खाने का चुना गठिया, जोड़ो के दर्द और घुटनों के दर्द में रामबाण

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gathiya arthritis

उम्र बढ़ने के साथ अक्सर लोगो को घुटनों और जोड़ों का दर्द होने लगता है जो गठिया का लक्षण (Arthritis symptoms) भी हो सकता है। गठिया की वजह यूरिक एसिड को माना जाता है, शरीर में uric acid की मात्रा बढ़ जाने पर इसके कण घुटनों और अन्य जोड़ों में जमा होने लगते है जिस वजह से जोड़ो में दर्द होने लगता है। कई बार ये दर्द इतना असहनीय होता है की व्यक्ति का बुरा हाल हो जाता है।

गठिया की बीमारी हो तो रात के समय जोड़ो का दर्द बढ़ जाता है और सुबह अकड़न होती है। अगर आपके घुटनो में दर्द रहता है तो सही समय पर इसकी जाँच करवाना जरुरी है, अगर ये गठिया का रोग है तो तुरंत इसका इलाज करना चाहिए नही तो इससे जोड़ो को नुकसान भी हो सकता है। इस लेख में हम जोडों और घुटने के दर्द से रहत पाने के घरेलू नुस्खे और आयुर्वेदिक उपचार के आसान तरीके बता रहे है। इन देसी उपायों के प्रयोग से आप गठिया जैसी बीमारी से भी छुटकारा पा सकते है।

गठिया रोग को आमवात, संधिवात आदि नामों से भी जाना जाता है। इस रोग में सबसे पहले शरीर में निर्बलता और भारीपन के लक्षण दिखाई देते हैं। इस रोग के होने पर हाथ के बीच की उंगलियों में दर्द होता है। अगर इसका इलाज नही किया जाता तो हाथ की दूसरी उंगलियों में भी सूजन व दर्द होने लगता है। गठिया रोग होने पर शरीर की हडि्डयों में दर्द होता है, जिसके कारण रात को रोगी सो भी नहीं पाता है।

गठिया होने का कारण

तेज मसालों से बना भोजन (फास्ट फूड), गर्म भोजन, ठंडी चीजों का अधिक सेवन करने से पेट में गैस पैदा होती है जिसके कारण यह रोग उत्पन्न होता है। जब भोजन आमाशय में जाकर अधपचा रह जाता है तो भोजन का अपरिपक्व रस जिसे `आम´ कहते हैं वो त्रिक ( रीढ की हड्डी का निचला हिस्सा) की हडि्डयों में जाकर वायु के साथ दर्द उत्पन्न करता है। इसी रोग को गठिया का रोग कहते हैं। चिकित्सकों के अनुसार- यह रोग भोजन के ठीक से पचने से पहले पुन: भोजन कर लेने से, प्रकृति-विरूद्ध पदार्थों को खाने से, अधिक शीतल और वसायुक्त खाद्य-पदार्थों का सेवन करने से उत्पन्न होता है।

गठिया का रोग दांत गन्दे रहना, भय , अशान्ति, शोक, चिन्ता, अनिच्छा का काम, पानी में भीगना, ठंड लगना, आतशक, सूजाक, ठंडी रूखी चीजें खाना, रात को अधिक जागना, मल-मूत्र के वेग को रोकना, चोट लगना, अधिक खून बहना, अधिक श्रम, मोटापा आदि कारणों से होता है। यह रोग खून की कमी, शारीरिक कमजोरी तथा बुढ़ापे में हड्डियों की चिकनाई कम होने के कारण भी उत्पन्न होता है। इस रोग में दर्द या तो बाएं या दाएं घुटने में अथवा दोनों घुटनों में होता है। रोगी को बैठने के बाद खड़े होने में तकलीफ होती है और रात के समय रोग बढ़ जाता है। सर्दी तथा वर्षा के मौसम में यह रोग दर्द के साथ रोगी को व्याकुल कर देता है एवं चलने-फिरने, उठने-बैठने में तकलीफ पैदा करता है। रोगी के घुटने कड़े हो जाते हैं और उनमें कभी-कभी सूजन भी हो जाती है।

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गठिया होने के लक्षण

भोजन का अच्छा न लगना, अधिक आलस आना, बुखार से शरीर के विभिन्न अंगों में सूजन, कमर और घुटनों में तेज दर्द जिसके कारण रोगी रात को सो नही पाता है आदि गठिया रोग में होने वाले लक्षण है। इसके अलावा इस रोग में रोगी के हाथ-पांव की अंगुलियों में सूजन होती है जिससे अंगुलियां सीधी नही होती है, शरीर के दूसरे भागों में सूजन व दर्द रहता है। इस रोग के होने पर जोड़ो व मांसपेशियों में दर्द रहता है।

गठिया का घेरलू और रामबाण इलाज

गेहूँ के दाने के बराबर मात्रा में चुना हर रोज सुबह खाली पेट 1 कप दही में या पानी मे मिला कर 3 महीने तक लगातार खाने से कैसा भी गठिया हो ठीक हो जाता है। जिन लोगों को पथरी की समस्या हो वो चुने का सेवन ना करे।

एक चम्मच दालचीनी पाउडर और दो चम्मच शहद दिन में 2 बार 1 गिलास गुनगुने पानी के साथ पिए। जिन लोगों को गठिया के कारण चलने फिरने में मुश्किल होती है उन्हें 30 दिनों के प्रयोग में ही काफी pain relief मिलने लगेगा।

किन बातों का रखे ख्याल 

दिन की शुरुआत हलके फुल्के योगा से करे। सुबह के समय सूर्य नमस्कार और प्राणायाम करने से जोड़ों और घुटने के दर्द से छुटकारा मिलता है। गठिया का treatment करने के लिए बाबा रामदेव के बताये योगा आसन भी कर सकते है।

गठिया में भोजन तथा परहेज 

एक वर्ष पुराने चावल, जंगली पशु-पक्षियों के मांस का सूप, एरण्डी का तेल , पुरानी शराब, लहसुन , करेला , परवल , बैंगन, सहजना , लस्सी , गोमूत्र, गर्म पानी, अदरक , कड़वे एवं भूख बढ़ाने वाले पदार्थ, साबूदाना , तथा बिना चुपड़ी रोटी का सेवन करना गठिया रोग में लाभकारी है। इस रोग में फलों का सेवन और सुबह नंगे पैर घास पर टहलना रोगी के लिए लाभकारी होता है। गठिया रोग में रात को सोते समय एक गिलास दूध में जरा-सी हल्दी डालकर पीने से लाभ मिलता है।

उड़द की पिट्ठी की कचौडी तथा बड़ी मछली, दूध, दही , पानी, गर्म (मसालेदार) भोजन, रात को अधिक देर तक जागना, मल-मूत्र के वेग को रोकना आदि गठिया रोग में हानिकारक है। मूली, केला, अमरूद, कटहल, चावल, लस्सी एवं गुड़ आदि का प्रयोग भी इस रोग में हानिकारक है। इस रोग में रोगी को भूख से एक रोटी कम खानी चाहिए और ठंडी वस्तुओं का सेवन कम करने चाहिए। रोगी को शरीर को अधिक थकाने वाले कार्य नहीं करने चाहिए तथा खाने के बाद बैठकर पढ़ने-लिखने का कार्य भी अधिक नहीं करना चाहिए।

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