वजन कम करने वालों के लिए और किडनी को रोग मुक्त करने में रामबाण औषधी है हरा धनिया

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आमतौर पर सब्जियों में मसाले के साथ ही सुगंध के लिए धनिये का इस्तेमाल किया जाता है। धनिया के हरे पत्ते और बीजों को हर भारतीय रसोई में देखा जा सकता है। औषधीय गुणों से भरपूर धनिये का वानस्पतिक नाम कोरिएंड्रम सटाईवम है। हम आपको बता रहें हैं धनिया के औषधीय गुणों के बारे में –

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  • धनिया की पत्तियों के रस (20 मिली) में आधा चम्मच हल्दी का चूर्ण मिलाकर चेहरे पर लगाएं। इससे मुहांसों की समस्या दूर होती है और यह ब्लैकहेड्स को भी हटाता है।
  • कच्ची ग्वार की फलियों को पीसकर इसमें टमाटर और धनिया की हरी पत्तियों को डालकर चटनी तैयार कर प्रतिदिन खाने से आंखों की रोशनी बेहतर होती है। इसे लगातार लेने से कई बार चश्मा भी उतर जाता है।
  • धनिये के सेवन से खून में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है। इसलिए धनिया त्वचा के लिए भी फायदेमंद है।
  • हरे धनिया की पत्तियों और परवल के फलों की समान मात्रा (20 ग्राम प्रत्येक) लेकर कुचल कर एक-चौथाई लीटर पानी में रात भर के लिए भिगोकर रख दें। सुबह इसे छानकर तीन हिस्से कर प्रत्येक हिस्से में थोडा-सा शहद डालकर दिन में तीन बार पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
  • धनिया महिलाओं में मसिक धर्म संबंधी समस्याओं को दूर करता है। यदि मासिक धर्म साधारण से ज्यादा हो तो आधा लीटर पानी में लगभग 6 ग्राम धनिए के बीज डालकर उबालें और इसमें शक्कर डालकर पी लें.
  • सौंफ, मिश्री व धनिया के बीजों की समान मात्रा लेकर चूर्ण बना कर 6-6 ग्राम प्रतिदिन भोजन के बाद खाने से हाथ-पैर की जलन, एसिडिटी, आंखों की जलन, पेशाब में जलन व सिरदर्द दूर होता है।
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  • हरे ताजे धनिया की पत्तियां लगभग 20 ग्राम और उसमें चुटकी भर कपूर मिला कर पीस लें और रस छान लें। इस रस की दो बूंदें नाक के छिद्रों में दोनों तरफ टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर हल्का-हल्का मलने से नाक से निकलने वाला खून जिसे नकसीर भी कहा जाता है, तुरंत बंद हो जाता है।
  • हाथ-पांव में जलन की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में धनिया के बीजों और मिश्री को कूट कर खाना खाने के पश्चात 5-6 ग्राम लेने से कुछ ही दिनों में आराम मिल जाता है।
  • थोड़ा सा धनिया कूट कर पानी में उबाल कर ठंडा करके मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर लें। इसकी दो बूंदें आंखों में टपकाने से जलन, दर्द तथा पानी गिरना जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
  • हरा धनिया चरपरा, कसैला और जठराग्नि को प्रदीप्त करने वाला होता है।
  • धनिया चिंता और अनिद्रा से राहत के लिए चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
  • यह पाचक एवं ज्वरनाशक भी है।
  • मुँह के छालों या गले के रोगों में हरे धनिया के रस से कुल्ला करना चाहिए।
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  • शुद्ध शाकाहार में हरे धनिए का उपयोग बहुतायत में किया जाता है।
  • गर्भ धारण करने के दो-तीन महीने तक गर्भवती महिला को उल्टियाँ आती है। ऐसे में धनिये का काढ़ा बना कर एक कप काढ़े में एक चम्मच पिसी मिश्री मिला कर पीने से जी घबराना बंद होता है।
  • हरे धनिया के साथ ख़ास-तौर पर पुदीना मिलाकर इसकी चटनी बनाई जाती है। जो हमारे शरीर को आराम देती है। इसको खाने से नींद भी अच्छी आती है।
  • होठों को गुलाबी और मुलायम बनने के लिए हरा धनिया पत्ता और गुलाबजल की मदद से मुलायम और गुलाबी बना सकते है ।धनिया एक बहुत अच्छा एंटी बैक्टीयल एजेंट है और गुलाब जल एक क्लीजर के रूप में काम काम करता है
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  • हरा धनिया वातनाशक होने के साथ-साथ पाचनशक्ति भी बढ़ाता है।
  • नींद न आती हो तो हरे धनिया में मिसरी मिलाकर चाशनी बनाएं। दो चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ लें।
  • धनिया पेट की समस्याओं का निवारण करता है, यह पाचनशक्ति बढ़ाता है।
  • सिर के बाल झड़ने पर हरा धनिया का रस लगाएं।
  • धनिया को ताजी छाछ में मिलाकर पीने से बदहजमी, मतली, पेचिश और कोलाइटिस में आराम मिलता है।
  • हरे धनिया के नियमित प्रयोग से आंखों की रोशनी बढ़ती है क्योंकि इसमें विटामिन ए भरपूर मात्रा में होता है जो आंखों के लिए आवश्यक है।
  रोजना दूध में इसे डालकर पीने से कब्ज खत्म, पेट की चर्बी गलाएँ, गैस मिटाएँ, आँखों की रोशनी बढ़ाएँ
  • चेहरे पर तिल होने पर रोजाना हरे धनिया की पत्तियों को रगड़ने से लाभ होता है।
  • टाइफाइड में भी यह उपयोगी है, टाइफाइड होने पर हरी धनिया के पत्तों का सेवन करना चाहिए।
  • शरीर में कमजोरी महसूस हो और चक्कर आते हों तो दो चम्मच धनिया के रस में दस ग्राम मिसरी व आधी कटोरी पानी मिलाकर सुबह-शाम लेने से फायदा होता है।
  • लू लगने पर हरा धनिया को पीसकर उसका रस निकाल लीजिए, इस रस को चीनी के साथ मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
  • पेशाब में जलन होने पर हरे धनिया का शरबत पिएं।
  • पेट में दर्द होने पर आधा गिलास पानी में दो चम्मच धनिया का रस डालकर पीने से पेट दर्द से राहत मिलती है।
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इतने सारे गुणों के बाद यह कमाल है कि यह बहुत ज़्यादा महँगा नहीं होता। और बाज़ार में बारह महीने आसानी से उपलब्ध रहता है। सिर्फ गर्मी के दिनों में इसके भावों में कुछ तेजी आ जाती है।

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