखी त्वचा के लिए) में पाउडर को मिला लें। इसे रोज अपने चेहरे पर लगायें, 30 मिनट तक लगा रहने दें। फिर ठन्डे पानी से धो दें।

■  ह्रदय रोग के लिए उपयोगी 

10 ग्राम जावित्री, 10 ग्राम दालचीनी तथा 10 ग्राम अकरकरा को मिलाकर रख लें। इस चूर्ण को दिन में 3 बार शहद के साथ लेने पर ह्रदय रोग में निश्चय ही लाभ मिलता है।

■  दांतों के दर्द में 

यदि आपके दांतों में दर्द हो रहा हो तो जावित्री, माजूफल तथा कुटकी को मिलाकर काढ़ा बना लें। गुनगुने काढ़े को थोड़ी देर मुह में रख कर कुल्ला करें। दिन में 2 बार ऐसा करें। दांत दर्द में बहुत आराम मिलेगा।

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