जामुन खाने से जड़ से खत्म होते हैं 10 रोग खाने से पहले जरुर देखना | फायदें और नुकसान

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jamun ke fayde

जामुन गर्मी के मौसम में पाया जाने वाला एक फल है। जामुन को अंग्रेजी में ब्लैक प्लम (Black plum) कहते हैं। जामुन का फल आमतौर पर काले या गहरे गुलाबी रंग का होता है और बहुत सारे औषधीय गुणों से युक्त होता है। जामुन के फायदे और स्वास्थ्य की दृष्टि से कई विकारों को दूर करने के लिए आयुर्वेद में भी जामुन के फल, छाल, पत्तियों एवं बीजों का उपयोग जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता है। ज्यादातर घरों में अच्छी सेहत के लिए लोग जामुन का उपयोग स्नैक्स के रूप में भी करते हैं। जामुन की गुठली के फायदे भी अनेक है जामुन का उपयोग सिरका (vinegar) बनाने में भी किया जाता है जो कई विकारों को दूर करने में इस्तेमाल किया जाता है।

जामुन के फायदे

Jamun Ke Fayde In Hindi

मधुमेह रोगियों के लिये

जामुन की गुठलीयां 25 ग्राम मात्रा में लेकर उसमें 2 ग्राम अफीम किसी खरल में घोटकर छोटी-छोटी गोलीया बना लें, रोजाना एक-एक गोली पानी के साथ खा लें, इससे मधुमेह रोगीयों को बहुत लाभ होता है।

जामुन की गुठली और करेले को छांया में सुखाकर कुट पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को पांच ग्राम मात्रा में जल के साथ सेवन करने से मधुमेह रोग में बहुत लाभ होता है.

मसूढ़ों के लिये

जामुन के कोमल पत्तों को पानी में उबालकर छानंकर उस जल से कुल्ले करने पर मसुढों की सुजन और रक्त निकलने की विकृति नष्ट होती है।

जामुन के सुखे पतों की भस्म बनाकर मंजन की तरह दांतों पर मलने से दांत मजबूत और मसुढों की विकृती नष्ट होती है।

पेचिश रोग को नष्ट करता हैं

जामुन और आम की गुठलीयों का भीतरी भाग गिरी को कुट पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। जामुन और आम की गुठली की गिरी बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाना चाहिए। 5 ग्राम चूर्ण तक्र मठे के साथ दिन में तीन बार उबालकर ठंडा किये जल के साथ सेवन करने से प्रवाहिका पेचिश रोग नष्ट होता है।

पथरी रोग में सहायक

जामुन की गुठली का चूर्ण बनाकर दहीं, या तक्र मठे के साथ सेवन करने से पथरी धीरे-धीरे खत्म हो जाती है। जामुन खाने से भी पथरी खत्म होती है।

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अतिसार दस्त और गर्भवस्था

जामुन और आम के वृक्ष की छाल बराबर मात्रा में लेकर जल में उबालकर काढा बनाकर, छांनकर उसमें धनिये और जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से अतिसार दस्त की विकृति खत्म हो जाती है। गर्भावस्था में इसका सेवन कराने से बहुत अच्छे परिणाम मिलते है।

अतिसार दस्त में रक्त निकलने की विकृति होने पर जामुन की गुठली का चूर्ण 5 ग्राम मात्रा में दिन मे कई बार तक्र मठे के साथ सेवन करने से रक्तस्त्राव जल्द ही बंद हो जाता है।

मरोड़ देकर आने वाले दस्त

जामुन की भितरी छाल का काढ़ा बनाकर पीलाने से एठन मरोढ की विकृति और अतिसार दस्त में बहुत लाभ होता है।

मधुमेह रोग

जामुन की गुठली की गिरी जीरा अनार के बीज, दारूहल्दी, लोघ्र, पीपल, काली मिर्च, करंज, बाइविंिडग, खस और सोंठ को बराबर मात्रा में लेकर कुट पीसकर चूर्ण बनाकर रोजाना सुबह-शाम तीन-तीन ग्राम चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से मुध रोग में बहुत लाभ होता है।

अफीम का नशा

पानी में एक तोले जामुन के कोमल पत्तों को पीसकर पीलाने से अफीम का नाश नष्ट हो जाता है।

बच्चों के अतिसार दस्त

छोटे बच्चों को अतिसार होने पर जामुन की ताजी छाल का रस बकरी के दूध में उबालकर ठंडा किये दूध में मिलाकर पीलाने पर बहुत लाभ होता है।

कानदर्द के लिये

जामिन की गुठली की गिरी का तेल बून्द-बुंद सुबह-शाम कांन में डालने से कर्णस्त्राव और कर्णषुल की विकृति नष्ट होती है। कानदर्द ठीक हो जाता हैं.

बच्चों के लिये

बच्चों का बिस्तर पर मूत्र करने संबधि बीमारी में जामुन की गुठली का चूुर्ण बनाकर तीन ग्राम मात्रा में जल के साथ सेवन कराने से बहुत लाभ होता है।

मुंह की दुर्गध दूर करता हैं

जामुन के पत्ते चबाकर रस चुसने से मूंह की दुर्गध नष्ट होती है।

जामुन खाने के फायदे (अर्श रोग)

अर्श रोग में रक्तस्त्राव होने पर जामुन सेंधा नमक मिलाकर खाने से बहुत लाभ होता है। रोगी को खाली पेट जामुन ,खाने चाहिए, जामुन खाने से मूंह के छाले भी खत्म होते है।

मधुर आवाज़

जामुन की गुठली को सुखाकर बनाया गया चूर्ण मधु मिलाकर चाटकर खाने से आवाज का भारीपन नष्ट होता है। आवाज सुरीली होती है।

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